क्या भगवान के नाम और तस्वीरों का प्रयोग कपड़ों कार्ड बाग देबो आदि पर करना सही है?
भगवान की तस्वीर और नाम कार्ड बाग बॉक्स पर नहीं आते जाने चाहिए ईस्ट देवी देवताओं के चित्रों को व्यवसायक वस्तुओं पर छापा जाता है और फिर वह जमीन पर नालियों में या इधर-उधर पड़े रहते हैं इस प्रकार के उपयोग को बंद होना चाहिए
भगवान के नाम और छवि का अनादर कैसे होता है?
1. विवाह कार्ड और अन्य निमंत्रण पत्रों में प्रयोग
विवाह कार्ड में केवल वर वधु के नाम, विवाह की तिथि और अन्य आवश्यक जानकारी होनी चाहिए भगवान की तस्वीर जैसे पार्वती शिव विवाह राधेश्याम विवाह या सीताराम विवाह को शामिल करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि अंत तक कार्ड को कूड़ा में फेंक दिया जाता है।
2. पोस्टर और प्रचार सामग्री
अपनी प्रचार प्रसार के लिए भगवान और आचार्य के पोस्टर लगाए जाते हैं लेकिन समय आने पर उन पोस्टों को फाड़कर नई पोस्टर चिपकाए जाते हैं फटे हुए पोस्ट नालियों में गिर जाते हैं सड़कों पर पड़े रहते हैं हमारे स्वास्थ्य ने हमारी बुद्धि को पृष्ठ कर दिया है यही कारण है कि हमारे समाज में विकृति फैल रही है।
3. झोलो बैग्स और अन्य वस्तुओं पर नाम छपवाना
उदाहरण के लिए एक झूले पर राधेश्याम लिखा है और इस झूले में जुटे भरे जा रहे हैं ना तो लेने वाले को समझ आ रहा है ना ही छापने वाले को इस तरह भगवान के नाम को अज्ञानता वश व्यावसायिक उपयोग में लाया जा रहा है।
4. पान मसाला गुटकाआदि पर
राधा नाम की कुछ पुड़िया यहां वहां पड़ी मिलती है जिन्हें लोग नालियों से उठते उठते तंग आ गए हैं उन पर लोग जुटे रख देते हैं जिससे प्रभु के नाम का नादर हो रहा है।
5. भगवान की मूर्तियां और तस्वीरों का लापरवाह उपयोग
कई जगह भगवान की तस्वीर जमीन पर पड़ी रहती हैं पीपल के नीचे गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां रखी होती हैं दीपावली पर श्रद्धा से पुरी जाने वाली लक्ष्मी मूर्तियां अगली दीपावली तक फेंक दी जाती है।
समाज में इस विषय में सुधार कैसे लाएं?
1. हम स्वयं यदि हम ऐसी वस्तुएं न खरीदें और ना उपयोग करें तो यह चलन धीरे-धीरे बंद हो सकता है
2. वह वसई वर्ग जो लोग इन वस्तुओं का निर्माण कर रहे हैं उन्हें समझना चाहिए कि भगवान के नाम और तस्वीरों का व्यवसायिक उपयोग अनुचित है
3. प्रिंटिंग और डिजाइन क्षेत्र जो लोग कार्ड पोस्टर आदि छपते हैं वैसे रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
निष्कर्ष
इस विषय में सुधार तभी संभव है जब लोग इसे गणिता से लेंगे यदि हम अपने धर्म को सहज ना चाहते हैं तो हमें भगवान के नाम और छवि का सम्मान करना चाहिए यदि हम सनातनी है तो हमें अपने इष्ट देव और धर्म की रक्षा करनी चाहिए।