हमें कब, कहां, कैसे और क्या करना चाहिए कैसे पता चलेगा ? (EN)
हमें कब, कहां, कैसे और क्या करना चाहिए कैसे पता चलेगा ? शास्त्र और संतजन यह भगवान के द्वारा ही लिखित और प्रेरित होते है। संतों के हृदय में बैठकर…
हमें कब, कहां, कैसे और क्या करना चाहिए कैसे पता चलेगा ? शास्त्र और संतजन यह भगवान के द्वारा ही लिखित और प्रेरित होते है। संतों के हृदय में बैठकर…
दिन में 4-5 बार हस्तमैथुन करता हूँ, कैसे बचूँ ? महाराज जी ने बताया इलाज I masturbate 4-5 times a day, how can I avoid it? Maharaj ji told the…
दिन में 4-5 बार हस्तमैथुन करता हूँ, कैसे बचूँ ? महाराज जी ने बताया इलाज I masturbate 4-5 times a day, how can I avoid it? Maharaj ji told the…
नाम जप में जल्दी बाजी ना करें जब हम नाम या मंत्र जाप कर रहे हो तो उसमें जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए, ऐसा ना हो कि आप नाम या मंत्र…
नाम जप में जल्दी बाजी ना करें जब हम नाम या मंत्र जाप कर रहे हो तो उसमें जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए, ऐसा ना हो कि आप नाम या मंत्र…
त्यौहार के दिन अगर कोई मर जाता है तो क्या कभी वो त्यौहार नहीं मना सकते ? महाराज जी ने दिया जवाब महाराज जी से सवाल किया गया कि महाराज…
त्यौहार के दिन अगर कोई मर जाता है तो क्या कभी वो त्यौहार नहीं मना सकते ? महाराज जी ने दिया जवाब महाराज जी से सवाल किया गया कि महाराज…
पहलगाम आतंकी हमला- आतंकवादियों को समाप्त कर दो, पुण्य की प्राप्त होगी – महाराज जी आतंकवादियों के दिमाग का जो चिंतन है वह दूसरों को की हिंसा करना और दूसरों…
पहलगाम आतंकी हमला- आतंकवादियों को समाप्त कर दो, पुण्य की प्राप्त होगी – महाराज जी आतंकवादियों के दिमाग का जो चिंतन है वह दूसरों को की हिंसा करना और दूसरों…
क्या भगवान के नाम और तस्वीरों का प्रयोग कपड़ों कार्ड बाग देबो आदि पर करना सही है? भगवान की तस्वीर और नाम कार्ड बाग बॉक्स पर नहीं आते जाने चाहिए…
क्या भगवान के नाम और तस्वीरों का प्रयोग कपड़ों कार्ड बाग देबो आदि पर करना सही है? भगवान की तस्वीर और नाम कार्ड बाग बॉक्स पर नहीं आते जाने चाहिए…
कोई बच्चा या भिखारी पैसे मांगे तो क्या करें ? हमें किसी की भी धन से सहायता बहुत सोच समझकर करनी चाहिए. किसी को भी पैसे देने से पहले गहराई…
कोई बच्चा या भिखारी पैसे मांगे तो क्या करें ? हमें किसी की भी धन से सहायता बहुत सोच समझकर करनी चाहिए. किसी को भी पैसे देने से पहले गहराई…
लगन वह बेकार था। दिनभर इधरसे उधर घूमना, कोई मिल जाय तो उससे गप्पें लड़ाना और नहीं तो कोई पुस्तक लेकर पढ़ते ही रहना। घरमें ऐसा भी कोई न था…
लगन वह बेकार था। दिनभर इधरसे उधर घूमना, कोई मिल जाय तो उससे गप्पें लड़ाना और नहीं तो कोई पुस्तक लेकर पढ़ते ही रहना। घरमें ऐसा भी कोई न था…
पूजा ‘सब प्रजाजन उपस्थित हो गये ?’ ‘श्रीमान्की आज्ञा तथा जगत्पतिके दर्शनके सौभाग्यको कौन अतिक्रमण कर सकता है महाराज किंतु।’ ‘किंतु किंतु परंतु क्या मन्त्रीप्रवर? यह किंतु क्या ?’ आनर्त…
पूजा ‘सब प्रजाजन उपस्थित हो गये ?’ ‘श्रीमान्की आज्ञा तथा जगत्पतिके दर्शनके सौभाग्यको कौन अतिक्रमण कर सकता है महाराज किंतु।’ ‘किंतु किंतु परंतु क्या मन्त्रीप्रवर? यह किंतु क्या ?’ आनर्त…
नवधा भक्ति [९]- छलहीन सरल नवम सरल सब सन छलहीना। मम भरोस हिय हरष न दीना ॥ (१) ‘कायरोंकी भाँति दुबककर रात्रिमें आक्रमण मुझसे न होगा। दिनमें जहाँ कहोगे, चला…
नवधा भक्ति [९]- छलहीन सरल नवम सरल सब सन छलहीना। मम भरोस हिय हरष न दीना ॥ (१) ‘कायरोंकी भाँति दुबककर रात्रिमें आक्रमण मुझसे न होगा। दिनमें जहाँ कहोगे, चला…
नवधा भक्ति [८] द्वन्द्वातीत आठवं जथालाभ संतोषा। सपनेहुँ नहिं देखड़ परदोषा ॥ (१) ‘वह मेरा नौकर था, पर कभी उसने मुझसे वेतनके सम्बन्धमें कुछ कहा नहीं। जो कुछ उसे मिल…
नवधा भक्ति [८] द्वन्द्वातीत आठवं जथालाभ संतोषा। सपनेहुँ नहिं देखड़ परदोषा ॥ (१) ‘वह मेरा नौकर था, पर कभी उसने मुझसे वेतनके सम्बन्धमें कुछ कहा नहीं। जो कुछ उसे मिल…
नवधा भक्ति [७]- ‘त्वमेवेदं सर्वम्’ सातवें सम मोहि मय जग देखा। मोतें संत अधिक करि लेखा ॥ (१) दोपहरकी कौन कहे, तीन पहर हो गया था। सिर तपाकर सूर्य ढल…
नवधा भक्ति [७]- ‘त्वमेवेदं सर्वम्’ सातवें सम मोहि मय जग देखा। मोतें संत अधिक करि लेखा ॥ (१) दोपहरकी कौन कहे, तीन पहर हो गया था। सिर तपाकर सूर्य ढल…
नवधा भक्ति [६] सदाचार छठ दम सील बिरति बहु करमा । निरत निरंतर सज्जन धरमा ॥ (१) छोटी-छोटी गोल-गोल आँखें, दृढ़ मांसपेशियाँ शरीरपर सघन रोमराशि, कड़े उठे हुए केश, मोटा…
नवधा भक्ति [६] सदाचार छठ दम सील बिरति बहु करमा । निरत निरंतर सज्जन धरमा ॥ (१) छोटी-छोटी गोल-गोल आँखें, दृढ़ मांसपेशियाँ शरीरपर सघन रोमराशि, कड़े उठे हुए केश, मोटा…
नवधा भक्ति [५]- जप मंत्र जाप मम द्रढ़ बिस्वासा। पंचम भजन सो बेद प्रकासा ॥ (१) ‘एक तान्त्रिक महात्मा आये हैं गोपालदासके बगीचेमें। बड़े सिद्ध हैं और उदार भी। कुछ…
नवधा भक्ति [५]- जप मंत्र जाप मम द्रढ़ बिस्वासा। पंचम भजन सो बेद प्रकासा ॥ (१) ‘एक तान्त्रिक महात्मा आये हैं गोपालदासके बगीचेमें। बड़े सिद्ध हैं और उदार भी। कुछ…
नवधा भक्ति [४] गुणगान ‘चौथि भगति मम गुन गन करइ कपट तजि गान’ (१) ‘क्या हालचाल हैं चौधरीजी ?’ खाँसते हुए उस काले-कलूटे बुड्ढेने पूछा- ‘आज तो बहुत उदास दिखायी…
नवधा भक्ति [४] गुणगान ‘चौथि भगति मम गुन गन करइ कपट तजि गान’ (१) ‘क्या हालचाल हैं चौधरीजी ?’ खाँसते हुए उस काले-कलूटे बुड्ढेने पूछा- ‘आज तो बहुत उदास दिखायी…
नवधा भक्ति [३]- गुरुसेवा ‘गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान’ काशीके पण्डित श्रीनरेन्द्रकुमार शास्त्रीजीका लोहा मान चुके थे। उनकी धाराप्रवाह काव्यमयी वाणी, व्याकरणशास्त्रकी असीम पटुता और न्यायसे सूक्ष्म प्रवेश…
नवधा भक्ति [३]- गुरुसेवा ‘गुर पद पंकज सेवा तीसरि भगति अमान’ काशीके पण्डित श्रीनरेन्द्रकुमार शास्त्रीजीका लोहा मान चुके थे। उनकी धाराप्रवाह काव्यमयी वाणी, व्याकरणशास्त्रकी असीम पटुता और न्यायसे सूक्ष्म प्रवेश…
नवधा भक्ति [२]- कथा ‘दूसरि रति मम कथा प्रसंगा’ (१) ‘चलो, चौराहेकी ओरसे चलेंगे।’ सफेद कुर्ता और सफेद धोती पहने एक सिपाहीने दूसरे सिपाहीसे कहा, जो वर्दीमें ड्यूटीपर जा रहा…
नवधा भक्ति [२]- कथा ‘दूसरि रति मम कथा प्रसंगा’ (१) ‘चलो, चौराहेकी ओरसे चलेंगे।’ सफेद कुर्ता और सफेद धोती पहने एक सिपाहीने दूसरे सिपाहीसे कहा, जो वर्दीमें ड्यूटीपर जा रहा…
नवधा भक्ति [१]- सत्संग ‘प्रथम भगति संतन्ह कर संगा’ ‘सुना है कि गंगा-किनारे एक बड़े अच्छे साधु आये हैं।’ ‘कब आये ?’ ‘अभी कलको ही तो आये।’ ‘तुम दर्शन कर…
नवधा भक्ति [१]- सत्संग ‘प्रथम भगति संतन्ह कर संगा’ ‘सुना है कि गंगा-किनारे एक बड़े अच्छे साधु आये हैं।’ ‘कब आये ?’ ‘अभी कलको ही तो आये।’ ‘तुम दर्शन कर…
प्रॉपर्टी खरीदते वक्त ये नियम बनाए ले. रिश्तेदार, जानकार को बाद में पहले ठाकुर और श्रीजी को साथ ले मैंने इस वेबसाइट पर अध्यात्म spiritual से सम्बंधित कंटेंट डालने पर…
प्रॉपर्टी खरीदते वक्त ये नियम बनाए ले. रिश्तेदार, जानकार को बाद में पहले ठाकुर और श्रीजी को साथ ले मैंने इस वेबसाइट पर अध्यात्म spiritual से सम्बंधित कंटेंट डालने पर…
क्या भक्ति में आस पास के माहौल का फर्क पड़ता है ? मैं रोजाना अपने घर के पास एक पार्क में योग अभ्यास के लिए जाता हूँ. मुझे योग के…
क्या भक्ति में आस पास के माहौल का फर्क पड़ता है ? मैं रोजाना अपने घर के पास एक पार्क में योग अभ्यास के लिए जाता हूँ. मुझे योग के…
नवधा भक्ति (9) आत्मनिवेदन जाति पाँति धन् धरम बड़ाई। प्रिय परिवार सदन सुखदाई ॥ सब तजि तुम्हहिं रहइ उर लाई। तेहि के हृदय रहहु रघुराई ॥ ‘वे आँखें हाँ, वे…
नवधा भक्ति (9) आत्मनिवेदन जाति पाँति धन् धरम बड़ाई। प्रिय परिवार सदन सुखदाई ॥ सब तजि तुम्हहिं रहइ उर लाई। तेहि के हृदय रहहु रघुराई ॥ ‘वे आँखें हाँ, वे…
नवधा भक्ति [8] सख्य जाहि न चाहिअ कबहुँ कछु तुम्ह सन सहज सनेहु । बसहु निरंतर तासु मन सो राउर निज गेहु ॥ ‘भद्र कहाँ है?’ ‘कहीं कोनेमें छिपा होगा।’…
नवधा भक्ति [8] सख्य जाहि न चाहिअ कबहुँ कछु तुम्ह सन सहज सनेहु । बसहु निरंतर तासु मन सो राउर निज गेहु ॥ ‘भद्र कहाँ है?’ ‘कहीं कोनेमें छिपा होगा।’…
गोवर्धन से 1, वृन्दावन से 2 घंटे दूर आदि बद्री, ब्रज केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री, ऋषिकेश, लक्ष्मण झुला का पूरा टूर प्रयागराज महाकुम्भ में तो गए नहीं थे. शुरू से कोई…
गोवर्धन से 1, वृन्दावन से 2 घंटे दूर आदि बद्री, ब्रज केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री, ऋषिकेश, लक्ष्मण झुला का पूरा टूर प्रयागराज महाकुम्भ में तो गए नहीं थे. शुरू से कोई…
नवधा भक्ति [७]- दास्य सरगु नरकु अपबरगु समाना। जहँ तहँ देख धरें धनु बाना ॥ करम बचन मन राउर चेरा। राम करह तेहि के उर डेरा ॥ ‘आजका आखेट मैं…
नवधा भक्ति [७]- दास्य सरगु नरकु अपबरगु समाना। जहँ तहँ देख धरें धनु बाना ॥ करम बचन मन राउर चेरा। राम करह तेहि के उर डेरा ॥ ‘आजका आखेट मैं…
कातिल पत्नियों की खबरों से डरा एक युवक महाराज जी के पास पहुंचा, बोला- शादी करने से बहुत डर लग रहा है, क्या करू. महाराज जी ने समझाई यह गजब…
कातिल पत्नियों की खबरों से डरा एक युवक महाराज जी के पास पहुंचा, बोला- शादी करने से बहुत डर लग रहा है, क्या करू. महाराज जी ने समझाई यह गजब…
जज के घर के नोट का मामला जब हाई कोर्ट के जज को महाराज ने कही यह बड़ी बात आप लोगों ने जज कैश कांड के बारे में सुना ही…
जज के घर के नोट का मामला जब हाई कोर्ट के जज को महाराज ने कही यह बड़ी बात आप लोगों ने जज कैश कांड के बारे में सुना ही…
नवधा भक्ति [६] वन्दन सीस नवहिं सुर गुरु द्विज देखी। प्रीति सहित करि बिनय बिसेषी ॥ तुम्हहि छाडि गति दसरि नाहीं। राम बसहु तिन्ह के मन माहीं ॥ ‘दौलतराम कहाँ…
नवधा भक्ति [६] वन्दन सीस नवहिं सुर गुरु द्विज देखी। प्रीति सहित करि बिनय बिसेषी ॥ तुम्हहि छाडि गति दसरि नाहीं। राम बसहु तिन्ह के मन माहीं ॥ ‘दौलतराम कहाँ…
नवधा भक्ति [५]- अर्चन मंत्रराजु नित जपहिं तुम्हारा। पूजहिं तुम्हहि सहित परिवारा। सबु करि मागहिं एक फलु राम चरन रति होउ। तिन्ह कें मन मंदिर बसहु सिय रघुनंदन दोउ ॥…
नवधा भक्ति [५]- अर्चन मंत्रराजु नित जपहिं तुम्हारा। पूजहिं तुम्हहि सहित परिवारा। सबु करि मागहिं एक फलु राम चरन रति होउ। तिन्ह कें मन मंदिर बसहु सिय रघुनंदन दोउ ॥…
नवधा भक्ति [४]- पाद-सेवन कर नित करहिं राम पद पूजा। राम भरोस हृदय नहिं दूजा ॥ चरन राम तीरथ चलि जाहीं । राम बसह तिन्ह के मन माहीं ॥ गुणका…
नवधा भक्ति [४]- पाद-सेवन कर नित करहिं राम पद पूजा। राम भरोस हृदय नहिं दूजा ॥ चरन राम तीरथ चलि जाहीं । राम बसह तिन्ह के मन माहीं ॥ गुणका…
नवधा भक्ति [३]- स्मरण निदरहिं सरित सिंधु सर भारी। रूप बिंदु जल होहिं सुखारी ॥ तिन्ह के हृदय सदन सुखदायक । बसहु बंधु सिय सह रघुनायक ।। ‘नहीं, वह ऋषि…
नवधा भक्ति [३]- स्मरण निदरहिं सरित सिंधु सर भारी। रूप बिंदु जल होहिं सुखारी ॥ तिन्ह के हृदय सदन सुखदायक । बसहु बंधु सिय सह रघुनायक ।। ‘नहीं, वह ऋषि…
बातों से यमुना जी की नहीं होगी सफाई, फैक्टरी, सीवर, नालों का गन्दा पानी रोके सरकार, कर्तव्य परायण पुरुष यमुना जी की सफाई के लिए पैसा पास करवाए और लगाए…
बातों से यमुना जी की नहीं होगी सफाई, फैक्टरी, सीवर, नालों का गन्दा पानी रोके सरकार, कर्तव्य परायण पुरुष यमुना जी की सफाई के लिए पैसा पास करवाए और लगाए…
नवधा भक्ति [२] कीर्तन जसु तुम्हार मानस बिमल हंसिनि जीहा जासु। मुकताहल गुन गन चुनइ राम बसहु हियँ तासु ॥ बबूलोंकी अच्छी हरियाली है। उनकी पंक्ति सटी हई और सघन…
नवधा भक्ति [२] कीर्तन जसु तुम्हार मानस बिमल हंसिनि जीहा जासु। मुकताहल गुन गन चुनइ राम बसहु हियँ तासु ॥ बबूलोंकी अच्छी हरियाली है। उनकी पंक्ति सटी हई और सघन…
नवधा भक्ति [१]- श्रवण (१) जिन्ह के श्रवन समुद्र समाना। कथा तुम्हारि सुभग सरि नाना ॥ भरहिं निरंतर होहिं न पूरे। तिन्ह के हिय तुम्ह कहुँ गृह रूरे ॥ ‘तुम…
नवधा भक्ति [१]- श्रवण (१) जिन्ह के श्रवन समुद्र समाना। कथा तुम्हारि सुभग सरि नाना ॥ भरहिं निरंतर होहिं न पूरे। तिन्ह के हिय तुम्ह कहुँ गृह रूरे ॥ ‘तुम…
दस महावत [१०]- ईश्वरप्रणिधान (१) ‘समाधिसिद्धिरीश्वरप्रणिधानात् ।’ * * ईश्वर-प्रणिधान (शरणागति) से समाधिकी सिद्धि हो जाती है। (योगदर्शन २।४५) बाबा रघुनाथदासजी कुछ पढ़े-लिखे नहीं थे; बचपनमें ग्राम-पाठशालामें पढ़ने जाते अवश्य…
दस महावत [१०]- ईश्वरप्रणिधान (१) ‘समाधिसिद्धिरीश्वरप्रणिधानात् ।’ * * ईश्वर-प्रणिधान (शरणागति) से समाधिकी सिद्धि हो जाती है। (योगदर्शन २।४५) बाबा रघुनाथदासजी कुछ पढ़े-लिखे नहीं थे; बचपनमें ग्राम-पाठशालामें पढ़ने जाते अवश्य…
दस महाव्रत [९]- स्वाध्याय (१) ‘स्वाध्यायादिष्टदेवतासम्प्रयोगः ।’ * * स्वाध्यायसे इष्ट-देवताका साक्षात् होता है (योगदर्शन २।४४) ‘चैतन्य महाप्रभु जब दक्षिणकी यात्रा करने गये थे, तब एक स्थानपर उन्होंने एक ब्राह्मणको…
दस महाव्रत [९]- स्वाध्याय (१) ‘स्वाध्यायादिष्टदेवतासम्प्रयोगः ।’ * * स्वाध्यायसे इष्ट-देवताका साक्षात् होता है (योगदर्शन २।४४) ‘चैतन्य महाप्रभु जब दक्षिणकी यात्रा करने गये थे, तब एक स्थानपर उन्होंने एक ब्राह्मणको…
दस महाव्रत [८]- तप (१) ‘कायेन्द्रियसिद्धिरशुद्धिक्षयात्तपसः ।’* * तपके प्रभावसे जब अशुद्धिका नाश हो जाता है, तब शरीर और इन्द्रियोंकी सिद्धि हो जाती है। (योगदर्शन २।४३) चारों ओर सुनसान जंगल…
दस महाव्रत [८]- तप (१) ‘कायेन्द्रियसिद्धिरशुद्धिक्षयात्तपसः ।’* * तपके प्रभावसे जब अशुद्धिका नाश हो जाता है, तब शरीर और इन्द्रियोंकी सिद्धि हो जाती है। (योगदर्शन २।४३) चारों ओर सुनसान जंगल…
दस महाव्रत [७]- संतोष (१) ‘सन्तोषादनुत्तमसुखलाभः ।’* * जिससे उत्तम दूसरा कोई सुख नहीं है-ऐसे सर्वोत्तम सुखका लाभ सन्तोषसे होता है। (योगदर्शन २।४२) ‘मातृभूमिसे इतनी दूर, एकाकी, यहाँ न कोई…
दस महाव्रत [७]- संतोष (१) ‘सन्तोषादनुत्तमसुखलाभः ।’* * जिससे उत्तम दूसरा कोई सुख नहीं है-ऐसे सर्वोत्तम सुखका लाभ सन्तोषसे होता है। (योगदर्शन २।४२) ‘मातृभूमिसे इतनी दूर, एकाकी, यहाँ न कोई…
दस महाव्रत [६]- शौच (१) ‘शौचात्स्वाङ्गजुगुप्सा परैरसंसर्गः ।’ * * शौच (शुचिता) के पालनसे अपने अंगोंमें वैराग्य और दूसरोंसे संसर्ग न करनेकी इच्छा उत्पन्न होती है। (योगदर्शन २।४०) वह विचारक…
दस महाव्रत [६]- शौच (१) ‘शौचात्स्वाङ्गजुगुप्सा परैरसंसर्गः ।’ * * शौच (शुचिता) के पालनसे अपने अंगोंमें वैराग्य और दूसरोंसे संसर्ग न करनेकी इच्छा उत्पन्न होती है। (योगदर्शन २।४०) वह विचारक…
दस महाव्रत [५]- अपरिग्रह (१) ‘अपरिग्रहस्थैर्ये जन्मकथन्तासम्बोधः ।’* * अपरिग्रहकी स्थिति हो जानेपर पूर्वजन्म कैसे हुए थे? इस बातका भलीभाँति ज्ञान हो जाता है। (योगदर्शन २।३९) समाचारपत्रोंमें कई बार ऐसे…
दस महाव्रत [५]- अपरिग्रह (१) ‘अपरिग्रहस्थैर्ये जन्मकथन्तासम्बोधः ।’* * अपरिग्रहकी स्थिति हो जानेपर पूर्वजन्म कैसे हुए थे? इस बातका भलीभाँति ज्ञान हो जाता है। (योगदर्शन २।३९) समाचारपत्रोंमें कई बार ऐसे…
दस महाव्रत [४] ब्रह्मचर्य (१) ‘ब्रह्मचर्यप्रतिष्ठायां वीर्यलाभः ।’ * * ब्रह्मचर्यकी दृढ़ स्थिति होने पर वीर्य (सामर्थ्य) का लाभ होता है। (योगदर्शन २।३८) पयस्विनीके पावन तटपर एक शिलापर बैठा मैं…
दस महाव्रत [४] ब्रह्मचर्य (१) ‘ब्रह्मचर्यप्रतिष्ठायां वीर्यलाभः ।’ * * ब्रह्मचर्यकी दृढ़ स्थिति होने पर वीर्य (सामर्थ्य) का लाभ होता है। (योगदर्शन २।३८) पयस्विनीके पावन तटपर एक शिलापर बैठा मैं…
दस महाव्रत [३]- अस्तेय (१) ‘अस्तेयप्रतिष्ठायां सर्वरत्नोपस्थानम्।’ * * चोरीके अभावकी दृढ़ स्थिति हो जानेपर (उस योगीके सामने) सब प्रकारके रत्न प्रकट हो जाते हैं (योगदर्शन २।३७) ‘गुरुदेव ! कलसे…
दस महाव्रत [३]- अस्तेय (१) ‘अस्तेयप्रतिष्ठायां सर्वरत्नोपस्थानम्।’ * * चोरीके अभावकी दृढ़ स्थिति हो जानेपर (उस योगीके सामने) सब प्रकारके रत्न प्रकट हो जाते हैं (योगदर्शन २।३७) ‘गुरुदेव ! कलसे…
दस महाव्रत [२]- सत्य (१) ‘सत्यप्रतिष्ठायां क्रियाफलाश्रयत्वम् ।’* * सत्यमें दृढ़ स्थिति हो जानेपर (योगीकी) क्रिया फलका आश्रय बनती है अर्थात् उसकी वाणी अमोघ हो जाती है। (योगदर्शन २। ३६)…
दस महाव्रत [२]- सत्य (१) ‘सत्यप्रतिष्ठायां क्रियाफलाश्रयत्वम् ।’* * सत्यमें दृढ़ स्थिति हो जानेपर (योगीकी) क्रिया फलका आश्रय बनती है अर्थात् उसकी वाणी अमोघ हो जाती है। (योगदर्शन २। ३६)…
दस महाव्रत [१]- अहिंसा (१) ‘अहिंसाप्रतिष्ठायां तत्सन्निधौ वैरत्यागः।’ * (योगदर्शन २।३५) ‘इन हिंसकोंका पालन अच्छा नहीं!’ बगलमें बैठे केशरी-शावककी ओर संकेत करके किशोरने माधवरावसे कहा। ‘ये किसीके होते नहीं। पता…
दस महाव्रत [१]- अहिंसा (१) ‘अहिंसाप्रतिष्ठायां तत्सन्निधौ वैरत्यागः।’ * (योगदर्शन २।३५) ‘इन हिंसकोंका पालन अच्छा नहीं!’ बगलमें बैठे केशरी-शावककी ओर संकेत करके किशोरने माधवरावसे कहा। ‘ये किसीके होते नहीं। पता…
हमने परम पूज्य श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार {भाई जी) जी महाराज जी की पूरी पुस्तक ‘सत्संग के बिखरे मोती’ को वेबसाइट के माध्यम से आपको लाभ देने की कोशिश की…
हमने परम पूज्य श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार {भाई जी) जी महाराज जी की पूरी पुस्तक ‘सत्संग के बिखरे मोती’ को वेबसाइट के माध्यम से आपको लाभ देने की कोशिश की…
श्रीजी फिर करेंगी कृपा, महाराज जी की पदयात्रा पहले के रूट पर फिर शुरू होने के बाद भी कई बड़े कदम उठाने की जरूरत सद्गुरु देव भगवान् के प्रति प्रेम…
श्रीजी फिर करेंगी कृपा, महाराज जी की पदयात्रा पहले के रूट पर फिर शुरू होने के बाद भी कई बड़े कदम उठाने की जरूरत सद्गुरु देव भगवान् के प्रति प्रेम…
भजन की गोपनीयता ९५-इस प्रकार हृदयको भगवन्मय बना दे, उसे भगवान्से इतना भर दे कि फिर दूसरेके लिये स्थान रहे ही नहीं। स्थान रहे भी तो ऐसे ही भावोंका, जो…
भजन की गोपनीयता ९५-इस प्रकार हृदयको भगवन्मय बना दे, उसे भगवान्से इतना भर दे कि फिर दूसरेके लिये स्थान रहे ही नहीं। स्थान रहे भी तो ऐसे ही भावोंका, जो…
शाश्वती शान्ति को प्राप्त पुरुष की स्थिति ८४-यह सत्य होने पर भी तत्त्वज्ञानी की शाश्वत शान्ति से इसका क्या सरोकार है। कर्मोंका अस्तित्व ही अज्ञान में है। अज्ञानका सर्वथा नाश…
शाश्वती शान्ति को प्राप्त पुरुष की स्थिति ८४-यह सत्य होने पर भी तत्त्वज्ञानी की शाश्वत शान्ति से इसका क्या सरोकार है। कर्मोंका अस्तित्व ही अज्ञान में है। अज्ञानका सर्वथा नाश…
७२-सकामभावकी अर्थार्थी भक्ति भी बहुत ऊँची और कठिन है। उससे भी हमारे प्रत्येक कर्मका फल मिल सकता है और फलस्वरूप भगवान्की प्राप्ति हो जाती है। भगवान् ही ढूँढ़ते हैं कि…
७२-सकामभावकी अर्थार्थी भक्ति भी बहुत ऊँची और कठिन है। उससे भी हमारे प्रत्येक कर्मका फल मिल सकता है और फलस्वरूप भगवान्की प्राप्ति हो जाती है। भगवान् ही ढूँढ़ते हैं कि…
६६-जहाँ इन्द्रियरूपी झरोखे से विषयरूपी बयार आयी कि ज्ञानरूपी दीपकको बुझा देगी। इन झरोखोंको बंद रखे। इन्हें खोले रखनेमें खतरा यही है कि जहाँ जोरों का झोंका आया कि फिर…
६६-जहाँ इन्द्रियरूपी झरोखे से विषयरूपी बयार आयी कि ज्ञानरूपी दीपकको बुझा देगी। इन झरोखोंको बंद रखे। इन्हें खोले रखनेमें खतरा यही है कि जहाँ जोरों का झोंका आया कि फिर…
६०-संसारकी ओर से बुद्धिहीन तो हो ही, साथ ही अंधा भी हो जाय, एकमात्र अपने लक्ष्यकी ओर एकाग्र दृष्टि रखे। एक साँवरे रंगके सिवा और कुछ दीखे ही नहीं। स्याम…
६०-संसारकी ओर से बुद्धिहीन तो हो ही, साथ ही अंधा भी हो जाय, एकमात्र अपने लक्ष्यकी ओर एकाग्र दृष्टि रखे। एक साँवरे रंगके सिवा और कुछ दीखे ही नहीं। स्याम…
४६-कोई भाग्यवान् व्यक्ति निष्काम भावसे भगवान् की भक्ति करता है तो भगवान् अपने सच्चिदानन्द विग्रह से उसके सामने प्रकट होते हैं। पर श्रीभगवान् को भजकर, भगवान्की आराधनाके बदलेमें, भगवत्प्रेमके बदलेमें…