भारत हमेशा धर्म समृद्ध और विश्व कल्याण के लिए अग्रसर रहा है फिर यहाँ इतनी गरीबी और भुखमरी क्यों है ?

भारत हमेशा धर्म समृद्ध और विश्व कल्याण के लिए अग्रसर रहा है फिर यहाँ इतनी गरीबी और भुखमरी क्यों है ?

प्रश्न-महाराज जी भारत हमेशा धर्म समृद्ध और विश्व कल्याण हेतु अग्रसर रहा है पर महाराज जी भारत में गरीबी और भुखमरी की समस्या क्यों है?

महाराज जी का सवाल क्या भारत में प्रत्येक व्यक्ति धर्म से चल रहा है ?

सिर्फ भारत में नहीं पूरे टोटल में आप ऐसे बोल सकते हैं. लेकिन आप अगर पर्सनल में देखें तो क्या प्रत्येक व्यक्ति धर्म से चल रहा है? गरीबी है लेकिन ₹100 की शराब पीकर आ रहा है। आप विचार करो। परिवार में बड़ी समस्या है लेकिन वह व्यभिचार प्रवृत्ति से युक्त है। वह हिंसा प्रवृत्ति से युक्त है, वह गलत आचरण करता है तो इसका दंड तो भोगना ही पड़ेगा.

यह धर्मात्माओं का देश है. यह धर्मशील देश है. यह कर्म भूमि है. अन्य देशों को ऐसा नहीं कहा गया है. हमारे शास्त्रों में भारत को कर्म भूमि कहा गया है. पर अब व्यभिचार प्रवृत्ति कैसे फैल रही है. बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड. यह कौन सा पवित्रता का आचरण धारण कर रहा है. सब मनमानी आचरण धारण कर रहे हैं तो उनको किसी न किसी विधान से अपने कर्म का फल तो भोगना पड़ेगा.

कर्म भोग इसी में आता है कि दुख है, दरिद्रता है विपत्ति है डिप्रेशन है. नाना प्रकार की प्रतिकूलताएं हैं. तो दुख ही पाप का मार्जन करता है तो इसलिए अब देखो पाप पारायण कितने लोग हैं. लोग हजारों लाखों पशु काट के खाते होंगे. मुर्गा, बकरा आदि. तो क्या यह पाप कर्म नहीं है तो क्या उसका दंड नहीं भोगना पड़ेगा.

हमारा देश धर्मशील है लेकिन क्या हमारे देश में अधार्मिकता नहीं हो रही?

हां टोटल में अगर हम बोलते हैं तो भारत धर्मशील, शांत प्रिया और दूसरों का उपकार करने वाला देश है. भले कोई देश हमारा शत्रु देश भी हो और अगर वहां कोई परेशानी आ गई. भूकंप, बाढ़ आदि आ गई तो भारत आगे खड़ा दिखाई देगा. लेकिन क्या हमारे देश के अंतर्गत अधार्मिकता नहीं हो रही, पाप नहीं हो रहे, कितने बड़े-बड़े पाप हो रहे हैं कितनी अधार्मिकता हो रही है तो क्या उसका दंड नहीं मिलेगा. तो उसका दंड मिलने के लिए यही सब है- दरिद्रता, प्रतिकूलता विपत्ति नाना प्रकार की मानसिक और शारीरिक रोग समस्याएं, वही सबको भोगनी पड़ रही है.

यदि सब धर्मशील हो जाए

यदि सब धर्मशील हो जाठीक से चले तो सब स्वस्थ रहें, सब आनंदित रहे. लेकिन सब ऐसे नहीं कर रहे हैं. आप खुद देख लीजिए कितना बड़ा अनाचार दुराचार भारत में भी हो रहा है तो फिर इसका दंड तो भोगना ही पड़ेगा.

दिनभर लेबरी करके ₹500 कमाते हैं और शाम को शराब पीके जाते हैं और उसी की हरी सब्जी लेकर जाते तो पूरा परिवार खाता. उसी का अगर थोड़ा मीठा लेकर जाते तो परिवार प्रसन्न होता लेकिन शराब पिए और और लड़खड़ाते हुए ऐसे जा रहे हैं. यह लाखों की समस्याएं हैं, एक की समस्या नहीं है.

अमीर अपना मनोरंजन मारके दूसरों का जीवन यापन करे

भगवान ने तुम्हें दिया है तो तुम्हें अपना मनोरंजन मार करके दूसरों का जीवन यापन कर सकते हो. हजारों ऐसे हैं जो बीमारी से परेशान है पर अर्थ नहीं है और तुम 50 हजार मनोरंजन में फूंक रहे हो. यदि उनको दे देते तो गरीबों का घर बच जाता.

तो ऐसे कितने लोग हैं जो विचार नहीं कर पा रहे कि हम अपने भारत का सहयोग करें, हमारे भारत की गरीबी दूर कैसे होगी, जिनके पास अपार धनराशि है वह गरीबों को ऐसी व्यवस्था करें। लेकिन ऐसी किसकी माटी गति है।

टोटल तो हम कह सकते हैं कि हमारा देश धार्मिक शांतिप्रिय और दूसरों का उपकार करने वाला देश है, लेकिन सब नहीं है, इसलिए सब भोग रहे हैं, इसलिए अपने-अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं.

  • Related Posts

    आईपीओ में निवेशक इन चीज़ों पर ध्यान दें इन गलतियों से बचे

    भारत के शेयर बाजार में इस समय आईपीओ (Initial Public Offering) की जबरदस्त लहर चल रही है। जैसे दीवाली के पटाखे, नए-नए शेयर बाजार में लॉन्च हो रहे हैं—कुछ धमाकेदार…

    Continue reading
    दूसरी पत्नी के बच्चों को दिवंगत पिता की प्रॉपर्टी में मिला अधिकार

    यहाँ पर ओडिशा उच्च न्यायालय के उस ऐतिहासिक फैसले का विस्तार से हिंदी लेख प्रस्तुत है, जिसमें कहा गया है कि दूसरी पत्नी के बच्चों को भी उनके दिवंगत हिंदू…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    श्री कृष्ण जी ने अर्जुन जी को सन्यास के लिए मना करते हुए युद्ध करने के लिए क्यों कहा ?

    श्री कृष्ण जी ने अर्जुन जी को सन्यास के लिए मना करते हुए युद्ध करने के लिए क्यों कहा ?

    क्या हम अपने बेडरूम में इष्ट और गुरुदेव की छवि लगा सकते हैं?

    क्या हम अपने बेडरूम में इष्ट और गुरुदेव की छवि लगा सकते हैं?

    ऐसे कौन-कौन से पाप हैं जिनका कोई फल नहीं मिलता?

    ऐसे कौन-कौन से पाप हैं जिनका कोई फल नहीं मिलता?

    क्या मंदिर के प्रसाद को किसी मांसाहारी व्यक्ति को देने से पाप लगता है?

    क्या मंदिर के प्रसाद को किसी मांसाहारी व्यक्ति को देने से पाप लगता है?

    छठ पूजा पर दो दिनों का बैंक अवकाश, चेक करे

    छठ पूजा पर दो दिनों का बैंक अवकाश, चेक करे

    अस्पताल से छुट्टी में देरी क्यों? बीमाधारकों को क्या जल्द मिलेंगी राहत ?

    अस्पताल से छुट्टी में देरी क्यों? बीमाधारकों को क्या जल्द  मिलेंगी राहत ?