यह लेख वैश्विक चाँदी (Silver) बाजार में हाल ही में आई 17% की भारी गिरावट, उसके कारणों और आगे की संभावनाओं पर केंद्रित है। नीचे इसका विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत है.
वैश्विक बाजार में चाँदी की कीमतों में तेज गिरावट: कारण, प्रभाव और आगे का रास्ता
चाँदी की कीमतों में हाल के दिनों में लगभग 17% की भारी गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट तब आई जब वैश्विक स्तर पर आपूर्ति में सुधार देखने को मिला और निवेशकों ने भारी मुनाफा कमाने के बाद अपनी होल्डिंग्स बेचनी शुरू की। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट अस्थायी है, और दीर्घकालिक दृष्टि से चाँदी और सोना दोनों के लिए सकारात्मक परिदृश्य बना रहेगा।
चाँदी की कीमतों में हाल की गिरावट
लंदन और न्यूयॉर्क में चाँदी की स्पॉट कीमतों ने हाल के महीनों में ऐतिहासिक ऊँचाई छुई थी। परंतु पिछले कुछ हफ्तों में, यह रिकॉर्ड स्तर से लगभग 17% नीचे आ गई। भारत में भी इसी के समान रुझान देखने को मिला, जहाँ एमसीएक्स (Multi Commodity Exchange) पर चाँदी के वायदा भाव में तेज गिरावट दर्ज की गई।
इस गिरावट के प्रमुख कारणों में से एक है वैश्विक आपूर्ति में सुधार और निवेशकों द्वारा “प्रॉफिट बुकिंग” करना। जब भी किसी वस्तु की कीमत लगातार बढ़ती है, तो निवेशक एक तय स्तर पर अपने लाभ की बुकिंग करते हैं जिससे कीमतों पर दबाव बनता है।
बढ़ी हुई आपूर्ति ने डाला असर
लंदन बाजार में चाँदी की आपूर्ति हाल ही में बेहतर हुई है। खनन उत्पादन में वृद्धि, रिफाइनरियों की सक्रियता, और निवेश-ग्रेड बार्स की उपलब्धता में सुधार ने कीमतों को नीचे धकेला। कुछ प्रमुख देशों जैसे मैक्सिको, पेरू, और चीन ने अपने उत्पादन में बढ़ोत्तरी की है, जिससे बाजार में अतिरिक्त आपूर्ति आई।
भारत में भी चाँदी के आयात में वृद्धि दर्ज की गई है। महंगे स्तर पर कारोबार करने के बाद व्यापारी अब निम्न स्तरीय दरों पर स्टॉक जमा कर रहे हैं, जिससे घरेलू मांग धीरे-धीरे बढ़ सकती है।
निवेशकों की प्रॉफिट बुकिंग का प्रभाव
वायदा बाजार में बड़े निवेशकों ने मार्च और अप्रैल में भारी मात्रा में चाँदी खरीदी थी, जिससे कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गईं। परंतु जब बाजार ने ओवरबॉट (overbought) क्षेत्र में प्रवेश किया, तो संस्थागत निवेशकों और हेज फंड्स ने अपने कुछ पोर्टफोलियो बेचने का निर्णय लिया। इससे अल्पकालिक दबाव बना और कीमतों में तेजी से गिरावट आई।
यह प्रवृत्ति सोने में भी देखी गई, हालांकि सोने की कीमतों में गिरावट अपेक्षाकृत सीमित रही। चाँदी की अस्थिरता स्वाभाविक रूप से अधिक होती है, क्योंकि इसकी मांग में औद्योगिक कारक का बड़ा हिस्सा होता है।
चाँदी की औद्योगिक मांग
चाँदी केवल आभूषण या निवेश की धातु नहीं है – यह आधुनिक उद्योग का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसकी सर्वश्रेष्ठ चालकता (conductivity) के कारण यह सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों और नई तकनीकों में अनिवार्य है।
- सौर उद्योग: फोटोवोल्टिक (PV) सेल उत्पादन में चाँदी का उपयोग लगातार बढ़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का अनुमान है कि 2030 तक सौर उद्योग चाँदी की कुल मांग का लगभग 30% हिस्सा उपभोग करेगा।
- इलेक्ट्रॉनिक उद्योग: स्मार्टफोन, कंप्यूटर, और अन्य गैजेट्स में माइक्रो सर्किट्स और सोल्डर जॉइंट्स में चाँदी का प्रयोग आवश्यक है।
- ऑटोमोबाइल सेक्टर: इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) में चाँदी का उपयोग बढ़ रहा है क्योंकि यह बैटरी और चालक प्रणालियों की दक्षता बढ़ाती है।
औद्योगिक मांग का यह स्थायी रुझान भविष्य में कीमतों को स्थिरता और ऊपर की दिशा दे सकता है।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण
विशेषज्ञों का मानना है कि चाँदी का दीर्घकालिक परिदृश्य मजबूत बना रहेगा। इसका मुख्य कारण है बढ़ती ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition) की दिशा में वैश्विक झुकाव – विशेषकर नवीकरणीय स्रोतों जैसे सौर ऊर्जा की ओर। यह रुझान चाँदी की दीर्घकालिक मांग का समर्थन करेगा।
साथ ही, विश्वभर के केंद्रीय बैंक और निवेशक सोने और चाँदी जैसी सुरक्षित परिसंपत्तियों में निवेश बढ़ाने की प्रवृत्ति दिखा रहे हैं। भू-राजनीतिक अस्थिरता, मुद्रास्फीति और डॉलर इंडेक्स में उतार-चढ़ाव जैसे कारक इन धातुओं की मांग को सहारा देते रहेंगे।
भारत में चाँदी के रुझान
भारत दुनिया का एक प्रमुख चाँदी उपभोक्ता है, विशेषकर आभूषण, पूजा-सामग्री और सजावटी उद्योगों में। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट का लाभ घरेलू बाजार को भी मिला है, और त्योहारी सीजन की खरीदारी ने सीमित स्तर पर मांग को बढ़ावा दिया है।
एमसीएक्स पर अक्टूबर 2025 के अंत तक चाँदी के दाम ₹82,000 से घटकर ₹68,000 प्रति किलो तक आ गए। हालांकि, विश्लेषक मानते हैं कि ₹65,000 स्तर से नीचे गिरना कठिन होगा, क्योंकि यह स्तर निवेशकों के लिए आकर्षक प्रवेश बिंदु है।
वैश्विक कारक और मौद्रिक नीति का प्रभाव
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में स्थिरता, यूरोपीय सेंट्रल बैंक की नीतियाँ और डॉलर इंडेक्स की चाल सभी कीमती धातुओं पर अप्रत्यक्ष प्रभाव डालते हैं। जब ब्याज दरें स्थिर अथवा घटती हैं, तो गैर-उपज धारी परिसंपत्तियों जैसे सोना और चाँदी में निवेश बढ़ता है।
वर्तमान में, वैश्विक अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति के दबाव और उत्पादन लागत की चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे में कीमती धातु निवेशकों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बनी हुई है।
चाँदी बनाम सोना
| पहलू | चाँदी | सोना |
|---|---|---|
| अस्थिरता | अधिक उतार-चढ़ाव | स्थिरता अधिक |
| औद्योगिक उपयोग | उच्च (सौर, इलेक्ट्रॉनिक्स) | बहुत कम |
| निवेशक भावना | अवसरवादी | दीर्घकालिक सुरक्षित निवेश |
| मूल्य प्रवृत्ति | डॉलर इंडेक्स से संवेदनशील | वैश्विक संकटों से जुड़ी |
इस तालिका से स्पष्ट है कि चाँदी सोने की तुलना में अधिक गतिशील बाजार है और इसके दाम औद्योगिक मांग और निवेश भावनाओं पर निर्भर रहते हैं।
निष्कर्ष
हालांकि वर्तमान में चाँदी की कीमतों में 17% की गिरावट देखी जा रही है, किंतु दीर्घकालिक परिदृश्य अभी भी सकारात्मक है। औद्योगिक उपयोग की निरंतर वृद्धि, वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा निवेश, और भू-राजनीतिक परिस्थितियों के कारण चाँदी एक मजबूत निवेश विकल्प बनी रहेगी।
निवेशकों के लिए यह गिरावट एक “खरीद का अवसर” हो सकता है। हालांकि अल्पकालिक अस्थिरता बरकरार रहेगी, परंतु जो निवेशक मध्यम से दीर्घावधि दृष्टिकोण रखते हैं, उनके लिए चाँदी आकर्षक बनी रहेगी।
यह व्यापक विश्लेषण The Economic Times की रिपोर्ट पर आधारित है, जिसमें बताया गया है कि भले ही कीमतें अस्थायी रूप से गिरी हों, पर दीर्घकाल में चाँदी और सोने दोनों का भविष्य मजबूत दिखता है।







