मुंबई क्रोमा स्टोर विवाद: ईद पर तिलक हटाने का आदेश, धार्मिक भेदभाव या कंपनी पॉलिसी?

मुंबई के क्रोमा स्टोर में ईद के दिन एक कर्मचारी को तिलक हटाने के लिए मजबूर किया गया, जिससे धार्मिक भेदभाव की बहस छिड़ गई। जानिए पूरी घटना, सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया, धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार और कंपनी के लिए क्या हैं सही कदम।

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6/20/20251 मिनट पढ़ें

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घटना का संक्षिप्त विवरण

मुंबई के भांडुप वेस्ट स्थित क्रोमा स्टोर में 7 जून 2025, ईद-उल-अधा के दिन एक बड़ा विवाद सामने आया। कर्मचारी जितेश शर्मा को उनके सीनियर रशीद ने तिलक हटाने का आदेश दिया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में दिखा कि रशीद ने जितेश से कहा – "या तो तिलक हटा दो या स्टोर छोड़ दो।" इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश देखने को मिला, कई लोगों ने इसे धार्मिक भेदभाव बताया और कंपनी से कार्रवाई की मांग की।

सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया

  • वीडियो वायरल होते ही हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता स्टोर पहुंचे और मैनेजर से माफी की मांग की।

  • ट्विटर (अब X) पर यूजर्स ने लिखा, "यह भारत है, मिडिल ईस्ट नहीं। तिलक हटाने का आदेश कैसे दिया जा सकता है?"

  • कई लोगों ने रशीद के खिलाफ कार्रवाई और जितेश शर्मा के साहस की सराहना की।

  • अभी तक जितेश शर्मा ने पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है।

धार्मिक स्वतंत्रता और कार्यस्थल पर अधिकार

भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां हर नागरिक को अपने धार्मिक विश्वासों का पालन करने की स्वतंत्रता है। कार्यस्थल पर धार्मिक प्रतीकों (जैसे तिलक, हिजाब, क्रॉस आदि) को पहनना संविधान द्वारा संरक्षित अधिकार है, जब तक कि वह कंपनी की सुरक्षा या ड्रेस कोड नीति का उल्लंघन न करे।

अंतरराष्ट्रीय और कॉर्पोरेट बेस्ट प्रैक्टिसेज

  • कंपनियों को धार्मिक विविधता और समावेशन को बढ़ावा देना चाहिए।

  • ड्रेस कोड में धार्मिक प्रतीकों के लिए उचित छूट दी जानी चाहिए।

  • किसी भी कर्मचारी को उसकी धार्मिक पहचान के कारण भेदभाव या उत्पीड़न का सामना नहीं करना चाहिए।

  • कर्मचारियों के लिए सुरक्षित और गुमनाम शिकायत प्रणाली होनी चाहिए।

कंपनी की जिम्मेदारी और सुधार के उपाय

  • क्रोमा जैसी कंपनियों को स्पष्ट धार्मिक गैर-भेदभाव नीति बनानी चाहिए।

  • कर्मचारियों को धार्मिक प्रतीकों के साथ काम करने की अनुमति होनी चाहिए, जब तक वह कंपनी के ड्रेस कोड या सुरक्षा मानकों के खिलाफ न हो।

  • सभी कर्मचारियों को धार्मिक विविधता और सहिष्णुता पर ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।

  • विवाद की स्थिति में निष्पक्ष जांच और संवाद जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

धार्मिक भेदभाव: कानूनी और सामाजिक पहलू

धार्मिक भेदभाव भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 और 15 के खिलाफ है। कार्यस्थल पर किसी भी प्रकार का धार्मिक भेदभाव न केवल गैरकानूनी है, बल्कि सामाजिक सौहार्द के लिए भी घातक है। कंपनियों को चाहिए कि वे सभी धर्मों का सम्मान करें और कर्मचारियों को उनकी धार्मिक पहचान के साथ काम करने का अधिकार दें।

हिंदी में वायरल प्रतिक्रियाएं

"यह भारत है, मिडिल ईस्ट नहीं। तिलक हटाने का आदेश कैसे दिया जा सकता है? ऐसे कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।"
— सोशल मीडिया यूजर

"धार्मिक स्वतंत्रता हर भारतीय का अधिकार है, कंपनी को माफी मांगनी चाहिए।"
— स्थानीय नागरिक

निष्कर्ष

मुंबई के क्रोमा स्टोर में तिलक हटाने का विवाद सिर्फ एक कर्मचारी का मामला नहीं, बल्कि यह पूरे समाज में धार्मिक स्वतंत्रता, सहिष्णुता और कार्यस्थल पर समानता के सवाल को उठाता है। भारत की विविधता और धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखने के लिए कंपनियों, कर्मचारियों और समाज को मिलकर काम करना होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q1: क्या कार्यस्थल पर तिलक लगाना कानूनी है?
हाँ, भारतीय संविधान के अनुसार हर नागरिक को धार्मिक प्रतीकों के साथ काम करने का अधिकार है, जब तक वह कंपनी की सुरक्षा नीति के खिलाफ न हो।

Q2: क्रोमा स्टोर विवाद में अब तक क्या कार्रवाई हुई?
सोशल मीडिया पर विवाद के बाद कंपनी से माफी और कार्रवाई की मांग की गई, लेकिन अभी तक पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई है12

Q3: कंपनियों को क्या कदम उठाने चाहिए?
कंपनियों को धार्मिक विविधता का सम्मान करना चाहिए, स्पष्ट गैर-भेदभाव नीति बनानी चाहिए और कर्मचारियों को धार्मिक प्रतीकों के साथ काम करने की अनुमति देनी चाहिए3

इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारत जैसे विविधता वाले देश में धार्मिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता को बनाए रखना कितना जरूरी है। कंपनियों को चाहिए कि वे हर धर्म के कर्मचारियों का सम्मान करें और उनके अधिकारों की रक्षा करें।

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