टैक्स बचाने के लिए पत्नी के खाते में पैसा ट्रांसफर करना: क्या है नियम?
भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार, कई लोग टैक्स बचाने के लिए अपने परिवार के खाते में रकम ट्रांसफर करते रहे हैं। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा करना कानूनी है? और यदि ट्रांसफर की गई राशि से कोई आय उत्पन्न होती है, तो उस पर टैक्स किसे देना पड़ेगा – पति या पत्नी? इसी सवाल का विस्तार से जवाब इस लेख में दिया गया है।
ट्रांसफर करने की लीगल स्थिति
आयकर अधिनियम के अनुसार, पति अपनी टैक्स के बाद कमाई हुई राशि को अपनी पत्नी के खाते में ट्रांसफर कर सकते हैं। ऐसा करना पूरी तरह से कानूनी है और इस पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती। अधिनियम की धारा 56(2)(x) के अनुसार, पति/पत्नी को एक-दूसरे से मिला ऐसा धन टैक्स के दायरे में नहीं आता है, यानी ट्रांसफर की गई पोस्ट-टैक्स इनकम स्पाउस को देने पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगता है। ऐसा ट्रांसफर आईटी एक्ट के तहत टैक्स न्यूट्रल है।
क्लबिंग प्रावधान: कब लागू होता है टैक्स?
हालांकि, जब पति पैसे को पत्नी के खाते में ट्रांसफर करता है, तो इस राशि से उत्पन्न होने वाली आय पर टैक्स प्रावधान लागू होते हैं। आयकर अधिनियम की धारा 64(1)(iv) के अनुसार, यदि पति अपनी पत्नी को नगद धन या संपत्ति ट्रांसफर करते हैं – बिना पर्याप्त consideration (मूल्य) के, तो उस धन या संपत्ति से उत्पन्न होने वाली आय को पति की आय में जोड़ दिया जाएगा। इसका मतलब है कि जब पत्नी उस ट्रांसफर की गई रकम से निवेश करती है और उससे आमदनी अर्जित होती है, तो उसकी कुल आय पति के खाते में जोड़ी जाएगी।
उदाहरण:
- यदि श्री कपूर ने अपनी पत्नी को रुपये 8,40,000 बतौर गिफ्ट दिए, और उनकी पत्नी ने उस पैसे को कंपनी की डिबेंचर में निवेश किया, तो डिबेंचर से प्राप्त ब्याज की आय पति की आय में क्लब हो जाएगी।
- इसी प्रकार, यदि श्री सोहम ने अपनी पत्नी को 8,400 डिबेंचर गिफ्ट किए, तो उन डिबेंचर पर मिलने वाला ब्याज भी पति की आय में जोड़ा जाएगा।
क्या पत्नी द्वारा अर्जित आय पर टैक्स देना पड़ेगा?
यदि पति द्वारा ट्रांसफर की गई राशि को पत्नी ने निवेश किया और उससे आमदनी प्राप्त की, तो आयकर अधिनियम के अनुसार वह आय पति के हाथों में टैक्सेबल होगी, न कि पत्नी के हाथों में। यहां तक कि अगर कोई बैंक, ब्रोकरेज या अन्य संस्था पत्नी के PAN कार्ड पर TDS काट लेती है, तब भी पति उस TDS को क्लेम कर सकता है, क्योंकि आय पति की मानी जाती है।
क्या निवेश पर हुए नुकसान भी क्लब होते हैं?
अगर पत्नी द्वारा पति की ट्रांसफर की गई राशि के निवेश में नुकसान होता है, तो वह नुकसान भी पति की आय में जोड़ा जा सकता है। ऐसे नुकसान को पति अपनी कुल आय से सेट ऑफ या आगे carry forward कर सकता है।
संपत्ति ट्रांसफर होने पर क्या नियम हैं?
यदि पति अपनी किसी संपत्ति (जैसे घर, डिबेंचर या शेयर) को पत्नी के नाम पर गिफ्ट करता है, तो उस संपत्ति से होने वाली आय भी पति की ही आय मानी जाएगी और उस पर टैक्स भी पति को देना होगा। इसमें संपत्ति का रूप बदल जाने पर भी नियम बदलते नहीं हैं।
लोन के रूप में राशि ट्रांसफर करने पर
यदि पति पत्नी को स्पष्टीकृत लोन के तौर पर पैसा देता है (यानी वापसी की शर्त के साथ), तो क्लबिंग प्रावधान लागू नहीं होते हैं। इस स्थिति में पत्नी द्वारा निवेश पर अर्जित आय उसकी अपनी आय मानी जाएगी, बशर्ते लोन की शर्तें वास्तविक हों (रीपेमेंट का रिकॉर्ड आदि हो)। यदि ट्रांसफर गिफ्ट के रूप में है, तो क्लबिंग लागू होगी।
खर्च के लिए मिली राशि से निवेश पर टैक्स
यदि पति ने पत्नी को दैनिक या घर खर्च के लिए पैसे दिए और पत्नी ने बचत करके उससे निवेश किया तो उस निवेश की आय क्लब नहीं होती – ऐसा दिल्ली हाई कोर्ट के R. Dalmia v. CIT मामले में स्पष्ट किया गया है। लेकिन यह तभी मान्य होगा जब यह साबित किया जा सके कि राशि मुख्य रूप से व्यक्तिगत या घरेलू खर्च के लिए दी गई थी।
टैक्स-फ्री निवेशों के मामले में
अगर ट्रांसफर किए गए पैसे को पत्नी ने PPF, टैक्स-फ्री बॉन्ड्स, सुकन्या समृद्धि योजना या लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम में लगाया, और उन निवेशों से आय टैक्स फ्री है, तो ऐसे टैक्स-फ्री इनकम पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती – न पति के हाथों में, न पत्नी के हाथों में। क्लबिंग प्रावधान तब लागू होते हैं जब आय टैक्सेबल होती है।
टैक्स बचाने के लिए ग़लत तरीके अपनाने से बचिए
कई बार देखा गया है कि लोग टैक्स की बचत के लिए अपनी पत्नी या टियर-2 परिजन के खाते में पैसा ट्रांसफर कर देते हैं, और उससे हासिल आमदनी या कैपिटल गेन को उनकी आय मानते हैं। मगर आयकर विभाग ने इन तरीकों को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं, और कमीशन या जुर्माना लगाया जा सकता है यदि यह क्लबिंग नियमों का उल्लंघन है। ऐसे मामलों में टैक्स बचत से ज्यादा टैक्स चोरी मानी जाती है।
संक्षेप में निष्कर्ष
- अपनी टैक्स-पेड आमदनी को पत्नी के खाते में ट्रांसफर करना कानूनी है और उसपर कोई टैक्स नहीं बनता।
- यदि ट्रांसफर की गई राशि से पत्नी ने निवेश किया और वह पूंजीगत लाभ/Income उत्पन्न हुई तो उसे पति की आय में जोड़ दिया जाएगा।
- किसी प्रकार का नुकसान हुआ तो उसे भी पति की आय में जोड़ा जाएगा।
- सच्चे लोन ट्रांसफर या व्यक्तिगत खर्च के लिए दी गई राशि की बचत पर निवेश से हुई आय क्लबिंग के दायरे में नहीं आती।
- टैक्स-फ्री योजनाओं में निवेश पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती।
- नियमों और आयकर अधिनियम की धाराओं का सही पालन करें ताकि कोई कानूनी परेशानी न हो।
प्रमुख टैक्स धाराएं
| धारा | विवरण |
|---|---|
| 56(2)(x) | स्पाउस से प्राप्त धन टैक्सेबल नहीं है |
| 64(1)(iv) | पत्नी को ट्रांसफर हुई रकम से उत्पन्न आय पति की आय में जुड़ती है |
| 54/54F | टैक्स-फ्री निवेश से मिलने वाली आय कोई टैक्स देनदारी नहीं है |
सलाह
- प्रत्येक ट्रांसफर का रिकॉर्ड रखें और स्पष्टता बनाए रखें कि राशि किस उद्देश्य से ट्रांसफर की गई है।
- टैक्स के मामले में सलाह लेने हेतु अनुभवी चार्टर्ड अकाउंटेंट से परामर्श करें।
- निवेश के संबंध में पत्नी के नाम से खाते खोलते वक्त क्लबिंग नियमों का ध्यान रखें।






