EKANTIK VARTALAP अगर बच्चे प्रेम-विवाह करना चाहें तो माँ-बाप क्या करें ? Bhajan Marg (EN)

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भजन मार्ग: प्रेमानंद महाराज जी द्वारा विवाह, ब्रह्मचर्य और माता-पिता की अनुमति पर मार्गदर्शन

परिचय

भजन मार्ग के इस विशेष सत्संग में परम पूज्य वृंदावन रसिक संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज ने आज के युवाओं के विवाह, ब्रह्मचर्य और माता-पिता की अनुमति के महत्व पर गहन विचार साझा किए हैं। यह प्रवचन श्री हित राधा केलि कुंज, वराह घाट, वृंदावन धाम से प्रसारित हुआ, जिसमें उन्होंने जीवन साथी चुनने, पारिवारिक मूल्यों और सामाजिक मर्यादाओं पर प्रकाश डाला1

विवाह के लिए जीवन साथी का चयन और ब्रह्मचर्य का महत्व

महाराज जी ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि कोई युवक-युवती अपना जीवन साथी स्वयं चुनते हैं और विवाह तक पवित्रता (ब्रह्मचर्य) का पालन करते हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों को विवाह तक संयमित और मर्यादित रहना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन न केवल आत्म-संयम का प्रतीक है, बल्कि यह भविष्य के सुखी दांपत्य जीवन की नींव भी है।

“दोनों शादी जब तक ना हो तब तक ब्रह्मचर्य से रहें, पर माता-पिता का आशीर्वाद जरूरलें।

माता-पिता की अनुमति और आशीर्वाद का महत्व

महाराज जी ने माता-पिता के आशीर्वाद को अनिवार्य बताया। उन्होंने कहा कि जिस मां ने नौ महीने गर्भ में रखा, पालन-पोषण किया, उसके अधिकार को न छीनें। जीवन साथी चुनने से पहले माता-पिता की अनुमति और आशीर्वाद लेना चाहिए। उन्होंने युवाओं को सलाह दी कि वे अपने माता-पिता के चरणों में झुककर अपनी इच्छाओं को साझा करें और उनकी सहमति प्राप्त करें।

“माता-पिता की अनुमति, आदेश और आशीर्वाद लेना बहुत जरूरी है

परंपरागत विवाह संस्कार और सामाजिक मर्यादा

महाराज जी ने पुराने समय की परंपराओं का उल्लेख करते हुए बताया कि पहले विवाह के समय पूरे गांव के देवताओं और बड़े-बुजुर्गों की पूजा होती थी, ताकि विवाह संस्कार आजीवन मंगलमय रहे। आज के समय में बच्चों द्वारा माता-पिता की बात न मानना, मनमानी करना, और सामाजिक मर्यादाओं की अनदेखी करना दुखद परिणाम देता है।

उन्होंने कहा कि आजकल के बच्चे बिना अनुमति के संबंध बनाते हैं, जिससे बाद में ब्रेकअप, तलाक, और पारिवारिक विघटन जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

आधुनिक समाज में विवाह और चुनौतियाँ

महाराज जी ने आज के सामाजिक परिवेश की आलोचना करते हुए कहा कि अब समाज में विवाह और परिवार की मर्यादा कमजोर हो गई है। बच्चों में अनुशासन की कमी, नशा, व्यभिचार, और परिवार से दूरी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि माता-पिता की अनुमति के बिना विवाह करने से अक्सर रिश्तों में दरार आ जाती है।

पति-पत्नी के संबंधों में संतुलन और जिम्मेदारी

महाराज जी ने पति-पत्नी के संबंधों में आपसी समझ, संतुलन और जिम्मेदारी पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि पति को अपनी पत्नी की आवश्यकताओं का ध्यान रखना चाहिए और पत्नी को भी अपने पति की स्थिति को समझते हुए अपनी इच्छाओं को सीमित रखना चाहिए। एक आदर्श पत्नी वही है जो पति को प्रसन्न और सुखी रखने का प्रयास करे।

“अर्धांगिनी वही है जो अपने पति के अनुसार चले, ऐसी पत्नी मिलना बड़े भाग्य कीबात है।

माता-पिता की भूमिका और नई पीढ़ी की सोच

महाराज जी ने माता-पिता को भी सलाह दी कि वे बच्चों की भावनाओं को समझें। यदि बेटा या बेटी किसी से विवाह करना चाहता है और माता-पिता से अनुमति मांगता है, तो उन्हें बच्चों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि माता-पिता को चाहिए कि वे prospective दामाद या बहू से मिलें, उनका व्यवहार और चरित्र देखें, और फिर निर्णय लें।

“माता-पिता को भी चाहिए कि उचित देख कर के मानना चाहिए, लड़की से बात करना चाहिए कि फ्रॉड तो नहीं है, उसका व्यवहारदेखना चाहिए।

समाज का भय और पारिवारिक संवाद

महाराज जी ने समाज के भय को निरर्थक बताया। उन्होंने कहा कि आज के समय में समाज का डर दिखाकर बच्चों की इच्छाओं को दबाना उचित नहीं है। समाज की सोच बदल गई है, और माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के साथ संवाद करें, उनकी भावनाओं को समझें, और सही निर्णय लें।

निष्कर्ष

भजन मार्ग के इस प्रवचन में प्रेमानंद महाराज जी ने युवाओं को ब्रह्मचर्य, माता-पिता की अनुमति, और विवाह के लिए पारंपरिक मूल्यों का पालन करने की प्रेरणा दी। उन्होंने माता-पिता और बच्चों दोनों को आपसी संवाद, समझदारी और जिम्मेदारी के साथ निर्णय लेने की सलाह दी। यह प्रवचन आज के बदलते सामाजिक परिवेश में विवाह और परिवार की मर्यादा को बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है1

मुख्य बिंदु संक्षेप में

  • विवाह से पहले ब्रह्मचर्य और पवित्रता का पालन करें।

  • जीवन साथी चुनने में माता-पिता की अनुमति और आशीर्वाद अनिवार्य है।

  • पति-पत्नी में आपसी समझ और जिम्मेदारी जरूरी है।

  • माता-पिता को भी बच्चों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।

  • समाज के भय के बजाय पारिवारिक संवाद और समझदारी से निर्णय लें।

अंतिम संदेश

महाराज जी का यह प्रवचन युवाओं और अभिभावकों दोनों के लिए मार्गदर्शक है। यह न केवल विवाह के लिए सही मार्ग दिखाता है, बल्कि पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों को भी सुदृढ़ करता है। ऐसे प्रवचन आज के समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम बन सकते हैं1

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