
नीचे दिए गए वीडियो की सामग्री के आधार पर, दिल्ली के चांदनी चौक के कुचा महाजनी बाजार में सोने और चांदी की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि, बाजार का माहौल, ग्राहकों व ज्वेलर्स की प्रतिक्रिया, तेजी के प्रमुख वैश्विक कारण, और निवेश पर विशेषज्ञ राय को विस्तार से शामिल करते हुए, हिन्दी लेख प्रस्तुत किया जा रहा है.
सोने के दामों में ऐतिहासिक उछाल: चांदनी चौक के कुचा महाजनी का जमीनी माहौल
प्रस्तावना
साल 2025 में सोने के दामों ने न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में तहलका मचाया हुआ है। इस वर्ष की शुरुआत में 10 ग्राम सोने की कीमत जहाँ ₹80,000 थी, वह अब अक्टूबर 2025 में ₹1,20,000 तक पहुँच चुकी है। यानी मात्र 9 महीनों में 50% की बढ़ोत्तरी, जिसे शायद ही पहले कभी देखा गया हो। इस रिपोर्ट में हम दिल्ली के सबसे बड़े सोने-चांदी के बाजार – चांदनी चौक के कुचा महाजनी – की जमीनी हकीकत समझेंगे, जहाँ धनतेरस और शादी के सीजन के चलते खरीदारी का माहौल है। साथ ही जानेंगे कि इतनी अधिक कीमतों के चलते खरीदार, ज्वेलर्स और विशेषज्ञ क्या सोचते और बताते हैं।
बाजार का मौजूदा परिदृश्य
इस रिपोर्ट में सबसे पहले कुचा महाजनी में मौजूदा भीड़-भाड़, ग्राहक और दुकानदारों की स्थिति देखी गई। बाजार में दिनभर भीड़ भले दिखाई दे, लेकिन असल में खरीदारी न के बराबर है। दुकानदारों का स्पष्ट कहना है कि सोने-चांदी की कीमतें इतनी अधिक हो चुकी हैं कि आम आदमी के बजट से बाहर हो गया है। वे बताते हैं कि काम एकदम ठप्प है। जो ग्राहक दिख रहे हैं, वे अथवा तो मजबूरी में खरीदारी कर रहे हैं (शादी आदि के आयोजन के लिए) या बेमन से लौट रहे हैं।youtube
कई ज्वेलर्स कहते हैं, “पहले तोलों में बात होती थी, अब ग्राम-ग्राम में सौदा हो रहा है।” एक खरीदार का अनुभव है, “अब 100 ग्राम लेना मुश्किल है, पहले लोग मजे से ले लेते थे।” सोने के रेट में फर्क इतना हो गया है कि पहले जो बात तोलों में होती थी, अब सिर्फ ग्रामों तक सीमित है।youtube
खरीददारों के अनुभव और रिएक्शन
ग्राहकों से बात करने पर साफ होता है कि हर कोई रेट्स से परेशान है। विशेषज्ञ और आम लोग बताते रहे हैं कि “शौक की कोई कीमत नहीं होती,” लेकिन अब शौक ही मुश्किल हो गया है, बजट बिगड़ता जा रहा है।
- एक महिला बताती हैं, “साल की शुरुआत में जो ₹80,000 का सोना था वह अब ₹1,20,000 हो गया है। चांदी भी खूब तेज़ी से बढ़ी है।”
- एक बुजुर्ग कहते हैं, “पहले ₹5100 में एक अंगूठी ले सकते थे, अब अंगूठी की कीमत ₹5,000 में ही बैठती है।”youtube
खासकर शादी के सीजन में मजबूरीवश खरीददारी करनी पड़ रही है, लेकिन शौक को पूरा कर पाना अब मुश्किल है।
ज्वेलर्स का नजरिया
कई दुकानदारों का कहना है कि मार्केट में दिख रही चहल-पहल मात्र दिखावा है—असल ग्राहक तो हैं ही नहीं। उनका तर्क है कि ऐसे भावों पर तो केवल वही खरीदारी कर रहा है, जिसे शादी, फंक्शन वगैरह की वजह से मजबूरी है या फिर कोई निवेशक है। फालतू की खरीददारी बिल्कुल बंद हो गयी है।
कामकाज बिल्कुल ठप्प है, बहुत सी दुकानें खाली हैं, ग्राहक आ नहीं रहे, खरीददारी बस शादी या मजबूरी तक सीमित रह गई है।
चांदी के बाजार में भी असमंजस
चांदी की स्थिति भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। ग्राहक कहते हैं, “चांदी भी खूब तेज हो रही है, पहले पजेबे (चांदी की पायल) 1 लाख में थी, अब डेढ़ लाख में हो गयी है।” चांदी का सामान, जो पहले सस्ता मिल जाता था, वह अब शादी और गिफ्ट के लिए खरीदना भी मुश्किल हो गया है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार का असर
ज्वेलर्स की राय है कि धनतेरस या भारतीय शादियों की खरीददारी का सोने-चांदी के भावों पर ज्यादा असर नहीं पड़ता—असल में दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार, विशेषकर डॉलर के भाव व वैश्विक डिमांड-सप्लाई से निर्धारित होते हैं। ज्वेलर्स बताते हैं कि इंटरनेशनल लेवल पर जब डॉलर कमजोर होता है, तो सोने के रेट्स बढ़ते हैं। डिमांड बढ़ चुकी है, सप्लाई उसकी तुलना में कम है, इसलिए भावों में लगातार तेज़ी आ रही है।
ऐतिहासिक कारण: एक्सपर्ट की राय
सेबी रजिस्टर्ड एक्सपर्ट अनिल राय जी के अनुसार, सोने में वर्तमान तेजी का मुख्य कारण मौसमी या शादी के सीजन की खरीददारी नहीं है, बल्कि वैश्विक जियोपॉलिटिकल बदलाव हैं। उनका कहना है –
- “BRICS कंट्रीज (भारत, चीन, रूस, तुर्की आदि) बड़े पैमाने पर सोना खरीद रहे हैं। ये देश अब विदेशी रिजर्व के रूप में डॉलर के बजाय गोल्ड को प्रेफर कर रहे हैं।”
- “डॉलर की दादागिरी अब दुनिया को पसंद नहीं आ रही, ब्रिक्स देश और विकसित देश अब डॉलर की बजाय सोने के रिजर्व का महत्व समझ रहे हैं।”
- “डॉलर कमजोर हो रहा है, डॉलर इंडेक्स पिछले चार सालों के न्यूनतम स्तर पर है। इससे ग्लोबल डिमांड-सप्लाई में बदलाव आया है और सोना इन्वेस्टमेंट के लिहाज से सबसे मजबूत विकल्प बन गया है।”
एक्सपर्ट के तथ्यों मुताबिक, जनवरी से लेकर अब तक सोने ने करीब 48% का रिटर्न दिया है, पिछले 40-42 दिनों में 17-18% का तेज़ उछाल आया है। यह स्टॉक मार्केट से भी कहीं तेज है। कारण है कि केंद्रीय बैंक, खासकर BRICS के देश, अपनी ट्रेड सुरक्षा के लिए सोना खरीद रहे हैं। ये दिशा पोस्ट-कोविड पीरियड में तेज़ हो चली है।
डीडोलराइजेशन और सोने में निवेश
डीडोलराइजेशन यानि अमेरिका की ट्रेड मोनोपोली को चरम पर देखते हुए बाकी देश सोने की खरीदारी में जुटे हैं। अमेरिका भी अब बड़े पैमाने पर गोल्ड खरीद रहा है ताकि भविष्य में ट्रेड में अपनी स्थिति मजबूत रख सके।
एक्सपर्ट बताते हैं, “पहले हमारी करेंसी गोल्ड स्टैंडर्ड पर बेस्ड थी, बाद में मनी प्रिंटिंग के चलते गोल्ड से कोई लेना-देना नहीं रह गया था। अब इकॉनमी की मजबूती के लिए रिज़र्व में डॉलर की जगह सोने को प्रेफर किया जा रहा है।” हाल ही में भारत सरकार ने भी UK से अपना गोल्ड रिजर्व वापस बुलवा लिया है, जिससे साफ है कि वैश्विक स्तर पर तैयारियां जोरों पर हैं।
आगे क्या? गिरावट या और तेजी?
अनिल राय जी के अनुसार, “गोल्ड के रेट में तीव्र बढ़ोत्तरी के बावजूद बहुत बड़ी गिरावट आने की संभावना नहीं है, क्योंकि तकनीकी आउट्लुक के साथ-साथ जियोपॉलिटिकल फैक्टर्स की वजह से इसमें सप्लाई की तुलना में डिमांड कहीं अधिक है।
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करना क्या चाहिए?
एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि शादी या गिफ्ट के लिए खरीदारी में देर न करें, क्योंकि अगले एक-डेढ़ महीने में भावों में भारी गिरावट के आसार नहीं हैं।”
निवेशकों के लिए, वह कहते हैं, “सोने में निवेश हमेशा लंबी अवधि के लिए करना चाहिए, कम से कम पाँच साल का होराइजन रखें। शॉर्ट टर्म में गिरावट/पुलबैक संभव है, लेकिन लंबी अवधि में गोल्ड मजबूत रहेगा। निवेश एक साथ न करें, समय-समय पर पार्ट-पार्ट में निवेश करें ताकि एवरेजिंग का लाभ मिलेगा। JP Morgan के अनुसार गिरावट आ सकती है, लेकिन उनकी राय में वेस्टेड इंटरेस्ट हो सकता है।”
सोने का रिजर्व और भविष्य की चुनौतियाँ
रिपोर्ट के मुताबिक़, कई लोग यह भी कहते हैं कि अगले 15-20 सालों में धरती में सोने की खानें लगभग खत्म हो सकती हैं। हालांकि एक्सपर्ट इसकी पुष्टि नहीं करते, लेकिन यह जरूर मानते हैं कि माइनिंग की तुलना में डिमांड बहुत ज्यादा है। आधुनिक युग में गहनों के बजाए रिसाइक्लिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि में सोना ज्यादा इस्तेमाल हुआ है।
गहनों की श्रेणी में भी बदलाव आ रहा है—पहले 22 कैरेट शुद्ध सोना खरीदा जाता था, अब लोग 14-18 कैरेट की तरफ बढ़ रहे हैं क्योंकि रेट बहुत बढ़ गए हैं।
वर्तमान हालात और सलाह
सोने की तेजी का मुख्य कारण भारत में शादी या त्यौहारों की खरीददारी नहीं, बल्कि वैश्विक डिमांड-सप्लाई, डॉलर इंडेक्स की कमजोरी, और जियोपॉलिटिकल मोर्चाबंदी है। भारत के अलावा दुनिया के अनेक देश अपने विदेशी रिजर्व के लिए सोने की तरफ बढ़ गए हैं ताकि अमेरिकी डॉलर की मोनोपोली को चुनौती दी जा सके।
दूसरे शब्दों में कहें, यह समय दुनिया भर में एक परिवर्तनकारी आर्थिक भूचाल का है, जिसमें गोल्ड को फिर से एक सुरक्षित निवेश और रिजर्व के रूप में स्वीकार्यता मिल रही है। विशेषज्ञों की राय में, खरीदारों को शादी या जरूरी खरीददारी के लिए भावों का इंतजार नहीं करना चाहिए, निवेशकों को हमेशा पार्ट-पार्ट निवेश करना चाहिए व लंबी अवधि के लिए गोल्ड रखना चाहिए।
चीज़ें बदल रही हैं; गोल्ड और चांदी अब आम आदमी के बजट में नहीं हैं, सिर्फ मजबूरी, शादी या निवेस के लिए खरीदी जा रही हैं। चांदी भी इसी दौर में बहुत महंगी हो चुकी है। ज्वेलर्स, खरीदार, एक्सपर्ट—सभी का एक स्वर है कि ऐसे भाव कभी नहीं देखे गए हैं। सरकारें भी अपने रिजर्व में गोल्ड बढ़ा रही हैं। आने वाला समय यही संकेत देता है कि आर्थिक अस्थिरता के बीच सोना फिर से केंद्र बना है।
गोल्ड के कूचा महाजनी में, चांदनी चौक के बाजार में तकरीबन सभी दुकानदार एक सुर में कहते हैं, “काम ठप्प है; ग्राहक नहीं हैं; मजबूरीवश ही खरीददारी हो रही है; रेट्स बस बढ़ते जा रहे हैं”—यही है दिल्ली के सबसे बड़े बाजार का सच। इस माहौल का यह लेख दस्तावेज बनकर सामने है।
संदर्भ
लेख का सम्पूर्ण तथ्यात्मक आधार शरद शर्मा की जमीनी रिपोर्ट, दिल्ली, कूचा महाजनी, 4 अक्टूबर 2025, जिसमें एक्सपर्ट अनिल राय (SEBI Registered Analyst) सहित संभावित ज्वेलर्स, खरीदारों से बातचीत और वीडियो में प्रस्तुत विश्लेषण शामिल है।