भगवान का नाम जपने वाले को ऐसा सोचना अपने हाथों अपने गले पर छुरी चलाना है To think of someone chanting God’s name like this is to put a knife to one’s own throat. (EN)

जय श्री कृष्ण जय श्री राधा

Start your Spiritiual and stock market journey early.

For online course contact dheerajkanojia810@gmail.com

श्री भाई जी (हनुमानप्रसादजी पोद्दार)- के दैनिक सत्संग में से लिखे नोट्स को गीता प्रेस की ओर से ‘सत्संग के बिखरे मोती’ पुस्तक में पेश किया गया है. इससे आपको बहुत ज्यादा फायदा मिलेगा.

सत्संग के बिखरे मोती

प्रथम माला

१. जिस प्रकार अग्नि में दाहिका शक्ति (जलाने की ताकत) स्वाभाविक है, उसकी प्रकार भगवन्नाम में पाप को, विषय, प्रपंचमेय जगत के मोह को जला डालने की शक्ति स्वाभाविक है. इसमें भाव की आवश्यकता नहीं है.

२. किसी प्रकार भी नाम जीभ पर आना चाहिए, फिर नाम का जो स्वाभाविक फल है, वह बिना श्रृद्धा के भी मिल ही जाएगा.

३. तर्कशील बुद्धि भ्रांत (ग़लत) धारणा (सोच) करवा देती है कि बिना भाव के क्या लाभ होगा. पर समझ लो, ऐसा सोचना अपने हाथों अपने गले पर छुरी चलाना है.

४. भाव हो या नहीं, हमें आवश्यकता है नाम लेने की. नाम की आवश्यकता है, भाव की नहीं.

५. भाव हो तो बहुत ठीक, परन्तु हमें भाव की ओर दृष्टि नहीं डालनी है. भाव ना हो, तब भी नाम-जप तो करना ही है.

६. देखो-नाम भगवत्स्वरूप ही है. नाम अपनी शक्ति से, नाम अपने वस्तुगुण से सारा काम कर देगा. विशेषकर कलयुग में तो भगवन्नाम के सिवा और कोई साधन ही नहीं है.

७. मनोनिग्रह बड़ा कठिन है-चित्त की शांति के लिए प्रयास करना बड़ा ही कठिन है. पर भगवन्नाम तो इसके लिए भी सहज साधन है. बस भगवन्नाम की जोर से ध्वनि करो.

८. माता देवहूति कहती है-

अहो बत श्वपचोsतो गरीयान

यज्जिहाव्ग्रे वर्तते नाम तुभ्यम्.

तेपुस्त्पस्ते जुहुवु: सस्नुरार्या

ब्रह्मनूचुर्नाम गृणन्ति ये ते।।

बस जिसने भगवन्नाम नाम ले लिया उस श्वपच ने भी सब कर लिया। भाव की इसमें अपेक्षा नहीं है। वस्तुगुण काम करता है।

9. तर्क भ्रान्ति लाती है कि रोटी रोटी करने ेम पेट थोड़े ही भरता है? पर विश्वास करोए नाम और नामी में कोई अंतर ही नहीं है।

शेष भाग अगले आर्टिकल में ।

  • Related Posts

    महंगाई नहीं लाइफस्टाइल है असली डायन जो खाए जात है पर यह शख्स ही आपको बचा सकता है इस डायन से

    pehle ka zamaana vs aaj ka mall culture पहले घरों में एक “राशन लिस्ट” बनती थी – आटा, दाल, चावल, तेल, शक्कर जैसी ज़रूरी चीजें लिखी जाती थीं और लिस्ट…

    Continue reading
    Mata Vaishno Devi Yatra में भारी गिरावट दर्ज, क्यों घट रही श्रद्धालुओं की संख्या ? क्या है वजह?

    भूमिका: आस्था की धरती पर सन्नाटा मां वैष्णो देवी का दरबार देश‑विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र माना जाता है। हर साल यहां कटरा से लेकर भवन तक…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    किशोर बच्चे माँ‑बाप की बात क्यों नहीं सुनते?

    किशोर बच्चे माँ‑बाप की बात क्यों नहीं सुनते?

    अगर कोई हमारी मेहनत से कमाया हुआ धन हड़प ले तो क्या करें?

    अगर कोई हमारी मेहनत से कमाया हुआ धन हड़प ले तो क्या करें?

    विराट कोहली और अनुष्का शर्मा ने महाराज जी से ली दीक्षा: आस्था, सादगी और भक्ति की अनोखी मिसाल

    विराट कोहली और अनुष्का शर्मा ने महाराज जी से ली दीक्षा: आस्था, सादगी और भक्ति की अनोखी मिसाल

    क्रिसमस की रौनक में ठंडक क्यों, क्या हिंदुत्व इसके पीछे कारण है?

    क्रिसमस की रौनक में ठंडक क्यों, क्या हिंदुत्व इसके पीछे कारण है?

    COACHING-TUTION के बावजूद बच्चो के नंबर क्यों नहीं आ रहे, पेरेंट्स क्या करे?

    COACHING-TUTION के बावजूद बच्चो के नंबर क्यों नहीं आ रहे, पेरेंट्स क्या करे?

    संसार में छल-कपट भरा हुआ है ऐसे में उन्ही के बीच कैसे रहें, कभी कभी सहन नहीं होता ?

    संसार में छल-कपट भरा हुआ है ऐसे में उन्ही के बीच कैसे रहें, कभी कभी सहन नहीं होता ?