प्रश्न- यदि कोई सन्तान न हो तो अपने सम्बन्धियोंके ही अथवा अनाथ बालक-बालिकाओंको गोद लेना चाहिये या नहीं ?
उत्तर-आजकलके जमानेमें गोद न लेना ही अच्छा है; क्योंकि अपना पैदा किया हुआ बेटा भी सेवा नहीं करता, आज्ञा नहीं मानता तो गोद लिया हुआ बेटा क्या निहाल करेगा! यद्यपि पिण्ड-पानी देनेके लिये गोद लेनेका विधान तो है, पर वह पिण्ड-पानी ही नहीं देगा तो उसको गोद लेना किस कामका? यदि हमारे लिये लड़केकी आवश्यकता होती तो भगवान् दे देते।
हमारे लिये लड़के की आवश्यकता नहीं है, इसलिये भगवान् ने नहीं दिया है। अतः हम गोद लेकर अपने लिये आफत क्यों पैदा करें! प्रायः ऐसा देखा गया है कि गोद लिये हुए लड़के माँ-बापको दुःख-ही-दुःख देते हैं, उनकी सेवा नहीं करते। अतः अनाथ बालकोंको पढ़ाना चाहिये, उनकी सेवा करनी चाहिये, उनके शरीर निर्वाहका प्रबन्ध करना चाहिये।
यह लेख गीता प्रेस की मशहूर पुस्तक “गृहस्थ कैसे रहे ?” से लिया गया है. पुस्तक में विचार स्वामी रामसुख जी के है. एक गृहस्थ के लिए यह पुस्तक बहुत मददगार है, गीता प्रेस की वेबसाइट से यह पुस्तक ली जा सकती है. अमेजन और फ्लिप्कार्ट ऑनलाइन साईट पर भी चेक कर सकते है.