घुटने की समस्याएँ से हैं परेशान तो टॉप डॉक्टर की सुने

यह लेख भारत में बढ़ती घुटने की समस्याओं, मुख्यतः ऑस्टियोआर्थराइटिस, एसीएल इंजरी, उचित फुटवियर, स्वास्थ्य के लिए जरूरी एक्सरसाइज, विटामिन सप्लीमेंट्स और नी रिप्लेसमेंट सर्जरी पर केंद्रित है। यू टूबर Food Pharmer द्वारा डॉक्टर मयंक डराल के गहन इंटरव्यू का संक्षिप्त, समग्र, और वैज्ञानिक प्रमाण-आधारित विवरण दिया जा रहा है, जिससे हर आयु वर्ग के लोग जो अभी या भविष्य में घुटनों से जुड़ी किसी समस्या का सामना कर सकते हैं, वे समाधान पा सकें।


भारत में बढ़ती घुटने की समस्याएँ

घुटनों की भूमिका इंसानी शरीर में वैसी ही है जैसी टायर की कार में होती है। घुटना पूरे शरीर का भार सहता है और हमारी मूवमेंट के लिए सबसे जरूरी हिस्सा है। भारत अब ‘नी पेन कैपिटल’ बनता जा रहा है, जहाँ ऑस्टियोआर्थराइटिस और एसीएल जैसी समस्याएँ बेतहाशा बढ़ रही हैं।

  • भारत में 6.2 करोड़ लोग ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित हैं, जो कि लगभग 5% आबादी है।
  • 40 वर्ष से ऊपर की उम्र में आंकड़ा 22% पहुँचा है, वहीं 70+ आयु समूह में 50% लोग इससे प्रभावित हैं।
  • यह संख्या रिपोर्टेड मामलों की है; लगभग इतनी ही अनरपोर्टेड केस वास्तविकता में हैं, यानी हर दूसरे व्यक्ति को घुटने की बीमारी हो सकती है।

कारण

भारत में बढ़ती घुटने की समस्याओं के पीछे कई कारण हैं:

  • खराब पोषण, विटामिन डी की भारी कमी, आधुनिक लाइफस्टाइल, बैठे रहना, और शरीरगत आदतों का बदलना।
  • महिलाएँ पुरुषों की अपेक्षा अधिक प्रभावित होती हैं, खासकर 40 वर्ष के बाद हार्मोनल बदलाव और ऑस्टियोपोरोसिस जैसे कारणों से।

ऑस्टियोआर्थराइटिस: पहचान, लक्षण और ग्रेड्स

ऑस्टियोआर्थराइटिस को ‘जॉइंट माउस’ कहा जाता है— यह धीरे-धीरे जोड़ों के कार्टिलेज को खत्म कर देता है।

लक्षण

  • ​दर्द: रोजाना दर्द, काम करने या रात को सोने से पहले दर्द का अनुभव होना।
  • सूजन: घुटनों में सूजन आना।
  • रेंज ऑफ़ मोशन कम होना: घुटना मोड़ते समय दर्द या टेढ़ापन आना।
  • पैरों की गति की समस्याएँ: चलते वक्त पैरों का गेट बदलना, नॉक नी, आदि।

निदान और प्रारंभिक कदम

अगर उपरोक्त लक्षण हैं, तो जल्द एक्सपर्ट डॉक्टर को दिखाना चाहिए। आमतौर पर लोग डॉक्टर के पास तब जाते हैं जब सब घरेलू उपायों में राहत नहीं मिली हो, जिससे मुश्किलें बढ़ जाती हैं। जल्दी डायग्नोसिस और इलाज से बीमारी की प्रगति रोकी जा सकती है।


ग्रेड्स of Osteoarthritis और उनके समाधान

ऑस्टियोआर्थराइटिस के 4 ग्रेड होते हैं:

  1. ग्रेड 1, 2:
    • कंजर्वेटिव ट्रीटमेंट (दवा, एक्सरसाइज, न्यूट्रिशन, फिजियोथेरेपी)
    • वजन कम करना; रनिंग से बचाव, स्क्वाट/क्रॉस लेग पोजीशन से बचाव
    • सही फुटवियर, लूज कपड़े, ड्राइविंग कम करना
    • जॉइंट न्यूट्रिशन सप्लीमेंट्स, हेल्दी फूड्स और विटामिन, विशेषकर D3 व B12 आवश्यक हैं।
  2. ग्रेड 3, 4:
    • जब घुटनों का जॉइंट स्पेस पूरी तरह खत्म हो जाता है, दवाएँ/एक्सरसाइज काम नही करती, तब नी रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ती है।

ऑस्टियोआर्थराइटिस रिवर्सिबल नहीं है, पर शुरूआती स्टेज में पहचान हो जाए तो दर्द नियंत्रण पूरी तरह संभव है। लाइफस्टाइल, एक्सरसाइज, पोषण पर ध्यान केंद्रित किया जाए तो आगे बढ़ने से रोग रोका जा सकता है।


भारत में नी रिप्लेसमेंट सर्जरी: लागत व प्रचलन

नी रिप्लेसमेंट सर्जरी तेज़ी से लोकप्रिय हो रही है:

  • औसत लागत 1.5 लाख से 7 लाख रूपये प्रति घुटना (अस्पताल, राज्य, इम्प्लांट व तकनीक के अनुसार)।youtube
  • अधिकांश रोगी पहले एक घुटने के साथ आते हैं, सही समय पर इलाज न होने से दोनों घुटने खराब हो सकते हैं।
  • भारत में यह विश्व में सबसे सस्ती है; यहाँ ट्रीटमेंट की लागत पश्चिम की तुलना में 10-50 गुना कम है, और क्वालिटी भी बेहतर है।

लाइफ स्पैन व मिथक

नवीनतम इम्प्लांट्स 25 साल तक चलते हैं, और 95-98% मामलों में सेकंड रिप्लेसमेंट की जरूरत नहीं पड़ती। फिर भी कई लोग पूर्व धारणा और महंगे इलाज के डर से सर्जरी नहीं कराते हैं।


एक्सरसाइज, न्यूट्रिशन और फुटवियर

एक्सरसाइज

  • रोज़ घुटनों की एक्सरसाइज, पैरों का स्ट्रेचिंग, और उचित वर्कआउट आदत जरूरी है।
  • ऑफिस गोइंग लोग छोटी एक्सरसाइज कर सकते हैं, जैसे पैर हवा में रखना, हल्की एक्सटेंशन आदि।
  • बच्चों के लिए भी खेल-कूद-आधारित लाइफस्टाइल बचपन से जरूरी है।

न्यूट्रिशन

  • शुगर से बचना चाहिए; यह नी में सूजन (इन्फ्लेमेशन) बढ़ाता है।
  • ड्राई फ्रूट्स, कंड्रोटिन, ग्लूकोसामाइन, रोज हिप जैसे सप्लीमेंट्स मददगार हैं।
  • विटामिन D3 और B12 की भारी कमी है। सरकार को आयोडीन की तरह विटामिन D और B12 का फोर्टिफिकेशन अभियान शुरू करना चाहिए।

सही फुटवियर कैसे चुनें?

डॉ. डराल के अनुसार अच्छा जूता चुनने की चार बातें:

  • कोई इंक्लिनेशन न हो; फ्लैट हो।
  • आगे से चौड़ा (वाइड टो बॉक्स) हो।
  • ब्रीथेबल हो।
  • फ्लेक्सिबल हो; बहुत टाइट नहीं।

महिलाओं में पतली चप्पलें व हाई हील्स से नी और कमर की समस्या ज्यादा होती है। अधिक cushioned और आरामदेह फुटवियर चुनें।


आज भारत की तैयारी: सार्वजनिक हेल्थ और सामूहिक कार्रवाई

  • आने वाले दशक में 40+ की आबादी बढ़ेगी, सरकार को विटामिन D सप्लीमेंटेशन, जागरूकता, फोर्टिफिकेशन पर जोर देना होगा।
  • हेल्थस्पैन बढ़ाइए; केवल लाइफस्पैन नहीं। यानी 80 साल जिएँ, पर स्वस्थ चलें-फिरें, यही असली समृद्धि है।
  • बच्चों और माता-पिता— दोनों को सक्रिय जीवनशैली अपनाना चाहिए।

ACL इंजरी पर जानकारी

  • एसीएल (Anterior Cruciate Ligament) इंजरी भारत में पश्चिम देशों की तुलना में 15 गुना ज्यादा है।
  • खेल गतिविधियों और हद से ज्यादा एक्टिविटी के कारण यह आम है।
  • सही शुरुआती निर्णय, फिजियोथेरेपी और एक्सपर्ट सपोर्ट से इलाज संभव।
  • हाल ही में क्रिकेटर ऋषभ पंत ने ACL इंजरी से सफल रिकवरी की मिसाल पेश की।

सरकार व समाज के लिए सन्देश

  • देश में नी स्वास्थ्य की चुनौती अगले वर्षों में प्रासंगिक होगी।
  • पेन टॉलरेंस को गर्व करने की संस्कृति बदली जाए; प्रारंभिक निदान और इलाज को अपनाएँ।
  • जागरूकता, सामूहिक अभियान, और हेल्दी लाइफस्टाइल से भारत को हेल्थ कैपिटल बनाया जा सकता है।

निष्कर्ष

घुटने की बीमारियाँ भारत में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट हैं, जिसका इलाज केवल दवा या सर्जरी नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की जागरूकता, सरकार की नीति, पोषण, और हर नागरिक के व्यक्तिगत प्रयास से संभव है। अपने खान-पान, एक्सरसाइज, फुटवियर, विटामिन सप्लीमेंट्स और जरुरत पड़ने पर विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह को अपनाएँ— यही घुटनों की असली सुरक्षा है।


यह लेख ऑस्टियोआर्थराइटिस, एसीएल इंजरी, नी रिप्लेसमेंट, पैरेंट्स और बच्चों के लिए सलाह, उचित एक्सरसाइज, न्यूट्रिशन और जूते के चुनाव संबंधी वैज्ञानिक जानकारी देता है, ताकि हर भारतीय स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सके।

  1. https://www.youtube.com/watch?v=lPP7E6u-h2M

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