
विदेश में फंसे कई भारतीय h1b होल्डर के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का वीजा फीस $100000 करने को लेकर रोना गाना मचा हुआ है। लेकिन क्या यह सच नहीं है कि विदेश में पढ़ाई करने के बहाने वहां हमारे युवा जाते हैं और फिर उसके बाद कुछ समय नौकरी करने का बहाना बना वही बस जाते हैं।
माता-पिता को छोड़ देना क्या अच्छी बात है।
विदेश में पढ़ाई करना अच्छी बात है दुनिया का एक्सपोजर लेना अच्छी बात है लेकिन पढ़ाई करके वहां पर जाना और अपने माता-पिता को छोड़ देना क्या अच्छी बात है। माता-पिता ने अपने बच्चों को ज्यादा कमाने के लिए विदेश में पढ़ाई करवाई और फिर बच्चों ने उन माता-पिता को ही छोड़ दिया, कितने शर्म की बात है और अब जब Donald Trump ने $100000 की फीस ठोकी तो भारत को छोड़ने वाले यह लोग ही शोर मचा रहे हैं। यह वही लोग हैं जो भारत में तमाम कमियां निकालकर विदेश में रहने का तर्क देते हैं।
माता-पिता ने अपना पेट काटकर इन्हें भेजा विदेश
ऐसा भी नहीं है कि भारत में रहकर पैसा नहीं कमाया जा सकते, यहां भी संभावनाएं है लेकिन विदेश की चमक दमक और वहां की जिंदगी को अपनाने के चक्कर में यह युवा विदेश जाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। उनके माता-पिता ने अपना पेट काटकर इनको विदेश भेजा, भारी भरकम एजुकेशन लोन लिया और इन बच्चों ने अपने माता-पिता को हमेशा के लिए छोड़ दिया।
अपने बच्चों को संभालने के लिए विदेश बुलाते हैं
हां, यह बात जरूर देखने को आई है कि जब यह युवा विदेश में शादी करके वहां बच्चे पैदा कर लेते हैं और जब उनकी पत्नी भी नौकरी करती हैं और घर में बच्चा अकेले रहने की स्थिति है तो यह अपने मां-बाप को पहली विदेश यात्रा करवाते हैं और उनको अपने बच्चे संभालने के लिए मेड की तरह घर पर रख लेते हैं, हालांकि यह भी देखने को आया है कि जब उनके बच्चे कुछ बड़े हो जाते हैं तो यह वापस अपने मां-बाप को भारत भेज देते हैं। यह वही युवा है जो अपने मां-बाप को भारत में बड़े-बड़े फाइव स्टार वृद्ध आश्रम में डाल देते हैं और खुद विदेश में रहते हैं।
ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने का फैसला भले बहुत कड़वा हो लेकिन भारत और अपने मां-बाप को छोड़ने वाले युवाओं को सबक सिखाने वाला है। अभी भी वक्त है कि वह अपनी की गई गलती को सुधारे और भारत वापस आ जाएं अपने मां-बाप का ख्याल रखें और पैसे के पीछे ना भाग कर भगवान ने जो उन्हें मनुष्य का शरीर देकर कर्तव्य दिया है, उसको निभाएं वरना इस लोक में तो क्या परलोक में भी उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलेगी। तेजी से हो रहे बदलाव देखकर लगता है कि वह दिन भी दूर नहीं जब विदेशों में रह रहे भारतीयों को वहां के लोग जबरन उनका देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दें या फिर मार पीठ करके भगा दे.
कोरोना के समय दिखता बुजुर्गों का असली दर्द
कोरोना के समय तो बूढ़े मां-बाप का बहुत खराब हश्र हुआ था ऐसे कई वीडियो सामने आए थे जहां बड़ी-बड़ी कोठियों में बूढ़े लोग कैदी की तरह रहे थे, वह भी अकेले।
एक मुझे वीडियो याद आता है जिसमें कुछ पुलिस वाले दिन में, कुछ महिला पुलिस कर्मी भी मौजूद थी, एक व्यक्ति की कोठी के गेट पर वृद्ध व्यक्ति को बुलाते हैं। व्यक्ति पुलिस को देखकर डर जाता है और सोचता है कि यह कहीं मुझे करोना के चलते अस्पताल या किसी क्वारंटाइन में तो नहीं ले जाना चाहते। वृद्ध व्यक्ति अंदर से ही बोलते आता है कि मैं बिल्कुल सही हूं और यहां रह रहा हूं लेकिन जैसे ही वह गेट पर आता है तो पुलिस कर्मी के हाथ में बर्थडे केक देता है और सभी पुरुष और महिला पुलिस कर्मी हैप्पी बर्थडे अंकल हैप्पी बर्थडे अंकल को कहते हैं. वृद्ध अपने आंसू छुपा नहीं पाता और फुट-फुट के रोने लगता है. यह सच है यह वही वृद्ध माता-पिता है जिनको उनके बच्चे छोड़कर विदेश पढ़ाई करने गए थे और फिर वहां कुछ समय काम करने की बात कह कर हमेशा के लिए वही बस गए. अब जब भी उनके माता-पिता उनको वापस लौट के लिए कहते हैं तो वह कहते हैं कि भारत में रखा क्या है, वहां कोई अच्छी नौकरी नहीं है, वहां भले फेरारी ले लो लेकिन ढंग की सड़क तक नहीं है, वहां इतना पॉल्यूशन है, वहां इतना करप्शन है, वहां के लोग बदतमीज हैं और तमाम बातें। तो खैर दोस्तों लिखने के लिए तो बहुत कुछ है लेकिन असली मकसद तो जब पूरा होगा जब यह लोग ट्रंप के इस फैसले के बाद अपनी बुद्धि को ठीक जगह लगाएंगे और प्रभु का आशीर्वाद लेकर अध्यात्म को अपनाएंगे और अपने माता-पिता को वापस आकर फिर गले लगाएंगे और यही रहने की कसम खाएंगे। राधे-राधे।