अगर कोई गार्ड, मेड या मामूली कमाई वाला दम्पति हर महीने 1‑1 हज़ार (कुल 2000) या 1500–3000 रुपये तक SIP में लगाना शुरू करे और 15–25 साल तक लगातार चलाए, तो उनकी आर्थिक स्थिति में बड़ा बदलाव आ सकता है; अगर वे बीच में पैसा तोड़ते नहीं हैं और सही फंड चुनते हैं, तो वे उम्र भर “गारिब” की कैटेगरी में फँसे रहने से काफी हद तक निकल सकते हैं।
SIP से कितना पैसा बन सकता है?
इक्विटी म्यूचुअल फंडों में लम्बे समय (10+ साल) की SIP पर ऐतिहासिक रूप से औसत रिटर्न लगभग 12–15% सालाना के बीच देखा गया है, हालाँकि भविष्य में इसकी कोई गारंटी नहीं होती। 10 साल की SIP के कई विश्लेषणों में दिखा है कि निवेश की गई कुल रकम लगभग दोगुनी से ज़्यादा हो जाती है, जैसे 12 लाख के योगदान पर लगभग 25 लाख से ऊपर का कॉर्पस बन चुका है (14% के आस‑पास XIRR पर)।
उदाहरण के लिए, अगर कोई गार्ड और उसकी पत्नी मिलकर:
- 1,000 + 1,000 = 2,000 रुपये महीना SIP (कुल 24,000 सालाना) लगाएँ
- 15 साल तक, लगभग 12–14% रिटर्न मानें, तो मोटे तौर पर 10–12 लाख के आसपास कॉर्पस बन सकता है।bajajfinserv+1
- 20–25 साल तक वही SIP चले, तो चक्रवृद्धि की वजह से यह रकम कई गुना बढ़कर 25–50 लाख तक पहुँच सकती है, रिटर्न और अनुशासन पर निर्भर करते हुए।finedge+1
गरीब से “थोड़ा सुरक्षित” तक का सफर
भारत में फ़ाइनेंशियल इन्क्लूज़न की नीतियाँ (जैसे जन‑धन खाते, छोटी बचत योजनाएँ) इसीलिए चलाई गयीं कि कम आय वाले लोग भी औपचारिक बचत और निवेश से जुड़ें और धीरे‑धीरे उनकी संपत्ति बने। आँकड़े दिखाते हैं कि बैंक/वित्तीय संस्थानों में बचत रखने वाले लोगों का अनुपात सालों में बढ़ा है, जिससे इन वर्गों में “बचत की आदत” और सुरक्षा की भावना मजबूत हुई है।tandfonline+2
जब गार्ड या मेड जैसी नौकरी वाले लोग भी:
- नियमित बचत करें,
- उसी बचत को “मरे हुए” खाते में न रखकर SIP जैसे ग्रोथ वाले साधन में लगाएँ,
तो उनकी नेटवर्थ (कुल संपत्ति) धीरे‑धीरे बढ़ती है और वे केवल हाथ‑से‑मुँह वाली ज़िन्दगी से बाहर निकलने की स्थिति में आ सकते हैं।sbimf+1
जीवन में क्या‑क्या बदल सकता है?
नियमित और लम्बी SIP से निम्न बदलाव दिखना स्वाभाविक है (मानते हुए कि वे कर्ज़ और फिज़ूल खर्च को भी कंट्रोल करें):
- आपातकालीन सुरक्षा: 5–10 साल में इतना फंड बन सकता है कि बीमारी, नौकरी जाने या छोटे‑मोटे संकट में साहूकार/महाजन के कर्ज़ पर निर्भरता घटे।bajajfinserv
- बच्चों की शिक्षा: 15–20 साल की SIP से बना कॉर्पस बच्चों की कॉलेज/स्किल ट्रेनिंग पर खर्च हो सकता है, जिससे अगली पीढ़ी की कमाई की क्षमता बढ़ती है।bajajamc+1
- बुढ़ापे में सहारा: अगर 20–25 साल की SIP चलती रही तो रिटायरमेंट के बाद हर महीने थोड़ा‑बहुत SWP या ब्याज जैसी इनकम ली जा सकती है, जिससे पूरी तरह दूसरों पर निर्भरता कम होगी।sbimf+1
क्या वे हमेशा गरीब ही रहेंगे?
सिर्फ 1,000–1,000 की SIP से कोई रातों‑रात “अमीर” नहीं बनता, लेकिन तीन बड़े बदलाव होते हैं:
- “कर्ज़दार गरीब” से “बचत वाला गरीब/लोअर मिडिल क्लास”: यानी नेटवर्थ पॉज़िटिव हो जाती है, जो बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक और वास्तविक बदलाव है।fincomindia+1
- आय से तेज़ संपत्ति वृद्धि: अगर रिटर्न 12–15% जैसा रहे और वे 15–20 साल तक SIP न तोड़ें, तो उनकी जमा पूँजी उनकी सैलरी से तेज़ गति से बढ़ सकती है।finedge+1
- पीढ़ीगत सुधार: उनकी एक‑दो जेनेरेशन बाद वही परिवार बेहतर शिक्षा, बेहतर रहने की जगह और ज़्यादा सम्मानजनक नौकरियों तक पहुँच सकता है; यह प्रभाव भारत में लो‑इन्कम वर्ग की वित्तीय शामिलीकरण पर हुए अध्ययनों में दिखा है।centreforpublicimpact+1
इसलिए, अगर गार्ड और मेड जैसे कम आय वाले लोग भी अनुशासन के साथ हर महीने 1,000–1,000 रुपये SIP में लगाकर 15–25 साल टिके रहें, तो वे केवल “गरीब रहने” की नियति से बाहर निकल सकते हैं और अपने तथा बच्चों के लिए अधिक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन बना सकते हैं, भले ही वे तकनीकी रूप से सुपर‑अमीर न बनें।bajajamc+2







