6 से 66 लाख करोड़ का हुआ म्यूच्यूअल फंड मार्किट, miss ना करे


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पारंपरिक बचत की कहानी

भारतीय परिवार में बचत का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा रहा है। आमतौर पर, बैंक के एफडी और बचत खाते ही पहली पसंद बनते थे। FD पर मिलने वाला ब्याज पहले 8-9% के आसपास था लेकिन धीरे-धीरे यह घटकर 6-7% रह गया। इस गिरावट ने निवेशकों को सोचने पर मजबूर किया कि क्या उनकी बचत के लिए बेहतर विकल्प मौजूद हैं।


बदलती सोच: बैंक से म्यूच्युअल फंड्स की ओर

मौजूदा दशक में भारतीयों का रुझान म्यूच्युअल फंड्स की ओर तेजी से बढ़ा है। 2012 में जहां घरेलू बचत का सिर्फ 1% भाग म्यूच्युअल फंड्स में था, 2025 तक यह आंकड़ा 6% तक पहुंच चुका है। यह वृद्धि इस बात का संकेत है कि निवेशकों का भरोसा परंपरागत सुरक्षित विकल्पों से हटकर अपेक्षाकृत जोखिम वाले लेकिन ज्यादा रिटर्न वाले विकल्पों की ओर जा रहा है।youtube


FD दरों का गिरना और SIP की लोकप्रियता

बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट में ब्याज दरों में लगातार गिरावट आई है, जिससे निवेशकों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) का विकल्प बेहद आकर्षक बन गया है। SIP में हर माह छोटी-छोटी रकम निवेश की जाती है जो समय के साथ बड़ा फंड बन जाती है और इक्विटी या डेट जैसे विकल्पों में निवेश करके अच्छा रिटर्न दे सकती है।youtube


छोटे निवेशकों की बड़ी भूमिका

म्यूच्युअल फंड्स ने छोटे निवेशकों को निवेश की दुनिया से रूबरू कराया है। पहले, शेयर बाजार या फंड्स में निवेश बड़े शहरों के उच्च आमदनी वर्ग तक ही सीमित था। अब मोबाइल ऐप्स और डिजिटल सुविधाओं के कारण छोटे शहरों तक भी पहुंच बन चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक, टॉप 30 शहरों से ज्यादा तेज ग्रोथ छोटे शहरों में नए SIP अकाउंट्स खोलने की आई है। आज SIP अकाउंट्स की संख्या 9 करोड़ से भी ऊपर है।youtube


महिलाओं का बढ़ता निवेश

म्यूच्युअल फंड्स के सेक्टर में महिला निवेशकों की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। पारंपरिक तौर पर महिलाओं की वित्तीय निर्णयों में भूमिका सीमित रही है। लेकिन बदलते समय के साथ डिजिटल जानकारी, ऐप्स और जागरूकता से महिलाएं निवेश कर रही हैं और अपने परिवार की आर्थिक मजबूती में योगदान दे रही हैं।youtube


म्यूच्युअल फंड्स का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) ग्रोथ

आरबीआई के अनुसार, म्यूच्युअल फंड्स का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 2010 में लगभग 6 लाख करोड़ था। मार्च 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 65 लाख करोड़ से ऊपर चला गया। यानी 15 साल में 10 गुना से भी ज्यादा की ग्रोथ। यही AUM बैंक डिपॉजिट से भी तुलना में मजबूत स्थिति में आ चुका है: 2014 में म्यूच्युअल फंड्स का AUM सिर्फ 10% था, लेकिन 2024 तक यह रेश्यो 24% हो गया है।youtube


घरेलू शेयर बाजार पर प्रभाव

म्यूच्युअल फंड्स का बढ़ता प्रभाव अब घरेलू शेयर बाजार को भी बदल रहा है। म्यूच्युअल फंड्स के पास अब इतना बड़ा पूंजी है कि वे स्टॉक मार्केट में लिक्विडिटी, स्थिरता और रिटर्न पर महत्वपूर्ण असर डाल सकते हैं। इससे भारतीय शेयर बाजार को मजबूती मिली है और बाहरी विदेशी निवेशकों पर निर्भरता कुछ हद तक कम हुई है।youtube


आर्थिक विकास और वित्तीय समावेशन

आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा के अनुसार, लोगों का इक्विटी निवेश में बढ़ता रुझान ‘कलेक्टिव पार्टिसिपेशन इन नेशनल ग्रोथ’ की श्रेणी में आता है। यानी देश की तरक्की में अब आम आदमी की बचत भी शामिल हो रही है। वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) और डिजिटल एक्सेस के कारण आनेवाले समय में म्यूच्युअल फंड्स का हिस्सा और बढ़ेगा।youtube


विकसित देशों से तुलना

भले ही म्यूच्युअल फंड्स का भारतीय घरेलू बचत में हिस्सा 6% तक पहुंच गया है, लेकिन विकसित देशों के मुकाबले यह काफी कम है। अमेरिका में यह हिस्सा 25-30% के आसपास है। यहां अभी भी काफी स्कोप है—जैसे-जैसे आर्थिक जागरूकता, डिजिटल सुविधाएं, वित्तीय शिक्षा और समावेशन और बढ़ेंगे, वैसे-वैसे यह आंकड़ा भी बढ़ेगा। आने वाले वर्षों में भारत में म्यूच्युअल फंड्स की लोकप्रियता और हिस्सेदारी और तेज़ी से बढ़ने की संभावना है।youtube


डिजिटल इंडिया का योगदान

‘डिजिटल इंडिया’ अभियान ने ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं की पहुंच आसान बना दी है। भारत में आज स्मार्टफोन, इंटरनेट और मोबाइल एप्स के माध्यम से सेकंड्स में म्यूच्युअल फंड्स की खरीदारी या बिकवाली हो सकती है। ऑनलाइन KYC और पेमेंट सिस्टम ने निवेश को आसान, तेज़ और पारदर्शी बना दिया है।youtube


शहरी-ग्रामीण निवेश अंतर

जहां एक ओर मेट्रो शहरों में म्यूच्युअल फंड्स की पकड़ मजबूत है, वहीं अब छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी निवेशक आगे आ रहे हैं। SIP जैसे पेमेंट ऑप्शन, डिजिटल ट्रांजैक्शन और वित्तीय साक्षरता अभियान ने इस अंतर को तेजी से कम किया है। छोटे शहरों से SIP की ग्रोथ टॉप 30 शहरों से भी तेज है—यह सामाजिक और वित्तीय बदलाव का सूचक है।youtube


बचत की नई सोच—रिस्क और रिटर्न

भारतीय निवेशक अब रिस्क लेने को तैयार हैं। FD में पूर्ण सुरक्षा होती है लेकिन रिटर्न कम है; म्यूच्युअल फंड्स में कुछ जोखिम होता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न की संभावना रहती है। निवेशकों का बदलता नज़रिया बताता है कि वे अपने पैसे सिर्फ सुरक्षित नहीं, बल्कि बढ़ाना भी चाहते हैं और नए विकल्पों के लिए खुल कर सोच रहे हैं।youtube


वित्तीय शिक्षा और जागरूकता की भूमिका

बदलाव में वित्तीय शिक्षा की भूमिका अहम है। म्यूच्युअल फंड्स को अब भारतीयों तक विस्तार से समझाया जाता है—सुरक्षा, लाभ, जोखिम, टैक्सेशन, SIP के फायदे जैसे पहलू स्पष्ट किए जाते हैं। Money9, SEBI जैसे संस्थानों द्वारा लगातार कैंपेन चलाए जा रहे हैं जिससे आम निवेशक सही जानकारी हासिल कर सके।youtube


SIP—आसान, नियमित और व्यावहारिक

SIP यानी सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान अब आम निवेशकों का पसंदीदा माध्यम बन गया है। SIP की खासियत है—कम मात्रा में नियमित निवेश, कंपाउंडिंग का फायदा, मार्केट वोलैटिलिटी से बचाव, और लॉन्ग टर्म में बड़ी सम्पत्ति का निर्माण।youtube


आने वाले समय में चुनौतियां और संभावनाएं

भले ही म्यूच्युअल फंड्स का आधार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी चुनौतियां हैं जैसे—कम वित्तीय साक्षरता, शेयर बाजार में रिस्क, फ्रॉड का डर, पारदर्शिता, नियमों की समझ। साथ ही, छोटे निवेशकों के लिए कस्टमर सपोर्ट, हिंदी रीजनल भाषाओं में जानकारी उपलब्ध कराना, बाजार में उतार-चढ़ाव से निवेशकों को प्रशिक्षित करना भी ज़रूरी है।youtube


भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर

म्यूच्युअल फंड्स में बढ़ता निवेश वर्तमान में भारतीय शेयर बाजार को ज्यादा स्थिरता, लिक्विडिटी और ताकत दे रहा है। घरेलू निवेशकों की बढ़ती हिस्सेदारी के कारण शेयर बाजार विदेशियों की मंशा पर कम निर्भरता दिखा रहा है। इससे मौद्रिक नीति, रोजगार, स्थानीय कंपनियों में निवेश के मौके और आर्थिक ग्रोथ को सकारात्मक दिशा मिल रही है।youtube


निष्कर्ष—एक नई आर्थिक क्रांति

म्यूच्युअल फंड्स का सफर सिर्फ वित्तीय आदत का बदलाव नहीं, बल्कि एक नई आर्थिक क्रांति है। पिछले 15 सालों में एसेट अंडर मैनेजमेंट में 10 गुना वृद्धि यह दर्शाती है कि भारतीय समाज अब वित्तीय पैमाने पर भी परिपक्व हो रहा है। छोटे निवेशक, महिला निवेशक और ग्रामीण निवेशक सब मिलकर नई ‘बचत क्रांति’ का निर्माण कर रहे हैं।youtube


अंतिम विचार

म्यूच्युअल फंड्स में निवेश करने का मतलब सिर्फ पैसा बनाना नहीं, बल्कि देश के आर्थिक विकास में सक्रिय भागीदारी निभाना है। जैसे-जैसे वित्तीय समावेशन और डिजिटल एक्सेस बढ़ेगा, करोड़ों लोग बैंकिंग से निकलकर म्यूच्युअल फंड्स की ओर बढ़ेंगे। इससे आम परिवारों की स्थिति सुधरेगी, शेयर बाजार मजबूत होगा, और भारत आर्थिक महाशक्ति बनने की राह में आगे बढ़ेगा। भविष्य में SIP अकाउंट्स और म्यूच्युअल फंड्स की बढ़ती रोशनी हर घर को आर्थिक रूप से सक्षम बनाएगी।youtube

  1. https://www.youtube.com/watch?v=WWqj5ggVUPY

भारतीय परिवारों में बचत की आदत एक महत्वपूर्ण आर्थिक व्यवहार है। दशकों तक, अधिकांश लोग अपनी मेहनत की कमाई सबसे सुरक्षित विकल्प—बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और सेविंग अकाउंट—में रखना पसंद करते थे। लेकिन पिछले 10-15 वर्षों में इसमें बड़ा बदलाव आया है। अब भारतीय परिवार पारंपरिक बैंकिंग विकल्पों की जगह म्यूच्युअल फंड्स जैसे निवेश साधनों को चुनने लगे हैं। इस लेख में विस्तार से जानेंगे कि कैसे यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था, शेयर बाजार और परिवारों की वित्तीय सोच को प्रभावित कर रहा है।youtube


पारंपरिक बचत की कहानी

भारतीय परिवार में बचत का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा रहा है। आमतौर पर, बैंक के एफडी और बचत खाते ही पहली पसंद बनते थे। FD पर मिलने वाला ब्याज पहले 8-9% के आसपास था लेकिन धीरे-धीरे यह घटकर 6-7% रह गया। इस गिरावट ने निवेशकों को सोचने पर मजबूर किया कि क्या उनकी बचत के लिए बेहतर विकल्प मौजूद हैं।youtube


बदलती सोच: बैंक से म्यूच्युअल फंड्स की ओर

मौजूदा दशक में भारतीयों का रुझान म्यूच्युअल फंड्स की ओर तेजी से बढ़ा है। 2012 में जहां घरेलू बचत का सिर्फ 1% भाग म्यूच्युअल फंड्स में था, 2025 तक यह आंकड़ा 6% तक पहुंच चुका है। यह वृद्धि इस बात का संकेत है कि निवेशकों का भरोसा परंपरागत सुरक्षित विकल्पों से हटकर अपेक्षाकृत जोखिम वाले लेकिन ज्यादा रिटर्न वाले विकल्पों की ओर जा रहा है।youtube


FD दरों का गिरना और SIP की लोकप्रियता

बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट में ब्याज दरों में लगातार गिरावट आई है, जिससे निवेशकों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) का विकल्प बेहद आकर्षक बन गया है। SIP में हर माह छोटी-छोटी रकम निवेश की जाती है जो समय के साथ बड़ा फंड बन जाती है और इक्विटी या डेट जैसे विकल्पों में निवेश करके अच्छा रिटर्न दे सकती है।youtube


छोटे निवेशकों की बड़ी भूमिका

म्यूच्युअल फंड्स ने छोटे निवेशकों को निवेश की दुनिया से रूबरू कराया है। पहले, शेयर बाजार या फंड्स में निवेश बड़े शहरों के उच्च आमदनी वर्ग तक ही सीमित था। अब मोबाइल ऐप्स और डिजिटल सुविधाओं के कारण छोटे शहरों तक भी पहुंच बन चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक, टॉप 30 शहरों से ज्यादा तेज ग्रोथ छोटे शहरों में नए SIP अकाउंट्स खोलने की आई है। आज SIP अकाउंट्स की संख्या 9 करोड़ से भी ऊपर है।youtube


महिलाओं का बढ़ता निवेश

म्यूच्युअल फंड्स के सेक्टर में महिला निवेशकों की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। पारंपरिक तौर पर महिलाओं की वित्तीय निर्णयों में भूमिका सीमित रही है। लेकिन बदलते समय के साथ डिजिटल जानकारी, ऐप्स और जागरूकता से महिलाएं निवेश कर रही हैं और अपने परिवार की आर्थिक मजबूती में योगदान दे रही हैं।youtube


म्यूच्युअल फंड्स का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) ग्रोथ

आरबीआई के अनुसार, म्यूच्युअल फंड्स का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 2010 में लगभग 6 लाख करोड़ था। मार्च 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 65 लाख करोड़ से ऊपर चला गया। यानी 15 साल में 10 गुना से भी ज्यादा की ग्रोथ। यही AUM बैंक डिपॉजिट से भी तुलना में मजबूत स्थिति में आ चुका है: 2014 में म्यूच्युअल फंड्स का AUM सिर्फ 10% था, लेकिन 2024 तक यह रेश्यो 24% हो गया है।youtube


घरेलू शेयर बाजार पर प्रभाव

म्यूच्युअल फंड्स का बढ़ता प्रभाव अब घरेलू शेयर बाजार को भी बदल रहा है। म्यूच्युअल फंड्स के पास अब इतना बड़ा पूंजी है कि वे स्टॉक मार्केट में लिक्विडिटी, स्थिरता और रिटर्न पर महत्वपूर्ण असर डाल सकते हैं। इससे भारतीय शेयर बाजार को मजबूती मिली है और बाहरी विदेशी निवेशकों पर निर्भरता कुछ हद तक कम हुई है।youtube


आर्थिक विकास और वित्तीय समावेशन

आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा के अनुसार, लोगों का इक्विटी निवेश में बढ़ता रुझान ‘कलेक्टिव पार्टिसिपेशन इन नेशनल ग्रोथ’ की श्रेणी में आता है। यानी देश की तरक्की में अब आम आदमी की बचत भी शामिल हो रही है। वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) और डिजिटल एक्सेस के कारण आनेवाले समय में म्यूच्युअल फंड्स का हिस्सा और बढ़ेगा।youtube


विकसित देशों से तुलना

भले ही म्यूच्युअल फंड्स का भारतीय घरेलू बचत में हिस्सा 6% तक पहुंच गया है, लेकिन विकसित देशों के मुकाबले यह काफी कम है। अमेरिका में यह हिस्सा 25-30% के आसपास है। यहां अभी भी काफी स्कोप है—जैसे-जैसे आर्थिक जागरूकता, डिजिटल सुविधाएं, वित्तीय शिक्षा और समावेशन और बढ़ेंगे, वैसे-वैसे यह आंकड़ा भी बढ़ेगा। आने वाले वर्षों में भारत में म्यूच्युअल फंड्स की लोकप्रियता और हिस्सेदारी और तेज़ी से बढ़ने की संभावना है।youtube


डिजिटल इंडिया का योगदान

‘डिजिटल इंडिया’ अभियान ने ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में वित्तीय सेवाओं की पहुंच आसान बना दी है। भारत में आज स्मार्टफोन, इंटरनेट और मोबाइल एप्स के माध्यम से सेकंड्स में म्यूच्युअल फंड्स की खरीदारी या बिकवाली हो सकती है। ऑनलाइन KYC और पेमेंट सिस्टम ने निवेश को आसान, तेज़ और पारदर्शी बना दिया है।youtube


शहरी-ग्रामीण निवेश अंतर

जहां एक ओर मेट्रो शहरों में म्यूच्युअल फंड्स की पकड़ मजबूत है, वहीं अब छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में भी निवेशक आगे आ रहे हैं। SIP जैसे पेमेंट ऑप्शन, डिजिटल ट्रांजैक्शन और वित्तीय साक्षरता अभियान ने इस अंतर को तेजी से कम किया है। छोटे शहरों से SIP की ग्रोथ टॉप 30 शहरों से भी तेज है—यह सामाजिक और वित्तीय बदलाव का सूचक है।youtube


बचत की नई सोच—रिस्क और रिटर्न

भारतीय निवेशक अब रिस्क लेने को तैयार हैं। FD में पूर्ण सुरक्षा होती है लेकिन रिटर्न कम है; म्यूच्युअल फंड्स में कुछ जोखिम होता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में बेहतर रिटर्न की संभावना रहती है। निवेशकों का बदलता नज़रिया बताता है कि वे अपने पैसे सिर्फ सुरक्षित नहीं, बल्कि बढ़ाना भी चाहते हैं और नए विकल्पों के लिए खुल कर सोच रहे हैं।youtube


वित्तीय शिक्षा और जागरूकता की भूमिका

बदलाव में वित्तीय शिक्षा की भूमिका अहम है। म्यूच्युअल फंड्स को अब भारतीयों तक विस्तार से समझाया जाता है—सुरक्षा, लाभ, जोखिम, टैक्सेशन, SIP के फायदे जैसे पहलू स्पष्ट किए जाते हैं। Money9, SEBI जैसे संस्थानों द्वारा लगातार कैंपेन चलाए जा रहे हैं जिससे आम निवेशक सही जानकारी हासिल कर सके।youtube


SIP—आसान, नियमित और व्यावहारिक

SIP यानी सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान अब आम निवेशकों का पसंदीदा माध्यम बन गया है। SIP की खासियत है—कम मात्रा में नियमित निवेश, कंपाउंडिंग का फायदा, मार्केट वोलैटिलिटी से बचाव, और लॉन्ग टर्म में बड़ी सम्पत्ति का निर्माण।youtube


आने वाले समय में चुनौतियां और संभावनाएं

भले ही म्यूच्युअल फंड्स का आधार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी चुनौतियां हैं जैसे—कम वित्तीय साक्षरता, शेयर बाजार में रिस्क, फ्रॉड का डर, पारदर्शिता, नियमों की समझ। साथ ही, छोटे निवेशकों के लिए कस्टमर सपोर्ट, हिंदी रीजनल भाषाओं में जानकारी उपलब्ध कराना, बाजार में उतार-चढ़ाव से निवेशकों को प्रशिक्षित करना भी ज़रूरी है।youtube


भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर

म्यूच्युअल फंड्स में बढ़ता निवेश वर्तमान में भारतीय शेयर बाजार को ज्यादा स्थिरता, लिक्विडिटी और ताकत दे रहा है। घरेलू निवेशकों की बढ़ती हिस्सेदारी के कारण शेयर बाजार विदेशियों की मंशा पर कम निर्भरता दिखा रहा है। इससे मौद्रिक नीति, रोजगार, स्थानीय कंपनियों में निवेश के मौके और आर्थिक ग्रोथ को सकारात्मक दिशा मिल रही है।youtube


निष्कर्ष—एक नई आर्थिक क्रांति

म्यूच्युअल फंड्स का सफर सिर्फ वित्तीय आदत का बदलाव नहीं, बल्कि एक नई आर्थिक क्रांति है। पिछले 15 सालों में एसेट अंडर मैनेजमेंट में 10 गुना वृद्धि यह दर्शाती है कि भारतीय समाज अब वित्तीय पैमाने पर भी परिपक्व हो रहा है। छोटे निवेशक, महिला निवेशक और ग्रामीण निवेशक सब मिलकर नई ‘बचत क्रांति’ का निर्माण कर रहे हैं।youtube


अंतिम विचार

म्यूच्युअल फंड्स में निवेश करने का मतलब सिर्फ पैसा बनाना नहीं, बल्कि देश के आर्थिक विकास में सक्रिय भागीदारी निभाना है। जैसे-जैसे वित्तीय समावेशन और डिजिटल एक्सेस बढ़ेगा, करोड़ों लोग बैंकिंग से निकलकर म्यूच्युअल फंड्स की ओर बढ़ेंगे। इससे आम परिवारों की स्थिति सुधरेगी, शेयर बाजार मजबूत होगा, और भारत आर्थिक महाशक्ति बनने की राह में आगे बढ़ेगा। भविष्य में SIP अकाउंट्स और म्यूच्युअल फंड्स की बढ़ती रोशनी हर घर को आर्थिक रूप से सक्षम बनाएगी।youtube

  1. https://www.youtube.com/watch?v=WWqj5ggVUPY

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