क्या भजन और नाम-जप से तंत्र-बाधाओं से मुक्ति मिल सकती है?

महाराज जी का उत्तर, हाँ, भजन और नाम-जप से तंत्र-बाधाओं से मुक्ति पाई जा सकती है। इसके प्रमाण संतों के अनुभव, वेद-शास्त्रों की शिक्षाओं और बहुत से सात्त्विक साधकों की जीवन गाथाओं में मिलता है। प्रस्तुत अंश में पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविन्द शरण जी महाराज ने यह विषय विस्तार से समझाया है कि तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेतादि बाधाएँ भक्तजनों को भगवन्नाम-जप द्वारा आहत नहीं कर सकतीं; बल्कि उल्टा शत्रु के लिए वापस उसी पर असर डालती हैं। इस पूर्ण विश्वासयुक्त विज्ञान को विस्तारपूर्वक समझने हेतु नीचे लेख प्रस्तुत है।youtube​


तंत्र-बाधाएँ : संक्षिप्त परिचय

भारतीय संस्कृति में तंत्र-मंत्र को शक्ति-उपासनाओं का भाग माना जाता है। किन्तु जब इनका उपयोग दूसरों को हानि पहुँचाने या स्वार्थ हेतु किया जाता है, तब इसे ‘तंत्र-बाधा’ कहते हैं। जैसे: मारण, उच्चाटन, वशीकरण, भूमि शुद्धि आदि कर्म। समाज में अनेक लोग अपने पारिवारिक, मानसिक, या व्यावसायिक कष्टों का कारण इन्हीं बाधाओं को मानते हैं और निदान हेतु भिन्न-भिन्न उपायों की तलाश करते हैं।youtube​

तंत्र-बाधाओं के लक्षण

  • अचानक मानसिक बेचैनी, डर, असंतुलन
  • अनावश्यक दुर्भाग्य, अशांति
  • घर में अशौच, धन-हानि
  • बीमारियाँ, जिनका उपचार कठिन हो

अक्सर ऐसे समय में तांत्रिक उपाय सुझाए जाते हैं, किन्तु सन्त, शास्त्र एवं भगवद्भक्ति का मार्ग सर्वश्रेष्ठ समाधान बताता है।


संत-शास्त्रों की दृष्टि में तंत्र-बाधा

पूज्य श्री हित प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति भगवन्नाम-जप और सच्चे भाव से भजन करता है, तो तंत्र-बाधाएँ या भूत-प्रेत आदि शक्तियाँ उसके निकट भी नहीं जा सकतीं। श्रीमहाराज के वचन:youtube​
“भगवन्नाम-जप करता है ना भूत-प्रेत उसके ऊपर चढ़ते हैं ना कोई तंत्र आदि की बाधा उसको पहुँचा सकती है। भगवन्नाम-जप कर रहा हो और मारण का प्रयोग कर दिया जाए तो जो मारण का प्रयोग करेगा उसी के ऊपर मारण लगेगा, नाम-जापक के ऊपर नहीं।”

यह स्पष्ट करता है कि सच्चे भाव से नाम-जप करने वाले के चारों ओर दिव्य सुरक्षा-चक्र निर्मित हो जाता है। इसी विज्ञान को शास्त्रों में ‘नाम-रक्षा’ से संबोधित किया गया है।


नाम-जप: दिव्य रक्षा कवच

श्रीमहाराज जी ने समझाया, “कलिकाल, कष्ट, भय आदि सब हरि नाम से हार जाते हैं। सकल संताप हरस हरि नाम जपत जय जो।”
यह वाणी अनेक शास्त्रों – श्रीमद् भागवत, श्रीरामचरितमानस, गीता – में बार-बार पुनः पुष्टि करती है कि कलियुग में नाम-जप सर्वश्रेष्ठ साधन है:

  • “कलियुग केवल नाम आधार।”
  • “हरि स्मरण सर्व विपद विमोक्षणा।”
  • “शरणागत को हानि पहुंचाने वाले सभी तंत्र स्वतः प्रभावहीन हो जाते हैं।”

नाम-जप केवल पवित्र शब्दों का उच्चारण नहीं है, बल्कि भगवान के प्रति पूर्ण आत्मसमर्पण और विशुद्ध श्रद्धा है। जब मन, वाणी, और कर्म से श्रद्धा पूर्वक जप किया जाता है, तंत्र-बाधा, भूत-प्रेत आदि एकदम दूर हो जाते हैं।


तंत्र-बाधाओं से मुक्ति: भजन और नाम-जप की प्रक्रिया

1. श्रद्धा एवं आस्था

नाम-जप करते समय मन में संपूर्ण विश्वास रखें कि भगवान की शक्ति अनंत है। शंका, संशय या भय आने पर मन कमजोर पड़ता है, और तंत्र-बाधाएँ असर दिखाती हैं।youtube​

2. नियमितता और निष्ठा

हरि-नाम का नियमित जप – चाहे ‘राधा’, ‘राम’, ‘कृष्ण’, ‘शिव’ – जो नाम प्रिय लगे, नित्य करें। विशेषकाल, संकट समय, तथा तंत्र-बाधा का संदेह होने पर जप अधिक बढ़ा दें।

3. मन, वाणी और कर्म की एकता

नाम-जप केवल मुँह से नहीं, मन से भी जुड़े। भगवान के चित्त में ध्यान, प्रेम और समर्पण हो, तभी नाम सुरक्षा-चक्र बनाता है।

4. सच्चे संत-संग का लाभ

सच्चे संत या गुरु के सान्निध्य में नाम-जप करने से शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। संत की कृपा से केवल तंत्र ही नहीं, सभी सांसारिक बाधाओं का निवारण संभव है।


कैसी होती है भगवन्नाम-जप की परिणति?

  • तंत्र-बाधा, भूत-प्रेत आदि दूर रहते हैंyoutube​
  • मानसिक बाधाएँ, डर, अवसाद, चिंता दूर होती है
  • दिव्य ऊर्जा, सकारात्मकता और आत्म-बल मिलता है
  • परिवारिक शांति, आर्थिक समृद्धि, स्वास्थ्य की रक्षा होती है
  • विपत्ति काल में दृढ़ता, समाधान, और विजय प्राप्त होती है

संक्षेप में, नाम-जप व भजन साधक की रक्षा अप्रतिम रूप में करता है। यदि कोई तंत्र-मंत्र करनेवाला नाम-जप के साधक पर प्रयोग करता है, तो उसका असर साधक की बजाय उसे स्वयं पर पड़ता है – “मारण उसी पर लगेगा, नाम-जापक पर नहीं।”


संदेह एवं कठिनाइयाँ: कुछ समाधान

कभी-कभी साधकों के मन में शंका उठती है कि “घर की स्त्री पूजा न कर पाए, तो क्या होगा?” अथवा “यदि किसी दिन नाम-जप छोड़ दिया, तो क्या तंत्र-बाधाएँ आ सकती हैं?”
श्री महाराज जी उत्तर देते हैं:

  • केवल नाम-जप चल रहा हो, तभी पूर्ण सुरक्षा की गारंटी है।
  • यदि मनुष्य कारणवश न कर पाए, तो श्रद्धा से भाव भोग लगा दें, भगवान भाव स्वीकार करते हैं।
  • किसी और से निवेदन करें कि वह सेवा-कार्य कर दे, यदि संभव न हो तो भाव से किए गए जप-भजन भी सुरक्षा देंगे।

नाम-जप का वैज्ञानिक प्रभाव

वर्तमान मनोविज्ञान, ऊर्जा-विज्ञान एवं आध्यात्म में पाया गया है कि नाम-जप या मंत्र-जप से व्यक्ति की मानसिक स्थिति और आसपास की ऊर्जा बदलती है। वैज्ञानिक परीक्षणों में सिद्ध हुआ है कि—

  • नियमित नाम-जप से तनाव, भय, मानसिक रोग दूर होते हैं।
  • आस-पास का वातावरण सकारात्मक बनता है।
  • ‘साइकोकाइनेटिक’ शक्ति धर्मवश व्यक्ति को हानि पहुंचाने वाली ऊर्जा ‘रिफ्लेक्ट’ हो जाती है।
  • परिवार, समाज, कार्यक्षेत्र में स्पंदनों की सकारात्मकता बढ़ती है।

साधकों के अनुभव

देश-विदेश के हजारों साधकों ने अपने जीवन में पाया है—

  • तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत, अनिष्ट-शक्ति, ऊपरी बाधा आदि प्रभाव नाम-जप, भजन, संत-कृपा से स्वतः समाप्त हो जाती है।youtube​
  • जिन घरों में दिव्य नाम-जप नियमित होता है, वहाँ मानसिक, सांसारिक, पारिवारिक शांति रहती है।
  • बड़े-बड़े तांत्रिक साधन भी नाम-जप के आगे निष्फल हो जाते हैं।

शास्त्रीय प्रमाण

  • श्रीमद् भागवत, श्रीरामचरितमानस, श्रीमद्भगवद्गीता में कलियुग में नाम-जप को परम औषधि बताया गया है।youtube​
  • “हरे नाम हरे नाम हरे नामैव केवलं/ कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिः अन्यथा॥”
  • श्रीराधा नाम, श्रीकृष्ण नाम का आवाहन दिव्य शक्ति देता है।

निष्कर्ष : तंत्र-बाधाओं का डर नहीं, श्रद्धा और भजन से विजय

पूरा सत्संग-सार यही है कि यदि कोई भगवन्नाम-जप व भजन में तत्पर है, तो तंत्र-मंत्र, ऊपरी बाधा आदि का भय उसे कभी नहीं सताता। इसके विपरीत, यदि जप-भजन नहीं है, तो केवल अनिष्ट-बाधाओं का भय और संकट बना रहता है – “जहाँ राधा नहीं वहाँ बाधा ही बाधा है।”youtube​

  • श्रद्धा, भक्ति और जीवन को ‘नाममय’ बनाएं।
  • तंत्र-मंत्र, अनिष्ट-शक्ति, ऊपरी बाधा आदि किसी भी रूप में हो – भगवन्नाम-जप से सबका समाधान है।
  • हरि नाम के शरणागत को किसी तंत्र-मंत्र का भय नहीं।
  • भक्ति, संत-संग व सद्गुरु कृपा से जीवन का कल्याण करें।

संक्षिप्त सूत्र

  • “भगवन्नाम-जप सबसे बड़ी सुरक्षा है।”
  • “तंत्र-मंत्र, ऊपरी बाधा, शत्रु की अनिष्ट शक्ति नाम-जप से नष्ट हो जाती है।”
  • “निरंतर नाम-जप, निष्ठा के साथ, श्रद्धा के साथ करें – भय, बाधा, चिंता से मुक्ति पाएं।”
  • “जहाँ भाव है वहाँ भगवान हैं, जहाँ भगवान हैं वहाँ बाधाएँ नहीं।”

यह लेख पूज्य श्री हित प्रेमानंद गोविन्द शरण जी महाराज के परामर्ष, संतों के वचन, और शास्त्रीय प्रमाणों पर आधारित है। आप सतत नाम-जप द्वारा सभी तंत्र-मंत्र बाधाओं से मुक्त रह सकते हैं – यही कलियुग का परम मंत्र है।

  1. https://www.youtube.com/watch?v=9G4Lho8XI9A

Related Posts

अगर अंदर Fail होने का डर है तो अवश्य सुनें !(Special For Aspirants) / Must Listen / Bhajan Marg

महाराज जी की बातें – विस्तृत हिंदी लेख परिचय:यह प्रवचन परम पूज्य वृंदावन रसिक संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज द्वारा दिया गया है, जिसमें परीक्षा का डर,…

Continue reading
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को संन्यास नहीं, युद्ध करने के लिए क्यों प्रेरित किया?

इस लेख में बताया गया है कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन को संन्यास का मार्ग न अपनाने और अपना धर्म निभाते हुए युद्ध करने के लिए क्यों कहा था। प्रेमानंद महाराज…

Continue reading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Missed

होम लोन 5/20/30/40 नियम अपनाएँ : घर कर्ज की टेंशन को दूर करें

होम लोन 5/20/30/40 नियम अपनाएँ : घर कर्ज की टेंशन को दूर करें

अगर अंदर Fail होने का डर है तो अवश्य सुनें !(Special For Aspirants) / Must Listen / Bhajan Marg

अगर अंदर Fail होने का डर है तो अवश्य सुनें !(Special For Aspirants) / Must Listen / Bhajan Marg

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को संन्यास नहीं, युद्ध करने के लिए क्यों प्रेरित किया?

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को संन्यास नहीं, युद्ध करने के लिए क्यों प्रेरित किया?

तेज़ टैक्स रिफंड और आसान ITR सुधार: नए CBDT नियम

तेज़ टैक्स रिफंड और आसान ITR सुधार: नए CBDT नियम

केंद्र सरकार की पांच प्रमुख पेंशन योजनाएं: हर बीपीएल कार्डधारक के लिए विस्तृत गाइड

केंद्र सरकार की पांच प्रमुख पेंशन योजनाएं: हर बीपीएल कार्डधारक के लिए विस्तृत गाइड

इस हफ्ते की सरकारी और प्राइवेट नौकरियां

इस हफ्ते की सरकारी और प्राइवेट नौकरियां