क्या किसी से ज्यादा प्यार करना ही दुख का कारण है ? (EN)

क्योंकि ममता दुख का हेतु है। किसी दूसरे शरीर से क्या अपने शरीर से अत्यधिक प्यार भी दुख का कारण बनता है। यह ममता ही अगले जन्म का कारण बन जाएगी। इसका उपाय है-भगवान से ममता। सब कै ममता ताग बटोरी। मम पद मनहि बाँध बरि डोरी। भगवान ही बोल रहे है। भगवान से मन जोड़ लो अभी आनंद की प्राप्ति होने लगेगी।

दूसरा आपको क्यों प्रेम नहीं करता ?

हमें दूसरे से प्रेम करने में इसलिए दुख मिलता है क्योंकि उसका भी मन है, बुद्धि है। हम चाहते है कि हम किसी को प्यार करें तो वो मेरे मन के अनुसार चले। पर उसकी भी बुद्धि है, उसका भी मन है। फिर थोड़ी देर में दोनों का रास्ता अलग होने लगता है तो फिर हमको दुख होने लगता है। हमें लगता है कि हम इसके लिए इतना कर रहे हैं लेकिन यह हमारे साथ ऐसा कर रहा है।

इससे बचने का एक मात्र उपाय

अन्ततोगत्वा, जो विवेकी है और वह पूरे संसार में घूमने के बाद देख लेते है कि कोई मेरा नहीं है, तो वो भगवान की षरण में जाते हैं। यह परीस्थिति बहुत मुष्किल होती है उसको संभालने के लिए अध्यात्म है। भगवान अपने भक्त पर जब कृपा करते है तो ज्ञान का चष्मा दे देते हैं, उस चष्मे में दिखाई देता है कोई अपना नहीं है। तब मन भागता है कोई तो अपना होगा। तो वो निकलते है भगवान। दूसरा कोई नहीं।

आपका प्रिय आपको ऐसे छोड़ेगा

आपको तब तक कोई प्यार करेगा जब तक उसको आपसे बड़ा कोई नहीं मिलेगा। जिस दिन उसे आपसे बडे़ कोई लगा, भले वो आपसे बड़ा न हो वो आपको छोड़ देगा। यह मन का स्वाभाव है। वो नवम नवम (नया नया) चाहता है। भगवान प्यार करते है दूसरा कोई प्यार नहीं करता।

बचपन में हमारे साथ ऐसे ही हुआ था

हमारे मन में बचपन में यही बात आई थी कि हमारी मा, पिता, भाईं पधार जाएंगे तब मैं कैसे जिऊंगा ? तब लगा मेरा हैं कौन फिर ? तब लगा वो तो है भगवान। फिर भगवान की प्राप्ति के लिए भाग निकले। कक्षा 9 में साइंस साइट से पढ़ रहे थे पास हो गए थे, उसी समय भगवान की खोज में भाग पड़े। पूरी जीवन भगवान में ऐसे निकला। अब हमें कोई भूख थोड़ी है। हमें कोई प्यार करें, हम से कोई मिले। हम से कोई मांग करें। हम से कोई चाह करें। नहीं, ऐसे महान प्रेम की प्राप्ति हो जाए तो क्या कहना। अब मुझे आप सब रूपों में वो ही भगवान प्यार कर रहे हैं। 13 साल से लेकर 35 साल तक हमारे जीवन की यात्रा रही कभी भरपेट भोजन नहीं मिला। भारी कष्ट भारी अपमान। जब भ्रमण में रहें। 35 साल की अवस्था में वृंदावन आ गए थे।

हम क्या हीरो हिरोइन है जो लाखों लोग देखने आ रहे है

अब मुझे लाखों नेत्रों से भगवान प्यार कर रहे हैं। सुबह से लााखों लोग खड़े है। अच्छा बताओ हम क्या हीरा हिरोइन हैं ? हम तो बाबा जी हैं। वो देखना क्या चाहते है। दरअसल, मेरे भगवान इतने रूपों में मुझे प्यार देने आते हैं। अब मरने का डर भी नहीं क्योंकि मरने के बाद भी मैं उनसे मिलूंगा जिनको मैंने जीवन भर खोजा। आप जिससे मिलने के लिए जीवन भर तरसते रहे जब उससे मिलने का समय आएगा तो आप खुष होंगे ना। परेषान कोई होंगे। लेकिन जिसने सारी जिंदगी भजन नहीं किया और अपने परिवार नाते रिष्तों से प्यार किया जब आखिरी समय में यह सब छूटने का समय आया तो वह घबराह नहीं जाएगा। वो सोचेगा जिससे सारी जिंदगी प्रेम किया वो तो अब मिलेंगे नहीं क्योंकि उसे पता नहीं है कि वह मरके कहां जाएगा। लेकिन हमें पता है कि हम कहां जाएंगे, हम अपनी लाडली जू के पास जाएंगे। अपने प्रभु के पास जाना है।

निष्कर्ष

हम वो ही सिखा रहे है, यहां प्यार धोखे का हैं। यहां कोई किसी से प्यार नहीं करता। यह बात जब आपको समझ आ जाएगी कि यहां कोई किसी से प्यार नहीं करता तो आप उसी से प्यार करोंगे जो आपको भी प्यार करता हो और वो सिर्फ भगवान है।

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