वैवाहिक विवाद: पत्नी के केस जीतने पर पति ने गंवाई सरकारी नौकरी – जानें इसका सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों पर क्या असर पड़ेगा

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसले में वैवाहिक विवाद के चलते सरकारी कर्मचारी की बर्खास्तगी को सही ठहराया। जानिए, यह फैसला सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की नौकरी और भविष्य पर कैसे असर डालता है।

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6/24/20251 मिनट पढ़ें

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परिचय

भारत में वैवाहिक विवाद केवल पारिवारिक जीवन तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अब इसका असर पेशेवर जीवन पर भी पड़ने लगा है। हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने एक ऐसे मामले में फैसला सुनाया, जिसमें पत्नी द्वारा दायर वैवाहिक विवाद के केस में पति को दोषी पाए जाने के बाद उसकी सरकारी नौकरी छीन ली गई। यह फैसला न सिर्फ सरकारी कर्मचारियों, बल्कि प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी एक चेतावनी है कि निजी जीवन में की गई गलतियां अब नौकरी पर भी भारी पड़ सकती हैं।

मामला क्या था? – घटनाक्रम

  • जनवरी 2013: एक व्यक्ति ने सरकारी अस्पताल में डेंटल असिस्टेंट के तौर पर नौकरी शुरू की।

  • जुलाई 2017: उसकी पत्नी ने उसके खिलाफ वैवाहिक विवाद का केस किया, जिसमें पति को दोषी पाया गया। इसके बाद सरकार ने उसे नौकरी से निकाल दिया।

  • फरवरी 2018: बर्खास्त कर्मचारी ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत कोर्ट में याचिका दायर की। एकल न्यायाधीश ने उसके पक्ष में फैसला दिया।

  • जून 2025: सरकार ने इस फैसले को चुनौती दी और मद्रास हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सरकारी कर्मचारी की बर्खास्तगी को सही ठहराया।

कोर्ट ने क्या कहा?

मद्रास हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि सरकारी कर्मचारी से अपेक्षा की जाती है कि वह न सिर्फ ऑफिस में, बल्कि समाज में भी ईमानदारी, नैतिकता और अच्छा आचरण बनाए रखे। कोर्ट ने तमिलनाडु गवर्नमेंट सर्वेंट्स कंडक्ट रूल्स, 1973 का हवाला देते हुए कहा कि वैवाहिक विवाद में दोषी पाए जाने पर इसे ‘दुराचार’ (misconduct) माना जा सकता है और विभागीय कार्रवाई की जा सकती है।

“एक सरकारी कर्मचारी से उम्मीद की जाती है कि वह ऑफिस के अंदर और बाहर दोनों जगह ईमानदारी, नैतिकता और अच्छा आचरण बनाए रखे।” – मद्रास हाईकोर्ट

सरकारी कर्मचारियों पर असर

  • नौकरी छिनने का खतरा: अगर किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ वैवाहिक विवाद में आपराधिक मामला दर्ज होता है और वह दोषी साबित होता है, तो उसकी नौकरी जा सकती है।

  • अनुशासनात्मक कार्रवाई: विभाग चाहे तो जांच बैठा सकता है और दोष सिद्ध होने पर सस्पेंशन या बर्खास्तगी जैसे कदम उठा सकता है।

  • अन्य राज्यों में भी असर: उत्तर प्रदेश, केरल, राजस्थान जैसे राज्यों में भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां वैवाहिक विवाद के कारण नौकरी गई है1

  • सार्वजनिक छवि: सरकारी कर्मचारी की सामाजिक छवि और प्रतिष्ठा को भी कोर्ट ने महत्वपूर्ण माना है।

प्राइवेट सेक्टर पर असर

  • कॉन्ट्रैक्ट और कंपनी पॉलिसी: प्राइवेट कंपनियों में आमतौर पर ऐसी कोई स्पष्ट नीति नहीं होती जो निजी जीवन के मामलों में दखल दे, लेकिन अगर कोर्ट से दोष सिद्ध होता है, तो कंपनी अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है।

  • रुझान में बदलाव: अब कई प्राइवेट कंपनियां भी कर्मचारियों की छवि और नैतिकता को महत्व देने लगी हैं, खासकर जब मामला सार्वजनिक हो जाए या कोर्ट में दोष सिद्ध हो जाए।

  • कानूनी बाध्यता: हालांकि सरकारी कर्मचारियों की तरह स्पष्ट नियम नहीं हैं, लेकिन ‘गंभीर अपराध’ साबित होने पर नौकरी जाना संभव है।

क्या यह फैसला सभी राज्यों पर लागू है?

यह फैसला फिलहाल तमिलनाडु के सरकारी कर्मचारियों के लिए है, क्योंकि कोर्ट ने तमिलनाडु गवर्नमेंट सर्वेंट्स कंडक्ट रूल्स, 1973 के तहत फैसला दिया है। लेकिन, यह एक मिसाल (precedent) बन सकता है और अन्य राज्य भी इसी तर्ज पर कार्रवाई कर सकते हैं। हालांकि, हर राज्य के सेवा नियम अलग हो सकते हैं, इसलिए अंतिम फैसला राज्य की नीति और कोर्ट के विवेक पर निर्भर करेगा।

कानूनी विशेषज्ञों की राय

  • मामला व्याख्या का: कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला ‘व्याख्या’ (interpretation) पर आधारित है। हर राज्य के सेवा नियम अलग-अलग हैं, लेकिन अगर FIR दर्ज हो जाए और अभियोजन शुरू हो जाए, तो विभागीय कार्रवाई का रास्ता खुल जाता है।

  • चुनौती की संभावना: यह फैसला सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, जिससे अंतिम दिशा-निर्देश मिल सकते हैं।

आम कर्मचारियों के लिए सबक

  • निजी जीवन भी मायने रखता है: अब सिर्फ ऑफिस में अच्छा प्रदर्शन ही काफी नहीं, निजी जीवन में भी आचरण पर ध्यान देना जरूरी है।

  • कानूनी मामलों से बचाव: वैवाहिक या अन्य निजी विवादों को सुलझाने की कोशिश करें, ताकि नौकरी पर आंच न आए।

  • कंपनी की पॉलिसी पढ़ें: प्राइवेट कर्मचारियों को अपनी कंपनी की आचार संहिता और अनुशासन नियमों को समझना चाहिए।

निष्कर्ष

मद्रास हाईकोर्ट का यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के लिए एक चेतावनी है कि निजी जीवन में की गई गलतियां अब नौकरी पर भी भारी पड़ सकती हैं। प्राइवेट सेक्टर में भी यह ट्रेंड बढ़ रहा है। इसलिए, हर कर्मचारी को अपने निजी और पेशेवर जीवन में संतुलन और ईमानदारी बनाए रखनी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी भी तरह की परेशानी से बचा जा सके1

Source:
1 Economic Times Wealth Online – Matrimonial Dispute: Husband loses government job after wife wins case; Know how this impacts employees of private and government companies