NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) और म्यूचुअल फंड दोनों ही निवेश के दो प्रमुख साधन हैं, जो पिछले दशक में भारतीय निवेशकों के बीच बहुत लोकप्रिय हुए हैं। दोनों में निवेश करने वाले को अच्छा रिटर्न मिल सकता है, लेकिन दोनों के काम करने का तरीका, जोखिम स्तर और टैक्स के फायदे अलग हैं। यहाँ पर पिछले 10 सालों में NPS और म्यूचुअल फंड में सबसे ज्यादा बने पैसे, रिटर्न कंपैरिज़न और इन दोनों विकल्पों की विस्तार से तुलना की जा रही है।
NPS और म्यूचुअल फंड: एक परिचय
NPS भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली एक रिटायरमेंट स्कीम है, जिसमें निवेशक को नियमित योगदान करना होता है। यह योजना मुख्यतः रिटायरमेंट के लिए पैसे जोड़ने में मदद करती है और इसमें इक्विटी, डेब्ट व अन्य एसेट्स में निवेश होता है।
वहीं, म्यूचुअल फंड एक पूल्ड इन्वेस्टमेंट प्लान है, जिसमें बहुत सारे निवेशकों का पैसा इकट्ठा किया जाता है और उस पैसे को प्रोफेशनल फंड मैनेजर शेयर बाज़ार, डेब्ट मार्केट या अन्य इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं।
पिछले 10 साल में NPS से सबसे ज्यादा रिटर्न
NPS में अलग-अलग प्रकार के फंड होते हैं जैसे इक्विटी (E), कॉर्पोरेट डेब्ट (C), गवर्नमेंट बॉन्ड (G) आदि। सबसे अधिक रिटर्न सामान्यत: इक्विटी (E) स्कीम में मिलता है। पिछले 10 साल के NPS Tier-1 E Scheme के औसत रिटर्न की बात करें, तो यह सालाना लगभग 11-12% के आसपास रही है।
मान लीजिए आपने हर महीने 10,000 रुपये NPS में 10 साल तक जमा किए, तो कुल राशि 12 लाख रुपये होगी। यदि इस पर औसतन 11% कंपाउंड रिटर्न मिला है, तो मच्योरिटी पर आपके पास लगभग 21 से 23 लाख रुपए की राशि हो सकती है।
कुछ NPS फंड्स ने यहाँ तक कि 12-13% सालाना रिटर्न भी दिया है, जिससे कुछ फंड्स में निवेश करने वालों ने और भी अधिक पैसा कमाया है।
पिछले 10 साल में म्यूचुअल फंड से सबसे ज्यादा रिटर्न
म्यूचुअल फंडों का सबसे फेमस और रिटर्न देने वाला कैटेगरी ‘इक्विटी डायवर्सिफाइड’ या ‘लार्ज-कैप’ तथा ‘मिड-कैप’ फंड्स रही है। किसी भी विशिष्ट टॉप परफॉर्मिंग फंड, जैसे Axis Bluechip Fund, Mirae Asset Large Cap Fund, SBI Small Cap Fund आदि, ने पिछले 10 वर्षों में सालाना 15% से 18% (CAGR) का रिटर्न दिया है।
यदि निवेशक ने 10 साल पहले हर महीने 10,000 रुपये म्यूचुअल फंड (SIP) में लगाए होते और सालाना औसतन 15% रिटर्न मिला होता, तो मच्योरिटी पर लगभग 28 लाख रुपये से अधिक की राशि होती। कुछ मिड-कैप और स्मॉल-कैप फंड्स ने तो 18-20% से भी ऊपर का सालाना रिटर्न दिया, जिससे निवेशक की राशि 32 से 35 लाख रुपए तक पहुँच सकती थी।
10 साल का NPS Vs Mutual Fund – रिटर्न कंपैरिजन
नीचे एक सरल तुलना दी गई है, जिससे फर्क साफ समझा जा सकता है।
| निवेश विकल्प | निवेश राशि (10 साल, मासिक 10,000) | संभावित औसत रिटर्न | मैच्योरिटी वैल्यू (क्लोज अनुमान) |
|---|---|---|---|
| NPS (E स्कीम) | 12,00,000 | 11-12% | 21-23 लाख |
| म्यूचुअल फंड (लार्ज-कैप) | 12,00,000 | 14-15% | 28-29 लाख |
| म्यूचुअल फंड (मिड/स्मॉल-कैप) | 12,00,000 | 17-20% | 33-36 लाख |
यहां साफ है कि एसआईपी म्यूचुअल फंड, खास तौर पर इक्विटी में, एनपीएस से काफी बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।
क्यों मिला म्यूचुअल फंड को ज्यादा रिटर्न?
- म्यूचुअल फंड में पूरी राशि इक्विटी में लगाई जाती है, जिससे मार्केट के उछाल का ज्यादा लाभ मिलता है।
- NPS में अधिकतम 75% ही इक्विटी में निवेश हो सकता है, और बाकी भाग डेब्ट/बॉंड्स में जाता है, इसलिए जोखिम व रिटर्न दोनों बैलेंस रहते हैं।
- म्यूचुअल फंड्स में फंड मैनेजर अधिक एग्रेसिव तरीके से निवेश करते हैं।
टैक्सेशन और लिक्विडिटी की तुलना
टैक्स फायदें
- NPS में निवेश करने पर धारा 80CCD(1B) के तहत 50,000 रु. अतिरिक्त टैक्स छूट मिलती है। निकासी के वक्त आंशिक राशि टैक्स-फ्री होती है, लेकिन एन्युटी लेना अनिवार्य है।
- म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीम में एक साल से ज्यादा का निवेश करने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (1 लाख तक छूट, उसके बाद 10%) लगता है।
लिक्विडिटी
- NPS में निवेश मैच्योरिटी से पहले नहीं निकाल सकते (कुछ मामलों में लिमिटेड परमीशन)।
- म्यूचुअल फंड एसआईपी कभी भी रिडीम किये जा सकते हैं।
किसके लिए क्या बेहतर?
- यदि उद्देश्य रिटायरमेंट के लिए फिक्स और सुरक्षित टूल चाहिए, तो NPS उपयुक्त है।
- यदि ज्यादा रिटर्न और लिक्विड पैसे की जरूरत है, तो म्यूचुअल फंड अधिक फायदेमंद हैं।
निवेश में जोखिम
- म्यूचुअल फंड (इक्विटी) का रिटर्न मार्केट पर निर्भर करता है। तेज गिरावट में भारी नुकसान भी हो सकता है।
- NPS में भी जोखिम है, लेकिन डेब्ट और गवर्नमेंट सिक्योरिटी में निवेश की वजह से जोखिम काफी कम रहता है।
NPS और म्यूचुअल फंड के महत्वपूर्ण बिंदु
- NPS सरकारी योजना है, म्यूचुअल फंड निजी कंपनियां चलाती हैं।
- NPS में लंबी अवधि का लॉक-इन है, म्यूचुअल फंड में फ्लेक्सिबिलिटी ज्यादा है।
- दोनों में SIP कर सकते हैं।
निष्कर्ष
पिछले 10 साल में अगर किसी निवेशक ने लगातार 10,000 रुपये मासिक NPS के E ऑप्शन में डाले होते, तो उसे आज 21-23 लाख रुपये मिलते। वही पैसा अगर म्यूचुअल फंड (लार्ज या मिड-कैप) में लगाया होता, तो उसकी वैल्यू 28 से 36 लाख हो जाती।
NPS टैक्स बेनिफिट, सुरक्षा और स्थिरता के लिए बेहतर, जबकि म्यूचुअल फंड उच्च रिटर्न, लचीलापन और जल्दी पैसे निकालने की आजादी के लिए उपयुक्त हैं।
यह फैसला निवेशक के लक्ष्यों, रिस्क प्रोफाइल और टैक्स प्लानिंग पर निर्भर करता है। आपकी जोखिम लेने की क्षमता यदि अधिक है तो म्यूचुअल फंड ज्यादा फायदा दे सकते हैं, जबकि सुरक्षित और टैक्स सेवी निवेशक के लिए NPS अच्छा विकल्प है।
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नोट: दोनों निवेश साधनों में निवेश के पहले अपने वित्तीय सलाहकार से ज़रूर सलाह लें। पिछले प्रदर्शन से भविष्य की गारंटी नहीं मिलती, बाजार जोखिम जुड़े हैं।








