भारत में नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) अब निवेशकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है, खासकर रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए। हाल ही में इसमें ऐसे बदलाव हुए हैं जिससे अब गैर-सरकारी सब्सक्राइबर्स अपनी पूंजी का 100% हिस्सा इक्विटी में लगा सकते हैं, जबकि पहले यह सीमा 75% थी। इस कदम से निवेशकों को उम्मीद थी कि उन्हें ज्यादा रिटर्न मिलेगा, लेकिन ग्राउंड रियलिटी अलग है। पिछले कुछ वर्षों में एनपीएस फंड मैनेजरों के इक्विटी प्लान्स का प्रदर्शन औसत रहा है, और यह लगातार बड़े इंडेक्स को पीछे छोड़ने में असफल रहे हैं। इस लेख में विस्तार से चर्चा करेंगे कि क्यों एनपीएस फंड मैनेजरों का प्रदर्शन कमजोर रहा, निवेश के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और आखिर समाधान क्या हो सकता है।
एनपीएस और इक्विटी निवेश का बदलता स्वरूप
एनपीएस को आमतौर पर बेहद सुरक्षित और टैक्स-अनुकूल रिटायरमेंट प्रोडक्ट माना जाता है। शुरुआती वर्षों में निवेशकों को इक्विटी में सीमित निवेश की अनुमति थी, लेकिन हाल ही में इसमें बदलाव आया है जिसके तहत अब आप अपनी पूरी पूंजी इक्विटी प्लान्स में लगा सकते हैं। यह बदलाव खास तौर से उन लोगों के लिए फायदेमंद माना गया जो ज्यादा जोखिम के बदले ज्यादा रिटर्न पाना चाहते हैं। हालांकि, फंड मैनेजरों की दक्षता और उनका ट्रैक रिकॉर्ड इस फैसले को लेकर सवाल खड़ा करता है।
फंड मैनेजरों के प्रदर्शन का विश्लेषण
बीते तीन और पांच साल के रोलिंग रिटर्न के आधार पर एनपीएस फंड मैनेजरों के इक्विटी प्लान्स के प्रदर्शन का आकलन किया गया। इसमें पाया गया कि अधिकतर फंड मैनेजर अपने बेंचमार्क यानी BSE100 TRI को लगातार मात देने में असफल रहे।
- तीन साल के औसत में, सभी एनपीएस इक्विटी प्लान्स ने इंडेक्स से कम रिटर्न दिया।
- लगातार आउटपरफॉर्म करने की क्षमता किसी भी फंड में नहीं दिखी।
- HDFC पेंशन फंड इकलौती योजना थी जो तीन साल की अवधि में मात्र 41% बार इंडेक्स से अधिक रिटर्न दे पाई।
- LIC, ICICI प्रूडेंशियल, और Kotak पेंशन फंड्स केवल 34-37% अवसरों पर इंडेक्स को पीछे छोड़ सके।
- SBI पेंशन फंड इस सूची में सबसे पीछे रही।
- पांच साल के रोलिंग रिटर्न्स में भी यही प्रवृत्ति रही; सभी फंड मैनेजरों के औसत रिटर्न इंडेक्स से कम थे।
- Kotak और ICICI प्रूडेंशियल जैसे फंड्स ही लगभग 40% अवसरों पर ही इंडेक्स से बेहतर कर सके।
परिणामों की असंगति और संभावित कारण
एनपीएस के फंड मैनेजरों की असंगत परफॉर्मेंस का एक बड़ा कारण उनका पोर्टफोलियो स्ट्रक्चर है। अब भी अधिकांश की निवेश रणनीति बड़े शेयरों (large caps) पर केंद्रित है, जबकि मध्यम और छोटे शेयरों (mid & small caps) में एक्सपोजर कम है। भारतीय शेयर बाजार में हाल के वर्षों में रिटर्न का बड़ा हिस्सा इन्हीं मध्यम और छोटे शेयरों से आया है, लेकिन एनपीएस पोर्टफोलियो इनका लाभ उठाने में असफल रहे हैं।
- NPS को अब टॉप 200 स्टॉक्स में निवेश की अनुमति मिल गई है, पहले ये सीमित था।
- फिर भी, मैनेजर जोखिम लेने में हिचकते हैं।
- नियामक पक्ष से कोई सख्ती नहीं है, मैनेजर चाहते तो एक्सपोजर बढ़ा सकते थे।
निवेशकों के लिए फायदे और सीमाएँ
हालांकि एनपीएस की इक्विटी योजनाएँ अक्सर बेंचमार्क को मात देने में विफल रही हैं, फिर भी इसमें कुछ ऐसे फायदे हैं जो इसे एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं – विशेषतः लॉन्ग टर्म रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए।
फायदे
- एनपीएस में आप अपनी पसंदिता एसेट क्लास और फंड मैनेजर चुन सकते हैं।
- अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करना पूरी तरह टैक्स फ्री है।
- लंबी अवधि का लॉक-इन आपको अनुशासन सिखाता है और आपके लिए अधिक पूंजी जमा करने में मददगार होता है।
- आमने-सामने की तुलना में, एनपीएस इक्विटी योजनाएं कई बार सबसे बड़े लार्ज कैप म्यूचुअल फंड्स के औसत प्रदर्शन से बेहतर रहती हैं (हाल के वर्षों में ऐसा डेटा दिखाता है)।
सीमाएँ
- मार्जिनल बड़ी कंपनियों पर फोकस और एसेट एलोकेशन की सीमाएँ
- ऐक्टिव मैनेजमेंट की कमी – इंडेक्स फंड्स जैसी रणनीति अपनाने से संभावित रिटर्न में कटौती
- बाजार चक्र में एक्टिव री-बैलेंसिंग या आउट-साइज़्ड रिटर्न पाने की संभावना कम
रोलिंग रिटर्न्स का महत्व
एक विस्तृत अवधि में, किसी फंड का प्रदर्शन जांचने के लिए सिर्फ पॉइंट-टू-पॉइंट रिटर्न देखना काफी नहीं होता; रोलिंग रिटर्न्स ज्यादा व्यापक, न्यायसंगत और विश्वसनीय तस्वीर देते हैं। एनपीएस इक्विटी फंड्स के तीन और पांच वर्षों के रोलिंग रिटर्न्स ने साफ कर दिया कि प्रदर्शन असंगत है और इंडेक्स को आउटपरफॉर्म करने की संभावना कम है।
- रोलिंग रिटर्न्स से यह भी समझ में आया कि जिन फंड्स ने कभी-कभार बेहतर प्रदर्शन किया, उन्होंने भी बार-बार ऐसा नहीं किया।
- इस असंतुलन से निवेशकों की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है, विशेषकर जब उन्हें पोर्टफोलियो के प्रति आश्वस्ति चाहिए होती है।
समाधान और आगे की राह
अगर आप एनपीएस का उपयोग रिटायरमेंट कॉर्पस बनाने के लिए कर रहे हैं, तो इसमें उच्च इक्विटी आवंटन से आपका फायदा तो हो सकता है, परंतु आपको फंड मैनेजर के प्रदर्शन की अनिश्चितता को समझना होगा।
- आपके लिए बेहतर यही रहेगा कि एनपीएस को एक एसेट एलोकेशन टूल की तरह देखें, जो टैक्स-एफिशियेंसी और लॉक-इन के कारण फायदेमंद है।
- यदि आपका उद्देश्य अधिक आउटपरफॉर्मेंस हासिल करना है, तो आप पोर्टफोलियो का इक्विटी हिस्सा सक्रिय रूप से प्रबंधित म्यूचुअल फंड्स या अन्य विकल्पों के माध्यम से अलग रखें।
- एनपीएस में अधिक इक्विटी एक्सपोजर लेने का विचार तभी हो जब आपका पोर्टफोलियो विविधीकृत हो और आप जोखिम उठाने को तैयार हों।
- समय-समय पर विभिन्न फंड मैनेजरों के प्रदर्शन को रिव्यू करते रहें और जरूरत पड़ने पर बदलाव करने में न हिचकें।
निवेश की सर्वोत्तम प्रक्रिया
- सबसे पहले अपनी जोखिम लेने की क्षमता और निवेश की अवधि का आकलन करें।
- इसके बाद एनपीएस के इक्विटी और अन्य विकल्पों में उचित diversification करें।
- लॉन्ग टर्म निवेश में अस्थिरता को नजरअंदाज करना सीखें।
- खुद को सिर्फ रिटर्न के आकड़ों तक सीमित न रखें, टैक्स, तरलता, और लाइफस्टेज जरूरतों को समग्र रूप से देखें।
निष्कर्ष
एनपीएस फंड मैनेजरों के इक्विटी योजनाओं का औसत प्रदर्शन इंडेक्स के मुकाबले औसत या उससे भी कम रहा है। इसका एक बड़ा कारण उनका निवेश पोर्टफोलियो का स्वरूप और सक्रिय प्रबंधन की कमी है। हालांकि एनपीएस में लॉन्ग टर्म रिटायरमेंट कॉर्पस बनाने और टैक्स सेविंग के कई फायदे हैं, लेकिन यदि आप निरंतर आउटपरफॉर्मेंस की उम्मीद कर रहे हैं, तो आपको अपने पोर्टफोलियो का इक्विटी भाग किसी और जगह (सक्रिय रूप से प्रबंधित फंड्स) में भी लगाना चाहिए। एनपीएस को केवल टैक्स-एफिशियेंसी और अनुशासनात्मक निवेश साधन के रूप में देखें, न कि आउटसाइज्ड रिटर्न पाने की उम्मीद में।
इसलिए, निवेशकों को चाहिए कि एनपीएस फंड मैनेजरों के पिछले रिकॉर्ड का सूक्ष्म विश्लेषण करें, विविधता को समझें और एक रणनीतिक नजरिए से, समझदारी के साथ अलोकेशन करें। हां, यदि आप चाहते हैं कि आपका पोर्टफोलियो मार्केट को लगातार मात दे, तो एनपीएस की बजाय एक्टिवली मैनेज्ड इक्विटी फंड्स या अन्य विकल्पों की तलाश बेहतर विकल्प हो सकती है।
याद रखें – कोई भी निवेश उत्पाद पूर्ण नहीं है, हर विकल्प में कुछ न कुछ सीमाएँ होती हैं। समझदारी, अनुशासन और सही पोर्टफोलियो अलोकेशन के ज़रिए ही आप दीर्घकालिक सफल निवेशक बन सकते हैं।







