प्रस्तावना
भारतीय सेना के एक मेजर की मन की व्यथा है कि कहीं वह अपनी ड्यूटी निभाते-निभाते पति और पिता के कर्तव्यों से पीछे न रह जाए। वही द्वंद्व बहुत से सैनिकों और डिफेंस सर्विस में लगे लोगों के मन में चलता रहता है – एक ओर राष्ट्र की सेवा, दूसरी ओर गर्भवती पत्नी और परिवार की ज़िम्मेदारी।youtube
सैनिक का प्रश्न
मेजर शशांक वर्मा जी अपने गुरुदेव को प्रणाम करके बताते हैं कि उनकी धर्मपत्नी माँ बनने वाली हैं। उन्हें डर है कि अगर किसी महत्वपूर्ण समय पर वे उनके साथ न रह पाए, तो क्या वे पति और पिता के कर्तव्य में कमी कर देंगे।youtube
यह प्रश्न केवल एक व्यक्ति का नहीं है, बल्कि हर उस सैनिक की भावना है जो सीमा पर खड़ा होकर अपने घर-परिवार से दूर रहता है। उसे हमेशा यह चिंता लगती रहती है कि घर पर सब ठीक है या नहीं, पत्नी और बच्चे सुरक्षित हैं या नहीं।youtube
राष्ट्र धर्म की महत्ता
महाराज जी सबसे पहले यह स्पष्ट करते हैं कि मेजर के कंधों पर राष्ट्र का कर्तव्य है, जो अत्यंत महान और सर्वोपरि है। इसी कारण भारतीय सैनिकों को बार-बार नमस्कार और प्रणाम करना चाहिए, क्योंकि वे अपने परिवार की गहरी आवश्यकता के समय भी सीमा पर डटे रहते हैं।youtube
वे बताते हैं कि कितने ऐसे जवान हैं जिनकी पत्नी गर्भवती होती है, घर पर अकेली रहती है, और उसे अपने पति के सानिध्य, सहयोग और सहारे की बहुत आवश्यकता होती है। उसे यह विश्वास चाहिए कि जरूरत पड़ने पर उसका पति उसे तुरंत अस्पताल ले जाएगा, हर संकट में उसके साथ खड़ा रहेगा, लेकिन वह पति उसी समय बॉर्डर पर खड़ा राष्ट्र की रक्षा कर रहा होता है।youtube
सन्यासी और सैनिक का त्याग
महाराज जी एक सुंदर तुलना करते हुए बताते हैं कि सन्यासी और सैनिक का जीवन बहुत हद तक मिलता-जुलता है। जैसे एक सन्यासी परिवार के मोह और सुविधाओं को त्याग कर सेवा और साधना में लग जाता है, वैसे ही सैनिक भी घर-परिवार, अपनी सुख-सुविधा, बच्चे की मासूम मुस्कान, पत्नी की जरूरत – सबको छोड़कर राष्ट्र रक्षा में लग जाता है।youtube
यह त्याग केवल नौकरी नहीं, बल्कि एक प्रकार का तप और बलिदान है। जो व्यक्ति रात को अपने घर के बिस्तर पर नहीं, बल्कि कभी बर्फीली चोटियों पर, कभी रेगिस्तान में, कभी जंगलों में जागते हुए ड्यूटी कर रहा है, उसका त्याग सामान्य नहीं है।youtube
भगवान पर पूर्ण भरोसा
महाराज जी मेजर साहब को आश्वस्त करते हैं कि जब आप राष्ट्र सेवा में लगे हैं, तब “जिसका राष्ट्र है वही भगवान” आपके बच्चों और पत्नी की पूरी रक्षा और पालन-पोषण की व्यवस्था करेंगे। वे उदाहरण देते हैं कि जंगलों में रहने वाले पशु-पक्षियों का कोई मानवीय संरक्षक नहीं होता, फिर भी उनका भरण-पोषण हो रहा है – यह सब ईश्वर की व्यवस्था से ही होता है।youtube
इसी तरह सैनिक को चिंता छोड़कर भगवान पर भरोसा रखना चाहिए कि वे आसपास के लोगों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों के माध्यम से हर ज़रूरी मदद दिलवा देंगे। हाँ, छुट्टी मिल जाए तो यह भगवान की अतिरिक्त कृपा मानी जाए, पर अगर छुट्टी नहीं मिलती, तो इसे लेकर दुखी होकर अपनी राष्ट्र सेवा को बोझ नहीं मानना चाहिए।youtube
मृत्यु और अमर गौरव का भाव
महाराज जी बड़ी सहजता से कहते हैं कि यदि सैनिक को सीमा पर गोली भी लगती है तो वह सीधे स्वर्ग जाता है। अगर वह भगवान का नाम, विशेषकर राधा नाम लेकर प्राण त्यागे तो भगवद्धाम को प्राप्त होता है, अतः उसका कभी अहित हो ही नहीं सकता।youtube
यह विचार सैनिक के भीतर भय नहीं, बल्कि गर्व और निडरता पैदा करता है। जो व्यक्ति राष्ट्र सेवा के लिए अपने प्राण तक दाँव पर लगा देता है, उसका आध्यात्मिक और सामाजिक सम्मान दोनों ही अत्यंत उच्च माने गए हैं।youtube
धर्म की प्राथमिकताएँ – राष्ट्र और परिवार
महाराज जी स्पष्ट रूप से कहते हैं कि हमारा प्रधान धर्म राष्ट्र सेवा है और उसके बाद परिवार सेवा आती है। इसका अर्थ यह नहीं कि परिवार की उपेक्षा की जाए, बल्कि यह कि जब टकराव की स्थिति हो तो राष्ट्र की रक्षा को प्राथमिकता दी जाए, क्योंकि उसी से असंख्य परिवारों की रक्षा जुड़ी है।youtube
वे सलाह देते हैं कि जब भी छुट्टी मिले, तब पूरे मन से, भरपूर प्रेम के साथ परिवार को समय दें, पत्नी व बच्चों को स्नेह और सुरक्षा का अहसास कराएँ। जब ड्यूटी पर हों, तो मोबाइल और अन्य माध्यमों से संपर्क बनाए रखें, उन्हें भावनात्मक रूप से मज़बूत करते रहें और अपने सेवा कार्य में भी मन लगाकर लगे रहें।youtube
सैनिक के हृदय की पीड़ा
महाराज जी एक मार्मिक दृश्य का वर्णन करते हैं कि जब कोई आर्मी वाला एक महीने की छुट्टी के बाद वापस ड्यूटी पर लौटता है, तो परिवार में घुल-मिल कर आता है लेकिन जाते समय उसका छोटा बच्चा उंगली पकड़ कर पूछता है, “पापा, कब आओगे?” पिता के लिए यह उत्तर देना सबसे कठिन हो जाता है, क्योंकि उसे स्वयं नहीं पता कि वह लौट पाएगा या नहीं।youtube
यह अनिश्चितता ही सैनिक के जीवन को और अधिक भावुक और त्यागमय बना देती है। फिर भी वे अपने मन को मजबूत करके, आँसू भीतर समेटकर, राष्ट्र के लिए निकल पड़ते हैं।youtube
सैनिकों का सम्मान क्यों ज़रूरी
महाराज जी भारतवासियों से विशेष आग्रह करते हैं कि भारतीय सैनिकों का सम्मान अवश्य करें। उन्हें केवल एक “नौकर” या “सरकारी कर्मचारी” न समझें, क्योंकि वे बहुत बड़ा बलिदान देकर यह नौकरी कर रहे हैं।youtube
व्यापार और अन्य नौकरियाँ केवल आजीविका चलाने के लिए हो सकती हैं, लेकिन सैनिक की नौकरी केवल पैसों के लिए नहीं होती, बल्कि राष्ट्र के लिए सीधे गोली खाने की तैयारी के साथ होती है। इसलिए हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह सैनिकों को आदर, सम्मान और कृतज्ञता की दृष्टि से देखे।youtube
सैनिकों के लिए संदेश
इस पूरे संवाद से सैनिकों के लिए कुछ मुख्य संदेश निकलते हैं।youtube
- राष्ट्र सेवा को अपना सर्वोच्च धर्म मानें और इस पर गर्व करें।
- परिवार की चिंता स्वाभाविक है, पर उस चिंता को भगवान पर भरोसे में परिवर्तित करें।
- छुट्टी में परिवार को भरपूर समय और प्रेम दें, ताकि दूरी के समय वे भावनात्मक रूप से मज़बूत रह सकें।
- मृत्यु का भय मन से निकालकर, अपने त्याग की आध्यात्मिक महिमा को समझें।
- स्वयं को अकेला न समझें; ईश्वर, गुरु और राष्ट्र की कृतज्ञता आपके साथ है।youtube
नागरिकों के लिए संदेश
साथ ही, सामान्य नागरिकों के लिए भी यह सीख मिलती है कि
- सीमा पर खड़े जवानों के कारण ही शहरों और गाँवों में शांति और सुरक्षा है।youtube
- किसी भी सैनिक या उनके परिवार को देखते समय मन में सम्मान और आभार का भाव अवश्य लाना चाहिए।youtube
- सामाजिक स्तर पर भी सैनिक परिवारों की मदद, सम्मान और सहयोग को एक कर्तव्य की तरह निभाना चाहिए।youtube







