जो सोचते है पढ़ाई करना कठिन है और बाबा बनना आसान है इसलिए बाबा बन जाए, पढ़ना नहीं पड़ेगा, उन्हें महाराज जी ने क्या बोला

जो सोचते है पढ़ाई करना कठिन है और बाबा बनना आसान है इसलिए बाबा बन जाए, पढ़ना नहीं पड़ेगा, उन्हें महाराज जी ने क्या बोला

जब एक बच्चे ने बोला कि “महाराज जी मुझे बाबाजी बनना है”

महाराज जी ने कहा, नहीं ऐसा मत करो, अभी आप जवान है, थोड़ा अभी कर्म करो, आपकी पढ़ाई लिखाई पूरी हुई क्या ?

प्रश्नकर्ता- नहीं अभी नहीं.

डट के पढ़ो

महाराज जी- नहीं अभी डट के पढ़ो, डिग्री में पहुँचो, भारत की किसी सेवा में लगो, माता पिता की सेवा करो, नाम जप करो, फिर अवसर मिले तो वृन्दावन में वास करो, अब कच्ची उम्र है, बाबागिरी बहुत कठिन है बच्चा, भले तुम्हे सरल लगता है, हम हाथ जोड़कर कहते है कि बाबा गिरी से कोई कठिन कार्य नहीं है. असली में चलो तो बाबागिरी बहुत कठिन है वरना मनोरंजन तो बहुत बढ़िया है। अगर नाम जप करोगे और कर्तव्य का पालन करोगे तो प्रिया प्रीतम के पास पहुंच जाओगे बच्चा. आपकी अभी नई अवस्था है, संसार देखा नहीं, भोगो को भोगा नहीं. 50 वर्ष चाहे सही चले हो लेकिन 5 मिनट गलत हो जाए तो 50 वर्ष में पानी फिर जाएगा, कोई नहीं समझेगा कि यह बंदा 50 वर्ष जलता रहा है, 5 मिनट चूक हो गई क्षमा कर दो, कोई क्षमा नहीं करेगा, थोड़ी सी चूक भी पूरे जीवन को मिट्टी में मिला देगी, इसलिए हम कहते हैं गृहस्त में रहकर भजन करो कली कल है। अभी तक जो बाबा बन गए हैं भगवान उन्हीं का ही निर्वाह कर दे.

बाबा बनना बहुत कठिन

अगर आप नहीं पकड़ना चाहोगे तो हम आपको नहीं बदल सकते, आप बदलना चाहे तो आप खुद को बदल सकते हैं. अच्छा महीना दो महीना संयम से रह लो, हमारे हृदय से बात समझना, साल 2 साल 5 -6 महीने की बात नहीं है. पूरे जीवन भर जलना है। काम क्रोध, मोह, मद, मत्सर से लड़ना खिलवाड़ समझते हो, अब जो खिलवाड़ और पाखंड कर रहे हैं उनकी बात अलग है, सच्चाई से चलने का मतलब तलवार की धार पर चलना है.

तो हमें लगता है कि बाबा जी बनने के लिए जो सामग्री चाहिए वह सामग्री प्राय: नौजवानों में बहुत कम है क्योंकि सब पढ़े लिखे मोबाइल और सब गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड मतलब बहुत कठिन है बाबा गिरी.

पढ़ो लिखो, अगर नहीं ब्याह करना तो माता-पिता की सेवा करो, कमाओ अपने इस कर्तव्य से मुक्त हो जाओ तब तक सयाने हो जाओगे फिर अपना मार्ग चयन कर लेना.

बाबा गिरी करना बहुत कठिन है क्योंकि इससे निकल पाना बहुत कठिन और अगर निकल गए तो त्रिभुवन नमस्कार करेगा. देवता भी भगवान के भक्तों को नमस्कार करते हैं. पर है कठिन बात.

इतनी कठिन बात है कि हमारा हृदय थर्राता है, जब हम किसी को साधु बनाते हैं और तो भगवान से प्रार्थना करते है प्रभु इसकी जीवन की भाग दौड़ आप संभालना यह संभल सके ऐसी बात नहीं, आप ही संभालना क्योंकि बहुत कठिन है भाई बहुत कठिन है.

जहां एक समय इज्जत और धर्म मर्यादा मानी जाती थी वहां आज व्यभिचार को मनोरंजन माना जाता है आप सोचो कैसे साधु रहेगा उसे समाज में ही तो रहना है, समाज का ही तो खाना है, कोई बिरला ऐसा घर मिलेगा जिसमें प्याज लहसुन मांस और शराब आदि का प्रयोग नहीं होता हो कहां से हम रोटी पाएंगे अगर हम मांस में बने हुए पात्र (बर्तन) वाले में सब्जी बनाकर हमको मिल रही है भले सब्जी मिल रही है तुम्हारी बुद्धि भ्रष्ट होगी ना ,पवित्रता कहां है पर भगवान की माया है.

हम यही कह सकते हैं तो इसलिए बच्चा हमारी राय है कि संत बनो पर हृदय से बनो, दूसरों का उपकार करो मेहनत करके माता-पिता को खवा पिआओ और जप करते रहो और जब समझ में आ जाए कि हम 30-40 के हो गए और आज तक हमने कोई गलती नहीं की तो फिर निकल पढ़ो परमात्मा के रास्ते अभी जैसे तुम्हारी कोमल अवस्था है. वे आगे चलकर रंग आया तो फिर गड़बड़ हो जाएगी बहुत गड़बड़ हो जाएगी.

मम्मी पापा भजन नहीं करने देंगे

प्रश्नकर्ता ने बोला मेरे माता-पिता मुझे भजन नहीं करने देंगे.

महाराज जी ने बोला देखो भजन को कोई नहीं रोक सकता, बच्चा अंदर से हम क्या चिंतन कर रहे हैं तुम क्या जान सकते हो, भजन अंदर का चिंतन होता है. समझ रहे हो आप.

राधा राधा हमारे अंदर चल रहा है अब तुम क्या जान पा रहे हो, बाहर तिलक मत लगाओ घंटी मत बांधो, बात मत करो. पहले तुम अपनी यह बात काट दो कि हम वृंदावन आए हैं तो वापस नहीं जाएंगे तुम वापस जाओ माता-पिता चाहे जैसे हो, वह हमारे भगवान है, हम मेहनत करके उनको खवा पिआएं, उनकी सेवा करें, ठीक है और नाम जाप करते रहो अंदर अंदर और आगे अगर तुम्हें वृंदावन वास देना है तो श्रीजी अपने आप सब व्यवस्था कर देगी. वैसे ही भाव बदल जाएगा.

निष्कर्ष

प्रश्नकर्ता ने पूछा कि श्रीजी हमें क्या बुला लेगी तो महाराज जी ने बोला हां बच्चा जिंदगी भर धर्म से चलोगे राधा राधा करोगे तो यहां (वृन्नदावन) नहीं आओगे तो भी सीधे श्रीजी के पास पहुँच जाओगे, नहीं तो वृंदावन कितने वास करते हैं और भारत में या विश्व में कितने भगवान के भक्ति भजन करने वास करते हैं. सोचो क्या वृंदावन वासी भगवान को प्राप्त होगा और जो बाहर भजन करते हैं उनको क्या भगवान प्राप्त नहीं होंगे ऐसी बात नहीं है जो वृंदावन में भगवान है वह पूरे विश्व में विधमा है. भजन करो भगवान की प्राप्ति करो।

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