यहाँ प्रस्तुत लेख “Bank holiday today for Chhath Puja 2025” पर आधारित का विस्तृत हिंदी संस्करण।
छठ पूजा 2025 पर दो दिनों का बैंक अवकाश: बिहार, झारखंड समेत पूर्वी राज्यों में तैयारियाँ पूरी
भारत में त्योहारों की बहुलता न केवल सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है बल्कि यह देश के सामाजिक जीवन की आत्मा को भी दर्शाती है। इन्हीं पर्वों में से एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पर्व है — छठ पूजा। यह सूर्य देवता और छठी मइया के प्रति आस्था का पर्व है, जिसे विशेष रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में अत्यधिक श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है।
इस वर्ष छठ पूजा 2025 का आयोजन 27 और 28 अक्टूबर को किया जा रहा है। इस अवसर पर बिहार और झारखंड में दो दिनों का बैंक अवकाश घोषित किया गया है। देश के विभिन्न हिस्सों में बैंक ग्राहकों को सलाह दी गई है कि वे इन तिथियों के दौरान अपने वित्तीय लेन-देन की योजना समय रहते पूरी कर लें, क्योंकि इन दो दिनों में शाखाएँ बंद रहेंगी और केवल ऑनलाइन सेवाएँ चालू रहेंगी।
छठ पूजा का महत्व और पौराणिक कथा
छठ पर्व का आरंभ भगवान सूर्य की उपासना से जुड़ा हुआ है। प्राचीन मान्यता के अनुसार, सूर्य देव को जीवन का दाता कहा गया है — वे न केवल प्रकाश के स्रोत हैं बल्कि संपूर्ण सृष्टि के पालनकर्ता भी हैं। छठ पूजा के दौरान महिलाएँ और पुरुष दोनों उपवास रखकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं और परिवार के कल्याण की कामना करती हैं।
माना जाता है कि छठी मइया (या छठी माता) सूर्य देव की बहन और प्रकृति की छठी शक्ति हैं। वे संतान की रक्षा और परिवार की समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। इस पर्व के माध्यम से श्रद्धालु प्रकृति, जल, वायु, अग्नि, आकाश और सूर्य के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं।
छठ पूजा की चार दिवसीय प्रक्रिया
- नहाय खाय (पहला दिन)
इस दिन महिलाएँ नहाकर शुद्ध भोजन तैयार करती हैं, जो बिना लहसुन-प्याज के बनाया जाता है। घर की पवित्रता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। - खरना (दूसरा दिन)
इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखती हैं और शाम को गुड़ और चावल की खीर, रोटी और केला से प्रसाद बनाकर सूर्य देव को अर्पित करती हैं। इसके बाद परिवारजनों और पड़ोसियों के साथ प्रसाद का वितरण होता है। - संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन)
तीसरे दिन की शाम को व्रती और परिवारजन नदी, तालाब या घाट पर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। हजारों की संख्या में श्रद्धालु घाटों पर एकत्र होकर मंत्रोच्चारण करते हैं। - उषा अर्घ्य (चौथा दिन)
यह पर्व का सबसे मुख्य अवसर होता है। प्रातःकाल व्रती उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत पूर्ण करते हैं। इस समय वातावरण श्रद्धा, संगीत, लोकगीतों और उत्सव से भरा होता है।
बैंक हॉलिडे शेड्यूल: कौन-से राज्य रहेंगे बंद?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित छुट्टी के अनुसार, 27 अक्टूबर (संध्या अर्घ्य) और 28 अक्टूबर (उषा अर्घ्य) के दिन बिहार और झारखंड के बैंकों में सार्वजनिक अवकाश रहेगा।
हालाँकि, अन्य राज्यों में यह अवकाश स्थानिक परंपराओं के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।
अक्टूबर 2025 के अन्य प्रमुख बैंक अवकाश
| तिथि | अवसर |
|---|---|
| 1 अक्टूबर | विजयादशमी / महा नवमी |
| 2 अक्टूबर | गांधी जयंती / दशहरा |
| 6 अक्टूबर | लक्ष्मी पूजा |
| 7 अक्टूबर | वाल्मीकि जयंती / कुमार पूर्णिमा |
| 10 अक्टूबर | करवा चौथ |
| 18 अक्टूबर | काती बिहू |
| 20 अक्टूबर | दीपावली / नरक चतुर्दशी |
| 21 अक्टूबर | गोवर्धन पूजा / अमावस्या |
| 22 अक्टूबर | बलिप्रतिपदा / विक्रम संवत नया वर्ष |
| 23 अक्टूबर | भैया दूज / चित्रगुप्त जयंती |
| 27 अक्टूबर | छठ पूजा (संध्या) |
| 28 अक्टूबर | छठ पूजा (प्रातः) |
| 31 अक्टूबर | सरदार वल्लभभाई पटेल जयंती |
नागरिकों के लिए आवश्यक सुझाव
- जो भी नागरिक बैंकिंग कार्य जैसे चेक जमा, नकद निकासी या डिमांड ड्राफ्ट संबंधी कार्य करना चाहते हैं, वे 26 अक्टूबर तक कार्य पूर्ण कर लें।
- डिजिटल सेवाएँ जैसे UPI, नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग इन दिनों चालू रहेंगी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली और नेटवर्क बाधाओं को ध्यान में रखते हुए, पहले से कुछ नगद राशि निकालना उपयुक्त रहेगा।
प्रधानमंत्री का संदेश और सामाजिक एकता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में छठ पूजा की शुभकामनाएँ देते हुए इस पर्व को भारत की सामाजिक एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व न केवल आस्था का बल बल्कि लोक संस्कृति की शक्ति को भी दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि छठ पूजा उस भारतीय परंपरा का सजीव उदाहरण है जिसमें सूर्य और प्रकृति को माता के रूप में पूजने की भावना निहित है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
छठ पूजा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।
- इस अवसर पर लाखों लोग अपने गृह प्रदेशों — विशेषतः बिहार और झारखंड — लौटते हैं, जिससे रेल और बस सेवाओं में भारी दबाव बढ़ जाता है।
- स्थानीय बाजारों में फल, पूजा सामग्री, साड़ी, बांस के डाले और सूखे मेवों की खरीद बढ़ जाती है।
- नदी किनारे अस्थायी बाजार और सजावट से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है।
पर्यावरण और स्वच्छता का संदेश
पिछले कुछ वर्षों में सरकार और स्थानीय निकायों ने छठ पूजा के दौरान पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर बल दिया है। घाटों पर प्लास्टिक मुक्त अभियान, स्वच्छता ड्राइव और सौर प्रकाश व्यवस्था जैसी पहलें इस पर्व को और भी पर्यावरण-सम्मत बनाती हैं।
श्रद्धालु अब अधिकतर इको-फ्रेंडली प्रसाद पात्र और बांस के बने टोकरों का उपयोग करते हैं।
निष्कर्ष
छठ पूजा 2025 न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि यह सूर्य पूजा, सामाजिक एकता, पर्यावरण संरक्षण और स्त्रियों की भक्ति शक्ति का उत्कृष्ट समन्वय भी है। बैंक अवकाश जैसी व्यवस्थाएँ यह दर्शाती हैं कि भारत की आर्थिक व्यवस्थाएँ भी सांस्कृतिक जीवन के प्रति संवेदनशील हैं।
बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश की जनता इस पर्व को असाधारण श्रद्धा और सामूहिकता के साथ मना रही है, जिससे यह पर्व सम्पूर्ण भारतीय समाज के लिए प्रेरणा बन गया है।
संदर्भ:
आधार स्रोत — The Economic Times, “Bank holiday today for Chhath Puja 2025”economictimes.indiatimes






