कैसे एक आर्किटेक्ट बने विरक्त संत? (How an Architect Became a Renunciate Saint)

कैसे एक आर्किटेक्ट बने विरक्त संत? (How an Architect Became a Renunciate Saint)

परिचय

यह कहानी है एक ऐसे युवा की, जिसने दिल्ली के आर्किटेक्चर कॉलेज में पढ़ाई करते हुए जीवन के भौतिक आकर्षणों को छोड़कर, संतत्व की राह चुन ली। यह परिवर्तन केवल एक साधारण निर्णय नहीं था, बल्कि गुरु कृपा और आध्यात्मिक आकर्षण का परिणाम था, जिसने उन्हें संसारिक जीवन से विरक्त कर दिया और भजन मार्ग की ओर अग्रसर किया1

आर्किटेक्ट से संत बनने की यात्रा

  • कॉलेज के दिनों में, जब वे दिल्ली में आर्किटेक्चर कॉलेज में आर्किटेक्चर की पढ़ाई कर रहे थे, तभी पहली बार वृंदावन में परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज से मिले।

  • महाराज जी के दर्शन मात्र से ही उनके जीवन में गहरा आकर्षण उत्पन्न हुआ। उनका सादा, करुणामय और मित्रवत स्वभाव इतना प्रभावशाली था कि वे बार-बार महाराज जी के पास जाने लगे।

  • कॉलेज के दोस्तों की जगह अब उनका मन महाराज जी की संगति में लगने लगा। दिल्ली से बार-बार वृंदावन जाना और महाराज जी के साथ अधिक से अधिक समय बिताना उनकी दिनचर्या बन गई।

  • धीरे-धीरे, गुरु कृपा और सत्संग के प्रभाव से उनके मन के सभी भौतिक आकर्षण स्वतः समाप्त होते गए। परिवार, करियर, धन—सबका मोह कम होता गया और भजन, साधना, सेवा में मन लगने लगा।

गुरु कृपा का महत्व

  • संत बनने की इस यात्रा में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका गुरु की कृपा की रही। महाराज जी ने उन्हें अपनापन और मार्गदर्शन दिया, जिससे वे अपने भीतर की सभी इच्छाओं और विकारों को त्याग सके।

  • यह बदलाव सहज और स्वाभाविक था—न कोई जबरदस्ती, न कोई बाहरी दबाव। गुरु की निकटता और उनकी दृष्टि ने ही जीवन का उद्देश्य स्पष्ट कर दिया।

संघर्ष और अनुभव

  • परिवार में संपन्नता थी, पिता भोपाल में बिल्डर थे, माता-पिता को भी भक्ति में रुचि थी, लेकिन वह कहते थे कि गृहस्थ रहकर bhajan करे, लेकिन उन्हें कभी विरक्त और इस कोटि का बैराग लेकर bhajan करने कि उनकी आकांशा नहीं थी.

  • धीरे-धीरे, महाराज जी के प्रति आकर्षण इतना बढ़ गया कि संसारिक जीवन की सभी इच्छाएं फीकी पड़ गईं।

  • महाराज जी के साथ बिताए अनुभवों ने उन्हें यह विश्वास दिलाया कि जीवन का वास्तविक रहस्य और लक्ष्य केवल भक्ति और प्रिया प्रियतम के प्रति पूर्ण रूप से समर्पण में है1

  • मेरे अन्दर जो भी विकार आये तो हमने खुलकर महाराज जी के सामने बोला और उनकी कृपा से वे विकार धीरे धीरे ख़त्म हो गए. हमें वो ही संभालते आ रहे हैं.

निष्कर्ष

एक साधारण आर्किटेक्ट का संत बनना केवल शिक्षा या परिस्थितियों का परिणाम नहीं था, बल्कि गुरु कृपा, सत्संग, और आत्मिक आकर्षण का अद्भुत संगम था। यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणादायक है, जो जीवन में सच्चे उद्देश्य और शांति की तलाश कर रहे हैं।

Keywords

  • Architect to saint story

  • Spiritual transformation

  • Guru Kripa

  • Renunciation journey

  • Vrindavan saint life

  • Indian spiritual stories

  • Bhajan Marg

  • Sadguru Hit Premanand Govind Sharan Ji

  • Related Posts

    10 करोड़ के कैपिटल गेन पर भी जीरो टैक्स, जाने कैसे?

    नीचे दिए गए स्रोत के आधार पर विस्तृत हिंदी लेख प्रस्तुत है, जिसमें भारत में केपिटल गेन (लाभांश) पर शून्य इनकम टैक्स देने की विधि, रिइंवेस्टमेंट के फायदों एवं संबंधित…

    Continue reading
    Indian Rupee | टूटकर बिखर गया रुपया, आई महा गिरावट!

    यहाँ “Indian Rupee | टूटकर बिखर गया रुपया, आई महा गिरावट! | BIZ Tak” वीडियो पर आधारित 2000 शब्दों का हिंदी लेख प्रस्तुत है: भारतीय रुपए में ऐतिहासिक गिरावट: कारण,…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    देवी चित्रलेखा जी ने महाराज जी से क्या प्रश्न किया ? Bhajan Marg

    देवी चित्रलेखा जी ने महाराज जी से क्या प्रश्न किया ? Bhajan Marg

    10 करोड़ के कैपिटल गेन पर भी जीरो टैक्स, जाने कैसे?

    10 करोड़ के कैपिटल गेन पर भी जीरो टैक्स, जाने कैसे?

    Indian Rupee | टूटकर बिखर गया रुपया, आई महा गिरावट!

    Indian Rupee | टूटकर बिखर गया रुपया, आई महा गिरावट!

    India Forex Reserve | देश के खजाने पर बड़ी खबर, हो गई बल्ले-बल्ले!

    India Forex Reserve | देश के खजाने पर बड़ी खबर, हो गई बल्ले-बल्ले!

    Silver: 64% रिटर्न के बाद जानिए टैक्स का नियम, नहीं तो लगेगा तगड़ा चूना

    Silver: 64% रिटर्न के बाद जानिए टैक्स का नियम, नहीं तो लगेगा तगड़ा चूना

    IPO बाज़ार में ऐतिहासिक उछाल: निवेशकों का बढ़ता भरोसा और कंपनियों का नया युग

    IPO बाज़ार में ऐतिहासिक उछाल: निवेशकों का बढ़ता भरोसा और कंपनियों का नया युग