महाराज जी ने बच्चो युवाओं को बताया मोबाइल टीवी में क्या देखे जो बना देगा नंबर वन (EN)

“दिनचर्या नियमित नहीं हो पाती, और बिना मनोरंजन के भी नहीं रहा जाता क्या करें?”

प्रश्न: -“पूरी दिनचर्या को निमित्त कैसे करें ये समझ नहीं आता। कुछ समय तो निद्रा और भोजन आदि में चला जाता है, कुछ पढ़ाई करने में, थोड़ा कुछ गुरु नियम में, बीत जाता है. बचे कुछ समय में मनोरंजन में चले जाता है.

महाराज जी का उत्तर-

सारे काम भगवन को समर्पित करो.

निद्रा में समय जाता है उसे भी भगवान को समर्पित करो, जो पढ़ाई में समय जाता है उसे भी भगवान को समर्पित करो, जो मनोरंजन में समय जाता है उसे भी भगवान को समर्पित करो। तो ये समर्पण योग आपको ज्ञान योग प्रकाशित कर देगा, आपके अंदर शुद्ध बुद्धि होने लगेगी। यत करो शिव भगवान ने कहा, जो करते हो वह मुझे समर्पित कर दो। तो नाम जप करते हुए जब चेतना में है तो नाम जप कर रहे हैं, जब निद्रा में पाँच-छः घंटे तो वह भी भगवान को समर्पित कर देते हैं, जब विद्या अध्ययन या नौकरी या व्यापार, वह भी भगवान को समर्पित कर देते हैं। तो इस समर्पण योग से भगवत प्राप्ति की योग्यता आने लगती है।

महाराज जी, मनोरंजन के बिना रहा भी नहीं जाता

प्रश्नकर्ता की ओर से महाराज जी के परिकर ने पुछा- महाराज जी यह चाहते हैं कि मनोरंजन आदि ना किया जाए, पर मनोरंजन के बिना रहा भी नहीं जाता।

महाराज जी का उत्तर-

बिल्कुल कीजिए, हम मना नहीं कर रहे, पर असत्‌ मनोरंजन नहीं। रामायण देखिए, महाभारत देखिए, बैठकर भगवान की चर्चा कीजिए, सत्‌ मनोरंजन करो।

भगवान की लीलाओं में मनोरंजन कीजिए,

भक्तजन का मनोरंजन भगवान का नाम है, अपने भक्तों के मन का आनंद वर्धन करने वाले भगवान हैं। तो भगवान की लीलाओं में मनोरंजन कीजिए, भगवान के चरित्रों को देखिए। बड़े गंभीरता से रामानंद सागर ने रामायण बनाई है और महाभारत किसी अन्य ने बनाई है, बड़ा सुंदर है।

सांसारिक मनोरंजन नहीं, ये भागवतिक मनोरंजन कीजिए। आप रामायण देखिए, आप बहुत से ऐसे चरित्र, कृष्णा चरित्र है, ऐसे चरित्रों को देखिए जिससे कम से कम हमारा भाव तो जा रहा है कि यह राम जी हैं, लक्ष्मण जी हैं, ये हनुमान जी हैं, हमारा चिंतन तो बन रहा है।

वो एक अनुकरण किया गया है लीला का, हम यह देखकर सत्य चिंतन करने लगते हैं—ये सिया जी हैं, ये राम जी हैं, हनुमान जी हैं—तो हमारा चिंतन जब सिया राम में सब जग जानी, आदेश है कि सारे जगत को सियाराम में देखो, भगवत स्वरूप देखो।

तो जब हम राम चरित्र देख रहे हैं, तो उसमें तो भगवत भाव बन ही जाता है। कभी रोना आ जाता है, कभी मन एकदम लगता, अब क्या होगा, अब क्या होगा, तो हमारा पूरा मन उसमें लग जाता है।

फिल्म आदि मनोरंजन से अच्छा है रामायण, महाभारत, कृष्णा आदि मनोरंजन

तो हमें लगता है फिल्म आदि मनोरंजन से अच्छा है रामायण, महाभारत, कृष्णा आदि मनोरंजन और भी बहुत भागवतिक चरित्रों का अनुकरण किया गया है, बहुत से भागवतिक प्रोग्राम हैं, उनको देखो, कथा वार्ता देखो, एकांतिक सुनो, जिससे तुम्हारा मन पवित्र हो।

गन्दी चीज देख के मन गन्दा हो जाएगा

ऐसे चरित्र देखना या ऐसा दृश्य देखना जिससे हमारा मन गंदा हो जाए, तो मनोरंजन नहीं हुआ, वो तो मन को और गंदा करके मलिन करके, हाँ, अपवित्र करना है।

बच्चे रील्स फेसबुक में फंस जाते है

महाराज जी के परिकर

महाराज जी, बहुत सारे बच्चे मिलते हैं, महाराज जी, शुरू यहीं से करते हैं, बट वो आजकल Instagram रील्स, Facebook में, वो कहाँ पहुँच जाते हैं, पता नहीं।

महाराज जी का उत्तर

अपने को, थोड़ा कंट्रोल करना पड़ेगा

नहीं, थोड़ा कंट्रोल करना पड़ेगा अपने को, थोड़ा कंट्रोल करना पड़ेगा। ऐसा नहीं कि हम मोबाइल में लगे तो मोबाइल में ही लगे हैं। हमारी कुछ एक दिनचर्या होनी चाहिए—थोड़ी देर शास्त्र स्वाध्याय, थोड़ी देर नाम जप, थोड़ी देर नाम कीर्तन।

दुसरे सीरियल भी देखो जो ज्ञान प्राप्त कराये

तो 10-15-20 मिनट, आधा घंटा, एक घंटा अगर हम कोई सीरियल देख लेते हैं, धार्मिक सीरियल या सांसारिक सीरियल भी देखते हैं, तो ऐसे जिनमें गंदगी नहीं है, जो हमारे को ज्ञान प्राप्त कराएँ, ऐसे सीरियल देखो।

देखो, जड़ चेतन गुण दोष में विश्व की करतार। संत हंस गुण गाए पे परिहरि विकार।

ये संसार गुण और दोष दोनों मिलाकर बना हुआ है। ऐसे मोबाइल में, टीवी में गुण और दोष दोनों हैं।

देखो, आप मोबाइल से ही सत्संग सुनकर यहाँ आए हो वृंदावन धाम में साधु समागम करने के लिए, तो कितना बढ़िया काम बना कि भगवान की तरफ मोबाइल ही तो लाया।

मोबाइल से बहुत लोग सुधरे भी है

सब लोगों से हम मिल थोड़ी पाते हैं, हजारों लोग ऐसे हैं जो हमसे मिले नहीं, लेकिन सुधर गए—मांस, मदिरा छोड़ दिया, गंदे आचरण छोड़ दिए—तो मोबाइल से सुनकर ही तो।

मोबाइल से बहुत बिगड़े भी है

अब हजारों लोग हैं जो अपने को भ्रष्ट कर लिए मोबाइल से—गंदे सीन, गंदे चित्र, गंदी बातें देखकर अपने आप को गिरा लिए।

तो मोबाइल गुण और दोष दोनों से युक्त है। यदि हम गुण चाहे तो बड़े-बड़े संतों के पावन चरित्र, संतों की वाणी, भगवान का लीला अनुकरण यह सब मिलता है।

और अगर हम अपने को गंदगी में ले जाएँ तो देश-विदेश की फिल्में, देश-विदेश की गंदी बातें, हम अपने दिमाग को खराब कर लें।

निष्कर्ष

तो हमको चाहिए कि हम मोबाइल आदि संयम से, सद्गुण को ग्रहण करें। ये नहीं कि रील पे रील देखते चले जा रहे हैं, या गेम खेल रहे हैं, या गंदी बातें देख रहे हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए।”

  1. https://www.youtube.com/watch?v=pnDXrXFkAHY

  • Related Posts

    Safe प्लॉट ख़रीदे, ये चार बिन्दु जाने नहीं तो पैसा डूब जाएगा

    यहां प्रस्तुत है वीडियो (“Legal और Safe प्रॉपर्टी ख़रीदने चाहते हैं तो पहले ये चारों बिन्दु जान लीजिए नहीं तो पैसा डूब जाएगा | Building Byelaws-2025”) का विस्तार से, गहराई…

    Continue reading
    बेटा वापस आ जाओ, मैं मिस करता हूँ- शिखर धवन

    शिखर धवन के हालिया इंटरव्यू में उनका दर्द और भावनाएँ साफ तौर पर झलकती हैं। उन्होंने खुलकर बताया कि कैसे अपने बेटे और बच्चों से दूर होना उनके लिए सबसे…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    कौन सी चीज है जिसके पीछे इंसान जन्म से मृत्यु तक दौड़ता रहता है ?

    कौन सी चीज है जिसके पीछे इंसान जन्म से मृत्यु तक दौड़ता रहता है ?

    Gold Price : Chandni Chowk का माहौल और क्या बोले Expert?

    Gold Price : Chandni Chowk का माहौल और क्या बोले Expert?

    शरीर में जमी गन्दगी कैसे निकाले

    शरीर में जमी गन्दगी कैसे निकाले

    लड़ते-लड़ते थक गया हूँ, हस्तमैथुन की लत नहीं छूट रही

    लड़ते-लड़ते थक गया हूँ, हस्तमैथुन की लत नहीं छूट रही

    बोर्ड परीक्षा, मेमोरी बूस्ट, स्टडी हैक्स, मोटिवेशन- प्रशांत किराड के टिप्स

    बोर्ड परीक्षा, मेमोरी बूस्ट, स्टडी हैक्स, मोटिवेशन- प्रशांत किराड के टिप्स

    द कंपाउंड इफ़ेक्ट : किताब आपकी आय, जीवन, सफलता को देगी गति

    द कंपाउंड इफ़ेक्ट : किताब आपकी आय, जीवन, सफलता को देगी गति