अगर आप चाहते हैं कि आपके निधन के पश्चात आपका फ्लैट सिर्फ आपकी पत्नी को मिले और बच्चों को अधिकार न मिले, तो इस उद्देश्य के लिए कौन सा तरीका सबसे सुरक्षित, किफायती और सरल है—वसीयत (Will) या उपहार-पत्र (Gift Deed)? यहाँ दोनों विकल्पों, उनकी प्रक्रिया, लाभ-हानि और विशेषज्ञों की राय का विस्तार से वर्णन है।
वसीयत (Will) क्या है?
वसीयत एक वैधानिक दस्तावेज है जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति अपने मृत्यु के पश्चात अपनी संपत्ति का मालिक तय करता है। इस दस्तावेज में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाता है कि किसे, कहाँ और कैसे संपत्ति मिलेगी। वसीयत की सबसे बड़ी अनुभूति यह है कि इससे मालिकाना हक मृत्यु के बाद स्थानांतरित होता है, जबकि जीवनकाल में मालिक खुद संपत्ति का स्वामी बना रहता है।
वसीयत की खासियतें
- केवल एक नाम के हक में संपत्ति निर्धारित की जा सकती है।
- रजिस्ट्रेशन शुल्क नाममात्र होता है, कोई स्टाम्प ड्यूटी या कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगता।
- जीवित रहने तक संपत्ति पर आपका अधिकार रहेगा।
उपहार-पत्र (Gift Deed) क्या है?
उपहार-पत्र यानी Gift Deed द्वारा किसी व्यक्ति को अपनी संपत्ति जीवनकाल में ही बिना किसी भुगतान के सौंपा जा सकता है। यह कानूनी तौर पर संपत्ति के हस्तांतरण का तरीका है।
- संपत्ति तुरन्त स्थानांतरित हो जाती है, उपहार देने के बाद आपको उस संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं रहेगा।
- संपत्ति ट्रांसफर के समय स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क देना पड़ता है, जो राज्य के हिसाब से अलग होता है।
- अगर आप चाहते हैं कि जीवनभर संपत्ति आपके स्वामित्व में रहे, तो उपहार-पत्र उपयुक्त नहीं है।
विशेषज्ञों की सलाह
ET Wealth के विशेषज्ञ (Share Samadhan के प्रतीक जैन) के अनुसार, सबसे बेहतर, किफायती और वैधानिक तरीका वसीयत बनाना ही है। खासतौर पर कोलकाता जैसी जगहों पर वसीयत का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है ताकि किसी प्रकार के विवाद के समय हाई कोर्ट से प्रोबेट प्राप्त करने की आवश्यकता न पड़े। रजिस्टर वसीयत होने से संपत्ति के ट्रांसफर में कोई टैक्स, सेस, स्टांप ड्यूटी आदि नहीं लगती। केवल नाममात्र शुल्क लगता है।
वसीयत बनाने की प्रक्रिया
- अपने नाम और पूरी संपत्ति का विवरण लिखें।
- स्पष्ट रूप से अपनी पत्नी को संपत्ति का इकलौता वारिस घोषित करें।
- वसीयत को दो गवाहों की उपस्थिति में हस्ताक्षरित करें।
- कोलकाता में इसे सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकरण करवाएं।
- रजिस्टर्ड वसीयत सुरक्षित रूप से रखें।
उपहार-पत्र बनाने की प्रक्रिया एवं खर्च
- उपहार देने वाले (Donor) और पाने वाले (Donee) की जानकारी लिखें।
- संपत्ति की पूरी जानकारी दर्ज करें।
- संबंधित राज्य की स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क का भुगतान करें।
- रजिस्ट्री कार्यालय में उपहार-पत्र संपन्न करें।
उपहार-पत्र की सीमाएं
- जीवनभर संपत्ति का अधिकार खो जाना।
- अधिक स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क।
- कानूनी उलझनों की संभावना बढ़ सकती है यदि बाद में परिस्थितियां बदलती हैं।
वसीयत का महत्व और कानूनी सुरक्षा
भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 के अनुसार वसीयत की कानूनी वैधता और इसके माध्यम से पैतृक अथवा स्वार्जित संपत्ति स्थानांतरित की जा सकती है। प्रोबेट की आवश्यकता तब पड़ती है जब वसीयत को चुनौती दी जाती है या रजिस्टर नहीं किया गया है। रजिस्टर वसीयत सुरक्षा देती है और संपत्ति का हक बिल्कुल स्पष्ट कर देती है।
उपहार देने की कानूनी प्रक्रिया जब लाभार्थी विदेश में हो
यदि कोई लाभार्थी विदेश जाता है और वसीयत या उपहार-पत्र के निष्पादन में उपस्थित नहीं हो सकता, तो इस परिस्थिति में लाभार्थी अपने किसी विश्वासी को पावर ऑफ अटॉर्नी (PoA) दे सकता है, जिसे संबंधित देश में नॉटरी और भारतीय एम्बेसी द्वारा प्रमाणीकरण करवाना अनिवार्य होगा। उसके बाद भारत में उस व्यक्ति के प्रतिनिधि के माध्यम से गिफ्ट डीड निष्पादित की जा सकती है।
वसीयत या उपहार-पत्र—कौन सा चुनें?
- अगर जीवनभर संपत्ति का हक अपने पास रखना है और पत्नी के नाम ट्रांसफर मृत्यु के बाद करना है, तो वसीयत ही बेहतर है।
- अगर बिना किसी शर्त के तुरंत संपत्ति हस्तांतरित करनी है और भविष्य में कोई अधिकार नहीं रखना है, तो उपहार-पत्र उपयुक्त है।
विरासत के लिए महत्वपूर्ण बातें
- वसीयत बनाते समय सभी संपत्ति, वारिस, गवाह नाम स्पष्ट दर्ज करें।
- वसीयत पंजीकृत (रजिस्टर्ड) करवाना अत्यंत आवश्यक है—खास तौर पर कोलकाता में।
- मृत्यु के बाद वसीयत के आधार पर वैधानिक प्रक्रिया पूरी होने पर पत्नी को संपत्ति का अकेला मालिकाना हक मिल जाएगा।
- संपत्ति ट्रांसफर में कोई अतिरिक्त टैक्स, स्टांप ड्यूटी या शुल्क नहीं लगता।
प्रमाणपत्र और म्युटेशन प्रक्रिया
मृत्यु के बाद वसीयत के आधार पर, संबंधित नगर निगम/प्राधिकरण में पत्नी के नाम म्युटेशन करवाना आवश्यक है, ताकि सरकारी रिकॉर्ड में भी नामांतरण संपन्न हो सके। इसके लिए वसीयत, मृत्यु प्रमाण-पत्र और अन्य दस्तावेज पेश करने होंगे।
निष्कर्ष
अपने फ्लैट को केवल पत्नी के नाम ट्रांसफर करने का सबसे सरल, सुरक्षित और किफायती तरीका रजिस्टर वसीयत बनाना है, जो कानूनन मान्य होती है और इसमें अन्य कोई खर्च, टैक्स या उलझन नहीं होती। उपहार-पत्र जीवनकाल में मालिकाना हक खो देने और अतिरिक्त खर्च के कारण प्रायः उपयुक्त नहीं है, जब तक तात्कालिक हस्तांतरण आवश्यक न हो।
इस प्रकार, भावी विवादों या संपत्ति के ट्रांसफर में जटिलता से बचने के लिए विशेषज्ञ सलाहानुसार वसीयत ही बनवाना सर्वोत्तम विकल्प है।







