क्या ज्योतिष को मानना चाहिए और उसके उपाय करने चाहिए ? पढ़िए महाराज जी क्या कहते है. Should astrology be followed and its remedies should be followed? Read what Maharaj ji says

महाराज जी कहते है- ज्योतिष शास्त्र है, यह तो सत्य है. ज्योतिष शास्त्र पूर्व जन्म में शरीर के द्वारा किये हुए कर्मों के फल के बारे में बताता है.

ज्योतिष के अनुसार अनुष्ठान करने पर अशुभ प्रारब्ध को रोकने की चेष्टा की जाती है. हम इसे रोकने की चेष्टा कर सकते हैं, रूकेगा या नहीं यह पक्का नहीं है.

हम आज की समस्या तो निपटा नहीं पा रहे. कल क्या होने वाला इसे लेकर पहले ही डिस्टर्ब हो जाए. यह बड़ी नकारात्मक बात है.

हमारा हाथ या नक्षत्र देखकर कोई बताये कि आज के तीन महीने बाद आपको कैंसर हो जाएगा या वह यह बोले कि आप पर कोई विपरीत परिस्थिति आएगी. कोई परेशानी आएगी या नहीं यह भी तय नहीं है. लेकिन यह बात सुनकर हम डिस्टर्ब हो जाएंगे.

अगर हमें उस परेशानी से बचना है तो उसका ज्योतिष उपाय नही, उसका उपाय है- भगवत शरणागति. आप उसको (प्रभु को ) हासिल करो. आप निरंतर भगवत शरणागत होकर भगवत भजन परायण रहिये. जो होना है वह मंगल ही होगा. जो नहीं होना है वो हो ही नहीं सकता क्योंकि आप भगवान् के शरणागत है. कोई पैदा नहीं हुआ जो भगवान के शरणागत का अमंगल कर सके. जो भी परेशानी आएगी वो चाहे जितनी भयानक हो, वो परेशानी से लड़कर हम ऊपर ही उठेंगे, नीचे नहीं गिर सकते. हम भगवत आश्रित जन है.

यद्यपि ज्योतिष शास्त्र है. पर वह असत्य का ही वर्णन करने वाला है. यह शरीर, प्रारब्ध, जन्म, मृत्यु असत्य ही तो है ना. तो हमें सत्य शास्त्रों, भगवन लीला गुण श्रवण, मनन और भजन करके भगवत प्राप्ति करना चाहिए.

प्रारब्ध का सम्बन्ध शरीर से है. हमें पता है यह कपड़ा जल जाएगा तो हमे इसे अपने से दूर करना है. वैसे ही यह शरीर सड़ेगा, मरेगा तो इस शरीर से अपना सम्बन्ध हटाके भगवान् से अपना सम्बन्ध कर ले, अभी आनंद आ जाएगा. यही बात सत्संग में रोज प्राय: घुमा के होती है. शरीर भाव का नाश किए बिना सच्चिदानंद तत्व का अनुभव नहीं हो सकता.

ज्योतिष शरीर के बारे में बता सकता है, मेरे स्वरूप में जो महान विलक्षणता है, ज्योतिष की ताकत नहीं कि उसका वर्णन कर सके तो सच्चे मार्ग पर चलके प्रिया लाल को रिझाले यही सब शास्त्रों का फल है.

कितने मंदबुद्धि के लोग हैं. घोड़े की नाल को हाथ में पहनने से क्या नौकरी मिल जाएगी? सोचो घोड़े के पैरों में लगा उसे हाथ में पहनोगे तो हाथ से पानी पीना है, भोजन लेना है, कितनी बुद्धि मलिन (गन्दी) है. अरे ठाकुर का प्रसाद पाओ, ठाकुर का चंदन लगाओ, ठाकुर की चरण रज लगाओ.

नाल आदि पहनने से क्या कही शनि मानेगा. अरे शनि, शुक्र, राहू, केतु सब हरी के अनुचर है. अगर राष्ट्रपति का हाथ तुम्हारे सर के ऊपर है तो डीएम आपके पीछे डोलेगा.

यह (शनि, शुक्र, राहू, केतु) सब लोकपाल बड़े-बड़े देवता सृष्टि विधान के लिए हमारे प्रभु के अनुचर है. जो भगवान का भजन नहीं करते, विपरीत आचरण करते है, तो आप जितना अनुष्ठान करो यह शनि, राहू, केतु ऐसे व्यक्ति को जला कर राख कर देते है.

जितना हरी भजोगे तो तो यह सब शुक्र, शनि, राहू तुम्हारे सेवक बन जाएंगे और तुम्हारा मंगल करने लगेगे. ये बेचारे गरीब नवग्रह तुम्हारा क्या बिगाड़ सकते हैं, श्री कृष्ण के चरण अरविन्द में मन लगाओ, आपका कुछ नहीं बिगड़ने वाला.

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