बना दो बुद्धिहीन, भगवान ! (EN)
४६-कोई भाग्यवान् व्यक्ति निष्काम भावसे भगवान् की भक्ति करता है तो भगवान् अपने सच्चिदानन्द विग्रह से उसके सामने प्रकट होते हैं। पर श्रीभगवान् को भजकर, भगवान्की आराधनाके बदलेमें, भगवत्प्रेमके बदलेमें…
४६-कोई भाग्यवान् व्यक्ति निष्काम भावसे भगवान् की भक्ति करता है तो भगवान् अपने सच्चिदानन्द विग्रह से उसके सामने प्रकट होते हैं। पर श्रीभगवान् को भजकर, भगवान्की आराधनाके बदलेमें, भगवत्प्रेमके बदलेमें…
२१-जो श्रीभगवान् और उनके भक्तोंका अपमान करते हैं, उनपर कभी भी कृपा नहीं होती। श्रीभगवान् और उनके भक्तोंका चरणाश्रय ही जीवको पार करता है। और सच तो यह है कि…
२१-जो श्रीभगवान् और उनके भक्तोंका अपमान करते हैं, उनपर कभी भी कृपा नहीं होती। श्रीभगवान् और उनके भक्तोंका चरणाश्रय ही जीवको पार करता है। और सच तो यह है कि…
सबसे ऊँची प्रार्थना यह है ‘भगवन् ! तुम्हारा मंगलमय स्मरण होता रहे, उसमें कभी भूल न हो।’ १-एक मनुष्य भगवान् से प्रार्थना करता है-‘ भगवन् ! मुझे अमुक वस्तु या…
सबसे ऊँची प्रार्थना यह है ‘भगवन् ! तुम्हारा मंगलमय स्मरण होता रहे, उसमें कभी भूल न हो।’ १-एक मनुष्य भगवान् से प्रार्थना करता है-‘ भगवन् ! मुझे अमुक वस्तु या…
६३-अभ्यासकी क्रिया और भगवत्प्रेमका भाव बढ़ानेका प्रयत्न साथ-साथ चलते रहें। पहले गुणोंको देखकर ही प्रेम होता है। परन्तु वस्तुतः प्रेम गुणजनित नहीं है और न वह गुणोंके आधारपर टिकता ही…
६३-अभ्यासकी क्रिया और भगवत्प्रेमका भाव बढ़ानेका प्रयत्न साथ-साथ चलते रहें। पहले गुणोंको देखकर ही प्रेम होता है। परन्तु वस्तुतः प्रेम गुणजनित नहीं है और न वह गुणोंके आधारपर टिकता ही…
४३-एकमात्र श्रीकृष्णकी कृपा ही जीव का परम सम्बल है। उनकी कृपामें यदि अनास्था है तो जीवके लिये कोई आश्रय नहीं। कृपा-कणिकाको प्राप्त करनेके लिये जीवके पास एक ही उपाय है…
४३-एकमात्र श्रीकृष्णकी कृपा ही जीव का परम सम्बल है। उनकी कृपामें यदि अनास्था है तो जीवके लिये कोई आश्रय नहीं। कृपा-कणिकाको प्राप्त करनेके लिये जीवके पास एक ही उपाय है…
२३-सकाम भक्ति भी फल देकर मरती नहीं। भगवान् कहते हैं ‘मद्भक्ता यान्ति मामपि’ – चारों प्रकारके भक्त मुझे प्राप्त हो जाते हैं। भगवद्भक्ति ऐसी चीज है कि उसके बदले हम…
२३-सकाम भक्ति भी फल देकर मरती नहीं। भगवान् कहते हैं ‘मद्भक्ता यान्ति मामपि’ – चारों प्रकारके भक्त मुझे प्राप्त हो जाते हैं। भगवद्भक्ति ऐसी चीज है कि उसके बदले हम…
दशम माला १-अपने किये तो कुछ होता नहीं, सब कर्म विपरीत हैं; पर हमारे नाथ हैं करुणावरुणालय, परम दयालु। वे अपनी दयालुतावश स्वयमेव द्रवित हो जायँगे और हमारा कल्याण होगा-…
दशम माला १-अपने किये तो कुछ होता नहीं, सब कर्म विपरीत हैं; पर हमारे नाथ हैं करुणावरुणालय, परम दयालु। वे अपनी दयालुतावश स्वयमेव द्रवित हो जायँगे और हमारा कल्याण होगा-…
७८-विपत्तिका पार पाना क्या है? उसका असर हमपर न हो, विपत्तिमें हम हार न मानें, भय न मानें फिर चाहे स्वरूपतः वह बनी रहे। ७९-विपत्तिमें हार तभीतक होती है, जबतक…
७८-विपत्तिका पार पाना क्या है? उसका असर हमपर न हो, विपत्तिमें हम हार न मानें, भय न मानें फिर चाहे स्वरूपतः वह बनी रहे। ७९-विपत्तिमें हार तभीतक होती है, जबतक…
45.जिसकी जैसी वृत्ति होती है; उसका वैसा स्वभाव होता है। वृत्ति स्वभावसे होती है और स्वभाव वृत्तिसे पहचाना जाता है। पहचान एकान्तमें होती है। ऊपरसे चाहे जैसा वेष रखे, पर…
45.जिसकी जैसी वृत्ति होती है; उसका वैसा स्वभाव होता है। वृत्ति स्वभावसे होती है और स्वभाव वृत्तिसे पहचाना जाता है। पहचान एकान्तमें होती है। ऊपरसे चाहे जैसा वेष रखे, पर…
३५-जबतक भगवान् के नाम में स्वाभाविकता नहीं आ जाती, तबतक उसके लेनेमें थकावट मालूम होती है। उसकी गिनती देखनेकी इच्छा होती है। पर मनुष्य जो श्वास लेता है, उसकी क्या…
३५-जबतक भगवान् के नाम में स्वाभाविकता नहीं आ जाती, तबतक उसके लेनेमें थकावट मालूम होती है। उसकी गिनती देखनेकी इच्छा होती है। पर मनुष्य जो श्वास लेता है, उसकी क्या…
७-कृपाके मार्ग में पाथेय की चिन्ता भी रखते हैं कृपालु प्रभु ही। रास्तेमें बच्चेको भूख लगेगी तो उसके लिये गठरी बाँधकर रखती है माँ। बच्चेको उसके लिये कोई चिन्ता नहीं।…
७-कृपाके मार्ग में पाथेय की चिन्ता भी रखते हैं कृपालु प्रभु ही। रास्तेमें बच्चेको भूख लगेगी तो उसके लिये गठरी बाँधकर रखती है माँ। बच्चेको उसके लिये कोई चिन्ता नहीं।…
१- भगवान् की स्तुति भगवान्की कृपासे, भगवान् की प्रेरणासे ही की जा सकती है। नवम माला २- भगवान्को प्राप्त कर लेनेपर किसीमें चंचलता नहीं रहती। बाद कोई अपने चंचल मनको,…
१- भगवान् की स्तुति भगवान्की कृपासे, भगवान् की प्रेरणासे ही की जा सकती है। नवम माला २- भगवान्को प्राप्त कर लेनेपर किसीमें चंचलता नहीं रहती। बाद कोई अपने चंचल मनको,…
८८. भगवान् के गुणोंका, लीलाओं का, उनके चरित्रोंका अध्ययन मनन कीजिये और नामका जप कीजिये, भगवान्की चाह अपने-आप बढ़ती जायगी। ८९-गोपियोंकी आँखोंके सामने जो भी आवे, वह श्यामसुन्दर ही आवे!…
८८. भगवान् के गुणोंका, लीलाओं का, उनके चरित्रोंका अध्ययन मनन कीजिये और नामका जप कीजिये, भगवान्की चाह अपने-आप बढ़ती जायगी। ८९-गोपियोंकी आँखोंके सामने जो भी आवे, वह श्यामसुन्दर ही आवे!…
६५-जैसे जिसके भाव होते हैं उसके वैसे ही परमाणु नित्य-निरन्तर निकल-निकलकर जगत्में फैलते रहते हैं। जहाँ-जहाँ अनुकूल भाव मिलते हैं, वहाँ-वहाँ (उनको पुष्ट करते हैं तथा स्वयं) पुष्ट होते हैं…
६५-जैसे जिसके भाव होते हैं उसके वैसे ही परमाणु नित्य-निरन्तर निकल-निकलकर जगत्में फैलते रहते हैं। जहाँ-जहाँ अनुकूल भाव मिलते हैं, वहाँ-वहाँ (उनको पुष्ट करते हैं तथा स्वयं) पुष्ट होते हैं…
४२-सन्तको पकड़ लेनेके बाद अश्रद्धा रहती ही नहीं। अतः जबतक अश्रद्धा बनी हुई है, वृत्ति भगवान्की ओरसे हटकर विषयोंकी ओर जाती है, तबतक यह समझना चाहिये कि हम सन्तके आसपास…
४२-सन्तको पकड़ लेनेके बाद अश्रद्धा रहती ही नहीं। अतः जबतक अश्रद्धा बनी हुई है, वृत्ति भगवान्की ओरसे हटकर विषयोंकी ओर जाती है, तबतक यह समझना चाहिये कि हम सन्तके आसपास…
२४-शरणागतिके दो स्वरूप हैं। (१) शुद्ध होकर भगवान्की शरणमें जाना। इसमें शुद्धिके लिये अपना बल लगाना पड़ता है; अपने बलपर शुद्धि करनी पड़ती है। (२) ‘जैसे हो वैसे ही शरण…
२४-शरणागतिके दो स्वरूप हैं। (१) शुद्ध होकर भगवान्की शरणमें जाना। इसमें शुद्धिके लिये अपना बल लगाना पड़ता है; अपने बलपर शुद्धि करनी पड़ती है। (२) ‘जैसे हो वैसे ही शरण…
१- ऋषि जगत्कें बड़े उपकारक हैं। वे मन्त्रद्रष्टा हैं एवं उनके प्रचारक हैं। वैदिक, तान्त्रिक आदि जितने मन्त्र हैं, उनकी साधना कैसे करनी चाहिये-यह जगत्ने जाना है इन ऋषियोंकी कृपासे…
१- ऋषि जगत्कें बड़े उपकारक हैं। वे मन्त्रद्रष्टा हैं एवं उनके प्रचारक हैं। वैदिक, तान्त्रिक आदि जितने मन्त्र हैं, उनकी साधना कैसे करनी चाहिये-यह जगत्ने जाना है इन ऋषियोंकी कृपासे…
भगवान्के प्रेम-रहस्य को प्रेमी भक्त खोलना नहीं चाहते और न खुलवाना ही चाहते हैं। ८६- श्रीयशोदाजीके हृदयमें अपने सुत श्रीकृष्णके सिवा और कुछ रहता ही नहीं। प्रेम भावमय होता है।…
भगवान्के प्रेम-रहस्य को प्रेमी भक्त खोलना नहीं चाहते और न खुलवाना ही चाहते हैं। ८६- श्रीयशोदाजीके हृदयमें अपने सुत श्रीकृष्णके सिवा और कुछ रहता ही नहीं। प्रेम भावमय होता है।…
६२-बड़भागी वे नहीं, जिनके पास प्रचुर मात्रामें धन है या जिनका विषयोंमें बहुत प्रेम है। बडभागी वे हैं जिनका भगवानमें प्रेम है। बारह गुणोंसे युक्त ब्राह्मणसे, जो भगवानसे प्रेम नहीं…
६२-बड़भागी वे नहीं, जिनके पास प्रचुर मात्रामें धन है या जिनका विषयोंमें बहुत प्रेम है। बडभागी वे हैं जिनका भगवानमें प्रेम है। बारह गुणोंसे युक्त ब्राह्मणसे, जो भगवानसे प्रेम नहीं…
३६-भगवान् प्रकृतिसे अतीत हैं। अतः उनके गुण नाशवान् नहीं- दिव्य हैं, नित्य हैं। भगवान्में प्राकृत गुणोंका संस्पर्श-लेश भी नहीं है, इसीलिये भगवान् निर्गुण हैं। भगवान्के जो गुण हैं, वे गुणीसे…
३६-भगवान् प्रकृतिसे अतीत हैं। अतः उनके गुण नाशवान् नहीं- दिव्य हैं, नित्य हैं। भगवान्में प्राकृत गुणोंका संस्पर्श-लेश भी नहीं है, इसीलिये भगवान् निर्गुण हैं। भगवान्के जो गुण हैं, वे गुणीसे…
१७-जीवकी तुच्छशक्तिके काँटेपर जब हम भगवान्की क्रियाओं तौलने जाते हैं, तब विफल ही होते हैं। पर यदि अपनी शक्तिको भूलकर श्रीकृष्णकी अचिन्त्य शक्तिकी ओर ध्यान दें तो हमें मालूम होगा…
१७-जीवकी तुच्छशक्तिके काँटेपर जब हम भगवान्की क्रियाओं तौलने जाते हैं, तब विफल ही होते हैं। पर यदि अपनी शक्तिको भूलकर श्रीकृष्णकी अचिन्त्य शक्तिकी ओर ध्यान दें तो हमें मालूम होगा…
सप्तम माला १-वेद-शास्त्र इसीलिये जगत्का कल्याण करते हैं कि उनमें भगवान्के गुण, महत्त्व, तत्त्व, रहस्य, स्वरूप, लीला, धाम और नाम आदिका विशद विवेचन है। २-तीर्थ इसीलिये पतितपावन हैं कि उनमें…
सप्तम माला १-वेद-शास्त्र इसीलिये जगत्का कल्याण करते हैं कि उनमें भगवान्के गुण, महत्त्व, तत्त्व, रहस्य, स्वरूप, लीला, धाम और नाम आदिका विशद विवेचन है। २-तीर्थ इसीलिये पतितपावन हैं कि उनमें…
९४-जैसे वृक्षकी जड़में जल सींचनेसे सारे पेड़में रस पहुँच जाता है, इसी प्रकार एक भगवान्की उपासनासे सबकी उपासना सम्पन्न हो जाती है। ९५-जैसे सरकारकी शक्तिसे, सरकारकी यथायोग्य शक्तिको पाये हुए…
९४-जैसे वृक्षकी जड़में जल सींचनेसे सारे पेड़में रस पहुँच जाता है, इसी प्रकार एक भगवान्की उपासनासे सबकी उपासना सम्पन्न हो जाती है। ९५-जैसे सरकारकी शक्तिसे, सरकारकी यथायोग्य शक्तिको पाये हुए…
६२-मनको पवित्र और संयत करनेका एक बड़ा सुन्दर और सफल साधन है-सत्संगमें रहकर निरन्तर भगवान्की अतुलनीय महिमा और पवित्र लीला-कथाओंका सुनना और फिर उनका भलीभाँति मनन करते रहना। ६३-भगवान्की महिमा…
६२-मनको पवित्र और संयत करनेका एक बड़ा सुन्दर और सफल साधन है-सत्संगमें रहकर निरन्तर भगवान्की अतुलनीय महिमा और पवित्र लीला-कथाओंका सुनना और फिर उनका भलीभाँति मनन करते रहना। ६३-भगवान्की महिमा…
३६-किसी पापका सच्चा प्रायश्चित्त तब होता है, जब १. उसके लिये मनमें भयानक पीड़ा – घोर पश्चात्ताप हो, २. भविष्यमें वैसा न करनेका दृढ़ निश्चय हो, ३. अपने पापको प्रकट…
३६-किसी पापका सच्चा प्रायश्चित्त तब होता है, जब १. उसके लिये मनमें भयानक पीड़ा – घोर पश्चात्ताप हो, २. भविष्यमें वैसा न करनेका दृढ़ निश्चय हो, ३. अपने पापको प्रकट…
१-जहाँ प्रेम प्रेमके लिये ही होता है-बिना किये ही होता है, किसी चाहकी जहाँ कल्पना भी नहीं है, वहीं निर्मल अहैतुक प्रेम प्रकट होता है। २-यथार्थ सुन्दर और मधुर वही…
१-जहाँ प्रेम प्रेमके लिये ही होता है-बिना किये ही होता है, किसी चाहकी जहाँ कल्पना भी नहीं है, वहीं निर्मल अहैतुक प्रेम प्रकट होता है। २-यथार्थ सुन्दर और मधुर वही…
६०-अज्ञानी मनुष्य ही अभिमान का गुलाम है; बुद्धिमान् तो विनयी होता है। ६१-अहंकार प्रचण्ड निदाघका मध्याह्न है और विनय वसन्तकी संध्या ! ६२-जो कुछ करना चाहते हो, पहलेसे ही उसका…
६०-अज्ञानी मनुष्य ही अभिमान का गुलाम है; बुद्धिमान् तो विनयी होता है। ६१-अहंकार प्रचण्ड निदाघका मध्याह्न है और विनय वसन्तकी संध्या ! ६२-जो कुछ करना चाहते हो, पहलेसे ही उसका…
२७-जब सुखकी चाह कम होती है, तब उतनी ही चिन्ता भी कम होती है। जहाँ भोग-विलासरूप सुखकी स्पृहा आयी कि चारों ओरसे फंदे पड़ने लगे। २८-मनुष्य स्वयं ही अपनी मूर्खतासे…
२७-जब सुखकी चाह कम होती है, तब उतनी ही चिन्ता भी कम होती है। जहाँ भोग-विलासरूप सुखकी स्पृहा आयी कि चारों ओरसे फंदे पड़ने लगे। २८-मनुष्य स्वयं ही अपनी मूर्खतासे…
पंचम माला तुम पिछले अनन्त जन्मोंमें न मालूम कितने माता-पिताओंकी स्नेहभरी गोदमें खेले हो….. १-तुम पिछले अनन्त जन्मोंमें न मालूम कितने माता-पिताओंकी स्नेहभरी गोदमें खेले हो, कितनी पतिप्राणा प्रेमिकाओंके प्रेमरसमें…
पंचम माला तुम पिछले अनन्त जन्मोंमें न मालूम कितने माता-पिताओंकी स्नेहभरी गोदमें खेले हो….. १-तुम पिछले अनन्त जन्मोंमें न मालूम कितने माता-पिताओंकी स्नेहभरी गोदमें खेले हो, कितनी पतिप्राणा प्रेमिकाओंके प्रेमरसमें…
७७. मनुष्य घर की एक एक चीज पर अपना अधिकार मानता है. पर मरने पर क्या होता है? कफनके लिये कपड़ेके एक टुकड़ेपर भी उसका अधिकार नहीं है! वह भी…
७७. मनुष्य घर की एक एक चीज पर अपना अधिकार मानता है. पर मरने पर क्या होता है? कफनके लिये कपड़ेके एक टुकड़ेपर भी उसका अधिकार नहीं है! वह भी…
School-College में बोलते हैं माँ-बहन की गाली देने से दोस्ती गहरी होगी महाराज जी से एक युवा भक्त ने पूछा कि महाराज जी School-College में बोलते हैं माँ-बहन की गाली…
School-College में बोलते हैं माँ-बहन की गाली देने से दोस्ती गहरी होगी महाराज जी से एक युवा भक्त ने पूछा कि महाराज जी School-College में बोलते हैं माँ-बहन की गाली…
महाराज जी की मोदी जी और योगी जी से मुलाकात है बहुप्रत्याक्षित महाराज जी की बढती लोकप्रियता को देखते हुए संभावना है कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी और उत्तर प्रदेश…
महाराज जी की मोदी जी और योगी जी से मुलाकात है बहुप्रत्याक्षित महाराज जी की बढती लोकप्रियता को देखते हुए संभावना है कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी और उत्तर प्रदेश…
अब हर 15 मिनट में महाराज जी आपको याद दिलाएंगे नाम जप करना महाराज जी हमेशा अपने भक्तों को कहते है कि सभी समस्याओं का समाधान नाम जप है. आपको…
अब हर 15 मिनट में महाराज जी आपको याद दिलाएंगे नाम जप करना महाराज जी हमेशा अपने भक्तों को कहते है कि सभी समस्याओं का समाधान नाम जप है. आपको…
पहला नम्बर वीर महान का, आगे आगे देखो और कितने सेलेब्रिटी महाराज जी के लिए बनेंगे साधू डब्लूडब्लूई रेसलिंग स्टार वीर महान उर्फ़ रिंकू सिंह राजपूत महाराज Vrindavan Rasik Sant…
पहला नम्बर वीर महान का, आगे आगे देखो और कितने सेलेब्रिटी महाराज जी के लिए बनेंगे साधू डब्लूडब्लूई रेसलिंग स्टार वीर महान उर्फ़ रिंकू सिंह राजपूत महाराज Vrindavan Rasik Sant…
वृन्दावन जाने से पहले यह पढ़ ले परेशान होने से बच सकते हैं इस समय वृन्दावन धार्मिक आस्था का हॉट स्पॉट बना हुआ है. हर रोज लाखों भक्त वृन्दावन में…
वृन्दावन जाने से पहले यह पढ़ ले परेशान होने से बच सकते हैं इस समय वृन्दावन धार्मिक आस्था का हॉट स्पॉट बना हुआ है. हर रोज लाखों भक्त वृन्दावन में…
सारे साधनोंका प्राण है- भगवान्का नाम ४१-सारे साधनोंका प्राण है- भगवान्का नाम । ‘नाम रामको अंक है, सब साधन हैं सून।’ खूब भजन करो और दूसरोंसे करवाओ। ४२-मनुष्य सदा डरता…
सारे साधनोंका प्राण है- भगवान्का नाम ४१-सारे साधनोंका प्राण है- भगवान्का नाम । ‘नाम रामको अंक है, सब साधन हैं सून।’ खूब भजन करो और दूसरोंसे करवाओ। ४२-मनुष्य सदा डरता…
प्रश्न- खुद और अपने बच्चों को भगवान के मार्ग में कैसे चलाएं ? पांच बातें स्वीकार कर लो 1.सुमिरन- किसी भी एक नाम का सुमिरन 2. सेवा- माता-पिता की सेवा,…
प्रश्न- खुद और अपने बच्चों को भगवान के मार्ग में कैसे चलाएं ? पांच बातें स्वीकार कर लो 1.सुमिरन- किसी भी एक नाम का सुमिरन 2. सेवा- माता-पिता की सेवा,…
मनुष्य भूल करता है, सुख एवं सुविधाएँ चाहता है, पर चाहता है भगवान् की ओर पीठ देकर, चतुर्थ माला १-जबतक भगवान्की ओर मुख नहीं हो जाता, तबतक यथार्थ में सुख…
मनुष्य भूल करता है, सुख एवं सुविधाएँ चाहता है, पर चाहता है भगवान् की ओर पीठ देकर, चतुर्थ माला १-जबतक भगवान्की ओर मुख नहीं हो जाता, तबतक यथार्थ में सुख…
भगवान् प्रेमके वश होकर क्या नहीं करते- सब कुछ करते हैं ८८-भगवत्प्रेमके लिये साधना करनी चाहिये, जैसे भी हो इसकी उपलब्धि करनी चाहिये। ८९-जिस दिन मनुष्य सब भूतों में अपने-आपको…
भगवान् प्रेमके वश होकर क्या नहीं करते- सब कुछ करते हैं ८८-भगवत्प्रेमके लिये साधना करनी चाहिये, जैसे भी हो इसकी उपलब्धि करनी चाहिये। ८९-जिस दिन मनुष्य सब भूतों में अपने-आपको…
जब जीवन में बहुत दुखी हों, परेशान हों, विपत्ति मे हों, हार गये हों तो ये सुनो !! देखो सबसे पहली बात की हमारी कमजोरी क्या है. हम परेशान हो…
जब जीवन में बहुत दुखी हों, परेशान हों, विपत्ति मे हों, हार गये हों तो ये सुनो !! देखो सबसे पहली बात की हमारी कमजोरी क्या है. हम परेशान हो…
बुढ़ापे के कष्ट भोग कर बुरी मौत मरने से डर लगता है, महाराज जी क्या बोले ? एक वृद्ध महिला ने महाराज जी से पुछा, महाराज जी बुढापे को भोगने…
बुढ़ापे के कष्ट भोग कर बुरी मौत मरने से डर लगता है, महाराज जी क्या बोले ? एक वृद्ध महिला ने महाराज जी से पुछा, महाराज जी बुढापे को भोगने…
भगवान् प्रेम है और प्रेम ही भगवान् है, , तृतीय माला ४३-जहाँ देखता है, वहीं श्याम – एक तो यह अवस्था होती है। दूसरे प्रकारकी अवस्था यह है कि श्यामके…
भगवान् प्रेम है और प्रेम ही भगवान् है, , तृतीय माला ४३-जहाँ देखता है, वहीं श्याम – एक तो यह अवस्था होती है। दूसरे प्रकारकी अवस्था यह है कि श्यामके…
जो सोचते है पढ़ाई करना कठिन है और बाबा बनना आसान है इसलिए बाबा बन जाए, पढ़ना नहीं पड़ेगा, उन्हें महाराज जी ने क्या बोला जब एक बच्चे ने बोला…
जो सोचते है पढ़ाई करना कठिन है और बाबा बनना आसान है इसलिए बाबा बन जाए, पढ़ना नहीं पड़ेगा, उन्हें महाराज जी ने क्या बोला जब एक बच्चे ने बोला…
शरणागति के लिए जीव को किन बातों की आवश्यकता होती है ? असल बात शरणागति तभी होती है जब हम अपने को किसी योग्य नहीं समझते, जब अर्जुन जी आज्ञा…
शरणागति के लिए जीव को किन बातों की आवश्यकता होती है ? असल बात शरणागति तभी होती है जब हम अपने को किसी योग्य नहीं समझते, जब अर्जुन जी आज्ञा…
प्रेम एकमें ही होता है और वह भगवान्में ही होना सम्भव है, तृतीय माला आदरणीय परम पूज्य श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार जी की लाभदायक पुस्तक ‘सत्संग के बिखरे मोती ‘ १-यह…
प्रेम एकमें ही होता है और वह भगवान्में ही होना सम्भव है, तृतीय माला आदरणीय परम पूज्य श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार जी की लाभदायक पुस्तक ‘सत्संग के बिखरे मोती ‘ १-यह…
पत्नी से हमेशा ही प्रतिकूलता मिलती है, जिससे मन बहुत परेशान है हम क्यों अनुकूलता पत्नी से मांगे, हम अनुकूलता उसको देंगे. हम पति है. हम अनुकूलता देंगे, अपने आप…
पत्नी से हमेशा ही प्रतिकूलता मिलती है, जिससे मन बहुत परेशान है हम क्यों अनुकूलता पत्नी से मांगे, हम अनुकूलता उसको देंगे. हम पति है. हम अनुकूलता देंगे, अपने आप…
इन कारणों से हो रहा है बच्चों का दिमाग खराब शहरों और महानगरों में बच्चों का दिमाग सिर्फ मौज मस्ती में ही लगा रहता है। मां बाप भी अपने बच्चों…
इन कारणों से हो रहा है बच्चों का दिमाग खराब शहरों और महानगरों में बच्चों का दिमाग सिर्फ मौज मस्ती में ही लगा रहता है। मां बाप भी अपने बच्चों…
प्रेम दोमें नहीं होता। वह एक ही में होता है ४३-जहाँ देखता है, वहीं श्याम एक तो यह अवस्था होती है। दूसरे प्रकारकी अवस्था यह है कि श्यामके सिवा और…
प्रेम दोमें नहीं होता। वह एक ही में होता है ४३-जहाँ देखता है, वहीं श्याम एक तो यह अवस्था होती है। दूसरे प्रकारकी अवस्था यह है कि श्यामके सिवा और…
क्यों रे मन तू इतना गन्दा क्यों है…… यह मन दूसरों की कमियां भर भर करके गिनाता है, जबकि अपनी कमी पर सोचता तक नहीं. दूसरों को भाषण तो बहुत…
क्यों रे मन तू इतना गन्दा क्यों है…… यह मन दूसरों की कमियां भर भर करके गिनाता है, जबकि अपनी कमी पर सोचता तक नहीं. दूसरों को भाषण तो बहुत…
क्या धन की चाह, लोभ, और लालच से नाम जप कर सकता हूँ? बहुत बढ़िया है, इसी से मंगल हो जाएगा. हम तुम्हे बताये हमने धन की इच्छा नहीं की…
क्या धन की चाह, लोभ, और लालच से नाम जप कर सकता हूँ? बहुत बढ़िया है, इसी से मंगल हो जाएगा. हम तुम्हे बताये हमने धन की इच्छा नहीं की…
क्या हम में हिम्मत है ऐसा करने की ? सुबह ठीक 4 बजे या 4 बजे से पहले उठना. उठते साथ ही अपने आराध्य का नाम जाप उठते, बैठे, खाते…