हर रोज इसका पाठ करे, राधा कृष्ण के दर्शन जरुर होंगे

श्री हित चतुरासी जी एक परम भाग्यशाली ग्रंथ है, जिसे हर दिन कुछ मिनट पढ़ने से ऐसा दिव्य सुख और अनुभव मिलता है जिसे अन्य साधनाओं से प्राप्त करना कठिन होता है।

पाठ विधि एवं महत्व

श्री हित चतुरासी जी का संपूर्ण पाठ प्रतिदिन करने में लगभग एक घंटा लगता है। यदि प्रारंभ में इतना समय न मिले, तो इसे सात भागों में बाँटकर पढ़ा जा सकता है, जिससे एक सप्ताह में पूरा एक पाठ हो जाता है। शुरुआत में रोज बारह पद पढ़ सकते हैं, धीरे-धीरे सुविधा अनुसार बढ़ा सकते हैं।

श्री हित चतुरासी जी – ग्रंथ का स्वरूप

यह पूरे 84 पदों का काव्य रचना है, जिसमें भगवान कृष्ण और राधा के दिव्य प्रेम, ब्रज, रास लीला, श्रृंगार और माधुर्य भाव का सुंदर वर्णन किया गया है। प्रत्येक पद में ब्रजरस की माधुरी तथा युगल सरकार की प्रेममयी लीला का रस महसूस होता है।

  • पंक्तियों में राधा-कृष्ण के प्रेम प्रसंग, रसिक चरित्र, रासोत्सव, वनविहार, रासमंडल, मंत्रमुग्ध करती छवियाँ, और ब्रज भूमि का चित्रण है।
  • अनेक पदों में यमुनातट, वृन्दावन, पुलिन, सुरभित समीर, पुष्पसयन, विविध राग और संगीत, वंशी की धुन, और प्रेमसमर के रसमय दृश्य दर्शता है।
  • राधा-कृष्ण के मिलन, श्रृंगारिक भाव, नयन, वदन, चिबुक, माल, कंचुकि, निकुंज एवं लीला की गाथा प्रधान है।

फल स्तुति एवं राग संख्या

फल स्तुति में कहा है कि श्री हित चतुरासी जी का पाठ करने से प्रेम-भक्ति, सुख, आनंद, संतोष तथा ब्रज-विलास की भावना मिलती है। इससे प्रेमलक्षणा भक्ति, वृन्दावन वास का पुण्य व दंपति संपत्ति मिलती है, साथ ही चौरासी भ्रम का त्याग होता है और मन निर्विकार बनता है।

इस ग्रंथ के पद विविध रागों में गाए जाते हैं – विभास, माँझ, विलावल, टोड़ी, आसावरी, धनाश्री, बसंत केलि, देवगंधार, सारंग, मलार, गौड़, गौरी, कल्याण, निधि, कान्हरे, केदारे सहित चौदह प्रमुख रागों में गाने की परंपरा है।

जयकारा

अंत में श्री हित चतुरासी जी के जयकारा में श्री ललिता, श्री विशाखा, श्री चंपकलता, श्री चित्रा, श्री तुंगविद्या, श्री इन्दुलेखा, श्री रंगदेवी, श्री सुदेवी, समस्त सहचरी वृंद का स्मरण कर उनकी जय की घोषणा होती है।

ग्रंथ के मार्गदर्शक रूप में श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज को सूचित किया गया है।

विशेष सूचना

पूरा ग्रंथ अत्यंत रस-विश्राम, मधुरता, संतों के विश्राम, और प्रेम के सार से भरा है। इसका नित्य पाठ संबंध, प्रेम व भक्तिरस में प्रगाढ़ता लाता है और युगल सरकार की कृपा की वर्षा करता है।

महाराज जी की वेबसाइट का लिंक जिसमे चतुरासी जी का पूरा लिंक दिया गया है. उसको क्लिक करके पूरे 84 के 84 पद पढ़ सकते है. आप महाराज जी का अधिकृत मोबाइल एप पर radha keli kunj टाइप करके एप के मेनू यानी एप के बाए कोने सबसे ऊपर तीन लाइन दिखेगी. उसे क्लिक करेंगे, तो सभी श्रेणियां खुल जायेगी. आप श्री हित हरिवंश वाणी को क्लिक कर श्री हित चतुरासी जी का पाठ खोल कर पढ़ सकते है. महाराज जी कहते है, साधक को भले यह समझ ना आये, लेकिन उसे पढना है और शुरुआत में इसका hindi अर्थ जानने कि भी कोशिश नहीं करनी चाहिए.

https://bhajanmarg.com/shri-hit-chaturasi-ji

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