
Real Estate vs Mutual Fund Investment Comparison
रजिस्ट्री का झंझट: कई प्रोजेक्ट्स में 10–15 साल तक रजिस्ट्री नहीं होती। मालिक चाहकर भी प्रॉपर्टी बेच नहीं पाते।
ब्लैक का खेल: ज़्यादातर दुकान या फ्लैट खरीदते समय आधा पैसा ब्लैक में देना पड़ता है। बैंक सिर्फ सफेद रकम पर लोन देता है।
लोन की समस्या: प्रॉपर्टी लेने के लिए कैश इंतज़ाम करना मुश्किल होता है, क्योंकि बैंक पूरी कीमत पर मदद नहीं करता।
मेंटेनेंस खर्चा: घर या दुकान लेने के बाद मेंटेनेंस, प्रॉपर्टी टैक्स, सोसायटी चार्ज जैसे खर्चे लगातार होते रहते हैं।
क़ानूनी रिस्क: विवादित जमीन या प्रोजेक्ट में फंस गए तो सालों तक कोर्ट-कचहरी के चक्कर।
बेचने की दिक्कत: प्रॉपर्टी तुरंत बेचनी हो तो खरीदार जल्दी नहीं मिलता। पैसा फंसा रह जाता है।
म्यूचुअल फंड क्यों बेहतर
कम पूंजी से निवेश: प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लाखों-करोड़ों चाहिए, जबकि म्यूचुअल फंड ₹500 से भी शुरू किया जा सकता है।
ज्यादा liquidity: जब चाहो यूनिट्स बेचकर पैसा निकाल सकते हो। प्रॉपर्टी की तरह अटकता नहीं।
कोई ब्लैक मनी नहीं: सबकुछ बैंकिंग सिस्टम और पेपर पर क्लियर होता है।
डाइवर्सिफिकेशन: एक जगह पैसा फंसाने के बजाय शेयर, बॉन्ड और अलग-अलग सेक्टर में बंटता है। रिस्क कम हो जाता है।
टेंशन फ्री: न मेंटेनेंस, न कोर्ट-कचहरी, न दलालों का टेंशन।
लंबे समय में बेहतर रिटर्न: म्यूचुअल फंड ने इतिहास में प्रॉपर्टी की तुलना में ज़्यादा स्थिर और पारदर्शी रिटर्न दिए हैं।
आम इंसान के लिए साफ है—जहां प्रॉपर्टी में मुश्किलें और छुपे खर्चे हैं, वहीं म्यूचुअल फंड आसान, सुरक्षित और ज़्यादा फायदेमंद विकल्प है।
Real Estate vs Mutual Fund Investment Comparison
Dheeraj Kanojia,
AMFI Registered Mutual Fund Distributor
(ARN: 339419)
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Wikipedia म्यूचुअल फंड:
https://en.wikipedia.org/wiki/Mutual_fund
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