भूमिका: आस्था की धरती पर सन्नाटा
मां वैष्णो देवी का दरबार देश‑विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र माना जाता है। हर साल यहां कटरा से लेकर भवन तक इतनी भीड़ रहती थी कि होटल, धर्मशालाएं, ढाबे और बाज़ार सभी गुलज़ार रहते थे। लेकिन अब वही कटरा, जो कभी 24 घंटे चहल‑पहल से भरा रहता था, सूना‑सूना दिखने लगा है और यह बदलाव सबको परेशान कर रहा है।
वीडियो रिपोर्ट के अनुसार इस साल यात्रा में 20–36 लाख तक की गिरावट दर्ज की गई है, यानी इतने श्रद्धालु कम आए हैं जितने आमतौर पर आया करते थे। पहले जहां करीब 1 करोड़ यात्राएं दर्ज होती थीं, अब आंकड़े उससे काफी नीचे आ गए हैं, जिससे साफ दिखता है कि लोग पहले की तरह बड़ी संख्या में मां के दर्शन के लिए नहीं आ पा रहे।
कटरा का बदलता नज़ारा
रिपोर्टर कटरा के मुख्य बाज़ार से दिखाते हैं कि जहां पहले रौनक रहती थी, अब वहाँ सन्नाटा है। दुकानों के बाहर भीड़ की जगह खालीपन है, होटल और रेस्टोरेंट में सीटें खाली पड़ी हैं और व्यापारी ग्राहकों का इंतज़ार कर रहे हैं।
कटरा के बाज़ार की कुछ प्रमुख स्थितियां इस तरह हैं।
- मुख्य बाजार, जो पहले रात देर तक खचाखच भरा रहता था, अब दिन में भी अधखुली दुकानों और खाली गलियों से भरा दिख रहा है।
- कई होटल लगभग खाली पड़े हैं, कमरे खाली हैं, रिसेप्शन पर स्टाफ बैठे सिर्फ इस उम्मीद में कि कभी न कभी भीड़ वापस लौटेगी।
- ढाबों और रेस्टोरेंट में कुर्सियां खाली हैं, रसोई में काम कम हो गया है और मालिक इस चिंता में हैं कि रोज़ी‑रोटी कैसे चलेगी।
स्थानीय दुकानदार बताते हैं कि पहले उनके यहां रोजाना 25–30 हजार श्रद्धालु गुजरते थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर लगभग 7–8 हजार रह गई है। इतने बड़े अंतर से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कारोबार में कितनी बड़ी कमी आई है।
आंकड़े क्या कहानी कहते हैं
रिपोर्ट में कई जगह अलग‑अलग लोगों की ज़ुबानी यात्रा के आंकड़े सामने आते हैं। कोई 20 लाख श्रद्धालुओं की कमी की बात करता है, तो कोई 25–30 लाख की कमी का अनुमान लगाता है, जबकि कुल मिलाकर यह साफ है कि यात्रा का ग्राफ तेज़ी से नीचे आया है।
मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं।
- पहले जहां सालाना लगभग 1 करोड़ यात्राएं दर्ज होती थीं, अब एक दुकानदार के मुताबिक लगभग 36 लाख यात्राओं की कमी दर्ज की गई है।
- कुछ स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि दिसंबर तक के आंकड़ों के हिसाब से 25–30 लाख श्रद्धालु कम आए हैं।
- रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जनवरी से अब तक 20 लाख से अधिक श्रद्धालु कम आए हैं, जबकि आमतौर पर साल के अंत तक भीड़ बढ़ने लगती है।
स्थानीय लोग उम्मीद जता रहे हैं कि शायद दिसंबर के आखिरी दिनों में 2–3 लाख की कुछ और बढ़ोतरी हो, लेकिन कुल मिलाकर तस्वीर अभी भी चिंताजनक बनी हुई है।
व्यापार पर भारी मार
माता के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु ही कटरा की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, क्योंकि इसी भीड़ पर दुकानों, होटलों, ढाबों, टैक्सी, पोनी‑पिट्ठू और बाकी सेवाओं का कारोबार टिका हुआ है। जब यात्रियों की संख्या में अचानक गिरावट आती है, तो इसका सीधा असर इन सभी व्यवसायों पर दिखाई देता है।
वीडियो में कुछ खास उदाहरण दिए गए हैं।
- एक दुकानदार बताते हैं कि उनके भाई ने रेलवे स्टेशन के पास एक ढाबा 35–38 लाख रुपये में लिया था, लेकिन घाटे के कारण उसे बंद करना पड़ा और करीब 65 लाख रुपये की राशि फंसी रह गई।
- कई दुकानों की कीमतें 3 करोड़, 4 करोड़, 11 करोड़ और 20–20 करोड़ रुपये तक बताई जा रही हैं, लेकिन यात्रियों की कमी के कारण इनकी लागत निकालना भी मुश्किल होता जा रहा है।
- व्यावसायिक प्रतिष्ठान चलाने वाले लोग कह रहे हैं कि नुकसान करोड़ों में हो चुका है और आगे का रास्ता भी साफ नहीं दिख रहा।
कई व्यापारी मजबूर होकर अपने कर्मचारियों की संख्या कम कर रहे हैं, कुछ अपने घर की संपत्ति बेचकर खर्च चला रहे हैं और कई लोग यह समझ नहीं पा रहे कि आने वाले समय में कारोबार कैसे संभाला जाए।
स्थानीय व्यापारियों की बातें और दर्द
वीडियो में अलग‑अलग दुकानदार और ढाबा मालिक अपने अनुभव साझा करते हैं। उनकी बातों में चिंता, दर्द और कहीं‑कहीं आस्था के साथ जुड़ी भावनाएं भी साफ दिखती हैं।
एक दुकानदार बताते हैं।
- पहले 25–30 हजार लोग रोजाना गुजरते थे, अब 7–8 हजार पर बात आ गई है, यानी लगभग एक चौथाई भीड़ रह गई है।
- इस गिरावट के कारण कारोबार में इतनी कमी आई है कि कर्मचारी रखने तक में दिक्कत हो रही है, कई लोगों को मजबूरन कम करना पड़ा है।
- वे कहते हैं कि अभी “मंदी का दौर” चल रहा है, जो पूरे कटरा के बाजार में साफ नजर आ रहा है।
कुछ व्यापारी यह भी बताते हैं कि वे खुद दुकान पर आकर काम कर रहे हैं, कभी‑कभी स्टाफ घर चला जाता है, कभी वे खुद अतिरिक्त काम संभालते हैं, ताकि किसी तरह दुकान चलती रहे। उनका कहना है कि रोज़ उम्मीद रहती है कि आज भीड़ आएगी, कल भीड़ आएगी, लेकिन स्थिति में बड़ा सुधार नहीं दिख रहा।
शराइन बोर्ड और नीतियों पर सवाल
कई स्थानीय लोगों का मानना है कि केवल आर्थिक या बाहरी कारण ही जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि कुछ हद तक व्यवस्था और नीतियों की वजह से भी श्रद्धालु निराश हो रहे हैं। कई व्यापारी शराइन बोर्ड की नीतियों की खुलकर आलोचना करते दिखाई देते हैं।y
कुछ आरोप और शिकायतें इस प्रकार हैं।
- कहा जा रहा है कि श्रद्धालुओं को मां वैष्णो देवी के दर्शन के समय बहुत कम समय दिया जाता है, दो सेकंड के भीतर धक्का देकर बाहर निकाल दिया जाता है, जिससे श्रद्धालु संतुष्ट नहीं हो पाते।
- स्थानीय लोगों की मांग है कि कम से कम श्रद्धालु को थोड़ी देर आराम से दर्शन करने का मौका मिलना चाहिए, ताकि उनकी आस्था के साथ न्याय हो सके और वे प्रसन्न होकर वापस जाएं।
- यह भी सुझाव दिया गया कि शराइन बोर्ड को प्रचार‑प्रसार पर ध्यान देना चाहिए, अलग‑अलग राज्यों में जाकर लोगों को बताना चाहिए कि यात्रा सुरक्षित है और सुविधाएं अच्छी हैं।
कई व्यापारी यह भी कहते हैं कि अगर बोर्ड की नीतियों में सुधार हो, दर्शन की व्यवस्था सहज और भक्त‑अनुकूल हो, तो यात्रा फिर से बढ़ सकती है।
हादसों और मौसम का असर
वीडियो में बातचीत के दौरान एक बड़ा कारण मौसम और हादसे को भी माना गया है। एक दुकानदार के अनुसार जब भारी बारिश के समय मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया था और यात्रा रोकने की सलाह दी थी, तब भी यात्रा जारी रही, जिसके कारण भूस्खलन (लैंडस्लाइड) की घटना हुई।
इस संदर्भ में कुछ बातें सामने आती हैं।
- बताया गया कि एक हादसे में लगभग 30 लोगों की जान चली गई, जिससे लोगों के मन में डर बैठ गया।
- हादसों के बाद अक्सर यात्रियों और उनके परिवारों में असुरक्षा की भावना बढ़ जाती है, जिससे कई लोग यात्रा टाल देते हैं या किसी और तीर्थस्थान की योजना बना लेते हैं।
- स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर उस समय सतर्कता बरती जाती और यात्रा को समय पर रोका जाता, तो शायद स्थिति इतनी भयावह न होती और बाद की यात्रा पर भी इतना बुरा असर न पड़ता।
इन घटनाओं का मनोवैज्ञानिक असर दूर तक जाता है, खासकर जब मीडिया में भी ऐसे हादसों की चर्चा होती है।
प्रशासन और नेतृत्व से उम्मीदें
कटरा के व्यापारी केवल शिकायत ही नहीं कर रहे, बल्कि वे प्रशासन और नेताओं से कुछ अपेक्षाएं और सुझाव भी रख रहे हैं। उनका मानना है कि अगर सरकार, शराइन बोर्ड और टूरिज्म विभाग मिलकर समन्वित प्रयास करें, तो हालात सुधर सकते हैं।
उनकी मुख्य मांगें और अपेक्षाएं इस तरह हैं।
- गवर्नर, चेयरमैन और शराइन बोर्ड के जिम्मेदार अधिकारी अलग‑अलग राज्यों में जाकर मीटिंग करें, लोगों को बताएं कि कटरा सुरक्षित है और यहां दर्शन सुविधाजनक ढंग से हो रहे हैं।
- जिस तरह पर्यटक स्थलों जैसे पहलगाम आदि में बैठकों और कार्यक्रमों का आयोजन होता है, उसी तरह कटरा को भी प्राथमिकता दी जाए, ताकि यात्रा को बढ़ावा मिले।
- टूरिज्म विभाग और सरकार व्यापक स्तर पर प्रचार अभियान चलाए, धार्मिक पर्यटन पैकेज बनाए और यात्रा से जुड़े कारोबारियों की समस्याओं पर गंभीरता से विचार करे।
स्थानीय लोगों को लगता है कि अगर उच्च स्तर पर बैठकों, योजनाओं और प्रचार पर जोर दिया जाए, तो मां वैष्णो देवी यात्रा की चमक वापस लाई जा सकती है।
भारी डिस्काउंट की मजबूरी
यात्रा में आई भारी गिरावट के कारण कटरा के होटल, ढाबे और दुकानदार एकजुट होकर श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए बड़े‑बड़े डिस्काउंट दे रहे हैं। यह उनकी मजबूरी भी है और प्रयत्न भी, ताकि किसी तरह भीड़ वापस आए और कारोबार जिंदा रह सके।
वीडियो से जो बातें सामने आती हैं, वे इस प्रकार हैं।
- कई होटल 50% तक का डिस्काउंट दे रहे हैं, जबकि कुछ जगहों पर 75% तक की छूट की बात कही गई है।youtube
- ढाबा और रेस्टोरेंट वाले भी श्रद्धालुओं के लिए 50% तक की छूट देने को तैयार हैं, बस शर्त ये है कि श्रद्धालु आएं, खाना खाएं और बाजार में रौनक लौटे।
- स्थानीय व्यवसायियों के बीच आपसी तालमेल से यह निर्णय लिया जा रहा है कि जो भी श्रद्धालु आएगा, उसे कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में छूट मिल सके, ताकि उन्हें आकर्षित किया जा सके।
हालांकि इतना अधिक डिस्काउंट देना लंबी अवधि में टिकाऊ नहीं होता, लेकिन वर्तमान स्थिति में कई लोगों के लिए यह “जीवित रहने” की रणनीति बन गया है।
रोज़गार पर संकट
यात्रा में कमी आने का असर केवल दुकानदारों और होटल मालिकों तक सीमित नहीं है, बल्कि हजारों कर्मचारियों, मजदूरों और छोटे कामगारों पर भी पड़ा है, जिनकी रोज़ी‑रोटी इस यात्रा पर निर्भर करती है। वीडियो में व्यापारी बताते हैं कि उन्हें कर्मचारियों को कम करना पड़ा है और कई लोगों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है।youtube
कुछ प्रमुख समस्याएं इस प्रकार हैं।
- पहले जहां एक दुकान या होटल में 4–6 कर्मचारी तक रखे जाते थे, अब काम कम होने से इतने लोगों को पूरा वेतन देना मुश्किल हो रहा है।
- कुछ कर्मचारी अपने गांव लौटने पर मजबूर हो गए हैं, तो कुछ लोग यहां रहकर दूसरे छोटे‑मोटे काम करके समय काट रहे हैं।
- कई व्यापारी खुद काउंटर संभाल रहे हैं, सफाई से लेकर ग्राहक सेवा तक का काम खुद कर रहे हैं, ताकि अतिरिक्त खर्च बच सके।
इस स्थिति का सीधा असर कटरा की स्थानीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है, क्योंकि जब आय घटती है, तो बाजार में पैसे का प्रवाह भी कम हो जाता है।
आस्था, भावनाएं और सवाल
वीडियो में कई बार भावनात्मक बातें भी सामने आती हैं, जहाँ लोग मां वैष्णो देवी की आस्था के साथ जुड़कर सवाल करते हैं कि आखिर ऐसी क्या गलती हो गई कि यात्रा में बढ़ोतरी की जगह गिरावट देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे नीतिगत कमियों से जोड़ते हैं, तो कुछ हादसों और मौसम की स्थितियों से।
इन भावनाओं के कुछ पहलू इस प्रकार हैं।
- लोग कहते हैं कि माता की कृपा से ही यहां के लोग अपना पेट पालते हैं, इसलिए जब यात्रा कम होती है, तो उन्हें लगता है जैसे उनकी जिंदगी की डोर ही ढीली पड़ गई हो।
- कुछ व्यापारी यह भी मानते हैं कि अगर व्यवस्था भक्त‑अनुकूल हो, दर्शन की सुविधा बेहतर हो और यात्रा सुरक्षित हो, तो मां खुद रास्ते खोल देंगी और भीड़ वापस आएगी।
- दुकानदार, होटल मालिक और छोटे व्यापारियों की निगाहें अब आने वाले महीनों पर टिकी हैं, खासकर त्योहार और छुट्टियों के समय पर, जब वे उम्मीद करते हैं कि मां उन्हें दोबारा बुलावा दिलवाएंगी।
इन सबके बीच श्रद्धालुओं के लिए सन्देश भी दिया जा रहा है कि कटरा साफ‑सुथरा, सुरक्षित और सस्ता है, यहां रोटी, होटल और बाजार सब कुछ वाजिब दाम पर उपलब्ध है, बस उन्हें यहां आकर माँ के दर्शन करने की देर है।
आगे का रास्ता: क्या किया जा सकता है
हालात मुश्किल जरूर हैं, लेकिन स्थानीय लोग और व्यापारी कुछ रचनात्मक सुझाव भी दे रहे हैं, जिनसे स्थिति सुधर सकती है। अगर प्रशासन, शराइन बोर्ड, टूरिज्म विभाग और स्थानीय लोग मिलकर कदम उठाएं, तो मां वैष्णो देवी यात्रा फिर से रौनक से भर सकती है।youtube
संभावित उपाय इस तरह सोचे जा सकते हैं।
- श्रद्धालुओं के लिए दर्शन व्यवस्था को अधिक सहज, सम्मानजनक और भक्त‑अनुकूल बनाया जाए, ताकि वे संतुष्ट होकर लौटें और दूसरों को भी आने के लिए प्रेरित करें।
- सुरक्षा के लिए मौसम अलर्ट और जोखिम वाले समय में यात्रा को लेकर सख्त और संवेदनशील निर्णय लिए जाएं, ताकि हादसों की संभावना कम हो और लोगों का भरोसा बना रहे।
- धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए व्यापक प्रचार‑प्रसार, पैकेज टूर, राज्यों में विशेष कैंप और कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, जिनमें कटरा और मां वैष्णो देवी यात्रा की विशेषताओं पर जोर दिया जाए।
- स्थानीय कारोबारियों के लिए विशेष राहत पैकेज, सस्ती लोन सुविधा या टैक्स में कुछ राहत जैसे कदम भी सोचे जा सकते हैं, ताकि वे इस कठिन समय से निकल सकें।
इस तरह के कदम न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा देंगे, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था को भी एक नया विश्वास देंगे कि उनका सफर सुरक्षित, सुविधाजनक और यादगार होगा।
निष्कर्ष: उम्मीद अभी बाकी है
मां वैष्णो देवी यात्रा में आई भारी गिरावट ने कटरा के बाजार, व्यापार और रोज़गार को गहराई से प्रभावित किया है। दुकानदारों, होटल मालिकों और छोटे व्यवसायियों की हालत कठिन है, लेकिन वे अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि मां दोबारा बुलावा भेजेंगी और श्रद्धालुओं की भीड़ लौटेगी।
स्थानीय लोगों की एक ही गुहार है कि सरकार, शराइन बोर्ड और टूरिज्म विभाग मिलकर गंभीर रूप से कदम उठाएं, यात्रा की सुरक्षा, सुविधा और प्रचार पर ध्यान दें और श्रद्धालुओं को सकारात्मक संदेश दें। श्रद्धालुओं के लिए भी यह संदेश है कि जो लोग वर्षों से यात्रियों की सेवा करके अपनी जिंदगी चला रहे हैं, वे आज उनके लौटने का इंतज़ार कर रहे हैं, ताकि आस्था के साथ‑साथ उनकी रोज़ी‑रोटी भी फिर से पटरी पर आ सके।







