इंसान के अंतिम समय में भगवान का नाम कैसे आए? – श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के अमृत वचन
अंतिम समय में भगवान का नाम कैसे लिया जा सकता है? जानें श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के वचनों के अनुसार जीवन भर भजन अभ्यास का महत्व, मन और वाणी पर नियंत्रण, और मृत्यु के समय की सच्चाई।
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प्रश्न-महाराज जी, आपके श्रीमुख से सुना है कि अंतिम समय में प्रभु का नाम लेने से भगवत प्राप्ति हो जाती है। लेकिन देखा गया है कि अंतिम समय में इंसान का न मन पे कोई कंट्रोल रह जाता, न जुबान पे। तो महाराज जी तो वह भगवान का नाम कैसे ले पाएगा?
उत्तर-
जीवन भर प्रपंच किया है तो अंतिम समय में माया रीत हो जाएगा
जब जीवन भर भजन का अभ्यास किया जाता है, तो अंतिम समय अपने आप नाम विस्फुरित होने लगता है।
जब हम जीवन भर भजन नहीं करते, प्रपंच करते हैं, तो वही प्रपंच अंतिम समय आता है।
फाइनल जो होता है, वह हमारे हाथ में नहीं होता है।
अंतिम समय हमारे हाथ में नहीं होता है।
उस समय बेहोशी की स्थिति होती है, बड़ा दुख होता है, मरने के समय बड़ा कष्ट होता है।
तो उस समय अगर हमने जीवन में भजन किया है, तो अंतिम समय भजन स्फुरित हो जाएगा।
और अगर नाटक किया है, तो माया रीत हो जाएगी।
अगर हम भजन किए हैं और हमारी स्थिति यह हो गई कि हम बिल्कुल बेहोश हो गए, मरने का समय, उस समय भगवान उसके हृदय में स्फूर्त हो जाते हैं।
जीवन भर भगवान का आश्रय लिया, अंतिम भगवान संभाल देते हैं
क्योंकि जीवन भर भगवान का आश्रय लिया, भजन किया, तो अंतिम समय उसका बन जाएगा।
जो जीवन भर भजन करता रहा है, जीवन भर अभ्यास किया है, भगवान के आश्रित रहा है, अंतिम भगवान संभाल देते हैं।
भगवान कहते हैं, उस समय मैं उसके हृदय में मंत्र बनकर, नाम बनकर स्फुरित होने लगता हूं।
उस समय अपने आप चलने लगेगा — राधा राधा राधा, कृष्ण कृष्ण कृष्ण।
अब जीवन भर गंदे आचरण किए, प्रपंच किए, तो अंतिम समय कैसे भगवान का नाम याद आ जाएगा?
परम पवित्र भगवान का नाम जीवन में लिया नहीं, तो अंतिम समय कैसे याद आ जाएगा?
इसलिए फिर अंतिम समय नहीं आता, वही फोटो खींचती है।
जैसे अपने खींचो ना, तो जैसी आकृति होगी, वैसे ही तो।
आपको सूअर, प्रेत बनना है तो वही चिन्तन में आएगा
उस समय जैसे आपको, आपका कर्म आपको सूअर बनाना है, तो आपके चिंतन में वही आ जाएगा और आप अगला जन्म सूअर का बनेंगे।
आपको प्रेत बनना है, तो आपके दिमाग में वही आ जाएगा।
अंतिम समय वही चलेगा और वही आपकी दुर्गति हो जाएगी।
भजन करे, मृत्यु सही होगी
आपको भगवान को प्राप्त होना है, तो अंतिम समय भगवान याद आ जाएंगे, भगवान को प्राप्त हो जाएगा।
तो जीवन भर इसीलिए अच्छे आचरण किए जाते हैं, भजन किया जाता है कि हमारी मृत्यु सही हो, हमारी मृत्यु का समय भगवान का स्मरण हो जाए, इसीलिए भजन किया जाता है।
(दूसरे प्रश्नकर्ता):
महाराज, पूर्व में तो बहुत सारा पाप किया मैंने, लेकिन आपके कृपा से बहुत में बदलाव आ गया जी, अब सारा पापाचरण छोड़ दिया हूं जी, बस ना आपकी कृपा से, बस जीवन बदल रहा है।
(महाराज जी):
हां, खूब नाम जप करो, तो पीछे का पाप भी नष्ट हो जाएगा, आगे पाप होने की संभावना नहीं रहेगी।
खूब नाम जप करो, कोई गलत आचरण ना करो, तो पीछे के जितने पाप हैं, वो सब भस्म हो जाएंगे, वो भोगना नहीं पड़ेगा।
नाम जप के प्रभाव से सब नष्ट हो जाएंगे।
महाराज जी के प्रवचन से क्या निकल कर आया, सरल शब्दों में
व्यावहारिक शिक्षा – क्या करें?
जीवनभर भगवान के नाम का अभ्यास करें।
अच्छे आचरण, सत्संग, और साधु-संगति में रहें।
पाप, प्रपंच, और गलत संग से बचें।
प्रतिदिन नाम-जप, कथा, और भक्ति में समय दें।
संतों, वैष्णवों का अपमान या निंदा न करें।
अगर कभी भूल हो जाए, तो क्षमा मांगकर पुनः भजन में लग जाएं।
मूल संदेश
मृत्यु के समय वही प्रकट होता है, जो जीवनभर अभ्यास में रहा। अगर आप चाहते हैं कि अंतिम समय में भगवान का नाम अपने आप स्मरण हो, तो आज से ही अभ्यास शुरू कर दें। भजन, नाम-जप, और शुद्ध आचरण ही अंतिम समय में भगवान के नाम की गारंटी देते हैं। जीवन का अंतिम क्षण आपके हाथ में नहीं, परंतु अभ्यास आपके हाथ में है। आज से ही भगवान का नाम जपना शुरू करें, ताकि अंतिम समय में वही आपके साथ रहे।
निष्कर्ष
श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के वचनों के अनुसार, अंतिम समय में भगवान का नाम स्मरण तभी संभव है, जब जीवनभर उसका अभ्यास किया गया हो। जीवनभर भजन, नाम-जप, और भगवान का आश्रय ही मृत्यु के समय रक्षा करते हैं। इसलिए, आज से ही भगवान का नाम जपें, अच्छे आचरण करें, और भक्ति में जीवन बिताएं – यही अंतिम समय में भगवान की प्राप्ति का सरल और निश्चित मार्ग है1।
संदेश:
"आज से ही भगवान का नाम जपना शुरू करें, ताकि मृत्यु के समय वही नाम आपके साथ हो। यही जीवन का सबसे बड़ा लाभ है।"