प्रस्तावना
आयकर रिटर्न दाखिल करना प्रत्येक वेतनभोगी और कारोबारी व्यक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण वार्षिक प्रक्रिया है। वैसे तो ज़्यादातर टैक्सपेयर्स ईमानदारी से सही आंकलन के साथ रिटर्न फाइल करते हैं, लेकिन कुछ लोग बोगस डिडक्शन या गलत जानकारी दे कर अवैध रिफंड की कोशिश करते हैं। ऐसे मामलों पर अब भारतीय आयकर विभाग बेहद सख्ती से नजर रख रहा है, और तकनीक की मदद से गलत दावों को पहचानकर संबंधित टैक्सपेयर्स को नोटिस या यहां तक कि सज़ा भी देने लगा है।
कैसे पकड़ में आते हैं गलत टैक्स रिफंड दावे
पुराने समय में इनफ्लेटेड रिफंड क्लेम्स आसानी से पास हो जाते थे, लेकिन अब स्थितियाँ बदल चुकी हैं। विभाग डेटा एनालिटिक्स, एआई और टीडीएस मिलान जैसे आधुनिक टूल्स का इस्तेमाल करता है। यदि किसी कर्मचारी ने अपने इनकम टैक्स रिटर्न में बनावटी हाउस रेंट, डोनेशन, या एजुकेशन लोन जैसी डिडक्शन क्लेम की है, लेकिन उसकी पुष्टि फॉर्म 16 या अन्य स्रोतों से नहीं होती, तो सिस्टम उस रिटर्न को “रेड फ्लैग” के रूप में चिन्हित कर देता है। कई मामलों में तो रिफंड की प्रोसेसिंग के समय ही एसएमएस या ईमेल के माध्यम से चेतावनी भेज दी जाती है।
कठोर जांच और नोटिस की शुरुआत
2023 से इनकम टैक्स विभाग ने विशेष अभियान चलाकर हज़ारों वेतनभोगी कर्मचारियों को नोटिस भेजे हैं। इन नोटिसों में कई तरह की धाराएं लगाई जाती हैं—जैसे सेक्शन 131(1A) के तहत दस्तावेज मांगना, सेक्शन 143(2) या 148 के अंतर्गत असेस्मेंट या री-असेस्मेंट की कार्यवाही शुरू करना, और सेक्शन 133(6) के तहत खाता-बही की पुष्टि करना।
आम उदाहरण
- एक मार्केटिंग मैनेजर को सेक्शन 131(1A) के तहत समन भेजा गया, जिसमें उससे एजुकेशन लोन और डोनेशन के दस्तावेज माँगे गए थे।
- एक सॉफ़्टवेयर प्रोफेशनल को 143(2) व 142(1) की नोटिस मिली और उनकी एचआरए व अन्य डिडक्शन की जाँच हुई।
- महेश कुमार को सेक्शन 133(6) के तहत नोटिस आया क्योंकि पिछले नियोक्ता की सैलरी न खोलने का मामला था।
- राम मनोहर को 148A के तहत उसका असेसमेंट री-ओपन करने की नोटिस मिली क्योंकि जिस मकान के लिए एचआरए क्लेम किया, उसके मकान मालिक ने वो इनकम अपने रिटर्न में नहीं दिखाई थी।
- जॉन नामक टैक्सपेयर के केस में 30 लाख रुपए की गलत क्लेम डिटेक्ट हुई, जिसके कारण उस पर सेक्शन 270A के तहत 200% पेनल्टी और सेक्शन 276C(1), 277 के तहत अभियोजन शुरू हो गया।
ये गलतियां क्यों होती हैं?
कई बार ऐसी गलतियां जानकारी की कमी, गलत सलाह या टैम्पटेशन के चलते होती हैं। कर्मचारी मान लेते हैं कि टीडीएस कट जाने के बाद सब कुछ सही है, जबकि अन्य आय जैसी कि शेयर ट्रेडिंग या प्रॉपर्टी इंकम को ठीक से घोषणा नहीं करते, या फर्जी डिक्लेयरेशन दे बैठते हैं।
कानूनी परिणाम
गलत रिफंड क्लेम के गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं:
- सेक्शन 276C(1) के तहत 125% कॉम्पाउंडिंग चार्ज,
- सेक्शन 277 के तहत 50% कॉम्पाउंडिंग चार्ज।
- सेक्शन 270A के तहत गलत इन्कम रिपोर्टिंग पर टैक्स के 200% तक पेनल्टी,
- यदि प्रोसीक्यूशन शुरू हो गया तो जेल तक की सजा का प्रावधान है।
- विभाग आपके खिलाफ सर्च और सीज़र भी कर सकता है।
करेक्शन के रास्ते
1. वर्तमान वर्ष (AY 2025–26) के लिए: संशोधित रिटर्न (Revised Return)
यदि गलती से गलत क्लेम कर दिया है, तो 31 दिसंबर 2025 तक सेक्शन 139(5) के तहत संशोधित रिटर्न फाइल करें। गलत दावा वापस लें, अतिरिक्त टैक्स, ब्याज (और यदि लागू हो तो सेक्शन 234D के तहत ब्याज) चुकाएं।
इससे लाभ —
- सेक्शन 270A के तहत पेनल्टी से बचाव,
- स्क्रूटनी/री-असेसमेंट से बचाव,
- नोटिस से बचाव,
- अभियोजन और कंपाउंडिंग फीस से राहत।
2. पूर्व वर्षों (AY 2021–22 से AY 2024–25): अपडेटेड रिटर्न (ITR-U)
इन वर्षों के लिए सेक्शन 139(8A) में अपडेटेड रिटर्न दाखिल किया जा सकता है, जहाँ टैक्स, ब्याज, सरचार्ज, तथा सेक्शन 140B के तहत अतिरिक्त टैक्स चुकाना होगा। एक बार यदि नोटिस या असेस्मेंट जारी हो जाए, तो यह ऑप्शन समाप्त हो जाएगा।
3. निपट चुके असेस्मेंट मामलों के लिए: विवाद समाधान समिति (DRC) का विकल्प
यदि असेस्मेंट/री-असेसमेंट पूरा हो चुका है, लेकिन जोड़ अधिकतम ₹10 लाख और कुल आय ₹50 लाख से कम है, और यह मामला सर्च या सर्वे का परिणाम नहीं है तथा प्रोसीक्यूशन शुरू नहीं हुआ, तो टैक्सपेयर डिस्प्यूट रिज़ॉल्यूशन कमेटी (DRC) के समक्ष आवेदन कर सकता है। यहाँ पेनल्टी माफ तथा अभियोजन से राहत मिल सकती है।
स्वैच्छिक सुधार क्यों ज़रूरी?
जब विभाग के पास पुख्ता डेटा, एनालिटिक्स और एआई हों, तो गलत दावे करना हमेशा नुकसानदेह है। अगर गलती हुई भी है तो उसे छुपाना निश्चय ही खुद को जोखिम में डालना है। स्वैच्छिक सुधार (वॉलंटरी कंप्लायन्स) अधिक आर्थिक, कानूनी और मानसिक राहत देता है, और आपकी प्रतिष्ठा बचाता है।
नए अधिनियम की व्यवस्था
2026 में लागू होने वाले नए आयकर अधिनियम, 2025 में भी ऐसी ही संशोधित/अपडेटेड रिटर्न की व्यवस्था को जारी रखा जाएगा।
महत्वपूर्ण सलाह
- कभी भी ऐसे सलाहकारों के चक्कर में न पड़ें, जो फर्जी रेंट रशीद, डोनेशन आदि के जरिए रिफंड बढ़ाने की कोशिश करें।
- केवल उन्हीं डिडक्शन्स, छूट एवं क्लेम्स का लाभ लें, जिनका वैध दस्तावेज आपके पास हो।
- रिटर्न फाइल करते समय हर इनकम, चाहे वो सैलरी हो, कैपिटल गेन, किराया, बैंक इंटरेस्ट या फ्रीलांस इनकम—सबकी ईमानदारी से घोषणा करें।
- फॉर्म 16, बैंक स्टेटमेंट, अन्य सपोर्टिंग दस्तावेज हमेशा संभालकर रखें।
- किसी भी टैक्स नोटिस मिलने पर घबराएँ नहीं, प्रोफेशनल सलाहकार की मदद से सही विधिक प्रतिक्रिया दें।
निष्कर्ष
आज के डिजिटल युग में आयकर विभाग बेहद हाईटेक, चौकस और कड़ा हो चुका है। रिफंड या छूट के लिए कोई भी गलत दावा करना सीधा नोटिस, भारी पेनल्टी और जेल की संभावना को बुलावा देने जैसा है। याद रखें, स्वैच्छिक सुधार हमेशा सुरक्षित, सस्ता और सम्मानजनक रास्ता है। आज ही अपनी गलती सुधारें, संशोधित या अपडेटेड रिटर्न फाइल करें, विभागीय कार्रवाई से बचें और मानसिक शांति पाएँ।
(यह लेख ‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित ओ.पी. यादव, पूर्व प्रमुख आयकर आयुक्त, के लेख पर आधारित है। लेख का उद्देश्य केवल सूचना देना है, किसी भी विशिष्ट मामले में प्रमाणित टैक्स प्रोफेशनल से सलाह अवश्य लें।)







