अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर में एक बार फिर से भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित हो रहा है। यह आयोजन 3 जून 2025 से शुरू होकर 5 जून 2025, गंगा दशहरा के शुभ अवसर पर, अपने चरम पर पहुंचेगा। इस ऐतिहासिक समारोह में राम दरबार के साथ-साथ मंदिर परिसर के अन्य उप-मंदिरों में भी देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस लेख में जानिए इस आयोजन का महत्व, कार्यक्रम का शेड्यूल, धार्मिक प्रक्रिया, और इसकी विशेषताएं।
प्राण प्रतिष्ठा क्या है?
प्राण प्रतिष्ठा एक अत्यंत पवित्र वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें किसी मूर्ति या विग्रह में भगवान की ‘जीवन शक्ति’ या ‘प्राण’ स्थापित किए जाते हैं। इसके बाद वह मूर्ति केवल पत्थर न होकर पूजनीय देवता का सजीव रूप बन जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान नेत्रों मिलन और प्रतिबिंब दर्शन जैसे विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, जिससे यह माना जाता है कि भगवान की ऊर्जा उस मूर्ति में प्रविष्ट हो चुकी है।
पहली और दूसरी प्राण प्रतिष्ठा में अंतर
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पहली प्राण प्रतिष्ठा (22 जनवरी 2024): इसमें भगवान श्री राम के बाल स्वरूप (रामलला) की मूर्ति को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया था। इस ऐतिहासिक आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य यजमान बने थे।
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दूसरी प्राण प्रतिष्ठा (3-5 जून 2025): अब मंदिर के प्रथम तल पर श्री राम दरबार (राजा राम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, और हनुमान) की मूर्तियों की स्थापना होगी। इसके अलावा मंदिर परिसर के परकोटे में बने अन्य उप-मंदिरों में भी देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी।
तीन दिवसीय कार्यक्रम का शेड्यूल
तिथिकार्यक्रम का विवरण2 जूनकलश यात्रा: सरयू तट से जल लाकर मंदिर में कलश स्थापित किया गया।3-4 जूनसुबह 6:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक पूजा-अनुष्ठान, हवन, 1975 वैदिक मंत्रों का उच्चारण, भजन-कीर्तन।5 जूनमुख्य प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान (राम दरबार एवं अन्य देवताओं की मूर्तियों की स्थापना), अभिजीत मुहूर्त में संपन्न।
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5 जून को सुबह 11:25 से 11:40 बजे के बीच अभिजीत मुहूर्त में मुख्य प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी267।
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इस आयोजन में लगभग 120 आचार्य शामिल होंगे, जो वैदिक विधि से अनुष्ठान संपन्न कराएंगे।
किन मूर्तियों की होगी स्थापना?
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राम दरबार: भगवान श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, और हनुमान जी की मूर्तियां प्रथम तल पर स्थापित होंगी12567।
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उप-मंदिरों में:
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ईशान कोण (उत्तर-पूर्व): शिवलिंग
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अग्नि कोण (दक्षिण-पूर्व): श्री गणेश
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दक्षिण मध्य: हनुमान जी
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नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम): सूर्य देव
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वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम): मां भगवती (दुर्गा)
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उत्तर मध्य: मां अन्नपूर्णा
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दक्षिण-पश्चिम कोना: भगवान विष्णु का शेषावतार स्वरूप।
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धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
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यह आयोजन न केवल अयोध्या, बल्कि पूरे भारत के लिए गौरव का क्षण है। सदियों से प्रतीक्षित राम मंदिर का निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा सनातन संस्कृति के स्वर्णिम युग का प्रतीक मानी जा रही है।
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आयोजन के दौरान लाखों श्रद्धालुओं के अयोध्या पहुंचने की संभावना है, जिससे यह शहर एक बार फिर आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बन गया है।
सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियां
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आयोजन को लेकर अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। ATS कमांडो, आर्मर्ड व्हीकल्स और CCTV के जरिए 24×7 निगरानी की जा रही है35।
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श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं, जिसमें कई वीवीआईपी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संत-समाज शामिल होंगे।
विशेष तथ्य
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इस बार राम दरबार की मूर्तियों को उसी पत्थर से तराशा गया है, जिससे माता सीता की मूर्ति बनाई गई है1।
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प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मूर्ति की आंखों पर पट्टी बांधकर ‘नेत्रों मिलन’ और ‘प्रतिबिंब दर्शन’ अनुष्ठान किए जाते हैं1।
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495 वर्षों के बाद पहली बार अयोध्या की राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हुआ है।
निष्कर्ष
अयोध्या में 3 से 5 जून 2025 तक होने वाला द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक विरासत, आस्था और एकता का प्रतीक है। राम दरबार की स्थापना और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा से अयोध्या एक बार फिर से विश्व का आध्यात्मिक केंद्र बन गया है।
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