ग्रीन पटाखे मार्किट में मिल भी रहे है? रियलिटी चेक

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में दिवाली पर ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति दी है, लेकिन यह अनुमति सख्त शर्तों के तहत है—पटाखों की बिक्री सिर्फ तय दुकानों पर और सीमित समय में ही होगी, केवल CSIR-NEERI द्वारा प्रमाणित ग्रीन क्रैकर्स ही चलेंगे, और हर क्रैकर पर QR कोड होना जरूरी है, ताकि नकली सामान की पहचान की जा सके। ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों के मुकाबले कम प्रदूषण फैलाते हैं, लेकिन बाजार में मिल रहे ग्रीन पटाखों की वास्तविकता पर कई सवाल उठते हैं—अक्सर ग्रीन पटाखे के नाम पर सामान्य पटाखे भी बिकते हैं, इसलिए पहचान और प्रमाणन (QR कोड) होना जरूरी है।​

ग्रीन पटाखा क्या है?

ग्रीन पटाखे वे पटाखे हैं, जिनमें पारंपरिक पटाखों के मुकाबले कम हानिकारक केमिकल्स होते हैं, जिससे वायु में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा कम फैलती है। इनमें बारीयम नाइट्रेट, पोटैशियम क्लोरेट और पोटैशियम परमैंगनेट जैसी चीजों का इस्तेमाल बेहद कम या नहीं किया जाता। ग्रीन पटाखों में नाइट्रोजन आधारित ऑक्सिडाइजर, कम धुंआ छोड़ने वाले बाइंडर और अन्य ऐडिटिव्स (जैसे—Zeolite, Iron Oxide आदि) का इस्तेमाल होता है, जिससे हानिकारक तत्व काफी कम हो जाते हैं और शोर भी नियंत्रित रहता है (125 dB से कम)।​

ग्रीन क्रैकर की पहचान

  •  सिर्फ CSIR-NEERI द्वारा प्रमाणित पटाखे ही असल ग्रीन पटाखे हैं।​
  •  इन पटाखों पर QR कोड चिपका होता है, जिससे ग्राहक इसे स्कैन करके प्रमाणित कर सकते हैं।​
  •  सुनिश्चित करें कि पैकेजिंग पर “Green Cracker” और CSIR-NEERI/QR कोड स्पष्ट हों—इसके बिना बाजार में मिल रहे पटाखों को असली नहीं माना जाएगा।​
  •  ब्लैक मार्केट या साधारण दुकानों पर बिना QR कोड वाले या बिना लाइसेंस पटाखे न खरीदें; कई बार ऐसे पटाखों के नाम पर नकली सामान बिकता रहा है।​

बाजार में उपलब्धता

  •  बाजार में ग्रीन पटाखे की उपलब्धता बढ़ रही है, लेकिन नकली/असत्यापित पटाखे के नाम पर सामान्य पटाखे भी बिकते हैं—इसलिए सत्यापन जरूरी है।​
  •  Delhi-NCR क्षेत्र में केवल अधिकृत दुकानों पर, निर्धारित तारीखों (18-21 अक्टूबर) के बीच, और NEERI लाइसेंस लिए व्यापारियों द्वारा ही ग्रीन पटाखे बेचे जाएंगे।​
  •  अन्य बाजारों में भी प्रमाणित “Green Cracker” के लिए खरीदारी करते समय QR कोड अवश्य जांचें।​
  •  पिछले वर्षों में पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध के बावजूद बाजार में ब्लैक मार्केटिंग होती रही, अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बाजार में ग्रीन पटाखा के बिक्री की व्यवस्था है।​

ग्रीन पटाखा कैसे बनता है?

  •  गूढ़ रूप से, ग्रीन पटाखों में पारंपरिक पटाखों के केमिकल्स (जैसे—बैरियम नाइट्रेट, पोटैशियम क्लोरेट) की जगह कम हानिकारक या धूल/गैस को पकड़ने वाले पदार्थ (जैसे—Zeolite, Iron Oxide) मिलाए जाते हैं।​
  •  CSIR-NEERI ने “Safe Water Releaser (SWR), Safe Thermite Cracker (STC), Safe Minimal Aluminium (SMA)” जैसे फॉर्मूले तैयार किए हैं—इनमें जलवाष्प, या नाइट्रोजन आधारित ऑक्सिडाइजर का उपयोग होता है, जिससे सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे प्रदूषणकारी तत्वों में भारी कमी आती है।​
  •  सिवकासी (तमिलनाडु) के लाइसेंसधारी उद्योगों में, CSIR-NEERI के तकनीकी निर्देश के अनुसार ही इनका उत्पादन होता है; हर बैच का सैंपल परीक्षण और QR कोड चिपकाया जाता है, जिससे काउंटरफिटिंग रोकी जा सके।​
  •  पटाखों का साइज भी छोटा और केमिकल्स की मात्रा सीमित रखी जाती है—इससे पैकेट खुलने पर सीधे वातावरण में धुआं-गैस नहीं फैलती।​

ग्रीन पटाखा के प्रकार

  •  SWR (Safe Water Releaser): जलवाष्प अधिक उत्सर्जित करता है, जिससे सूक्ष्म धूल या गैस की मात्रा कम हो जाती है।​
  •  STC (Safe Thermite Cracker): बिना बारीयम, क्लोरेट या अन्य हानिकारक तत्वों के आवाज और रोशनी देता है।​
  •  SMA (Safe Minimal Aluminium): एल्युमिनियम की कम मात्रा में प्रयोग से शोर, धुंआ कम होता है, विशेष बाइंडिंग ऐडिटिव कारण।​

ग्रीन पटाखा के फायदे और सीमाएँ

  •  ग्रीन पटाखे आम पटाखों की तुलना में 30-60% कम प्रदूषण फैलाते हैं।​
  •  यही पटाखे थोड़ी अधिक महंगे होते हैं, क्योंकि निर्माण लागत ज्यादा और प्रमाणन जरूरी है।​
  •  प्रदूषण से संपूर्ण मुक्ति नहीं—ग्रीन पटाखे भी धुंआ एवं गैस छोड़ते हैं, परंतु आम पटाखों से काफी कम।​
  •  पता लगा पाना मुश्किल है कि बाजार में जो “ग्रीन” पंजा लगा पटाखा है, वास्तव में ग्रीन पटाखा है या नहीं—QR कोड, पैकेजिंग और लाइसेंस की जांच ग्राहक खुद करें।​

समाज में चर्चा और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भूमिका

  •  दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती थी; पटाखों की वजह से प्रदूषण के बड़े स्तर पर सवाल उठते रहे।​
  •  सुप्रीम कोर्ट ने संतुलन की नीति अपनाई—पारंपरिक पटाखों के बजाय ग्रीन पटाखों पर छूट देकर उत्सव एवं पर्यावरण दोनों को महत्त्व दिया।​
  •  पर्यावरण कार्यकर्ता मानते हैं कि यह शुरुआत है—अभी भी नियंत्रण और निगरानी सख्त होगी तो सुधार दिखेगा।​

निष्कर्ष

दीवाली के पवित्र अवसर पर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल की अनुमति दी है—सिर्फ प्रमाणित, QR कोड वाले पटाखे ही बाजार में बिकेंगे; इससे पारंपरिक पटाखों के मुकाबले पर्यावरण को कम नुकसान होता है, लेकिन उन्हें भी जिम्मेदारी से ही इस्तेमाल करें। ग्रीन पटाखों का निर्माण विशेष रसायनों और सूत्रों के आधार पर होता है, जिससे प्रदूषण और शोर काफी कम रहता है। बाजार में उनकी पहचान के लिए QR कोड, प्रमाणन और लाइसेंस का ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि हर साल नकली/गैर-प्रमाणित पटाखों की शिकायतें मिलती हैं। वैज्ञानिक तौर पर यह पटाखे कदम-कदम पर प्रमाणित होते हैं और सरकार-विज्ञान संस्थान दोनों ही सतर्क व्यवस्था बनाए हुए हैं, लेकिन आम जनता के सजग रहने पर ही यह व्यवस्था सफल हो पाएगी।

​उपलब्धता की मौजूदा स्थिति

  •  सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, 18 से 21 अक्टूबर के बीच ही ग्रीन पटाखों की बिक्री अधिकृत दुकानों/ठिकानों पर ही स्वीकार्य होगी, और इन दुकानों की सूची जिला प्रशासन तथा पुलिस के परामर्श से तय की गई है।​
  •  हर व्यापारी को NEERI के लाइसेंस एवं QR कोड वाले ग्रीन क्रैकर ही बेचने की अनुमति है, जिससे नकली या गैर-प्रमाणित पटाखों की बिक्री पर रोक लगे।​
  •  सिवकासी पटाखा उद्योग के व्यापारियों ने पर्याप्त सप्लाई की बात कही है, लेकिन ग्राउंड लेवल पर स्थानीय दुकानदारों तथा खरीदारों को ग्रीन क्रैकर्स की उपलब्धता सीमित मिल रही है—चूंकि केवल लाइसेंस वाले व्यापारी और निर्धारित दुकानें ही सामान बेच सकती हैं, जिससे ब्लैक मार्केट या आम दुकानों में मिलना मुश्किल बना है।​
  •  मुख्य मार्केट्स (जैसे—सरोजिनी नगर, सदर बाजार) में traders नियमों का पालन करने की बात कर रहे हैं, लेकिन RWA और पर्यावरण कार्यकर्ताओं को डर है कि इतनी कम और नियंत्रित बिक्री से जरूरतमंद लोगों को सही ग्रीन पटाखे समय पर नहीं मिल पाएंगे।​

मुख्य चुनौतियाँ

  •  अधिकांश दुकानदार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बिक्री शुरू करने के लिए लाइसेंस और स्थान निर्धारित होने का इंतजार कर रहे हैं, जिससे आम नागरिक को खरीदने में असुविधा हो सकती है।​
  •  सख्त जांच-पड़ताल और QR कोड वाली रोक से हर दुकानदार और ग्राहक को सही असली ग्रीन पटाखा ढूंढना चुनौतीपूर्ण है।​
  •  कई इलाकों में एनसीआर के बाहर बने या बिना प्रमाणित पटाखे अभी भी चोरी-छिपे बिक रहे हैं, जिससे ग्रीन पटाखों की वास्तविक उपलब्धता प्रभावित हो रही है।​

निष्कर्ष

इस दिवाली दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रमाणित ग्रीन पटाखों की बहुत सीमित और नियंत्रित उपलब्धता है। प्रशासनिक पाबंदियों और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण केवल नामित दुकानों पर ही असली, QR कोड वाले ग्रीन पटाखे मिल रहे हैं, जिससे बाजार में आम जनता की मांग के अनुसार पर्याप्त मात्रा में मिलना कठिन हो रहा है। इसलिए जिन नागरिकों को ग्रीन पटाखे खरीदना है, उन्हें लिस्टेड दुकानों, समय और प्रमाणन की जांच अवश्य करनी चाहिए।​

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