
T20 एशिया कप फाइनल में पाकिस्तान को करारी हार देने वाली युवा टीम इंडिया के खिलाड़ी ज्यादातर खिलाड़ी मिडिल क्लास से आते हैं। कई तो शायद मिडिल क्लास से भी नहीं गरीब परिवार से आते हैं। ज्यादातर खिलाड़ियों में मैं जो एक समान चीज देख रहा हूं, वह है कि इन खिलाड़ियों का भगवान के प्रति विश्वास है। खिलाड़ी अपने इस विश्वास के साथ भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए उनके द्वार पर भी जाते हैं। ये संस्कार उनको अपने मिडिल क्लास फैमिली से मिला लगता है. क्योंकि कामना के लिए ही सही मिडिल क्लास पूजन और तीर्थ यात्रा के फल को बहुत मानता हैं.
क्या युवा खिलाड़ियों को अपने पर नहीं है घमंड ?
यह खिलाड़ी मंदिरों में भले अपनी सफलता की कामना पूरी करने के लिए जाते हो। लेकिन चकाचौंध लाइफस्टाइल के बावजूद भगवान की महिमा पर विश्वास रखना अच्छी बात है. वृंदावन के रसिक संत परम पूज्य प्रेमानंद महाराज जी से कई खिलाड़ी मिलने आते हैं. महाराज जी का यही कथन होता है कि ऐसा अहंकार मत करना कि मैं अपने दम पर अपनी मेहनत से सफलता हासिल कर रहा हूं, हमेशा भगवान के प्रति कृतज्ञ (thankful) रहना। भगवान का हमेशा आभार जताना, क्योंकि उन्होंने ही तुम्हें मनुष्य जन्म दिया है।
जब आप सफलता पर सफलता हासिल कर रहे हो और आपके चारों तरफ लोग आपकी तारीफ कर रहे हो। तालियां बजा रहे हो। आपकी एक झलक पाने के लिए भीड़ बेकाबू हो रही हो। दौलत आपके पीछे भाग रही हो तो अहंकार सिर पर चढ़कर बोल सकता है। महाराज जी का भी यही संकेत है। इसलिए इन युवा खिलाड़ियों का भगवान के द्वार पर जाकर आशीर्वाद लेने से यह तो लगता है कि इनका भगवान की सत्ता पर विश्वास है।
कैरियर की शुरुआत में ही परमात्मा पर विश्वास
मैं अभी कहना जल्दबाजी समझता हूं कि सूर्य कुमार यादव, तिलक वर्मा, कुलदीप यादव, अक्षर पटेल समेत कई खिलाड़ी जो मंदिर जाते हैं वह आध्यात्मिक हो गए हैं, क्योंकि जितना मुझे अध्यात्म समझ आता है, उस कम समझ के आधार पर मानता हूं कि सिर्फ मंदिर जाना और पूजा करना अध्यात्म और धर्म नहीं होता। अध्यात्म के लिए शास्त्र और संतों के बताए हुए रास्तों पर चलना पड़ता है। फिर भी इन खिलाड़ियों का कैरियर की शुरुआत में ही भगवान् पर विश्वास रखना आगे चलकर अध्यात्म के रास्ते पर ठीक से चलने की शुरुआत रख सकता है.
कुछ कैरियर के अंत में भगवान् के दर पर नजर आये
विराट कोहली पिछले 3 सालों से भगवान जी और देश के महान संतों का आशीर्वाद लेने उनके द्वारा पर जा रहे हैं। आपको तो पता ही होगा कि विराट ने टेस्ट मैच और T20 क्रिकेट से सन्यास ले लिया है। अपनी करियर के अंत में विराट भगवान के दर पर पहुंचे हैं। भगवान जी के प्रति उनकी आस्था शायद पहले भी रही हो लेकिन सार्वजनिक तौर पर वह पिछले तीन सालों से सक्रिय रहे हैं। वह और उनकी पत्नी अनुष्का शर्मा परम पूज्य रसिक संत श्री प्रेमानंद महाराज जी के आश्रम वृंदावन राधाकेली कुंज नियमित तौर पर जाते हैं। वनडे टीम के कप्तान रोहित शर्मा की भी अपनी पत्नी के साथ धार्मिक स्थलों में जाने की कई फोटो देखने को मिली है। रोहित शर्मा भी अपने कैरियर के आखिरी दौर पर हैं.
पूजा पाठ, मंदिर जाना ही धर्म नहीं
सूर्यकुमार यादव, तिलक वर्मा, कुलदीप यादव, अक्षर पटेल, वाशिंगटन सुंदर, वरुण चक्रवर्ती, ऋषभ पंत और युजवेंद्र चहल खिलाड़ी अपने करियर के शुरू में ही भगवान की सत्ता को स्वीकार कर रहे हैं। हमें और हमारे बच्चों को भी भगवान की सत्ता को स्वीकारना चाहिए। भगवान की सत्ता के सामने कोई बड़ा नहीं है। जिसने भगवान पर भरोसा कर लिया उसको कोई हिला नहीं सकता। मैंने संतों और आध्यात्मिक की राह पर चलने वालों से सुना है कि पूजा पाठ, मंदिर जाना आदि ही धर्म नहीं है। भगवान के बनाए गए शास्त्रों और संतों के बताए गए रास्ते पर चलना ही असल धर्म कहलाता है। भगवान बहुत कृपालु है वह इस जन्म को भी खुशियों से भर देंगे और मृत्यु के बाद भी आपको दुखी नहीं होने देंगे।
राधे राधे