
नीचे दिया गया लेख प्रसिद्ध यूट्यूबर और हेल्थ इंफ्लुएंसर “Food Pharmer” के वीडियो समीक्षा और जानकारी पर आधारित है, जिसमें मार्केट में उपलब्ध चिप्स की सेहत, मार्केटिंग रणनीति, भ्रमपूर्ण दावों, और स्वाद-स्वास्थ्य के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई है।
बाजार में चिप्स: स्वाद, मार्केटिंग और सेहत
आजकल बाजार में ढेर सारे चिप्स मौजूद हैं, लेकिन कौन सा चिप्स सबसे अच्छा या सबसे हेल्दी है, यह सवाल हर उपभोक्ता के मन में आता है। चिप्स दो श्रेणियों में आते हैं—पहला वर्ग वो है जो खुद को खुलकर “अनहेल्दी” मानते हैं; दूसरा वर्ग वो है जो अपने उत्पाद को “हेल्दी” बताते हैं।
1. चिप्स के दो प्रमुख वर्ग
- पहला वर्ग: ऐसे चिप्स जिनमें सैचुरेटेड फैट्स और पाम ऑयल की मात्र अधिक होती है। ये ब्रांड खुद को हेल्दी प्रमोट नहीं करते, लेकिन खुल्लम-खुल्ला स्नैक्स के तौर पर बाजार में बिकते हैं।
- दूसरा वर्ग: ऐसे चिप्स जो हेल्दी होने का दावा करते हैं। इनका प्रचार “Multigrain,” “Low Fat,” या “No Palm Oil” जैसे शब्दों के साथ किया जाता है। इनमें फैट बाकी सामान्य चिप्स से काफी कम जरूर होता है, लेकिन इनमें क्लर्स, फ्लेवर, और एक्सपायरी बढ़ाने वाले एजेंट भी होते हैं।
2. लोकप्रिय चिप्स और उनकी मार्केटिंग
कुछ चिप्स बड़ों-छोटों के स्वाद के पसंदीदा होते हैं, लेकिन उनकी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी भी बहुत अनूठी है। मिसाल के तौर पर, कुछ ब्रांड्स अपने उत्पाद को देश की रोज़मर्रा की चीज जैसे चाय से जोड़ते हैं। इससे कन्ज़म्प्शन बढ़ता है। विज्ञापन में चिप्स को परिवार के साथ खाने की बात कह कर और चाय के टाइम को “मस्ती टाइम” बनाकर प्रचारित किया जाता है।
3. हेल्दी के झूठे दावे
मल्टीग्रेन चिप्स और नमकीन में “No Palm Oil,” “Low Fat,” या “Fried Not Baked” जैसे टैग आम हैं। लेकिन जरूरी नहीं कि ये पूरी तरह हेल्दी हों। कई बार इनमें फैट कम होता है, मगर स्वाद, रंग और संरक्षक मिक्स करके स्वाद बढ़ाया जाता है और एक्सपायरी डेट लंबी की जाती है।
4. प्लास्टिक का भ्रम
कई बार ये अफवाह होती है कि कुरकुरे जैसी कुछ चिप्स में प्लास्टिक है। वास्तव में चिप्स जलने पर धुंआ या जलन तेल की वजह से होती है, न कि प्लास्टिक की।
5. स्वास्थ्य के अनुसार पसंदीदा चिप्स
अगर स्वास्थ्य की बात की जाए, तो कुछ चिप्स ऐसे हैं जिनमें whole grains ज्यादा होते हैं और फैट कम होता है। इनमें सिंपल इंग्रेडिएंट्स रहते हैं, कृत्रिम रंग और एजेंट कम होते हैं।
6. एक्सपायरी डेट और स्वास्थ्य
स्नैक्स की लंबी एक्सपायरी डेट का मतलब है कि उसमें संरक्षक मिलाए गए हैं, जो शरीर के लिए अच्छे नहीं होते। ऐसे उत्पादों की सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए।
हेल्दी चिप्स चुनने के उपाय
- पैकेट के पोषण चार्ट को ध्यान से पढ़ें।
- सैचुरेटेड फैट और पाम ऑयल वाले चिप्स से बचें।
- कम preservatives और कम artificial colors/flavors वाले चिप्स चुनें।
- Whole grains, multigrain, या baked chips का विकल्प आजमाएं।
- घर में कम स्टॉक करें और सीमित मात्रा में ही इस्तेमाल करें।
7. चिप्स का असर सेहत पर
- ज्यादा सैचुरेटेड फैट खाने से दिल की बीमारियां बढ़ सकती हैं।
- Palm oil और artificial ingredients का लगातार सेवन करने से शरीर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
- बच्चों में लगातार चिप्स खाने से मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
8. स्वाद बनाम स्वास्थ्य
स्वाद के लिए कभी-कभार स्नैक्स खाना ठीक है, लेकिन इसे अक्सर खाने की आदत न डालें। महीने में एक-दो बार खाना नुकसानदायक नहीं है, लेकिन रोजाना नहीं खाना चाहिए।
9. विज्ञापन के झूठे दावे
“Strong Immunity,” “Healthy Snack” जैसे विज्ञापन टैग सिर्फ उपभोक्ता को आकर्षित करने के लिए होते हैं। पैकेट पर लिखी बातों को खुद परखें, विज्ञापन से भ्रमित न हों।
निष्कर्ष
बाजार में ज्यादातर चिप्स स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतर नहीं हैं। स्वादिष्ट चिप्स खुलेआम “अनहेल्दी” हैं और हेल्दी बताने वाले ब्रांड भी पूरी तरह हेल्दी नहीं होते। चिप्स का सेवन सीमित मात्रा में करें, पोषण और इंग्रेडिएंट्स जरूर देखें, और मार्केटिंग के झूठे दावों से बचें। नियमित स्नैकिंग की बजाय ताजे फल और घर का खाना अपनाएँ।
- Grand View Research – India Healthy Fruit And Vegetable Chips Market Size & Trends
- TKC Indian Snack Market Analysis (2025)
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- Nexdigm: India Savory Snacks Market Outlook to 2030
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