महाराज जी से मिलने के बाद श्री धीरेन्द्र शास्त्री जी ने क्या बोला

नीचे दिए गए वीडियो ट्रांसक्रिप्ट के आधार पर एक हिंदी लेख शब्दशः, बिंदुवार बनाया गया है:youtube​

प्रेमानंद महाराज जी की सेहत और बिंदुवार बातचीत

  • महाराज जी के परिकर मुझे काशी में मिलने आये थे और उन्होंने मुझसे वार्तालाप की।
  • बाबा की भी व्यस्तता रहती है और मेरी भी व्यस्तता काफी है।
  • मैंने प्रेमानंद जी महाराज जी से मुलाकात की और उनसे उनके स्वास्थ्य के बारे में बात की।
  • लोगों में तबियत को लेकर अफवाहें हैं, लेकिन उनकी सेहत सामान्य और अनुकूल है।
  • महापुरुषों की लीलाएँ अलौकिक होती हैं, अफवाहों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।
  • हम पद यात्रा का पत्र देने गए, उन्होंने साहस से स्वीकार किया और बहुत प्यार व स्नेह दिया।
  • बहुत सारी अफवाहें फैलाई जा रही थीं, लेकिन महापुरुषों की लीलाएँ अपरंपार होती हैं।
  • आज मैं पद यात्रा का आमंत्रण देने गया था।
  • श्री धीरेन्द्र शास्त्री जी से पूछा गया कि क्या वे सभी हिंदुओं को जोड़ सकते हैं, जबकि देश में कई शंकराचार्य एवं धर्मगुरु हैं।
  • उन्होंने उत्तर दिया कि संतों की कृपा से ही यह संभव हो पा रहा है, देश के शंकराचार्य और महापुरुषों का आशीर्वाद मिल रहा है।
  • हम महापुरुषों के पदचिन्हों पर चल रहे हैं; वे हमारे साथ और हमारे आगे चल रहे हैं।
  • जगद्गुरु रामानंदाचार्य भगवान ने 14वीं शताब्दी में कहा था – हरि को भजे सो हरि को होई। जातिपात पूछे नहीं कोई।
  • आदि जगतगुरु शंकराचार्य ने एकता और एकत्व का स्वरूप प्रतिपादित किया।​
  • सभी संतों का आशीर्वाद मिल रहा है; ब्रज, अयोध्या और देश के प्रतिष्ठित संतों की कृपा हमारे साथ है।
  • धर्म, मजहब, संस्कृतियाँ, जातियाँ – इनके नाम पर लोग लड़ रहे हैं, इससे देश की ऊर्जा नष्ट हो रही है।
  • देश के गर्त में जाने का कारण जाति, धर्म, क्षेत्रवाद, भाषावाद की लड़ाइयाँ हैं।
  • एक समाधान सुझाया गया – सभी अपनी ऊर्जा को इन चीजों से ऊपर उठाकर राष्ट्रवाद के लिए समर्पित करें, यही हमारी पद यात्रा का उद्देश्य है।​
  1. https://www.youtube.com/watch?v=XYQ0JQg6MvA

Related Posts

Office में लोग बहुत परेशान करते हैं अब सहन नहीं होता क्या करूँ ?

प्रस्तावना: आधुनिक ऑफिस जीवन और आंतरिक संघर्ष आज के दौर में सरकारी या निजी दफ्तरों में काम करने वाला व्यक्ति सिर्फ फाइलों और प्रोजेक्ट्स से नहीं जूझ रहा, बल्कि रिश्तों,…

Continue reading
क्या नौकरी करना ज़रूरी है या इसका कोई आध्यात्मिक महत्व भी है?

नौकरी करना सिर्फ़ “रोटी कमाने” की मजबूरी नहीं, बल्कि सही भाव से की जाए तो बहुत गहरा आध्यात्मिक साधन और भगवान की सेवा बन सकती है।​ प्रश्न की भूमिका: नौकरी…

Continue reading

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Missed

वित्तीय योजना से रिटायरमेंट और बच्चों की पढ़ाई कैसे सुरक्षित करें

वित्तीय योजना से रिटायरमेंट और बच्चों की पढ़ाई कैसे सुरक्षित करें

दिव्यांगजनों के लिए निवेश रणनीति

दिव्यांगजनों के लिए निवेश रणनीति

बेलगाम बैटरी रिक्शा: बढ़ती अव्यवस्था और खतरा

बेलगाम बैटरी रिक्शा: बढ़ती अव्यवस्था और खतरा

भारत में लोग वित्तीय साक्षरता पर खुलकर बात क्यों नहीं करते?

भारत में लोग वित्तीय साक्षरता पर खुलकर बात क्यों नहीं करते?

शहर से दूर फ़ार्म हाउस में शादी का बढ़ता क्रेज – खर्च, वजहें और दिल्ली के मशहूर इलाक़े

शहर से दूर फ़ार्म हाउस में शादी का बढ़ता क्रेज – खर्च, वजहें और दिल्ली के मशहूर इलाक़े

ऋषिकेश का पवित्र नीलकंठ महादेव मंदिर यात्रा मार्गदर्शिका और संपूर्ण जानकारी

ऋषिकेश का पवित्र नीलकंठ महादेव मंदिर यात्रा मार्गदर्शिका और संपूर्ण जानकारी