गृहस्थ को अपने पड़ोसी के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिये ?

प्रश्न – गृहस्थ को अपने पड़ोसी के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिये ?

उत्तर-पड़ोसी को अपने परिवार का ही सदस्य मानना नोजन चाहिये। यह अपना है और यह पराया है-ऐसा भाव तुच्छ बाद हृदयवालोंका होता है। उदार हृदयवालोंके लिये तो सम्पूर्ण पृथ्वी ही अपना कुटुम्ब है*। भगवान के नाते सब हमारे भाई हैं। अतः चदेव खास घरके आदमियोंकी तरह ही पड़ोसीसे बर्ताव करना चाहिये। और घरमें कभी मिठाई या फल आ जायँ और सामने अपने तथा तने पड़ोसीके बालक हों तो मिठाई आदिका वितरण करते हुए पहले करे। पड़ोसीके बालकोंको थोड़ा, ज्यादा और बढ़िया मिठाई आदि दे। ने। उसके बाद बहन-बेटीके बालकोंको अधिक मात्रामें और बढ़िया मिठाई आदि दे। फिर कुटुम्बके तथा ताऊ आदिके बालक हों तो उनको दे। अन्तमें बची हुई मिठाई आदि अपने बालकोंको दे। इसमें कोई शंका करे कि हमारे बालकोंको कम और साधारण चीज मिले तो हम घाटेमें ही रहे ? इसमें घाटा नहीं है। हम पड़ोसी या बहन-बेटीके बालकोंके साथ ऐसा बर्ताव करेंगे तो वे भी हमारे बालकोंके साथ ऐसा ही बर्ताव करेंगे, जिससे माप-तौल बराबर ही आयेगा। खास बात यह है कि ऐसा बर्ताव करने से आपसमें प्रेम बहुत बढ़ जायगा। प्रेमकी जो कीमत है, वो वस्तु-पदार्थोंकी नहीं है।

पड़ोसीकी कोई गाय-भैंस घरपर आ जाय तो पड़ोसीर झगड़ा न करे और उन पशुओंको पीटे भी नहीं, प्रत्युत प्रेमपूर्वक पड़ोसीसे कह दे कि ‘भैया ! तुम्हारी गाय-भैंस हमारे घरपर अ गयी है। वह फिर न आ जाय, इसका खयाल रखना।’ हम ऐस सौम्य बर्ताव करेंगे तो हमारी गाय-भैंस पड़ोसीके यहाँ जानेपा वह भी ऐसा ही बर्ताव करेगा। यदि पड़ोसी क्रूर बर्ताव करे तो भी हमारेको उसपर क्रोध नहीं करना चाहिये, प्रत्युत इस बातकी विशेष सावधानी रखनी चाहिये कि हमारी गाय-भैंस आदिसे पड़ोसीका कोई नुकसान न हो।

हमारे घर कोई उत्सव हो, विवाह आदि हो और उसमे बढ़िया-बढ़िया मिष्ठान्न आदि बने तो उसको पड़ोसीके बालकोंको भी देना चाहिये; क्योंकि पड़ोसी होनेसे वे हमारे कुटुम्बी ही हैं। इससे भी अधिक प्रेमका बर्ताव करना हो तो जैसे अपनी बहन-बेटीके विवाहमें देते हैं, ऐसे ही पड़ोसीकी बहन-बेटीके विवाहमें भी देना चाहिये; जैसे अपने दामादके साथ बर्ताव करते हैं, ऐसे ही पड़ोसीके दामादके साथ भी बर्ताव करना चाहिये

यह लेख गीता प्रेस की मशहूर पुस्तक “गृहस्थ कैसे रहे ?” से लिया गया है. पुस्तक में विचार स्वामी रामसुख जी के है. एक गृहस्थ के लिए यह पुस्तक बहुत मददगार है, गीता प्रेस की वेबसाइट से यह पुस्तक ली जा सकती है. अमेजन और फ्लिप्कार्ट ऑनलाइन साईट पर भी चेक कर सकते है.

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