
भगवान भोग बनाते हुए सावधानियाँ
- जब भी भगवान भोग बनाया जाए, तो सबसे पहले शुद्धता का पूर्ण ध्यान रखें।
- बाल ढककर और कपड़े से बांधकर ही भगवान भोग तैयार करें।
- भगवान भोग बनाते समय बातचीत बहुत सीमित रखें।
- अगर बात करनी हो तो मुँह घुमाकर करें, ताकि थूक की छींटें भगवान भोग में न पड़ें।
- पूरी एकाग्रता से भगवान भोग बनाना चाहिए, जिससे कोई अशुद्ध वस्तु न गिरे।
भगवान भोग में कुछ गिर जाए तो क्या करें?
- अगर भगवान भोग में मक्खी, मच्छर या बाल गिर जाए, तो वह भगवान भोग अशुद्ध माना जाता है।
- ऐसे में भगवान भोग फिर से बनाना चाहिए।
- यही नियम सदियों से संतों और शास्त्रों द्वारा बताए गए हैं।
भोग की नीयत और आशय
- भगवान भोग केवल शुद्धता के साथ, नि:स्वार्थ भाव से बनाएं।
- अगर जरा भी झूठापन, असावधानी या अशुद्धता भगवान भोग में आ जाए, तो वह भगवान तक नहीं पहुँचता।
- प्रेम और श्रद्धा के साथ शुद्ध भगवान भोग ही भगवान को अर्पित करें.
भगवान भोग और शास्त्रीय नियम
- शास्त्रों के अनुसार भगवान भोग शुद्ध होना जरूरी है, तभी भगवान स्वीकार करते हैं।
- अगर अशुद्धता आ गई, तो शुद्ध भगवान भोग फिर से तैयार करें।
- अगर कोई भूल हो गई हो, तो उसके लिए क्षमा माँगे और सावधानी बरतें।
भगवान भोग की महिमा
- भगवान भोग में जो प्यार और अपनापन है, वही सबसे महत्वपूर्ण है।
- भगवान भाव के भूखे हैं, इसलिए मन और शरीर की शुद्धता चाहिए हर भगवान भोग में।
- भगवान भोग को सच्चे भाव से चढ़ाने से पापों का नाश होता है, और बुद्धि शुद्ध होती है।
भगवान भोग संबंधी मुख्य बिंदु
- भगवान भोग बनाते समय बाल, मक्खी, मच्छर गिरने पर नए भगवान भोग का निर्माण आवश्यक है।
- बातचीत के दौरान थूक भोग में न पड़े, सावधानी अनिवार्य है।
- भगवान भोग में झूठ, अशुद्धता, या दिखावे की गुंजाइश नहीं है।
- सरल, निर्मल भाव और पवित्रता से बना भगवान भोग ही भगवान को प्रिय है।
भगवान भोग और सद्भाव
- भगवान भोग केवल प्रसाद नहीं, यह शुद्ध मन का संकेत है।
- भगवान भोग तैयार करते समय मन शुद्ध रखें, शरीर शुद्ध रखें, परिवेश शुद्ध रखें.
- भगवान भोग चढ़ाते समय अपार श्रद्धा का भाव रखें।
भगवान भोग – रोज़मर्रा की दिनचर्या में
- घर में जब भी भगवान भोग बनाया जाए, बच्चों और बड़ों सभी को यही नियम अपनाने चाहिए।
- भोग की बर्तन, स्थल, कपड़े इत्यादि – सब साफ और नियत हों।
- भगवान भोग के लिए अलग सामग्री और अलग बर्तन विशेष रूप से निर्धारित करें।
भगवान भोग और साधना
- भगवान भोग बनाने से पूर्व मन, वचन, शरीर की शुद्धि करें।
- भगवान भोग में अन्य कोई भी वस्तु न गिरे – इसका ध्यान विशेष रखें।
- भगवान भोग अर्पण करते समय मन में श्रद्धा और विनम्रता हो।
भगवान भोग के साथ भाव
- भगवान भोग के साथ स्नेह, अपनापन और निस्वार्थता जरूरी है।
- सरल भोजन भी भगवान भोग के रूप में, अगर प्रेम से अर्पित किया जाए, भगवान को प्रिय है।
- भगवान भोग में किसी भी प्रकार का दिखावा, जल्दबाजी न करें।
भगवान भोग की प्रेरणा
- भगवान भोग बनाते समय संतों की कही बातों का अनुसरण करें।
- हर भगवान भोग में मन, शरीर, वचन की शुद्धता आवश्यक है।
- भगवान भोग का प्रसाद सभी के लिए पवित्र और अमूल्य है।
भगवान भोग के लिए पुकार
- भगवान भोग बनाते समय हर बार अपने इष्ट को याद करें।
- भगवान भोग में प्रगाढ़ विश्वास और आदर का भाव हो।
क्रमशः सारांश
- “भगवान भोग” तैयार करने में शुद्धता ही सर्वोपरि है।
- भगवान भोग में बाल, मक्खी, मच्छर, या कोई जूठापन आए, तो उसे फिर बनाएं।
- बातचीत कम करें, सावधानी रखें, शुद्धता बने रहे।
निष्कर्ष
हर आस्तिक के लिए भगवान भोग बनाना केवल एक शारीरिक प्रक्रिया नहीं, यह एक साधना है। इसमें मन, तन और परिवेश तीनों की शुद्धता जरूरी है। मक्खी, मच्छर, बाल या अन्य अशुद्धता आने पर भगवान भोग पुनः बनकर अर्पित होना चाहिए, जिससे वह शुद्ध भाव से भगवान तक पहुँचे और शुभ फल प्रदान करे।youtube