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शुरुआती दौर: साधारण से मजबूत शुरुआत
नवदीप दलीय साधारण लड़का, २०१० में एक नौकरी में 26, 000 मिलते थे, 2019 तक काम किया और बना डाले 15 lakh to 5 crore. हर बड़ा सपना एक छोटे कदम से शुरू होता है। 15 LAKH to 5 CRORE. नवदीप डालिया ने सिर्फ 15 लाख से अपनी निवेश यात्रा शुरू की थी। उनका पहला लक्ष्य था कि 40 साल की उम्र तक 5 करोड़ की संपत्ति बना लें। वे ये टारगेट 38 साल में ही हासिल कर गए। उन्होंने शेयर मार्केट में पैसा कभी नहीं लगाया। पूरा विश्वास म्यूचुअल फंड और रियल एस्टेट में रहा।
खर्च कम, बचत ज्यादा
नवदीप ने शुरुआत के सालों में अपने खर्च बेहद सीमित रखे। गुड़गांव जैसे शहर में रहते हुए भी वह 10,000-12,000 रुपये महीने के खर्च में खुश रहे। वे दोस्त के साथ कमरा शेयर करते रहे। बड़ी गाड़ी, महंगे शौक, और बेवजह का खर्च उनके लाइफस्टाइल का हिस्सा नहीं रहा। इसी वजह से वे बड़ी रकम बचाने में सफल रहे।
होम लोन प्लानिंग: समझदारी से उधारी का इस्तेमाल
उनका होम लोन लेने का तरीका बहुत प्रैक्टिकल रहा। लोन लेकर संपत्ति खरीदी, उसकी ईएमआई दी, और जैसे ही अतिरिक्त पैसे बचाए – लोन अकाउंट में डालकर इंटरेस्ट बचाया। कई बार अपना इमरजेंसी फंड भी लोन अकाउंट में रखा, जिससे ब्याज कम लगा। उनका मानना है कि जितनी जल्दी लोन या रेंट खत्म होता है, उतनी जल्दी व्यक्ति वित्तीय रूप से फ्री हो जाता है।
रियल एस्टेट: घर का मालिक बनना जरूरी
नवदीप के पोर्टफोलियो में लगभग 60% हिस्सा रियल एस्टेट का रहा। उनका मानना है कि अपने लिए घर होना एक बेसिक ज़रूरत है। वह घर को निवेश नहीं, बल्कि सुरक्षा मानते हैं। किराए का बोझ खत्म होते ही अचानक जीवन में आर्थिक स्वतंत्रता का एहसास आता है।
म्यूचुअल फंड और एसआईपी: स्थिर और अनुशासित निवेश
करीब 30% पैसा म्यूचुअल फंड्स, खासकर इक्विटी ओरिएंटेड एसआईपी में इन्वेस्ट। टैक्स सेविंग स्कीमों के जरिए छोटे-छोटे एसआईपी शुरू किए। धीरे-धीरे उसकी रकम बढ़ाई। हर साल रीव्यू किया, लेकिन लंबी अवधि के नजरिए से निवेश करते रहे। उन्होंने अनुभव से जाना कि 10-12 साल में अनुशासन के साथ निवेश मल्टीफोल्ड ग्रो करता है।
महत्वाकांक्षा और अनुशासन
नवदीप कहते हैं, अगर लक्ष्य तय है और खर्च सीमित रखे, तो भारत जैसे देश में बहुत जल्दी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। रियलिस्टिक गोल्स सेट करें और अनुशासन से चलें। मुख्य मंत्र है: “छोटे-छोटे बचत, समझदारी से निवेश और निर्णायक प्लानिंग”।
खर्च और मानसिक शांति का संतुलन
ईएमआई या रेंट देना सिर्फ आर्थिक बोझ नहीं, मानसिक स्ट्रेस भी है। इसलिए उनका फोकस हमेशा जल्दी-से-जल्दी कर्ज़ से मुक्त होने पर रहा। वह कार जैसे सामान पर छोटे-छोटे लोन ही लेते हैं और जल्दी चुका देते हैं। उनका मानना है, आर्थिक आज़ादी से बड़ी कोई शांति नहीं।
इमरजेंसी फंड और फाइनेंशियल सिक्योरिटी
नवदीप हमेशा कुछ महीने का इमरजेंसी फंड एफडी या सेफ जगह रखते हैं। इसके साथ क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल भी समझदारी से करते हैं। डेबिट कार्ड से ज्यादा सुरक्षित मानते हैं क्रेडिट कार्ड को, क्योंकि उसमें लिमिट्स और ट्रांजैक्शन सिक्योरटी मिलती है। क्रेडिट कार्ड जरूरत में काम आता है, लेकिन उन्होंने कभी बेवजह खर्च नहीं किया।
परिवार, बच्चों और भविष्य की प्लानिंग
उन्होंने अपने परिवार की सुरक्षा और बच्चों की फ्यूचर प्लानिंग के लिए गवर्नमेंट स्कीम, पीपीएफ, और पीएफ में भी निवेश किया। उनका भविष्य का मकसद है – करीब 50% संपत्ति इक्विटी-म्यूचुअल फंड्स वगैरह में हो और बाकी 50% रियल एस्टेट में। जैसे-जैसे पोर्टफोलियो बढ़े, बड़े घर का सपना भी।
अंतिम सूत्र: अनुशासन और सच्चाई
नवदीप की पूरी जर्नी का आधार रहा – अनुशासन, साधारण जीवन, स्मार्ट निवेश और खर्चों पर सख्त नियंत्रण। मिलती-जुलती उम्मीद हर किसी की हो सकती है – बस लक्ष्य स्पष्ट रखें, और प्लान पर टिके रहें। छोटे निवेश, लगातार सेविंग और नियमित रिव्यू से कोई भी मिडिल क्लास अपनी वित्तीय आज़ादी पा सकता है।
निष्कर्ष
- जल्दी शुरू करें, खुद पर भरोसा रखें।
- खर्चे कंट्रोल करें, बचत और निवेश बढ़ाएं।
- रियल एस्टेट हो या म्यूचुअल फंड – लॉन्ग टर्म नजरिए से ही सोचे।
- ईएमआई या लोन – जितना जल्दी हो खत्म करें।
- परिवार और बच्चों को भी सिक्योर करें।
- फाइनेंशियल फ्रीडम का असली अर्थ है – न्यूनतम फिक्स्ड खर्च और तनावमुक्त जीवन।
https://www.youtube.com/watch?v=pP6Mc1BRX48
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