दिल्ली–देहरादून (दिल्ली–सहारनपुर–देहरादून) एक्सप्रेसवे का ट्रायल रन शुरू हो चुका है और गीता कॉलोनी से ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे तक एलिवेटेड रोड आम लोगों के लिए सीमित अवधि के लिए बिना टोल के खोल दी गई है। यह कदम खास तौर पर पूर्वी व उत्तर-पूर्वी दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लाखों यात्रियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो रोजाना भारी जाम का सामना करते रहे हैं।
परियोजना का परिचय
दिल्ली–सहारनपुर–देहरादून एक्सप्रेसवे राष्ट्रीय राजमार्ग 709B पर विकसित की जा रही लगभग 210–213 किलोमीटर लंबी ऐक्सेस नियंत्रित हाईस्पीड कॉरिडोर परियोजना है। यह एक्सप्रेसवे दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तीन राज्यों को जोड़ते हुए उत्तर भारत के सबसे महत्वपूर्ण हाईवे प्रोजेक्ट्स में गिना जा रहा है।
इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत करीब 11,800–11,900 करोड़ रुपये के आसपास है और इसे मल्टी–फेज़ में विकसित किया जा रहा है। इसके बन जाने के बाद दिल्ली से देहरादून की यात्रा, जो आम तौर पर 6 से 6.5 घंटे लेती थी, घटकर लगभग 2–2.5 घंटे रह जाने का अनुमान है।
रूट और मुख्य सेक्शन
यह एक्सप्रेसवे दिल्ली के अक्षरधाम से शुरू होकर बागपत, बरौत, शामली और सहारनपुर से होते हुए देहरादून तक पहुंचता है। रास्ते में यह खेकड़ा के पास ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से इंटरसेक्ट करता है, जिससे पश्चिमी यूपी और एनसीआर के अन्य हिस्सों तक कनेक्टिविटी और बेहतर हो जाती है।
पहले फेज़ में अक्षरधाम से ईस्टर्न पेरिफेरल जंक्शन तक लगभग 32 किलोमीटर लंबा सेक्शन तैयार किया गया है, जिसमें गीता कॉलोनी से खजूरी खास तक लगभग 6–6.5 किलोमीटर का एरियल/एलिवेटेड कॉरिडोर शामिल है। यूपी हिस्से में भी करीब 11 किलोमीटर की ऊँची सड़क और ग्रेड–सेपरेटेड इंटरचेंज बनाए गए हैं ताकि स्थानीय ट्रैफिक से टकराव कम हो।
ट्रायल रन की शुरुआत
हाल में शुरू हुआ ट्रायल रन मुख्य रूप से दिल्ली–बागपत सेक्शन, यानी अक्षरधाम/गीता कॉलोनी से ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे जंक्शन तक के हिस्से पर चल रहा है। इस दौरान बैरिकेडिंग हटा दी गई है और आम वाहन इस नए सेक्शन पर चलना शुरू कर चुके हैं, हालांकि इसे अभी ‘ट्रायल’ के रूप में ही माना जा रहा है ताकि सुरक्षा, सिग्नेज, एग्जिट और अन्य सुविधाओं की वास्तविक परिस्थितियों में जांच की जा सके।
रिपोर्ट्स के अनुसार, ट्रायल अवधि में यात्रियों से इस सेक्शन पर टोल चार्ज नहीं लिया जा रहा है, जबकि एनएचएआई और संबंधित एजेंसियां ट्रैफिक फ्लो, जाम की स्थिति और संभावित खामियों पर नज़र रख रही हैं। कुछ स्रोतों के मुताबिक यह ट्रायल कुछ हफ्तों तक चल सकता है और अनुभव के आधार पर स्थायी रूप से खोलने या अस्थायी बंद करने का निर्णय लिया जाएगा।
दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे बनाम पारंपरिक मार्ग
नीचे तालिका में पारंपरिक मार्ग और नए एक्सप्रेसवे आधारित यात्रा के प्रमुख अंतर दिए गए हैं।
| पहलू | पारंपरिक दिल्ली–देहरादून मार्ग | दिल्ली–देहरादून एक्सप्रेसवे (ट्रायल के बाद अनुमानित) |
|---|---|---|
| अनुमानित दूरी | लगभग 250 किमी के आसपास | लगभग 210–213 किमी |
| सामान्य यात्रा समय | 6–6.5 घंटे या उससे अधिक | लगभग 2–2.5 घंटे |
| सड़क की प्रकृति | मिश्रित हाइवे, शहरों से होकर | ऐक्सेस कंट्रोल्ड, लिमिटेड एंट्री–एग्जिट |
| जाम की संभावना | ज्यादा, खासकर शहरों/कस्बों में | अपेक्षाकृत कम, नियंत्रित एक्सेस के कारण |
| यात्रा का आराम | स्पीड परिवर्तन, कट–मोड़, सिग्नल | समान गति, बेहतर पृष्ठभूमि व सिग्नेज |
| अनुमानित टोल बोझ | मध्यम, कई छोटे टोल | केन्द्रित, कुछ बड़े टोल प्लाज़ा |
यमुना पार और पश्चिमी यूपी के लिए राहत
एक्सप्रेसवे के गीता कॉलोनी, खजूरी खास, मंडोला विहार, लोनी, ट्रॉनिका सिटी, अंकुर विहार, वेद विहार और खेकड़ा जैसे इलाकों को सीधे जोड़ने से सबसे ज्यादा राहत उन लोगों को मिल रही है जो रोजाना पूर्वी व उत्तर–पूर्वी दिल्ली से सेंट्रल व साउथ दिल्ली या गाजियाबाद–बागपत बेल्ट में अप–डाउन करते हैं। खजूरी खास और आसपास के क्षेत्रों में पहले जहां घंटों लंबा जाम आम बात थी, वहां इस एलिवेटेड सेक्शन की शुरुआत से सतह स्तर की सड़कों पर दबाव घटने लगा है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कई यात्रियों ने बताया कि जिन मार्गों पर पहले डेढ़–दो घंटे लगते थे, वहीं अब समय घटकर लगभग 20–30 मिनट के आसपास पहुंच गया है, हालांकि यह आंकड़ा ट्रैफिक की तत्कालीन स्थिति पर निर्भर करता है। इसके अलावा, फार्महाउस और शादी समारोह वाले इलाकों में लगने वाला देर रात का भीषण जाम भी इस नए मार्ग से काफी हद तक कम होने की उम्मीद है।
स्पीड लिमिट, सुरक्षा और नियम
इस एक्सप्रेसवे पर वाहनों के लिए अलग–अलग अधिकतम गति सीमा निर्धारित की गई है; कई रिपोर्ट्स में दिल्ली–बागपत सेक्शन पर कारों के लिए लगभग 100 किलोमीटर प्रति घंटा और भारी वाहनों के लिए 80 किलोमीटर प्रति घंटा तक की अधिकतम गति का उल्लेख है, हालांकि यह अलग–अलग सेगमेंट पर बदल भी सकती है। एनएचएआई और पुलिस प्रशासन ने साइनबोर्ड, दिशासूचक संकेत, एग्जिट–एंट्री पॉइंट और स्पीड लिमिट डिस्प्ले को प्राथमिकता दी है ताकि नए मार्ग पर पहली बार यात्रा करने वाले ड्राइवरों को कम से कम भ्रम हो।
फिर भी, ट्रायल अवधि में कुछ चुनौतियां स्पष्ट दिख रही हैं – जैसे कई जगहों पर लोगों को सही एग्जिट का पता न होना, अचानक लेन बदलना, या लोकल ट्रैफिक द्वारा रॉन्ग साइड से चढ़ने की प्रवृत्ति। प्रशासन ने यात्रियों से अपील की है कि वे निर्धारित गति सीमा का पालन करें, रॉन्ग साइड ड्राइविंग से बचें और केवल नामित एंट्री–एग्जिट का इस्तेमाल करें, क्योंकि यह हाईस्पीड कॉरिडोर है जहां छोटी गलती भी बड़ा हादसा बन सकती है।
पर्यावरण और तकनीकी विशेषताएँ
पूरे कॉरिडोर में विशेष तौर पर पर्यावरणीय संवेदनशील क्षेत्रों, खासकर राजाजी नेशनल पार्क के आसपास, एक लंबा एलिवेटेड कॉरिडोर और मल्टीपल अंडरपास/एनिमल पास बनाए गए हैं ताकि वन्यजीवों की आवाजाही सुरक्षित रह सके। इस सेक्शन को एशिया के सबसे लंबे एलिवेटेड वाइल्डलाइफ कॉरिडोर में से एक बताया जा रहा है, जहां गाड़ियों की तेज आवाजाही और जानवरों के प्राकृतिक मूवमेंट के बीच संतुलन बनाने के लिए विशेष डिज़ाइन अपनाया गया है।
साथ ही, एक्सप्रेसवे के कई हिस्सों पर वर्षाजल संचयन के लिए करीब हर 500 मीटर पर रिचार्ज पॉइंट और हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए गए हैं, जिससे भूजल स्तर सुधारने में भी मदद मिल सके। मंत्रालय ने भविष्य में कुछ हिस्सों के मीडियन या किनारों पर सौर पैनल लगाने की भी योजना पर काम शुरू किया है, ताकि सड़क प्रकाश और अन्य आवश्यकताओं के लिए हरित ऊर्जा का उपयोग हो सके।
प्रोजेक्ट टाइमलाइन और उद्घाटन की संभावनाएँ
इस परियोजना को 2020 के आसपास औपचारिक मंजूरी मिली और फरवरी 2021 एवं दिसंबर 2021 में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री और प्रधानमंत्री ने क्रमशः शिलान्यास व ग्राउंडब्रेकिंग सेरेमनी की। शुरुआती लक्ष्य इसे 2024 या 2025 तक जनता के लिए पूरी तरह खोलने का था, लेकिन भूमि अधिग्रहण, पर्यावरण स्वीकृति, निर्माण संबंधी तकनीकी चुनौतियों और कुछ प्रशासनिक कारणों से प्रोजेक्ट में देरी हुई।
हाल की रिपोर्टों में यह संकेत है कि जबकि दिल्ली के पास वाले सेक्शन काफी हद तक तैयार हैं, देहरादून के आसपास के कुछ हिस्सों में अभी भी सेफ्टी ऑडिट और फिनिशिंग वर्क चल रहा है। कुछ मीडिया संस्थानों ने यह भी उल्लेख किया है कि पूर्ण कॉरिडोर को 2026 की शुरुआत तक औपचारिक रूप से उद्घाटित करने का लक्ष्य रखा जा रहा है, हालांकि अंतिम तारीख राजनीतिक और तकनीकी दोनों कारकों पर निर्भर करेगी।
यात्रियों के लिए व्यावहारिक सुझाव
- यात्रा से पहले रूट मैप और एग्जिट–एंट्री पॉइंट की जानकारी अवश्य प्राप्त करें, खासकर यदि आप पहली बार गीता कॉलोनी से ईस्टर्न पेरिफेरल तक इस एलिवेटेड सेक्शन पर जा रहे हैं।
- गाड़ी चलाते समय निर्धारित स्पीड लिमिट का पालन करें; हाईस्पीड कॉरिडोर पर अत्यधिक गति या अचानक लेन बदलना गंभीर दुर्घटना का कारण बन सकता है।
- रॉन्ग साइड ड्राइविंग, आपातकालीन लेन का दुरुपयोग और बिना ज़रूरत एलिवेटेड सेक्शन पर रुकने से बचें, क्योंकि ट्रायल अवधि में निगरानी विशेष रूप से सख्त रखी जा सकती है।
- टोल पॉलिसी, ट्रायल अवधि और संभावित बदलावों के लिए समय–समय पर आधिकारिक नोटिस या विश्वसनीय समाचार स्रोतों की जानकारी देखते रहें, क्योंकि अभी कुछ शर्तों के साथ ही आम जनता को यह सुविधा दी जा रही है।
यह पूरा एक्सप्रेसवे न केवल दिल्ली और देहरादून की यात्रा को तेज और सुविधाजनक बनाएगा, बल्कि उत्तराखंड पर्यटन, औद्योगिक कनेक्टिविटी और यमुना पार व पश्चिमी यूपी के स्थानीय निवासियों की रोजमर्रा की जिंदगी में भी महत्वपूर्ण सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखता है।







