
प्रश्न- अगर घरमें माँका कोई न रहा हो तो उस अवस्थामें साधु-संन्यासी बना हे अधिकार नहीं है लड़का माँका पालन कर सकता है या नहीं ?
उत्तर- माँका कोई आधार न रहे तो साधु बननेपर भी के माँका पालन कर सकता है और पालन करना ही चाहिये। असमर्थ अवस्थामें तो दूसरे प्राणियोंकी भी सेवा करनी चाहिये फिर माँ तो शरीरकी जननी है! वह अगर असमर्थ अवस्था में तो उसकी सेवा करनेमें कोई दोष नहीं है।
यह लेख गीता प्रेस की मशहूर पुस्तक “गृहस्थ कैसे रहे ?” से लिया गया है. पुस्तक में विचार स्वामी रामसुख जी के है. एक गृहस्थ के लिए यह पुस्तक बहुत मददगार है, गीता प्रेस की वेबसाइट से यह पुस्तक ली जा सकती है. अमेजन और फ्लिप्कार्ट ऑनलाइन साईट पर भी चेक कर सकते है.








