मन को कंट्रोल करने वाली दिनचर्या और नियमावली (EN)

हम को 10 बजे सोना है, 4 बजे सुबह उठना है, यह नहीं कि कभी 4 बजे, कभी 5, कभी 7 बजे। रोज 4 बजे उठे, 4 के सवा 4 बजे नहीं होने चाहिए।

हमें उठके थोड़ी देर नाम जप करना है। फिर वाणी जी का गायन करें। थोड़ी देर प्रभू का ध्यान करना है।

फिर हम संसार के कार्य के नियम (कामकाज) करने है। यह काम करते हुए भी भगवान को समर्पित करे।

हमें जो काम मिला है, उनमें धर्मपूर्वक आचरण होना चाहिए। अगर आप अधर्म आचरण (बेइमानी, धोखाधड़ी) करते है तो भले आप जितना नाम जप कर ले, आपका कल्याण नहीं होगा। आप चाहे जितना दान पुण्य कर ले, वो आपका अधर्म का धन आपको सतमार्ग में जाने नहीं देगा।

हमें नियम लेना चााहिए, हम चाहे जिस काम में है, हमें अपने कत्र्तव्य से विमुख नहीं होना चाहिए।

आज देष में दुर्दषा हो रही है, क्योंकि हम सब अपनी जगह पर गलत हो रहे है। हमारा भजन भले कम हो, लेकिन हम धर्म से चले तो हम विजयी हो सकते है, भगवान को खुष कर सकते है। अधर्म का पैसा आपकी दुर्दषा कर देगा।

इसका सबसे बड़ा कारण है कि हमें अध्यात्म और धर्म का पता नहीं है। अधर्मी को भगवान बहुत बड़ा दंड देते है।

नियम कैसे ले

जैसे किसी की दुकान है तो वो फिक्स रेट रखे,

यह नहीं कि ग्राहक को झूठ बोले हम तुम्हारे लिए ही दाम कम कर रहे है।

मिलावटी खाद्य आदि सामग्री ना बेचे। आप खाने की चीजों में मिलावट कर रहे है, सबके हृदय में भगवान बैठे है, वो तुम्हारे जीवन में मिलावट कर देंगे। एक आदमी सिथेंटिक दूध बना रहा है, उसे कहो, अपने बच्चों को पिलाए तो नहीं पिलाएगा। फिर दूसरे को कैसे पिलाने के लिए यह काम करता है।

नकली दवा को असली दवा करके बेचना बड़ा पाप है। लेकिन परमात्मा देख रहा है।

ऐसे हर डिर्पाटमेंट, हर क्षेत्र में हम अगर धर्म और सत्य से चले और भले थोड़ा भी भजन होगा वो आपको उत्तम गति प्रदान करेगा।

पूर्व में था कि हमारा धर्म और चरित्र नहीं जाना चाहिए, भले प्राण चले जाए और सब बर्बाद हो जाए, आज इसकी कोई परवाह नहीं है। इससे ही बुद्धि खराब हो जाती है और जीवन एक पषुवत आचरण वाला हो जाता है। हम अपने घर गाड़ी को देखकर बहुत खुष होते है कि हमारे पास बड़ा वैभव है। लेकिन उस दिन को याद करो जब तुम्हारा आखिरी दिन होगा, ना तुम्हारा फार्म हाउस जाएगा, ना महल जाएगा, ना बैंक बैलेंस जाएगा। फिर तुम्हारे कर्म तुम्हे भुगवाएगा, लेकिन उस समय को कोई याद नहीं करता है।

हमें नियम से जीवन जीना चाहिए। हमें धर्म से जीवन जीना चाहिए और अपने कत्र्तव्य का पालन करना चाहिए।

हम सुख सब चाहते हैं, लेकिन आचरण दुख वाले कर रहे है, इसलिए हमें दुख मिल रहा है। दान देके पुण्य की बात षास्त्रों में धर्मपूर्वक कमाए गए धन से कही गई है। आपके एक एक पल का हिसाब होगा। इसलिए एक एक पल सही से चलो।

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