यहाँ आपके अनुरोध के अनुसार, “पेंशन, सेवा ग्रेच्युटी नियम: केंद्र ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति झेल रहे सरकारी कर्मचारियों की पात्रता स्पष्ट की,” शीर्षक से लगभग 3000 शब्दों का विस्तृत हिंदी लेख प्रस्तुत है, जिसे आपके द्वारा दिए गए स्रोत, वर्तमान नियमों और सरकारी कार्यालयी ज्ञापन (DoPPW) की हालिया स्पष्टीकरण के आधार पर तैयार किया गया है।
प्रस्तावना
भारत में सरकारी कर्मचारियों की सेवा के दौरान अथवा सेवा समाप्ति पर मिलने वाली पेंशन एवं ग्रेच्युटी को लेकर कई बार भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, विशेषकर तब जब किसी कर्मचारी को अनिवार्य सेवानिवृत्ति (compulsory retirement) दी जाती है। हाल ही में कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग (Department of Pension and Pensioners’ Welfare – DoPPW) ने इस संदर्भ में केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 के तहत एक नया कार्यालयी ज्ञापन जारी किया है, जो इनपुट देता है कि अनिवार्य सेवानिवृत्त कर्मचारियों को क्या-क्या लाभ मिलेंगे तथा उनकी पात्रता क्या होगी।
अनिवार्य सेवानिवृत्ति क्या है
अनिवार्य सेवानिवृत्ति आम तौर पर वह प्रक्रिया है, जिसमें सार्वजनिक हित में किसी सरकारी कर्मचारी को सेवा से हटा दिया जाता है। यह कई बार अनुशासनात्मक कार्रवाई के रूप में भी दी जा सकती है तथा यह केंद्र और राज्य सरकारों के कर्मचारियों पर लागू होती है।ति समर्पण एवं ड्यूटी पर की गई कार्रवाइयों को ध्यान में रखते हुए संबंधित प्राधिकारी निर्णय लेता है। इसमें कर्मचारी को दोषी पाया गया या न पाया गया हो, लेकिन उसे सेवा के लिए उपयुक्त न मानते हुए पद से हटा दिया जाता है।
केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021: पेंशन की पात्रता
पेंशन नियम 44 के तहत प्रावधान
कार्मिक विभाग के कार्यालयी ज्ञापन (30 अक्टूबर, 2025) के अनुसार, यदि किसी सरकारी कर्मचारी को कम-से-कम 10 वर्ष की योग्य सेवा पूरी करने के पश्चात अनिवार्य सेवानिवृत्त किया गया है, तो वह अनिवार्य सेवानिवृत्ति पेंशन के लिए पात्र होगा।
नियम 44(4)(a) कहता है कि, “जहाँ कोई सरकारी कर्मचारी 10 वर्ष या उससे अधिक की योग्य सेवा पूरी होने के बाद सेवा से अनिवार्य सेवानिवृत्त किया जाता है, तो उसे नियम 40 के तहत स्वीकृत अनिवार्य सेवानिवृत्ति पेंशन की इतनी ही राशि या प्रतिशत मिलती है, जितनी सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकृत की जाती है।”
पेंशन की गणना कैसे होगी?
नियम 44(1) के अनुसार, सामान्यतः 10 वर्ष या अधिक की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारी को पेंशन, उसके वेतनमान अथवा औसत वेतनमान का 50% मिलेगा, जो उसके लिए अधिक लाभकारी होगा। यह राशि न्यूनतम ₹9000 प्रतिमाह और अधिकतम ₹1,25,000 प्रतिमाह तक सीमित है। यदि किसी कर्मचारी को अनुशासनात्मक कारणों से नियम 40 के तहत पेंशन दी जा रही है, तो यह न्यूनतम दो-तिहाई से कम नहीं हो सकती, लेकिन पूरी पेंशन भी दी जा सकती है।
सक्षम प्राधिकारी अपने विवेक से यह पेंशन निर्धारित करता है। यदि पेंशन पूर्ण पेंशन की तुलना में कम दी जाती है, तो मामला यू.पी.एस.सी. के पास भेजा जाएगा।
10 वर्ष से कम सेवा वालों के लिए सेवा ग्रेच्युटी
नियम 44(4)(b) के तहत प्रावधान
यदि किसी कर्मचारी ने 10 वर्ष से कम योग्य सेवा पूरी की है और उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाती है, तो ऐसे मामलों में कर्मचारी को पेंशन के बजाय सेवा ग्रेच्युटी मिलेगी। सेवा ग्रेच्युटी की राशि उतनी ही या उतने प्रतिशत के बराबर होगी, जितनी सक्षम प्राधिकारी नियत करेगा।
इसका अभिप्राय यह है कि दस वर्ष से कम सेवा वाले सरकारी कर्मचारी केवल सेवा ग्रेच्युटी के पात्र होंगे, न कि नियमित पेंशन के।
अनिवार्य सेवानिवृत्ति पेंशन: परिभाषा एवं अन्य नियम
नियम 40(1) के अनुसार
यदि किसी सरकारी कर्मचारी को अनुशासनात्मक प्रक्रिया के तहत अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है, तो उसे पेंशन, सेवा निवृत्ति ग्रेच्युटी अथवा दोनों, सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
यह राशि सेवा सेवानिवृत्ति के दिन कर्मचारी को मिलने वाली पूरी पात्रता का न्यूनतम दो-तिहाई या अधिक (लेकिन पूरी पात्रता तक) हो सकती है।
नियम 40(2) के अनुसार
यदि पेंशन स्थायी पेंशन से कम स्वीकृत होती है तो यह मामला अनिवार्य रूप से UPSC को सलाह के लिए भेजा जाना चाहिए। यहां ‘पेंशन’ शब्द में ग्रेच्युटी भी शामिल है।
पेंशन और ग्रेच्युटी की न्यूनतम और अधिकतम सीमा
- न्यूनतम पेंशन: ₹9000 प्रति माह
- अधिकतम पेंशन: ₹1,25,000 प्रति माह
यह सीमा उन कर्मचारियों के लिए लागू होती है, जिन्होंने सभी आवश्यक नियम और अवधि पूरी की है।
पेंशन और ग्रेच्युटी की गणना: उदाहरण के साथ
मान लीजिए, किसी कर्मचारी की औसत मासिक वेतन ₹50,000 है और उसने 30 वर्ष की सेवा पूरी की है।
- यदि उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति नियम 40 के तहत दी गई है तो न्यूनतम पेंशन (2/3) = 33,333 प्रति माह और अधिकतम पूरी पेंशन = ₹25,000 (50% of 50,000) होगी।
- 10 वर्ष से कम सेवा वालों को नियम 44(4)(b) के अनुसार केवल ग्रेच्युटी (कोई पेंशन नहीं) मिलेगी।
विभिन्न सेवा अवधी में पात्रता का सारांश
| सेवा अवधि | पात्रता | प्राधिकरण के विवेकाधिकार में | न्यूनतम राशि (अनिवार्य पेंशन) |
|---|---|---|---|
| 10 वर्ष या अधिक | अनिवार्य सेवानिवृत्ति पेंशन | हाँ | 2/3 से पूरी पेंशन तक |
| 10 वर्ष से कम | सेवा ग्रेच्युटी | हाँ | प्राधिकरण द्वारा तय प्रतिशत |
नियमों का उद्देश्य और कर्मचारी हित
इन नियमों के पीछे का मुख्य उद्देश्य यह है कि यदि कोई कर्मचारी सार्वजनिक हित में या अनुशासनात्मक कारणों से अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया जाता है, तब भी उसकी आर्थिक सुरक्षा बनी रहे। लेकिन यदि उस कर्मचारी की सेवा अवधि 10 वर्ष से कम है, तो उसे केवल ग्रेच्युटी मिलती है जो उसके समर्पण और सेवा अवधि का सम्मान है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
- क्या अनिवार्य सेवानिवृत्त कर्मचारी को प्राविडेंट फंड मिलता है?
- वह अपने खाते में जमा रकम निकाल सकता है, जैसे अन्य सेवानिवृत्त कर्मचारियों को मिलता है।
- क्या अनिवार्य सेवानिवृत्त कर्मचारी को पेंशन नियम के अनुसार अन्य सुविधाएँ मिलती हैं?
- यदि 10 वर्ष से अधिक सेवा है तो पेंशन मिलेगी; अन्य सुविधाएँ जैसे चिकित्सा सुविधा संस्था की नीतियों पर निर्भर करती हैं।
- क्या ग्रेच्युटी टैक्सेबल होती है?
- ग्रेच्युटी के लिए आयकर से छूट की सीमा निर्धारित है, अधिक रकम होने पर वह टैक्स के दायरे में आएगी।
निष्कर्ष
केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर नियमों में संशोधन एवं स्पष्टीकरण जारी करना कर्मचारियों के लिए लाभप्रद है ताकि अनावश्यक भ्रामक स्थिति न बने और सरकारी कर्मचारियों, विशेषकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति झेल रहे व्यक्तियों को उनके अधिकारों की जानकारी रह सके।
यदि आप सरकारी कर्मचारी हैं या इस संबंध में किसी की मदद करना चाहते हैं, तो उपरोक्त विवरण आपको स्पष्टता प्रदान करेगा। हमेशा अपने विभागीय कर्मचारियों या पेंशन अधिकारी से संपर्क करें यदि आपको अपने मामले से जुड़ी विशेष जानकारी या व्यक्तिगत सलाह चाहिए।
संदर्भ:
यह लेख आर्थिक टाइम्स में प्रकाशित ताजा सरकारी स्पष्टीकरण, सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021, और कार्मिक विभाग के ज्ञापन (30 अक्टूबर, 2025) पर आधारित है।







