“वकील के पेशे में झूठ और सच: श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज का दिव्य मार्गदर्शन”

राधे राधे महाराज जी।प्रश्न: “महाराज जी, इस प्रोफेशन में आधे से ज्यादा झूठ होते हैं। मैं वकील हूँ। अगर हम सिर्फ सत्य की राह पर चले तो इसमें सक्सेस ना के बराबर है। कृपया मार्गदर्शन करें महाराज जी।”महाराज जी का उत्तर:“कई बार ऐसे बड़े-बड़े वकील भी आए जो हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचे।
सक्सेस शब्द का अर्थ क्या होता है, मैं आपसे पूछना चाहता हूँ। आपने सक्सेस शब्द का अर्थ क्या लिया है? आपने किस भावना को सक्सेस माना है?
आप बोल रही हैं कि जो केस मैं लड़ रही हूँ उसमें सफलता नहीं मिलेगी। दूसरा यह कि परिवार का भरण-पोषण नहीं होगा।
दोनों बातें देखनी हैं।
यदि हमारा हृदय कहता है कि ये आदमी अपराधी है और निर्दोष को फसाने के लिए मुझे वकील बनाया और मुझे 5 लाख रुपया देगा, 5 लाख से हम परिवार का पोषण करेंगे, तो ये सक्सेस नहीं है।”

सच्ची सफलता का अर्थ“अपने हाथों से अपने पैर काटने हैं।
अगर आपको पता है कि यह मुकदमा फ्रॉड है, यह आदमी अधर्मी है, और मुझे बहुत पैसा देकर मुकदमा जितवा रहा है और निर्दोष को सजा हो रही है, तो आपने अपने आप को मिटाने की तैयारी कर ली है।
अगर हमसे प्रश्न किया जाता है तो हम जो शास्त्रसम्मत है वही कहेंगे।
अगर आपको लगता है कि धन से ही परिवार का पोषण होता है तो यह भ्रम छोड़ दीजिए।
बहुत से धनी ऐसे हैं जहाँ विध्वंस बचा हुआ है।
ध्यान रखिए, हम हृदय की बात कहते हैं। आप सब हमारे परिवार की तरह हो।
मान लीजिए आपको 500 मिलेगा, 5 लाख नहीं मिलेगा, पर 500 की सब्जी लेकर जाओगे और एक किलो आटा की रोटी बनाओगे, तो चैन से, सुखी रहोगे।
आपकी बुद्धि बढ़िया काम करेगी।
जब शरीर छूटेगा तो आपको अच्छी गति मिलेगी।
अगर यहाँ अधर्माचरण करके बहुत रुपए कमा लिए, तो लौटकर परिवार में पीछे मुड़कर देखना, अशांति ऐसी बढ़ती जाएगी कि रुपया शांति नहीं दे पाएगा।
पश्चाताप होगा कि मैंने गलती की और उसका भोग इसी जन्म में मिल रहा है।”

निर्दोष को फँसाने का पाप
“अगर हम जान रहे हैं कि निर्दोष है और हमारी वाणी के प्रभाव से वह फँस जाएगा, और जिसका हम पक्ष ले रहे हैं वह अपराधी है, तो हम अपराधी हुए।
मेरी प्रार्थना है: कपड़े सस्ते पहनो, रोटी भले दो की जगह एक पाओ, निर्दोष को फँसाने वाली वकालत नहीं होनी चाहिए।
अधर्मी को पक्ष लेकर अपना जीवन नष्ट मत करो।
ऐसी उन्नति कभी न हो।
भगवान से प्रार्थना करो कि धर्म से चलो।
अगर कष्ट भी आए, तो भी धर्म से चलो।
सुदामा जी धर्म से चले, द्वारिका पुरी जैसी सुदामा पुरी मिली।
युधिष्ठिर धर्म से चले, कष्ट भोगे, लेकिन हस्तिनापुर का सम्राट वही बना।
दुर्योधन को नहीं।
शास्त्रों का स्वाध्याय, संतों की कृपा और हृदय की आवाज़ यही कहती है कि अधर्माचरण कभी सुखी नहीं कर सकता।”

निर्दोष को बचाने के लिए झूठ“अगर सत्य आपको समझ में आ गया है कि यह निर्दोष है और मुझे बचाना है, तो आप हजार झूठ बोल दोगे तो भी पाप नहीं लगेगा, क्योंकि निर्दोष को बचाना है।
ऐसे पॉइंट रखो, पता है निर्दोष है, भले पैसे कम मिले, लेकिन मुकदमा निर्दोष का ही लो।
अगर अच्छे आदमी को बचाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़े, बोलो, पाप नहीं लगेगा।
लेकिन बुरे आदमी को बचाने के लिए लाखों भी मिलें, तो उनकी तरफ देखना भी मत।
ऐसा चलोगे तो भगवान का बल मिलेगा, सहयोग मिलेगा।”

धर्म का महत्व और भविष्य“अगर आज समय कमजोर है, धर्म से चलोगे तो कल जोरदार समय आएगा।
आज अधर्म से चल रहे हो, कल हाथ में कुछ नहीं रहेगा।
यह जीवन अंतिम नहीं है, फिर जन्म लेना पड़ेगा।
जो आज करोगे, उसका फल कल मिलेगा।
भगवान जब देते हैं, तो छप्पर फाड़ के देते हैं।
अगर अधर्माचरण करोगे, तो न इधर शांति, न उधर शांति।
ध्यान रखो, धर्म से चलो, भले नमक रोटी खाओ, चैन से सोओगे।
बच्चों को देखकर सुखी रहोगे, उनका स्वास्थ्य ठीक रहेगा, बुद्धि प्रवीण होगी।
गलत आदतें बच्चों में आ जाएंगी, तो वही तुम्हें जलाएंगे।
अंत में परिणाम अच्छा नहीं होगा।
भगवान का आश्रय लेकर जहाँ तक हो, सतमार्ग पर चलो।”1

सारांश

  • वकील के पेशे में झूठ बोलना तभी उचित है जब निर्दोष को बचाना हो।

  • अधर्मी, अपराधी या गलत व्यक्ति को बचाने के लिए झूठ बोलना, पैसा कमाना या सफलता पाना, जीवन में अशांति और पश्चाताप लाता है।

  • सच्ची उन्नति और सुख धर्माचरण में है, भले ही आर्थिक कष्ट हों।

  • भगवान का बल और सहयोग उन्हीं को मिलता है जो धर्म के मार्ग पर चलते हैं।

  • अधर्म से अर्जित धन और सफलता अंततः दुख और विनाश का कारण बनते हैं।

  • जीवन का अंतिम उद्देश्य धर्म और सत्य के मार्ग पर चलना है, जिससे आत्मा और परिवार दोनों सुखी रहते हैं।

निष्कर्ष

श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज का स्पष्ट संदेश है कि वकील के पेशे में झूठ बोलना तभी उचित है जब निर्दोष को बचाना हो। अधर्मी व्यक्ति या अपराधी को बचाने के लिए झूठ बोलना, चाहे जितना भी धन या सफलता मिले, अंततः दुख और अशांति ही देगा। धर्म और सत्य के मार्ग पर चलना ही सच्ची उन्नति और शांति का मार्ग है।

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