
अभी दोपहर के 3:00 बज रहे हैं और पेट टाइट हो रहा है क्यों।
क्योंकि ससुराल से ससुर जी, साले साहब, उनकी पत्नी और साली साहिबा घर आई थी। तो उनके स्वागत में ढोकला, नारियल की बर्फी, पेड़ा, बिस्कुट, चाकलेट, इडली सांभर आदि परोसा गया। तो आम तौर पर परहेज का नाटक करने में माहिर, मैं अपने मन, जीभ और हाथ पर काबू नहीं रख सका और कई बार ऊपर लिखी चीजों को बार-बार उठाता गया।
खाने के कुछ देर बाद ही मुझे महसूस होने लगा कि लिमिट एग्जास्ट हो चुकी है। लेकिन क्या करता दोपहर का 2:00 बजे होते-होते खाने का टाइम आ गया और खाना स्किप करना बहुत मुश्किल है क्योंकि खाना बन चुका था और उसको स्किप करना मैडम और माताजी के थोड़ी-थोड़ी देर में बातें सुनने का बिल्कुल मन नहीं था। खाना बच जाता है तो माताजी और श्रीमती जी को बहुत टेंशन होती हैं।
इसलिए भोजन प्रसादी बिल्कुल ली। वैसे भी भगवान को लगाया गया भोग प्रसादी को ग्रहण करना परम कर्तव्य होता है।
आपको संदेश यही देना चाहता हूं कि पेट बहुत टाइट है इसलिए दोस्तों मैं जानता हूं कि जीभ, हाथ, मन कुछ काबू नहीं रहता पर अगर कुछ देर स्किप कर सकते हो तो कर लो और पूरे दिन स्किप कर सकते हो (वैसे तो बिल्कुल संभव नहीं है) तो कर लो, बहुत अच्छा रहेगा। मैं कोशिश तो कर रहा हूं लेकिन गारंटी तो मैं भी नहीं देता कि मैं ऐसा कर पाऊंग, पर चलो देखते हैं।