यहाँ उस लेख का हिंदी अनुवाद प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसमें विविधीकरण बनाम सोने में निवेश (गोल्ड ETF) और मल्टी-एसेट फंड को लेकर भारतीय बाजार के रुझान, विशेषज्ञों की राय, ताजा आँकड़े, और निवेशकों के लिए सलाह शामिल है।
विविधीकरण का महत्व: गोल्ड ETF या मल्टी एसेट फंड?
भारत में निवेशक अक्सर पारंपरिक सुरक्षित निवेश यानी सोने—खासकर गोल्ड ETF को पसंद करते हैं। लेकिन हाल की एएमएफआई (Association of Mutual Funds in India) की मासिक रपट के अनुसार, अब निवेशक मल्टी एसेट फंड्स की ओर झुक रहे हैं। अक्टूबर माह में मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड्स में 7% की वृद्धि देखी गई, जबकि गोल्ड ETF में इतनी ही प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह बदलाव निवेशकों के मन में केवल अस्थायी पुनर्गठन का संकेत देता है ना कि सोने से पूर्ण मोहभंग का। गोल्ड के दामों में हालिया तेजी और इक्विटी के उच्च मूल्यांकन के चलते निवेशक मुनाफावसूली और डायनामिक एसेट एलोकेशन में रुचि दिखा रहे हैं।
प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक और सीईओ विशाल धवन मानते हैं कि दीर्घकालिक निवेशकों के लिए यह परिदृश्य पोर्टफोलियो का संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता का दोहराव है, बजाय कि प्रवाह देखकर संपत्ति बदलने का।
वित्तीय योजनाकार पल्लव अग्रवाल के मुताबिक, मल्टी-एसेट फंड्स में गोल्ड समेत कई संपत्ति वर्ग होते हैं और एक ही फंड में पेशेवर प्रबंधन के साथ मिल जाते हैं, जिससे निवेश करना अधिक सुविधाजनक हो जाता है। कर लाभ के लिहाज से भी अधिकांश मल्टी-एसेट फंड इक्विटी फंड की तरह टैक्स होते हैं, जिससे वे ज्यादा टैक्स एफिशिएंट माने जाते हैं।
निवेश प्रवाह और प्रदर्शन का तुलनात्मक विश्लेषण
सितंबर की तुलना में अक्टूबर में मल्टी-एसेट फंड्स में इनफ्लो 4,982 करोड़ से बढ़कर 5,344 करोड़ रुपये हो गया, जबकि उसी अवधि में गोल्ड ETF में इनफ्लो 8,363 करोड़ से घटकर 7,743 करोड़ रह गया। त्योहारों के मौसम के चलते निवेशक शारीरिक सोने की खरीदारी की ओर भी रुख करते हैं, जिससे गोल्ड ETF की बिक्री कम होती है।
विशेषज्ञ बताते हैं, बीते 3 वर्षों में गोल्ड ने शानदार प्रदर्शन दिया है। इसके चलते कुछ निवेशक अब मुनाफावसूली की ओर झुक रहे हैं। भारत में बढ़ता कर्ज, इक्विटी के ऊँचे मूल्यांकनऔर भू-राजनीतिक जोखिमों के रहते सोने की मांग बनी रहेगी, लेकिन निकट भविष्य में अत्यधिक मुनाफा मिलना अनिश्चित दिखता है।
मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड क्या हैं?
मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड एक प्रकार के संकर (हाइब्रिड) फंड होते हैं, जिनमें कम-से-कम 10% तीन या अधिक संपत्ति वर्गों में निवेश होता है — आमतौर पर इक्विटी, डेट और गोल्ड। कुछ योजनाएँ अंतर्राष्ट्रीय इक्विटी, इन्विट्स अथवा रीट्स में भी निवेश करती हैं।
- आक्रामक मल्टी-एसेट फंड्स में इक्विटी आवंटन 50-65% हो सकता है।
- रूढ़िवादी योजनाओं में यह 35-50% रह सकता है।
- इक्विटी 65% से अधिक होने पर इक्विटी टैक्सेशन लागू होता है।
गोल्ड और मल्टी-एसेट फंड्स : दीर्घकालिक प्रदर्शन
जैसा कि वैल्यू रिसर्च के आंकड़े बताते हैं, बीते तीन सालों में मल्टी-एसेट फंड्स ने औसतन 16.73% का रिटर्न दिया, वहीँ गोल्ड-आधारित फंड्स/ETF ने 31.84% और सिल्वर-आधारित फंड्स ने 33.37% रिटर्न दिया।
विशेषज्ञ मानते हैं कि सोना मुद्रास्फीति, करेंसी गिरावट और सिस्टमेटिक रिस्क के विरुद्ध बचाव (हैज) की तरह काम करता है। इसे पूरी तरह हटा देना पोर्टफोलियो से विविधीकरण का एक मजबूत स्तंभ खो देना जैसा होगा। मल्टी-एसेट फंड्स निवेशकों को एक ही फंड में सम्पूर्ण डायनामिक री-अलोकेशन का लाभ देते हैं।
किसे क्या करना चाहिए? विशेषज्ञों की राय
- रूढ़िवादी निवेशक: वे चाहें तो गोल्ड और मल्टी-एसेट दोनों में कुछ आवंटन साथ रख सकते हैं, ताकि जोखिम तथा रिटर्न का मिश्रित संतुलन बने रहे।
- उच्च जोखिम वाले निवेशक: वे अपनी गोल्ड अलोकेशन कम कर मल्टी-एसेट फंड्स में अधिक जोखिम लेकर अधिक यील्डिंग एसेट्स (जैसे इक्विटीज़) में निवेश बढ़ा सकते हैं।
पल्लव अग्रवाल के अनुसार, दीर्घकालिक निवेशकों के पोर्टफोलियो में मल्टी-एसेट फंड्स का 25-50% आवंटन उचित हो सकता है — यह आपके जोखिम प्रोफाइल पर निर्भर करता है।
परिसंपत्ति प्रबंधन और ताजे आंकड़े
अक्टूबर 2025 के अंत में मल्टी-एसेट फंड्स के तहत संपत्ति 1.51 लाख करोड़ रुपये है, जबकि गोल्ड ETF के तहत 1.02 लाख करोड़ रुपये है। इस साल अब तक मल्टी-एसेट फंड्स में 34,315 करोड़ रुपये और गोल्ड ETF में 27,572 करोड़ रुपये की कुल आमद रही।
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर 5 दिसंबर के लिए गोल्ड का रेट 1,24,270 रु. प्रति 10 ग्राम पहुंच गया, जो हालिया वैश्विक संकेतों के चलते वोलाटाइल रहा है। अमेरिकी फेड द्वारा रेट कट की उम्मीद, डॉलर में कमजोरी—इन सबका असर कीमत व निवेश प्रवाह पर दिख रहा है।
वर्तमान परिदृश्य: सोना या मल्टी एसेट?
अभिमत में विभिन्नता है, लेकिन समग्र राय यह है कि सोने में सीधा निवेश अब डिफेंसिव रणनीति नहीं रह गया है। गोल्ड की हाल की मजबूत तेजी और बाजार में अनिश्चितता को देखते हुए, गोल्ड को मल्टी-एसेट फंड्स के ज़रिए लेना बेहतर होगा, जहाँ फंड मैनेजर विविध एसेट्स में अपनी मर्जी से आवंटन बदल सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है:
- गोल्ड का प्रदर्शन पूर्व में अच्छा रहा है, लेकिन आगे मुनाफा निश्चित नहीं।
- इक्विटी के वैल्यूएशन ऊँचे हैं, कुछ सेग्मेंट (मिड/स्मॉल कैप) में निवेशक सतर्क हो गए हैं।
- महंगाई घट रही है, लेकिन डेट मार्केट पर टैक्स की मार दिख रही है।
- ऐसी अनिश्चितता में मल्टी-एसेट फंड्स 5-7 साल के नजरिए से लचीलापन और संतुलन देते हैं।
निष्कर्ष: निवेशक क्या करें?
अपनी जोखिम क्षमता, निवेश समय-सीमा और लक्ष्य देखकर ही संपत्ति आवंटित करें।
- गोल्ड आपको मुद्रा, महंगाई और कोविड या भू-राजनीतिक संकट जैसी स्थितियों में सुरक्षा देता है।
- मल्टी-एसेट फंड्स आपको विविधीकरण, पेशेवर प्रबंधन और टैक्स लाभ देते हैं।
- यदि आप पोर्टफोलियो में सीधा गोल्ड रखते हैं, तो उसका हिस्सा थोड़ा रखते हुए शेष विविधीकरण की ओर झुकें।
- एक बेहतर निवेश रणनीति यह हो सकती है कि पोर्टफोलियो का 10-15% गोल्ड में, तथा 25-50% मल्टी-एसेट फंड्स के ज़रिए रखिए — लेकिन यह सलाह आपके व्यक्तिगत जोखिम प्रोफाइल और वित्तीय लक्ष्यों के मुताबिक ही लागू करें।
लीडिंग एक्स्पर्ट्स एवं फाइनेंशियल एडवाइजर्स की आम राय यही है कि प्रवृत्तियों को देखकर नहीं, अपने लक्ष्य और रिस्क प्रोफाइल के अनुसार ही निवेश करें, तभी दीर्घकालिक सम्पत्ति सृजन संभव है।
सूचना:
यह लेख बाजार विशेषज्ञों की राय, एएमएफआई, वैल्यू रिसर्च और आर्थिक टाइम्स के मूल समाचार विश्लेषण पर आधारित है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से अवश्य सलाह लें।economictimes.indiatimes







