विदेश जाने का सपना, पासपोर्ट खरीदें या कमाएँ?—इमिग्रेशन, वीज़ा, ग्लोबल सिटिजनशिप और देश चुनने की पूरी गाइड

नीचे दिए गए वीडियो की विस्तार से हिंदी में विश्लेषणात्मक और तथ्यात्मक लेख प्रस्तुत किया जा रहा है। यह लेख उन सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं, चर्चा, जानकारी और सलाहों को कवर करेगा जो वीडियो में Deepesh Deshmukh (DSquare Global) और Raj Shamani द्वारा इमिग्रेशन, वीज़ा, ग्लोबल सिटिजनशिप, अलग-अलग देशों के पासपोर्ट, भारत से बाहर जाने के ट्रेंड, स्कैम्स, सफल माइग्रेशन के तरीके, परिवार की सेटलमेंट, एजेंट्स की धोखाधड़ी, और भारत वापस लौटने की चर्चा के दौरान साझा किए गए हैं। लेख विषय-वार तथा महत्वपूर्ण उदाहरणों सहित संरचित और विस्तृत रहेगा।


इमिग्रेशन, वीज़ा और माइग्रेशन पर विस्तारपूर्ण हिंदी लेख

1. पासपोर्ट खरीदना – पैसा और पॉलिसी

भारत समेत कई देशों से लोगों का बाहर जाने का सपना अब किसी से छुपा नहीं है। 21वीं सदी में यह एक बड़ा ट्रेंड बन गया है कि भारतीय नागरिक, विशेषकर युवावर्ग, अमेरिका, कनाडा, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, यूके आदि देशों में बसना चाहते हैं। वीडियो की शुरुआत इसी विषय से होती है—क्या पासपोर्ट पैसे से खरीद सकते हैं?

सच यह है, कई छोटे देश विशेष कार्यक्रम के तहत पासपोर्ट बेचते हैं। जैसे कैरेबियन देश (सेंट किड्स, ग्रेनाडा, बारबाडोस, डोमिनिका आदि) डोनेशन या प्रॉपर्टी निवेश के जरिए पासपोर्ट देते हैं। ग्रेनाडा का पासपोर्ट लगभग $3 लाख (करीब ₹2.5 करोड़) में उपलब्ध है, जिसमें प्रॉपर्टी खरीदनी अनिवार्य है। पासपोर्ट मिल जाने पर व्यक्ति 140 से अधिक देशों में वीज़ा-फ्री ट्रैवल कर सकता है।youtube​

मिनिमम लागत और प्रक्रिया

  • बोनाफाइड देश: डोमिनिकन रीपब्लिक, ग्रेनाडा, सेंट किड्स, बारबाडोस आदि
  • निवेश: $1.5-3 लाख डॉलर (₹1.25-2.5 करोड़)
  • प्रक्रिया: डोनेशन/प्रॉपर्टी खरीदना → डॉक्युमेंटेशन → पासपोर्ट इश्यू

लेकिन, भारतीय पासपोर्ट धारकों को ऐसा करने से पहले अपना भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करना आवश्यक है। ओवरसीज़ सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) के जरिए वे भारत में रह सकते हैं लेकिन वोटिंग और एग्रीकल्चर बिजनेस के अधिकार नहीं रहते।

2. कौन से देश मुश्किल बनाते हैं?

सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, मिडिल ईस्ट (UAE, दुबई, सऊदी अरब) पासपोर्ट परंपरागत तौर पर बेचना या आसानी से नागरिकता देना possible नहीं है। सिंगापुर ने नागरिकता पाना बेहद कठिन बना दिया है। UAE में तो किंग्स का शासन है—अप्रत्याशित रूप से कभी-कभी ही विशेष योगदान पर पासपोर्ट मिलता है, आम नागरिक को नहीं। यही कारण है कि वहाँ सिर्फ गोल्डन वीज़ा, वर्क परमिट आदि ही मिलते हैं, परमानेंट नागरिकता नहीं।

3. Dual Citizenship – भारत में क्यों प्रतिबंध?

भारत सरकार अब तक ड्यूल सिटीजनशिप को मंजूरी नहीं देती। इसका कारण मुख्यतः टैक्सेशन, सुरक्षा और सामाजिक कारणों से जुड़ा है। हालांकि, सरकार लंबे समय से इस मुद्दे को टाल रही है जबकि अधिकांश बड़े देश ड्यूल सिटीजनशिप स्वीकारते हैं। भारतीय लोग पासपोर्ट छोड़ने को मजबूर हैं इसीलिए ओसीआई कार्ड पॉपुलर है, जिससे वे देश में रह सकते हैं, लेकिन कुछ अधिकार नहीं मिलते।

4. बाहर जाने की वजह – पैसा यां जीवन स्तर?

वीडियो में यह स्पष्ट रूप से सामने आता है कि अधिकांश भारतीय सिर्फ पैसे के लिए नहीं, बल्कि बेहतर जीवन के लिए बाहर जाना चाहते हैं। भारत के छोटे शहर से बड़े में, और बड़े शहर से विदेश— यह मानव स्वभाव हो गया है। बाहर जाके व्यक्ति को, respect, cleaner environment, बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, कानून का सख्त पालन, सामाजिक सिक्योरिटी, आत्मनिर्भरता का अनुभव मिलना एक बड़ा आकर्षण बन गया है।

इसीलिए छात्र भी उच्च शिक्षा के नाम पर migration को प्राथमिकता देते हैं। “9.5/10 छात्र असल में पढ़ाई से अधिक माइग्रेशन चाहते हैं।”

5. अमेरिका, कनाडा, यूरोप – प्रक्रिया और चुनौतियाँ

अमेरिका जाने के प्रमुख रास्ते:

  • Student Visa (F1) – पढ़ाई के लिए, पढ़ाई पूरी करके OPT (Optional Practical Training), फिर H1B (Work Permit)
  • H1B – Highly Skilled Professionals के लिए, lottery सिस्टम
  • EB Visas – Investment और जॉब creation के लिए; EB5 में $8 लाख डॉलर निवेश करके 10 अमेरिकन नौकरी बनाना/गुजारा जरूरी, EB2, EB3 employment based हैं, EB1 PhD और उच्च वैज्ञानिकों के लिए है
  • Marriage — genuine/unlawful methods, अक्सर एजेंट्स धोखाधड़ी करते हैं

इन रास्तों में सबसे आसान तरीका student visa से जाना लगता है, लेकिन अमेरिकी नीतियाँ बदलती रहती हैं, तो जॉब और पॉइंट सिस्टम के चलते H1B पाना कठिन होता गया है। EB5 में भी कई स्कैम होते हैं, जैसा कि वीडियो में बताया गया है—ghost projects, फर्जी जॉब क्रिएशन आदि।

EB5 का genuine तरीका—proper projects चुनना, regional centers की government verified documents देखना और पैसा escrow अकाउंट में रखना। गलत सलाह या लालच (ब्याज के नाम पर) से निवेशक अपना पैसा और ग्रीन कार्ड दोनों खो सकता है।

कनाडा/यूरोप/ऑस्ट्रेलिया

  • PR point system के चलते कनाडा में भी अब आव्रजन उतना आसान नहीं रहा, masters degree जरूरी/ high points
  • ऑस्ट्रेलिया ने तो ज्यादातर immigration प्रोग्राम बंद कर दिए हैं
  • यूरोप (Greece, Portugal आदि) में residency और citizenship निवेश के जरिए मिल सकती है, लेकिन language problem और racism भी एक मुद्दा है

6. दुबई – गोल्डन वीज़ा, पैसा कमाने का paradise

दुबई में income tax zero है। गोल्डन वीज़ा के जरिए 10 या 5 साल की residency मिल जाती है। प्रॉपर्टी खरीदना (करीब 4-5 करोड़ की), या अगर आपके बिजनेस में सालाना कमाई 1 करोड़+ है तो eligibility बन जाती है। कई लोग दुबई को springboard की तरह इस्तेमाल करते हैं—पहले वहां काम करो, पैसा कमाओ, फिर western world में आगे जाओ।

7. परिवार सहित सेटलमेंट – best देशों के विकल्प

संपन्न परिवारों के लिए ट्रस्ट फंड बेबीज़, क्वालिटी ऑफ लाइफ की चाहत में माइग्रेशन एक टॉप प्रोत्साहन है। हाउसमैन, ड्राइवर, महराज, मेड जैसे घरेलु सहायक के लिए proper वीज़ा exist नहीं करता—इंडियंस को इसमें फंसने के चांस रहते हैं। ग्रीन कार्ड के बाद spouse और dependent kids को citizenship मिलते हैं, पांच साल बाद parents को भी sponsorship किया जा सकता है।

8. एजेंट स्कैम और धोखाधड़ी—सावधानियाँ

वीडियो में एजेंट्स में स्कैम्स की चर्चा है। मुख्य रेड फ्लैग्स:

  • Too-good-to-be-true offers
  • Guarantee देना – कोई वीज़ा प्रोग्राम गारंटी नहीं देता
  • Ghost/Low-quality universities – फीस बहुत कम, बिना proper लेक्चर के, बहुत सारे बच्चों को केवल वीज़ा के लिए admission दे देना

कनाडा PR, H1B अमेरिका में बिना proper degree के वादा करना सरासर फ्रॉड है।

9. भारत वापस लौटना – क्या लोग लौटेंगे?

अमेरिका, कनाडा, यूरोप या ऑस्ट्रेलिया में रहना एक आरामदायक जीवन देता है, लेकिन कोई भी देश परफेक्ट नहीं। अधिकांश प्रवासी, खुशी-खुशी नहीं लौटते—ज्यादातर वापस आने की वजह वीज़ा न renewal होना, जॉब loss या फैमिली कारण/रिटायरमेंट होता है। भारत में तेजी से growth हो रही है, लेकिन वापसी भारत के booming economy के कारण कम, मजबूरी के चलते ज्यादा होती है।

10. सबसे बड़ी गलती – desperation, फर्जी डॉक्यूमेंट, गलत एजेंट

पैसा दिखाने की desperation, दोस्तों-यारों के अकाउंट से पैसा transfer करना, या fake savings, यह सब वीज़ा rejection की मुख्य वजह हैं। सही तरीका—parental legit transfers, student loan दिखाना, investment proof डॉक्यूमेंटेशन सही होना। दोस्त की गिफ्ट—टैक्स लग सकता है, proper agreement/documentation जरूरी है।

11. क्वालिटी ऑफ लाइफ, टैक्स, खर्चा – देश चयन की गाइड

अमेरिका में $2-3000/month से basic जिंदगी कट सकती है, upscale areas में रेंट बहुत ज्यादा हो जाता है; लेकिन जॉब्स plentiful है, especially IT, food business, pharma में Indians excel करते दिखते हैं। यूरोप में language barriers, racism issues हैं, लेकिन कुछ देशों में PR तथा बिजनेस करने के लिए काफी संभावनाएँ बनी हुई हैं।

टैक्सेशन: भारत में global income पर टैक्स भरना चलता है। दुबई, अमेरिका में अलग-अलग बैंक अकाउंट सिस्टम है जिससे पैसे मूव करना, टैक्स प्लानिंग आसान होती है—लेकिन proper legal structure फॉलो करना जरूरी है।


प्रमुख takeaways –

  1. माइग्रेशन का सपना: अधिकतर भारतीय युवा बेहतर जीवन, सम्मान, और अपने परिवार को सपोर्ट करने के लिए विदेश जाना चाहते हैं।
  2. पासपोर्ट खरीदने वाला सिस्टम: सिर्फ कुछ छोटे देशों में (कैरेबियन) scope, बड़े देशों में पेट के दम पर नागरिकता पाना बहुत मुश्किल।
  3. ड्यूल सिटीजनशिप का मुद्दा: भारत छोड़ते समय भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करना अनिवार्य।
  4. इमिग्रेशन स्कैम्स: सही जानकारी, government authorized regional centers पर ही निवेश करें, एजेंट की कोई गारंटी या ऑफर लालच में न आएं।
  5. एजुकेशन और वीज़ा स्कैम: Ghost universities, non-attending या fake degrees पर कभी भरोसा न करें, proper credit hours और reporting mandatory है।
  6. गोल्डन वीज़ा, स्प्रिंग बोर्ड strategy: दुबई समेत कुछ देश माइग्रेशन को stepping stone बना सकते हैं, gaps और loopholes legal तरीके से भरना जरूरी।
  7. घर वापसी का ट्रेंड: खुशी-खुशी लौटने का trend कम है, मजबूरी में लौटना, भारत की बढ़ती economy के बावजूद US और दूसरे देशों में बेहतर लाइफ की चाहत stronger है।

निष्कर्ष

इस वीडियो में माइग्रेशन, पासपोर्ट, वीज़ा, global citizenship, एजेंट स्कैम्स, परिवार के सेटलमेंट, टैक्सेशन, क्वालिटी ऑफ लाइफ जैसी सभी ज्वलंत विषयों की गहराई से चर्चा की गई है। Deepesh Deshmukh अपने दो दशकों के अनुभव से अपने क्लाइंट्स को law, डॉक्युमेंटाेशन, सही projects, और हर कदम पर proper guidance देने की सलाह देते हैं। वहीं, राज शमानी के सवाल आम जनता की चिंता, aspiration, जीवन स्तर, और भविष्य की उम्मीदों को दर्शाते हैं।

यह लेख वीडियो में हुई सारी चर्चा और सलाहों का समग्र सार प्रस्तुत करता है जिससे पाठकों को इमिग्रेशन, वीज़ा, विदेश में बसने और भारत वापस लौटने के ट्रेंड के बारे में गहन समझ मिले।


( वीडियो में दिए गए सभी विषयों, उदाहरणों और अनुभवों को विस्तारपूर्वक कवर करता है। अगर आपको किसी विशेष विषय पर, और डीटेल चाहिए या किसी पार्ट का विस्तार और जोड़ना है, तो कृपया बताएं!)

  1. https://www.youtube.com/watch?v=gxzonqijbPA

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