राजा सुकंत की कहानी: राम नाम की शक्ति का अद्भुत चमत्कार

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परिचय

भगवान श्रीराम का नाम केवल एक शब्द नहीं, बल्कि एक अमोघ शस्त्र और जीवन का आधार है। इसी सत्य को उजागर करती है राजा सुकंत, नारद मुनि, हनुमान जी और विश्वामित्र जी की यह प्रेरक कथा, जिसमें राम नाम की महिमा और उसकी शक्ति का अद्भुत चमत्कार सामने आता है.

कथा की शुरुआत: राजा सुकंत और नारद मुनि का संवाद

राजा सुकंत एक प्रतापी और धर्मनिष्ठ शासक थे। एक दिन वे भगवान श्रीराम के दरबार में पहुंचे, जहां अनेक ब्रह्मर्षि और संत विराजमान थे। दरबार में प्रवेश से पूर्व उन्हें नारद मुनि मिले। नारद जी ने सुकंत से पूछा कि क्या वे सभी ऋषियों को प्रणाम करेंगे। सुकंत जी ने मर्यादा का पालन करते हुए सहमति दी। परंतु नारद जी ने उन्हें सुझाव दिया कि विश्वामित्र जी को केवल हाथ जोड़कर प्रणाम करें, माथा न टेकें, क्योंकि वे मूलतः क्षत्रिय थे, बाद में तपस्या से ब्रह्मर्षि बने1.

विश्वामित्र जी का अपमान और क्रोध

दरबार में सुकंत जी ने सभी ऋषियों को साष्टांग प्रणाम किया, पर विश्वामित्र जी को केवल हाथ जोड़कर प्रणाम किया। सभा समाप्त होने के बाद नारद मुनि ने विश्वामित्र जी का ध्यान इस ओर आकर्षित किया। नारद जी ने बताया कि सुकंत ने आपको केवल क्षत्रिय मानकर प्रणाम किया। यह सुनते ही विश्वामित्र जी को क्रोध आ गया और उन्होंने भगवान श्रीराम से कहा कि सूर्यास्त से पहले सुकंत का सिर उनके चरणों में होना चाहिए.

भगवान श्रीराम का संकल्प और सुकंत की चिंता

भगवान श्रीराम ने गुरु विश्वामित्र जी की आज्ञा का पालन करने का वचन दिया। उन्होंने कहा, “यदि सूर्यास्त से पूर्व सुकंत का सिर आपके चरणों में न पहुँचे, तो मैं रघुवंशी नहीं।” यह सुनकर सुकंत घबराए और नारद जी से सहायता मांगी। नारद मुनि ने उन्हें हनुमान जी की शरण में जाने की सलाह दी, परंतु साथ ही बताया कि हनुमान जी केवल माता अंजनी की आज्ञा मानते हैं1.

माता अंजनी का व्रत और हनुमान जी का संकल्प

नारद जी सुकंत को माता अंजनी के पास ले गए। सुकंत ने माता से रक्षा की गुहार लगाई। माता अंजनी ने वचन दिया कि वे सुकंत की रक्षा करेंगी और हनुमान जी को आदेश देंगी। हनुमान जी ने माता की आज्ञा सिर माथे ली, लेकिन जब उन्होंने सुना कि भगवान श्रीराम स्वयं सुकंत के विरुद्ध हैं, तो वे असमंजस में पड़ गए। फिर भी माता के वचन का पालन करने का संकल्प लिया.

राम नाम जप का कवच: हनुमान जी की सलाह

हनुमान जी ने सुकंत को एकांत में ले जाकर बताया कि एकमात्र उपाय है—हर श्वास में राम नाम का जप। उन्होंने कहा, “जहाँ राम नाम रुकेगा, वहीं प्रभु का अमोघ बाण तुम्हें समाप्त कर देगा। यदि राम नाम निरंतर चलता रहा, तो कोई बाण तुम्हें नहीं छू सकेगा।” सुकंत ने राम नाम का जप आरंभ किया, हनुमान जी ने भी उनके साथ कीर्तन किया1.

राम नाम की शक्ति का चमत्कार

उधर भगवान श्रीराम ने अमोघ बाण का संधान किया, परंतु जैसे ही बाण सुकंत और हनुमान जी के पास पहुंचा, वह रुक गया और परिक्रमा कर लौट गया। भगवान श्रीराम स्वयं हैरान रह गए कि उनका बाण बिना लक्ष्य को भेदे कैसे लौट आया। लक्ष्मण जी को भेजा गया, जिन्होंने देखा कि सुकंत, हनुमान जी और स्वयं लक्ष्मण जी भी राम नाम के संकीर्तन में लीन हो गए1.

श्रीराम का आगमन और समाधान

विश्वामित्र जी के आग्रह पर भगवान श्रीराम स्वयं वहां पहुंचे। उन्होंने देखा कि सभी राम नाम के संकीर्तन में डूबे हैं। भगवान श्रीराम ने कहा, “जिसके गले में निरंतर मेरा नाम गूंजता है, वहाँ मेरा अमोघ बाण भी असमर्थ है।” उन्होंने सुकंत से कहा कि वे अपना सिर विश्वामित्र जी के चरणों में रखें। इस प्रकार भगवान श्रीराम ने वचन भी निभाया और राम नाम की महिमा भी प्रकट हुई.

कथा का संदेश: नाम जप की सर्वोच्च शक्ति

नारद मुनि ने स्पष्ट किया कि इस लीला का उद्देश्य यही था कि राम नाम की शक्ति स्वयं भगवान से भी अधिक है। जिस गले में राम नाम चलता है, वहाँ कोई शस्त्र, कोई विपत्ति, कोई बाण असर नहीं कर सकता। यह कथा हमें सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, राम नाम का जप हमें हर संकट से बचाता है.

आज ही राम नाम जप शुरू करें

जो भी व्यक्ति श्रद्धा से राम नाम का जप करता है, वह अमोघ शक्ति से संपन्न हो जाता है। जीवन में जब भी विपत्तियाँ आएं, नाम जप को न छोड़ें। यह आपके पुराने कर्मों का हिसाब हो सकता है, परंतु अंत में विजय आपकी ही होगी। हरि स्मरण से सभी विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं।

निष्कर्षराजा सुकंत की कथा केवल एक धार्मिक आख्यान नहीं, बल्कि जीवन को दिशा देने वाली अमूल्य सीख है। राम नाम की शक्ति को अपनाएं और अपने जीवन को सुख, शांति और सुरक्षा से भरपूर बनाएं।

मार्गदर्शक: श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज

SOURCE: https://bhajanmarg.com/raja-sukant-ki-kahani-ram-naam-ki-shakti/

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