क्या तंत्र-मंत्र, ज्योतिष शास्त्र और सिद्धियाँ सच में होती हैं? परम पूज्य वृंदावन रसिक संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के सत्संग से

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तंत्र-मंत्र, ज्योतिष शास्त्र और सिद्धियाँ: रहस्य, सत्य और समाधान – संत प्रेमानंद जी महाराज की दृष्टि में

परिचय: भारतीय संस्कृति में तंत्र-मंत्र, ज्योतिष और सिद्धियाँ

भारतीय समाज में तंत्र-मंत्र, ज्योतिष शास्त्र और सिद्धियों का उल्लेख प्राचीन काल से मिलता है। इन विषयों को लेकर लोगों में कई तरह की जिज्ञासाएँ, विश्वास और भ्रांतियाँ हैं। क्या वाकई तंत्र-मंत्र और सिद्धियाँ प्रभावी होती हैं? क्या ज्योतिष शास्त्र सचमुच भविष्य बता सकता है? इन प्रश्नों का उत्तर वृंदावन के रसिक संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के सत्संगों में मिलता है, जिसमें वे शास्त्रों, अनुभवों और भक्ति के आलोक में इन रहस्यों का समाधान प्रस्तुत करते हैं12।

तंत्र-मंत्र का अस्तित्व और प्रभाव

क्या तंत्र-मंत्र सच में होता है?

संत प्रेमानंद जी महाराज स्पष्ट रूप से कहते हैं कि तंत्र-मंत्र, मारण, वशीकरण, उच्चाटन आदि के विधान शास्त्रों में वर्णित हैं और इनमें शक्ति होती है। लेकिन इनका प्रभाव उन्हीं लोगों पर होता है, जो भगवान का नाम जप, भजन या सच्ची आराधना नहीं करते। जो व्यक्ति भगवान का नाम जपता है, उनके ऊपर कोई भी तंत्र-मंत्र या नकारात्मक शक्ति प्रभाव नहीं डाल सकती12।

“अगर आप राधा-राधा या कृष्ण-कृष्ण का नाम जपते हो, तो भगवान आपकी रक्षा करेंगे। कोई भी तंत्र-मंत्र आपके ऊपर काम नहीं करेगा।”– संत प्रेमानंद जी महाराज1

तांत्रिक शक्तियों की सीमाएँ

महाराज जी के अनुसार, तांत्रिक शक्तियाँ केवल उन्हीं पर असर करती हैं, जिनका मन कमजोर है और जिनका जीवन भगवान के नाम से दूर है। भक्ति, नाम-स्मरण और भगवान की शरणागति ही सबसे बड़ी सुरक्षा है। कई उदाहरणों में देखा गया कि सच्चे संतों और भक्तों पर तांत्रिक शक्तियाँ असफल हो जाती हैं, जबकि आम व्यक्ति पर उनका असर हो सकता है12।

ज्योतिष शास्त्र: विज्ञान या विश्वास?

क्या ज्योतिष शास्त्र सत्य है?

महाराज जी बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र में भी सत्यता है, परंतु इसका ज्ञान पूर्ण और निष्पक्ष होना चाहिए। यदि ज्योतिषी को सही ज्ञान है, तो वह जन्म से मृत्यु तक की घटनाओं का अनुमान लगा सकता है। लेकिन अधूरे या लालच में दिए गए ज्योतिषीय उपदेश केवल भ्रम फैलाते हैं। सच्चा ज्योतिषी वही है, जो बिना स्वार्थ के, शुद्ध ज्ञान के साथ मार्गदर्शन करे1।

“ज्योतिष शास्त्र सत्य है, यदि उसका सम्यक ज्ञान हो। गलत उपदेश देकर भय फैलाना या धन कमाना अनुचित है।”– संत प्रेमानंद जी महाराज1

ज्योतिष का सीमित दायरा

महाराज जी के अनुसार, ज्योतिष शास्त्र हमारे कर्मों और ग्रहों के आधार पर संभावनाएँ बताता है। लेकिन भगवान के नाम का स्मरण, भजन और सच्ची भक्ति से भाग्य भी बदल सकता है। अर्थात, भक्ति सबसे बड़ा उपाय है1।

सिद्धियाँ: चमत्कार या भक्ति का परिणाम?

क्या सिद्धियाँ वास्तव में होती हैं?

संत प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, सिद्धियाँ – जैसे मन की बात जानना, किसी स्थान विशेष का ज्ञान, जल पर चलना, एक साथ कई स्थानों पर उपस्थित होना आदि – योग, साधना और मंत्रों के अभ्यास से प्राप्त हो सकती हैं। लेकिन ये सब भगवान की प्राप्ति के मार्ग में छोटे पड़ जाते हैं। सच्चे संत और भक्त इन सिद्धियों की ओर आकर्षित नहीं होते, बल्कि वे भगवान के प्रेम और दर्शन को ही सर्वोच्च मानते हैं1।

“सिद्धियाँ तो भजन में अपने आप आ जाती हैं, परंतु जो भगवान को पाना चाहता है, वह इन सिद्धियों में नहीं उलझता।”– संत प्रेमानंद जी महाराज1

सिद्धियों का महत्व और सीमाएँ

महाराज जी कहते हैं कि सिद्धियाँ, चाहे जितनी भी चमत्कारी क्यों न हों, वे केवल माया की कृतियाँ हैं। इनसे भगवत्प्राप्ति नहीं होती। सच्चे संत और साधक इन चमत्कारों से दूर रहते हैं, क्योंकि उनका लक्ष्य केवल भगवान का प्रेम और सेवा है1।

तंत्र-मंत्र, प्रेत-बाधा और निवारण के उपाय

क्या तंत्र-मंत्र से बचाव संभव है?

महाराज जी के अनुसार, यदि किसी को लगता है कि उस पर तंत्र-मंत्र या प्रेत-बाधा का प्रभाव है, तो सबसे सरल और प्रभावी उपाय है – भगवान का नाम-स्मरण, कीर्तन, कथा और भजन। घर में प्रतिदिन एक घंटा नाम-संकीर्तन करने से, भगवान की कथा सुनने और शालिग्राम भगवान की पूजा करने से कोई भी अमंगल, तंत्र-मंत्र या प्रेत-बाधा टिक नहीं सकती12।

“नाम संकीर्तनम सर्व पाप प्रणाशन – भगवान का नाम जप करो, कोई भी अमंगल नहीं हो सकता।”– संत प्रेमानंद जी महाराज12

सच्ची भक्ति ही सर्वोच्च सुरक्षा

महाराज जी के अनुभव अनुसार, जिनके घर में भगवान का नाम, भजन और कीर्तन होता है, वहां नकारात्मक शक्तियाँ, तंत्र-मंत्र, भूत-प्रेत आदि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। तुलसीदास जी ने भी हनुमान चालीसा में लिखा है – “भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे।” अर्थात, भगवान के नाम में अपार शक्ति है12।

भक्ति, नाम-स्मरण और भगवान की शरणागति का महत्व

महाराज जी बार-बार यही संदेश देते हैं कि तंत्र-मंत्र, ज्योतिष और सिद्धियाँ चाहे जितनी भी आकर्षक या चमत्कारी लगें, लेकिन सबसे बड़ी शक्ति भगवान का नाम, भक्ति और शरणागति है। सच्चा सुख, शांति और सुरक्षा केवल भगवान की कृपा और प्रेम में ही है। भक्ति मार्ग में चलने वाला व्यक्ति इन सब माया-जालों से स्वतः मुक्त हो जाता है12।

निष्कर्ष

  • तंत्र-मंत्र, ज्योतिष शास्त्र और सिद्धियाँ शास्त्रों में वर्णित हैं और इनका अस्तित्व है।

  • इनका प्रभाव केवल उन्हीं पर होता है, जो भगवान का नाम नहीं जपते या जिनका मन कमजोर है।

  • भगवान का नाम-स्मरण, भजन और सच्ची भक्ति सबसे बड़ी सुरक्षा है, जिससे कोई भी तंत्र-मंत्र, प्रेत-बाधा या अमंगल प्रभाव नहीं डाल सकता।

  • ज्योतिष शास्त्र में सत्यता है, परंतु उसका सही और निष्पक्ष ज्ञान होना आवश्यक है।

  • सिद्धियाँ साधना से प्राप्त हो सकती हैं, परंतु भगवान की प्राप्ति के मार्ग में ये बाधक भी बन सकती हैं।

  • सच्चा साधक, संत या भक्त इन चमत्कारों में नहीं उलझता, बल्कि भगवान के प्रेम और सेवा को ही सर्वोच्च मानता है।

अंतिम संदेश

यदि आप तंत्र-मंत्र, ज्योतिष या सिद्धियों के भ्रम में हैं, तो संत प्रेमानंद जी महाराज की वाणी को आत्मसात करें –”सच्ची भक्ति, भगवान का नाम और शरणागति ही सबसे बड़ी सिद्धि, सुरक्षा और समाधान है।”Sources:
1 Bhajan Marg – श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज के सत्संग से
2 तंत्र-मंत्र, प्रेत-बाधा, जादू-टोना से बचने का सबसे सरल उपाय – श्री हित प्रेमानंद जी महाराज

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